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UPSC Hindi Editorial Analysis- 22nd December 2024 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly PDF Download

भारत के ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के विनियमन की तत्काल आवश्यकता

ऑनलाइन गेमिंग (Online gaming) में इंटरनेट के माध्यम से गेम खेलना शामिल है जहाँ खिलाड़ियों को उनके भौतिक स्थान की परवाह किये बिना कनेक्शन और सहयोगात्मक गेमप्ले की सुविधा प्राप्त होती है। यह कंप्यूटर और मोबाइल फोन सहित विभिन्न उपकरणों के माध्यम से अभिगम्य होता है। ऑनलाइन गैंबलिंग (Online gambling) में पैसे या पुरस्कार जीतने के लिये खेल और आयोजनों पर दाँव लगाकर इंटरनेट के माध्यम से जुआ गतिविधियों में भाग लेना शामिल है। इसे विभिन्न उपकरणों पर खेला जा सकता है और इसमें नकदी के बजाय वर्चुअल चिप्स या डिजिटल मुद्राएँ शामिल होती हैं।

गेमिंग और गैंबलिंग के बीच अंतर इसमें शामिल कौशल के तत्व पर निर्भर करता है। यदि किसी ऑनलाइन गतिविधि के लिये कौशल की आवश्यकता नहीं है तो इसे गेमिंग के बजाय गैंबलिंग माना जाएगा। गेमिंग गतिविधियाँ कौशल पर निर्भर होती हैं, जबकि गैंबलिंग गतिविधियाँ ‘चांस’ या कथित ‘लक’ पर निर्भर होती हैं।

भारतीय ऑनलाइन गेमिंग पारितंत्र का वर्तमान परिदृश्य क्या है?

  • विकास की संभावनाएँ: भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग मुख्य रूप से एक घरेलू स्टार्ट-अप पारितंत्र है जो 27% CAGR से बढ़ रहा है। व्यापक रूप से यह अनुमान लगाया गया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ऑनलाइन गेमिंग वर्ष 2026-27 तक भारत की जीडीपी में 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक जोड़ सकते हैं।
    • बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (BCG) द्वारा वर्ष 2021 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत का मोबाइल गेमिंग क्षेत्र वर्ष 2020 में 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2025 तक 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच जाएगा।
  • गेमिंग उद्योग को विनियमित करने के लिये विधेयक: संसद के बजट सत्र के दौरान लोकसभा में निजी विधेयक के रूप में ऑनलाइन गेमिंग (विनियमन) विधेयक 2022 पेश किया गया। 
    • यह विधेयक ऑनलाइन गेमिंग में अखंडता बनाए रखने और ऑनलाइन गेमिंग के लिये एक नियामक व्यवस्था पेश करने की मंशा रखता है।
      • MeitY द्वारा गठित एक कार्यबल ने भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग को विनियमित करने के लिये अपनी अनुशंसाओं की एक अंतिम रिपोर्ट तैयार की है।
    • इससे पूर्व, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक जैसे कुछ राज्यों ने ऑनलाइन गेम पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून पारित किये थे।
      • हालाँकि, उन्हें राज्य उच्च न्यायालयों द्वारा इस आधार पर रद्द कर दिया गया था कि पूर्ण प्रतिबंध लगा देना कौशल से जुड़े खेलों के लिये अनुचित था।
      • राजस्थान सरकार ऑनलाइन गेम, विशेष रूप से फैंटेसी गेम को विनियमित करने के लिये एक मसौदा विधेयक लेकर आई।
  • गेमिंग कंपनियों की बढ़ती संख्या: वर्तमान में भारत में 400 से अधिक गेमिंग कंपनियाँ सक्रिय हैं जिनमें इंफोसिस लिमिटेड, हाइपरलिंक इंफोसिस्टम, एफजीफैक्ट्री और ज़ेनसार टेक्नोलॉजीज़ शामिल हैं।

भारत में ऑनलाइन गेमिंग और गैंबलिंग की वैधता की क्या स्थिति है?

