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International Relations (अंतर्राष्ट्रीय संबंध): January 2024 UPSC Current Affairs | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly PDF Download

लाल सागर और पनामा नहर

चर्चा में क्यों? 

लाल सागर व्यापार मार्ग में जहाज़ों पर हाल के हमलों और पनामा नहर में चल रही सूखे की समस्या ने वैश्विक व्यापार व्यवधानों के बारे में चिंताएँ बढ़ा दी हैं।

वर्तमान में लाल सागर और पनामा नहर में मुख्य मुद्दे क्या हैं?

  • लाल सागर: 
    • मुद्दा: रासायन पदार्थों से भरे टैंकर MV केम प्लूटो पर गुजरात के तट से लगभग 200 समुद्री मील दूर एक ड्रोन हमला हुआ था।
    • MV केम प्लूटो एक लाइबेरिया-ध्वजांकित, जापानी स्वामित्व वाला और नीदरलैंड द्वारा संचालित रासायनिक टैंकर है। इसने सऊदी अरब के अल ज़ुबैल से कच्चा तेल लेकर अपनी यात्रा शुरू की थी और इसके भारत के न्यू मैंगलोर पहुँचने की उम्मीद थी।
    • कथित रूप से शामिल: ऐसा माना जाता है कि गज़ा में इज़रायल की कार्रवाइयों के विरोध का हवाला देते हुए, यमन स्थित हूती विद्रोहियों द्वारा इसे अंजाम दिया गया था।
    • हूती विद्रोही यमन सरकार के साथ एक दशक से चल रहे नागरिक संघर्ष में भी शामिल हैं।
    • लाल सागर मार्ग में व्यवधान से केप ऑफ गुड होप के माध्यम से शिपिंग की जाएगी जिसके परिणामस्वरूप भारतीय कृषि उत्पादों की कीमत में 10-20% की वृद्धि हो सकती है।
    • भारत पर प्रभाव: इस महत्त्वपूर्ण व्यापार मार्ग में व्यवधान के कारण भारतीय तेल आयातकों और बासमती चावल तथा चाय जैसी प्रमुख वस्तुओं के निर्यातकों के लिये चिंताएँ पैदा हो गई हैं।

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  • पनामा नहर:
    • मुद्दा: सूखे की स्थिति के कारण, पनामा नहर के 51-मील विस्तार के माध्यम से शिपिंग में 50% से अधिक की कमी आई है।
    • मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में सामान्य से अधिक गर्म समुद्री जल से संबंधित प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाला अल-नीनो जलवायु पैटर्न पनामा के सूखे में योगदान दे रहा है।
    • प्रभाव: जल की यह कमी एशिया से अमेरिका जाने वाले जहाज़ो को स्वेज़ नहर का विकल्प चुनने के लिये मजबूर कर रही है, जिससे पनामा नहर मार्ग की तुलना में अतिरिक्त छह दिन का समय लगता है।
    • लाल सागर क्षेत्र में स्वेज़ नहर की ओर जाने वाली बाब-अल-मंडेब जलडमरूमध्य एशिया को यूरोप से जोड़ती है जबकि 100 वर्ष पुरानी पनामा नहर अटलांटिक व प्रशांत महासागरों को जोड़ती है।
    • ये दोनों जल मार्ग विश्व के सबसे व्यस्ततम मार्गों में से एक हैं।

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वैश्विक व्यापार में समुद्री परिवहन की क्या भूमिका है?

  • व्यापक मात्रा तथा मूल्य वाहक: व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन- UNCTAD के अनुसार समुद्री परिवहन कुल परिवहन मात्रा में वैश्विक व्यापार का 80% तथा मूल्य के हिसाब से 70% से अधिक का योगदान देता है, जो परिवहन के अन्य माध्यमों से कहीं अधिक है।
  • वर्ष 2019 तक वार्षिक विश्व परिवहन व्यापार का कुल मूल्य 14 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक तक पहुँच गया था।
  • पर्यावरणीय संदर्भ: जबकि शिपिंग वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 3% का योगदान देता है, यह अपेक्षाकृत अधिक ईंधन-कुशल है और हवाई माल ढुलाई जैसे परिवहन के अन्य तरीकों की तुलना में प्रति टन कार्गो का कम उत्सर्जन करता है।
  • ऊर्जा स्रोतों का परिवहन: विश्व के अधिकांश ऊर्जा संसाधनों, जैसे तेल एवं प्राकृतिक गैस का परिवहन समुद्र द्वारा किया जाता है। टैंकर इन संसाधनों को उत्पादन क्षेत्रों से उपभोक्ता क्षेत्रों तक ले जाते हैं, जो वैश्विक ऊर्जा मांगों को पूरा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

