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परीक्षा की सत्यनिष्ठा सुनिश्चित करना: लोक परीक्षा कदाचार रोकथाम विधेयक, 2024

The Hindi Editorial Analysis- 7th February 2024 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

संदर्भ:

लोकसभा ने हाल ही में लोक/सार्वजनिक परीक्षा कदाचार रोकथाम विधेयक-2024 पारित कर दिया है। इस विधेयक का उद्देश्य लोक/सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित व्‍यवहारों पर रोक लगाना है। अनुचित साधनों के विभिन्न रूपों को परिभाषित और दंडित करके,  परीक्षा प्रणाली में अधिक पारदर्शिता, निष्पक्षता और विश्वसनीयता लाना है। साथ ही यह विधेयक परीक्षाओं में अनुचित व्‍यवहार को लेकर किसी तरह की सांठगांठ या षड्यंत्र पर भी नियंत्रण स्थापित करेगा, जो ऐसी परीक्षाओं की अखंडता और विश्वसनीयता से समझौता करते हैं । यद्यपि इस विधेयक के अंतर्गत उम्‍मीदवार पर कार्रवाई का प्रावधान नहीं है और उन्हे उत्पीड़न से सुरक्षा मिलेगी। उम्‍मीदवार पर कार्रवाई, संबंधित लोक परीक्षा प्राधिकरण के मौजूदा प्रशासनिक प्रावधानों के अंतर्गत ही होगी।

  • यह विधेयक उन लोगों के लिए है जो परीक्षा की प्रक्रिया में बाधा डालते हैं या व्यवस्था को धोखा देने की कोशिश करते हैं। साथ ही यह विधेयक परीक्षाओं और भर्ती प्रक्रियाओं में शामिल केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के लिए इसकी सीमा सुनिश्चित करता है।

परीक्षाओं में शामिल अनुचित साधन:

  • परीक्षाओं के संदर्भ में "अनुचित साधन" शब्द में, मूल्यांकन प्रक्रिया में अनुचित लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से की जाने वाली कई कार्रवाइयां शामिल हैं।  विधेयक की धारा 3 में 15 से अधिक ऐसे कृत्यों का जिक्र है, जिनमें प्रश्न पत्र या उत्तर कुंजी का लीक होना, परीक्षा सामग्री तक अनधिकृत पहुंच होना, उत्तर पुस्तिकाओं के साथ छेड़छाड़ और परीक्षा के दौरान उम्मीदवारों को उत्तर समाधान प्रदान करना आदि शामिल हैं।  
  • अक्सर मौद्रिक या अनुचित लाभ प्राप्त करने के लिए की जाने वाली ये कार्रवाइयां परीक्षा प्रक्रिया की अखंडता को भंग करती हैं और उम्मीदवारों के योग्यता-आधारित चयन से समझौता करती हैं।  इसके अतिरिक्त, यह विधेयक उम्मीदवारों की शॉर्ट-लिस्टिंग या अंतिम योग्यता रैंकिंग से संबंधित दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़, नकली वेबसाइट बनाने और धोखाधड़ी वाली परीक्षाएं आयोजित करने जैसी गतिविधियों को भी संबोधित करता है।

सार्वजनिक/लोक परीक्षाओं की सीमा:

  • यह विधेयक "सार्वजनिक परीक्षाओं" को उसके कार्यक्रम में सूचीबद्ध लोक परीक्षा प्राधिकरणों, जैसे कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी), कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी), रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी), बैंकिंग कार्मिक चयन संस्थान द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं (आईबीपीएस) और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) आदि के रूप में परिभाषित करता है। 
  • ये प्राधिकरण सिविल सेवाओं और रक्षा भर्ती सहित बैंकिंग और विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा आदि विविध प्रकार की परीक्षाओं की देखरेख करते हैं।  इसके अलावा, कानून कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रियाओं में शामिल केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों और विभागों को शामिल करने के लिए यह विधेयक ऊनी सीमा का विस्तार करता है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में अनुचित प्रथाओं की रोकथाम के लिए एक व्यापक ढांचा सुनिश्चित होता है।