  • कानूनी क्षेत्राधिकार: भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची II (राज्य सूची) की प्रविष्टि संख्या 34 के तहत राज्य विधानमंडल को गेमिंग, बेटिंग या सट्टेबाजी और गैंबलिंग या जुए के संबंध में कानून बनाने की विशेष शक्ति दी गई है।
    • अधिकांश भारतीय राज्य ‘कौशल के खेल’ (games of skill) और ‘भाग्य के खेल’ (games of chance) के बीच कानून में अंतर के आधार पर गेमिंग को विनियमित करते हैं।
  • सार्वजनिक जुआ अधिनियम 1867: वर्तमान में भारत में केवल एक केंद्रीय कानून मौजूद है जो जुए के सभी रूपों को नियंत्रित करता है। इसे सार्वजनिक जुआ अधिनियम 1867 के रूप में जाना जाता है, जो एक पुराना कानून है और डिजिटल कैसीनो, ऑनलाइन गैंबलिंग एवं गेमिंग की चुनौतियों से निपटने के लिये अपर्याप्त है।
    • हाल ही में भारत के वित्त मंत्रालय ने ऑनलाइन मनी गेमिंग, कैसीनो और हॉर्स रेसिंग पर 28% वस्तु एवं सेवा कर (GST) लगाने की घोषणा की।
  • लॉटरी विनियमन अधिनियम 1998: भारत में लॉटरी को वैध माना जाता है। लॉटरी का आयोजन राज्य सरकार द्वारा किया जाना चाहिये और ‘ड्रा’ का स्थान उस विशेष राज्य में अवस्थित होना चाहिये।
  • विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (FEMA) 1999: लॉटरी जीतने और रेसिंग/राइडिंग से प्राप्त आय का विप्रेषण फेमा अधिनियम, 1999 के तहत निषिद्ध है।

भारत में ऑनलाइन गेमिंग को लेकर कौन-सी चिंताएँ पाई जाती हैं?

  • सरकारी कोषागार को हानि:
    • पर्याप्त विनियमन की कमी ने अवैध ऑफशोर गैंबलिंग बाज़ारों को पनपने का अवसर दिया है, जिससे उपयोगकर्ताओं को नुकसान होता है और सरकारी खजाने को वृहत हानि उठानी पड़ती है।
      • अवैध ऑफशोर गैंबलिंग और बेटिंग बाज़ार को भारत से प्रति वर्ष 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर की जमा राशि प्राप्त होती है और इसने पिछले तीन वर्षों में 20% की वृद्धि दर दर्ज की है।
  • लत लगाने वाले ऑनलाइन गेमिंग व्यवहार के बारे में चिंताएँ :
    • कुछ ऑनलाइन गेमिंग गतिविधियों की लत लगने की प्रकृति को लेकर चिंताएँ बढ़ रही हैं, जो संभावित बाध्यकारी व्यवहार, ज़िम्मेदारियों की उपेक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव जैसे परिणाम उत्पन्न करता है।
      • ये मुद्दे सुदीर्घ या प्रोलॉन्ग गेमिंग के मनोवैज्ञानिक प्रभावों की बारीकी से जाँच करने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हैं।
  • ऑनलाइन गेमिंग में वित्तीय जोखिम:
    • गेमिंग पर अत्यधिक व्यय करने के कारण व्यक्तियों, विशेष रूप से कमज़ोर आर्थिक पृष्ठभूमि के व्यक्तियों, को ऋण और आर्थिक कठिनाई सहित वित्तीय जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है।
      • यह ज़िम्मेदार उपभोक्ता संलग्नता के बारे में सवाल उठाता है और गेमिंग उद्योग में नैतिक विचारों के महत्त्व पर बल देता है।
  • कौशल-आधारित गेमिंग और गैंबलिंग के बीच अंतर करने में नियामक अस्पष्टता:
    • कौशल-आधारित गेमिंग और गैंबलिंग के लिये स्पष्ट परिभाषाओं की कमी नियामक अस्पष्टता को जन्म देती है, जिससे इन गेमिंग गतिविधियों की प्रकृति के बारे में नैतिक बहस और विविध व्याख्याएँ शुरू हो जाती हैं।
      • गेमिंग उद्योग में निष्पक्ष और उत्तरदायी विनियमन के लिये इस अस्पष्टता को संबोधित करना महत्त्वपूर्ण है।
  • मनी लॉन्ड्रिंग के साधन:
    • ऑनलाइन गैंबलिंग का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग के साधन के रूप में किया जा सकता है, जहाँ खिलाड़ी ऑनलाइन खातों में बड़ी मात्रा में नकदी जमा कर सकते हैं और फिर इसे वैध रूप से निकाल सकते हैं।
  • साइबर हमलों का खतरा:
    • ऑनलाइन गैंबलिंग साइट्स साइबर हमलों के प्रति भेद्य हो सकते हैं, जिससे खिलाड़ियों की संवेदनशील व्यक्तिगत एवं वित्तीय सूचना की चोरी हो सकती है; इस प्रकार डेटा सुरक्षा नियमों का उल्लंघन हो सकता है और उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता भंग हो सकती है।
  • सामाजिक अलगाव:
    • ऑनलाइन गैंबलिंग सामाजिक अलगाव का कारण बन सकता है, क्योंकि खिलाड़ी घंटों ऑनलाइन गेम खेलने में व्यस्त हो सकते हैं, जिससे परिवार और दोस्तों के साथ सामाजिक मेलजोल में कमी आ सकती है। इससे बच्चों के अपराधी बनने का खतरा भी उत्पन्न होता है।
  • साइबर अपराध के उभरते रुझान:
    • वित्त पर संसद की स्थायी समिति ने साइबर अपराध के रुझानों की पहचान की, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग के लिये अंतर्राष्ट्रीय ऑनलाइन बेटिंग साइटों का उपयोग करना भी शामिल है।
    • विनियमन की कमी इन मुद्दों में योगदन करती है, जो एक विशेष नियामक प्राधिकरण की आवश्यकता को उजागर करता है।