भारत इन मुद्दों की संवेदनशीलता/सुभेद्यता को कम करने के लिये क्या उपाय अपना सकता है?

  • संयुक्त समुद्री सुरक्षा पहल: प्रमुख लाल सागर हितधारकों (मिस्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, यमन) के साथ एक सहयोगी सुरक्षा ढाँचे का प्रस्ताव जिसमें खुफिया जानकारी साझा करना, समन्वित गश्त और संयुक्त अभ्यास शामिल हैं।
  • उन्नत निगरानी प्रणालियों की तैनाती: खतरे का शीघ्र पता लगाने और प्रतिक्रिया क्षमताओं को बढ़ाने के लिये भारत के पश्चिमी तट पर एकीकृत रडार एवं ड्रोन निगरानी प्रणालियाँ स्थापित की जा सकती हैं।
  • तरजीही/अधिमानी अभिगम पर वार्ता: भारतीय जहाज़ों के लिये तरज़ीही/अधिमानी मार्ग या विशिष्ट मार्गों के लिये संभावित टोल छूट संबंधी संभावनाओं का लगाने हेतु पनामा नहर अधिकारियों के साथ संवाद किया जाना चाहिये।

भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु प्रतिस्थापन सूचियों का वार्षिक आदान-प्रदान

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत और पाकिस्तान ने नई दिल्ली (भारत) तथा इस्लामाबाद (पाकिस्तान) में राजनीतिक प्रक्रियाओं के माध्यम से अपने संबंधित परमाणु प्रतिष्ठानों तथा केंद्रों (Nuclear Installations and facilities) की सूची का आदान-प्रदान किया है।

  • यह आदान-प्रदान दोनों देशों के बीच परमाणु प्रतिष्ठानों तथा केंद्रों के विरुद्ध हमले के निषेध पर समझौते के अंतर्गत आता है।

परमाणु प्रतिष्ठानों तथा केंद्रों के विरुद्ध हमले के निषेध पर समझौता क्या है?

  • परमाणु प्रतिष्ठानों और केंद्रों के विरुद्ध हमले के निषेध पर समझौते पर 31 दिसंबर, 1988 को तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो तथा भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा हस्ताक्षर किये गए थे।
  • यह संधि 27 जनवरी, 1991 को क्रियान्वित की गई।
  • हालिया आदान-प्रदान दोनों देशों के बीच संबद्ध सूचियों का निरंतर 33वाँ आदान-प्रदान है, पहला आदान-प्रदान 01 जनवरी, 1992 को हुआ था।
  • पृष्ठभूमि: उक्त समझौते पर बातचीत तथा हस्ताक्षर के लिये प्रत्यक्ष कारक भारतीय सेना द्वारा वर्ष 1986-87 के ब्रासस्टैक्स अभ्यास से उत्पन्न तनाव था।
  • ऑपरेशन ब्रासस्टैक्स (Brasstacks) पाकिस्तान सीमा के समीप भारतीय राज्य राजस्थान में आयोजित एक सैन्य अभ्यास था।
  • जनादेश: विश्वास को बढ़ावा देने वाले सुरक्षा का माहौल बनाने के लिये इस समझौते के तहत दोनों देशों को प्रत्येक कैलेंडर वर्ष के 1 जनवरी को समझौते से संबंद्ध किसी भी परमाणु प्रतिष्ठानों/संस्थापनों तथा केंद्रों के बारे में एक-दूसरे को सूचित करना होता है।
  • समझौते के अनुसार, ‘परमाणु स्थापना या सुविधा’ शब्द में परमाणु ऊर्जा और अनुसंधान रिएक्टर, ईंधन निर्माण, यूरेनियम संवर्द्धन, आइसोटोप पृथक्करण तथा पुनर्प्रसंस्करण सुविधाओं के साथ-साथ किसी भी रूप में ताज़ा या विकिरणित परमाणु ईंधन एवं सामग्री वाले अन्य प्रतिष्ठान व महत्त्वपूर्ण मात्रा में रेडियोधर्मी सामग्रियों का भंडारण करने वाले प्रतिष्ठान शामिल हैं।

भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद के प्रमुख क्षेत्र क्या हैं? 

