सितंबर 2023 में केंद्र सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में ‘एक राष्ट्र - एक चुनाव’ (One Nation, One Election- ONOE) पर एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया। समिति ने राष्ट्रीय एवं राज्यस्तरीय राजनीतिक दलों के साथ परामर्श किया और संभावित अनुशंसाओं के साथ आम लोगो एवं न्यायविदों के विचार आमंत्रित किये। एक राष्ट्र - एक चुनाव का प्रस्ताव भारत के लोकतांत्रिक ढाँचे और संघीय ढाँचे पर इसके प्रभाव के बारे में चिंताएँ उत्पन्न करता है।
उच्चस्तरीय समिति की स्थापना यह संकेत देती है कि भारत में एक साथ चुनाव पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। संवैधानिक और विधित सिद्धांतों पर संभावित प्रभाव के बारे में मौजूद चिंताओं के बावजूद, समिति की अनुशंसाओं के लिये एक निश्चित समयरेखा की कमी अनिश्चितता का माहौल बना रही है। कानूनी चिंताएँ, विशेष रूप से राज्य विधानमंडल की अवधि में संभावित परिवर्तन, संवैधानिक चुनौती पेश करती हैं। ‘एक राष्ट्र - एक चुनाव’ को रोका जा सकता है या नहीं, यह सवाल भारतीय सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक भूमिका को प्रमुखता से सामने लाता है।
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