भारत में ऑनलाइन गेमिंग को विनियमित करने के लिये कौन-से कदम उठाये जा सकते हैं?

  • ऑनलाइन गेमिंग में मजबूत विनियमन की तत्काल आवश्यकता:
    • ऑनलाइन गेमिंग उद्योग में सुदृढ़ विनियमन की तत्काल आवश्यकता है। कुछ राज्य सरकारों द्वारा ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने के प्रयासों को इंटरनेट की क्रॉस-बॉर्डर प्रकृति के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
      • निजी विधेयक के रूप में पेश किये गए ऑनलाइन गेमिंग (विनियमन) विधेयक 2022 में सुधार किया जाना चाहिये और इसे संसद द्वारा पारित किया जाना चाहिये।
  • यूके का केंद्रीकृत नियामक दृष्टिकोण:
    • यूके में ऑनलाइन गेमिंग के लिये एक केंद्रीकृत सरकारी नियामक मौजूद है, जो विनियमन के प्रभावों पर त्रैमासिक रिपोर्ट प्रकाशित करता है।
    • कठोर प्रवर्तन और लक्षित प्रयासों से अव्यवस्थित गेमिंग और मध्यम-निम्न जोखिमपूर्ण गेमिंग व्यवहार में गिरावट आई है, जो एक केंद्रीकृत नियामक दृष्टिकोण के सकारात्मक प्रभाव को उजागर करता है।
  • बाज़ार के विनियमित और ग़ैर-विनियमित क्षेत्रों को संतुलित करना:
    • एक ग़ैर-विनियमित बाज़ार समग्र रूप से समाज को वृहत लाभ नहीं पहुँचा सकता।
    • अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का मानना है कि नियामक प्रवर्तन के लिये कमज़ोर दृष्टिकोण ‘शैडो इकॉनमी’ के प्रसार के लिये उपजाऊ ज़मीन बनाता है, जैसा कि भारतीय ऑनलाइन गेमिंग उद्योग में देखा गया है।
      • उद्योग के ज़िम्मेदार विकास के लिये एक संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
  • निरीक्षण की दिशा में एक कदम के रूप में सूचना प्रौद्योगिकी नियम:
    • सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 ऑनलाइन गेमिंग उद्योग में निरीक्षण या निगरानी की दिशा में एक सराहनीय कदम है।
      • हालाँकि, स्व-नियामक निकायों की विलंबित अधिसूचना ने प्रगति को धीमा कर दिया है, जिससे भारत में बड़ी गेमिंग आबादी की सुरक्षा के लिये सख्त विनियमन की आवश्यकता उजागर होती है।
  • समाज का समग्र कल्याण सुनिश्चित करना:
    • न केवल डिजिटल नागरिकों और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिये बल्कि ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र की  ज़िम्मेदार वृद्धि सुनिश्चित करने के लिये भी एक रूपरेखा स्थापित करना अत्यंत आवश्यक है।
      • नुकसान में कमी लाने, खिलाड़ी सुरक्षा और समाज की समग्र भलाई पर फोकस होना चाहिये।
    • नियामक ढाँचा को डिजिटल इंडिया अधिनियम, 2023 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के अनुसार डेटा गोपनीयता मानदंडों के अनुरूप होना चाहिये।
  • ऑनलाइन गेमिंग में कॉर्पोरेट नैतिक उत्तरदायित्व:
    • कॉर्पोरेशन, चाहे बड़े हों या छोटे, लाभ-संचालित उद्देश्यों से संचालित होते हैं। गेमिंग कंपनियाँ यह सुनिश्चित करने के नैतिक उत्तरदायित्व की उपेक्षा करते हैं कि उनके प्लेटफ़ॉर्म उपयोगकर्ताओं का दोहन नहीं करें या व्यसनी व्यवहार को प्रोत्साहित नहीं करें।
      • लाभ के उद्देश्यों पर उपयोगकर्ता भलाई को प्राथमिकता देना अत्यंत आवश्यक हो गया है, जो एक ज़िम्मेदार गेमिंग वातावरण को आकार देने में कॉर्पोरेशन द्वारा निभाई जाने वाली नैतिक भूमिका को महत्त्वपूर्ण बनाता है।
  • व्यापक अनुसंधान और विश्लेषण:
    • ऑनलाइन गेमिंग के मनोवैज्ञानिक और सामाजिक-आर्थिक प्रभावों पर व्यापक शोध में निवेश किया जाए, जो साक्ष्य-आधारित नीति निर्धारण एवं डेटा-आधारित निर्णयन के साथ ही प्रभावी नियामक उपायों के विकास को सुविधाजनक बनाए।