उल्लंघन के लिए दंड:

  • प्रस्तावित कानून सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों का सहारा लेने के दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों या संस्थाओं के लिए एक सख्त दंड की रूपरेखा तैयार करता है।  
  • धारा 9 के अनुसार इस विधेयक के तहत अपराध संज्ञेय, गैर-जमानती और गैर-शमनयोग्य श्रेणी के हैं, जो उल्लंघनकर्ताओं के लिए उनके दंडात्मक परिणामों की गंभीरता को दर्शाता है।  
  • उस संदर्भ में अपराधियों को तीन से पांच साल तक की कैद और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।  ऐसे मामलों में जहां जुर्माना नहीं भरा जाता है, भारतीय न्याय संहिता, 2023 के प्रावधानों के अनुसार अतिरिक्त कारावास लगाया जा सकता है। 
  • इसके अलावा, परीक्षा संचालन में सहायता करने वाले सेवा प्रदाताओं पर अन्य दंडों के साथ 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

पेपर लीक का मुकाबला करना:

  • इस विधेयक में संगठित पेपर लीक के मामलों में कठोर दंड के प्रावधान शामिल हैं। इसे सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित लाभ प्राप्त करने की साजिश रचने वाले समूहों द्वारा की गई गैरकानूनी गतिविधियों के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • विधेयक की धारा 11 में संगठित अपराध के लिए दंड की रूपरेखा दी गई है, जिसमें न्यूनतम पांच वर्ष की कैद, जिसे दस साल तक बढ़ाया जा सकता है; साथ ही एक करोड़ रुपये से शुरू होने वाला जुर्माना भी शामिल है।  
  • परीक्षा प्रणाली को बाधित करने के संगठित प्रयासों को लक्षित करके, इस कानून का उद्देश्य बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी और जालसाजी में शामिल लोगों को रोकना और प्रभावी ढंग से उनपर मुकदमा चलाना है।

विधेयक का औचित्य:

  • सार्वजनिक/लोक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024 की शुरूआत, पूरे भारत में भर्ती प्रक्रियाओं को प्रभावित करने वाली, परीक्षा कदाचार के व्यापक मुद्दे को संबोधित करने की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती है।  पिछले कुछ वर्षों में, प्रश्नपत्र लीक की कई घटनाओं ने परीक्षा प्रक्रियाओं को बाधित किया है। 
  • इससे सरकारी नौकरी पाने के इच्छुक लाखों उम्मीदवार प्रभावित हुए हैं।  विधेयक के उद्देश्यों और कारणों का विवरण परीक्षा की अखंडता पर कदाचार के हानिकारक प्रभाव को उजागर करता है, जिससे हितधारकों के बीच देरी, रद्दीकरण और अविश्वास उत्पन्न होता है।  इसके लिए एक व्यापक कानूनी ढांचा स्थापित कर, कानून का उद्देश्य परीक्षा प्रणाली की निष्पक्षता और विश्वसनीयता में युवाओं के बीच विश्वास जागृत करना है। 
  • साथ ही यह सुनिश्चित करना है, कि योग्यता-आधारित चयन प्रक्रियाएं पारदर्शी एवं निष्पक्ष रहें।

निष्कर्ष:

  • सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) विधेयक, 2024, भारत में सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित प्रथाओं के व्यापक मुद्दे को संबोधित करने की दिशा में सरकार के अहम प्रयासों का प्रतिनिधित्व करता है।  
  • कदाचार के विभिन्न रूपों को परिभाषित और दंडित करके, यह कानून परीक्षा प्रणाली की अखंडता और विश्वसनीयता को बनाए रखने का प्रयास करता है, जिससे लाखों उम्मीदवारों के हितों की रक्षा होती है।  संगठित अपराध समूहों सहित उल्लंघनकर्ताओं के लिए कड़े दंड के माध्यम से, विधेयक का उद्देश्य व्यक्तिगत लाभ के लिए परीक्षा प्रक्रिया को बाधित करने का प्रयास करने वालों को रोकना और उन पर मुकदमा चलाना है।  अंततः, इस विधेयक का अधिनियमन परीक्षा प्रणाली में विश्वास और पारदर्शिता लाने के लिए आवश्यक है, ताकि उचित योग्यता विभिन्न क्षेत्रों में भर्ती प्रक्रियाओं की आधारशिला बनी रहे|
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FAQs on The Hindi Editorial Analysis- 7th February 2024 - Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

1. परीक्षा की सत्यनिष्ठा क्या है?
उत्तर: परीक्षा की सत्यनिष्ठा एक सुनिश्चित तरीका है जिसका उपयोग परीक्षाओं में कदाचार को रोकने और सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है। इसका मतलब होता है कि परीक्षाओं में निष्पक्षता, निष्ठा और न्यायपूर्णता की दृष्टि से सुनिश्चित किया जाता है। इसके लिए समान और न्यायपूर्ण मापदंडों का पालन किया जाता है और परीक्षार्थियों के अधिकारों का समर्थन किया जाता है।
2. लोक परीक्षा कदाचार रोकथाम विधेयक, 2024 क्या है?
उत्तर: लोक परीक्षा कदाचार रोकथाम विधेयक, 2024 एक विधेयक है जिसका उद्देश्य परीक्षाओं में कदाचार रोकने और सत्यनिष्ठा सुनिश्चित करने का है। यह विधेयक सरकारी संस्थाओं और अन्य परीक्षा प्राधिकारियों को परीक्षा के नियमों और आदर्शों का पालन करने के लिए बाध्य करेगा। इसके अंतर्गत, विभिन्न सुरक्षा और प्रशासनिक उपाय लिए जाएंगे ताकि परीक्षाओं में न्यायपूर्णता और सत्यनिष्ठा सुनिश्चित की जा सके।
3. परीक्षा के नियमों का पालन क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: परीक्षा के नियमों का पालन महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे परीक्षाओं में सत्यनिष्ठा और न्यायपूर्णता सुनिश्चित होती है। यह छात्रों को विभिन्न अवसरों के बारे में जागरूक करता है और उन्हें उच्चतम स्तर की सत्यनिष्ठा और ईमानदारी के साथ परीक्षा देने की प्रेरणा देता है। साथ ही, यह छात्रों के बीच न्याय की भावना को बढ़ाता है और कदाचार को रोकता है।
4. लोक परीक्षा कदाचार रोकथाम विधेयक, 2024 किस देश में प्रस्तावित किया गया है?
उत्तर: लोक परीक्षा कदाचार रोकथाम विधेयक, 2024 भारत में प्रस्तावित किया गया है। यह विधेयक भारतीय संविधान में उल्लेखित परीक्षा संबंधी नियमों और आदर्शों का पालन करने के लिए बनाया गया है। इसका उद्देश्य परीक्षाओं में न्यायपूर्णता, सत्यनिष्ठा और ईमानदारी सुनिश्चित करना है।
5. लोक परीक्षा कदाचार रोकथाम विधेयक, 2024 की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं?
उत्तर: लोक परीक्षा कदाचार रोकथाम विधेयक, 2024 की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं: - यह विधेयक परीक्षाओं में न्यायपूर्णता और सत्यनिष्ठा को सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है। - इसमें विभिन्न सुरक्षा और प्रशासनिक उपाय शामिल होंगे ताकि परीक्षाओं में कदाचार रोका जा सके। - यह छात्रों को परीक्षा के नियमों और आदर्शों के बारे में जागरूक करेगा। - यह विधेयक सरकारी संस्थाओं और परीक्षा प्राधिकारियों को परीक्षा के नियमों का पालन करने के लिए बाध्य करेगा। - इसका उद्देश्य छात्रो
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