निष्कर्ष:

डिजिटल बाज़ारों का उभरता परिदृश्य, विशेष रूप से ऑनलाइन गेमिंग उद्योग में, अपर्याप्त विनियमन के कारण बाज़ार की विफलता के गंभीर मुद्दे को उजागर करता है। ऑनलाइन गेमिंग की तेज़ वृद्धि ने, आर्थिक विकास का वादा करते हुए, लत एवं मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों से लेकर वित्तीय धोखाधड़ी एवं राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिमों तक कई चिंताओं को जन्म दिया है। भारत में एक मज़बूत नियामक ढाँचे की तत्काल आवश्यकता न केवल उपयोगकर्ताओं और राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा के लिये, बल्कि ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र में ज़िम्मेदार विकास को बढ़ावा देने, कर चोरी और शैडो इकॉनमी के प्रसार के मुद्दों को संबोधित करने के लिये भी बेहद प्रकट हो गई है।

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FAQs on UPSC Hindi Editorial Analysis- 22nd December 2024 - Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly

1. भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के विनियमन क्यों आवश्यक है?
Ans. भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के विनियमन की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि इससे यह सुनिश्चित होता है कि यह उद्योग संगठित ढंग से चले और उपयुक्त सुरक्षा और न्यायाधीन अवसर प्रदान करे। विनियमन के माध्यम से सरकार इस उद्योग की सुरक्षा, कानूनी अधिकारों की पालना और निवेश की सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकती है।
2. भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के विनियमन कौन करेगा?
Ans. भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के विनियमन को विभिन्न सरकारी निकाय द्वारा किया जा सकता है, जैसे कि इसके लिए एक विशेष नियामक प्राधिकरण या निगम गठित किया जा सकता है। इस प्राधिकरण का कार्य ऑनलाइन गेमिंग के नियमन और उनकी पालना के लिए होगा।
3. क्या ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के विनियमन लागू करने से यह उद्योग बंद हो जाएगा?
Ans. नहीं, ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के विनियमन को लागू करने से यह उद्योग बंद नहीं हो जाएगा। विनियमन का उद्योग केवल सुरक्षित और न्यायाधीन ढंग से संचालित होगा और गेमिंग संचालकों को उचित निर्देशों का पालन करने के लिए प्रेरित करेगा।
4. ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के विनियमन क्या प्रमुखताएं हो सकती हैं?
Ans. ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के विनियमन में संचालकों के लिए कुछ प्रमुखताएं हो सकती हैं, जैसे कि यह सुनिश्चित करना कि उनके गेम्स सुरक्षित हों, किसी अनुचित सामग्री का प्रयोग न हो, न्यायाधीन खेल की सुनिश्चित करना, निजी डेटा की सुरक्षा और उपयुक्त प्रदाताओं के लिए नियम और दिशानिर्देशों का पालन।
5. भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के विनियमन के लिए अन्य देशों के उदाहरण कौन-कौन से हो सकते हैं?
Ans. भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के विनियमन के लिए अन्य देशों के उदाहरण के रूप में कुछ देश हैं जैसे कि यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, चीन, और अमेरिका। ये देश ऑनलाइन गेमिंग के नियमों और विनियमों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए जाने जाते हैं।
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