  • कश्मीर विवाद:
    • नियंत्रण रेखा का उल्लंघन: नियंत्रण रेखा पर बार-बार संघर्ष विराम का उल्लंघन हो रहा है, जिसके परिणामस्वरूप लोग हताहत हो रहे हैं और तनाव बढ़ रहा है।
    • विसैन्यीकरण पर असहमति: नियंत्रण रेखा के दोनों ओर विसैन्यीकरण की मांगें अनसुलझी हैं, जिससे शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में प्रगति बाधित हो रही है।
  • आतंकवाद:
    • सीमा पार से घुसपैठ: भारत का आरोप है कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी, आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिये नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ कर रहे हैं।
    • आतंकवादी समूहों का पदनाम: दोनों देशों द्वारा आतंकवादी समूहों को आतंकवादी संगठन के रूप में नामित करने में मतभेद आतंकवाद विरोधी सहयोग में बाधाएँ पैदा करते हैं।
    • नागरिक आबादी पर प्रभाव: आतंकवादी हमलों में निर्दोष लोगों की जान चली जाती है तथा दोनों समुदायों के बीच शत्रुता और बढ़ जाती है।
  • जल बँटवारा:
    • बाँधों का निर्माण: सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों पर बाँधों तथा जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण पर विवाद, जल प्रवाह एवं उपयोग के अधिकारों को प्रभावित कर रहा है।
    • सिंधु जल संधि का कार्यान्वयन: जल आवंटन और विवाद समाधान तंत्र के संबंध में संधि की धाराओं की व्याख्या तथा कार्यान्वयन में अंतर।
  • व्यापार और आर्थिक संबंध:
    • व्यापार बाधाएँ: दोनों देशों द्वारा लगाई गई प्रतिबंधात्मक व्यापार नीतियाँ और उच्च टैरिफ सीमा पार व्यापार तथा आर्थिक कनेक्टिविटी में बाधा डालते हैं।
    • अगस्त 2019 में, पाकिस्तान ने जम्मू और कश्मीर क्षेत्र में किये गए संवैधानिक संशोधनों के जवाब में भारत के साथ व्यापार रोक दिया।
    • भारत ने वर्ष 2019 में पाकिस्तानी आयात पर 200% टैरिफ लगाया, जब पुलवामा आतंकवादी घटना के बाद पाकिस्तान का मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) पदनाम हटा दिया गया था।
    • सीमित सीमा-पार निवेश: राजनीतिक तनाव और सुरक्षा चिंताएँ दोनों देशों में व्यावसायों के बीच निवेश तथा संयुक्त उद्यमों को हतोत्साहित करती हैं।
    • तृतीय-पक्ष व्यापार मार्गों पर निर्भरता: क्षेत्र के बाहर व्यापार मार्गों पर निर्भरता से लागत बढ़ती है और दोनों अर्थव्यवस्थाओं की दक्षता कम हो जाती है।
  • क्षेत्रीय भूराजनीति:
    • पाकिस्तान में चीन की भूमिका: पाकिस्तान में बढ़ता चीनी निवेश और उपस्थिति, जिसमें चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा जैसी परियोजनाएँ भी शामिल हैं, भारत के लिये रणनीतिक गठबंधन तथा शक्ति संतुलन को लेकर चिंताएँ पैदा करती हैं।

 भारत और पाकिस्तान विवाद समाधान की ओर कैसे आगे बढ़ सकते हैं?

  • विश्वास निर्माण के उपाय:
    • संचार को सुदृढ़ बनाना: खुले संवाद और संकट प्रबंधन के लिये विभिन्न स्तरों पर प्रत्यक्ष, सुरक्षित संचार चैनल स्थापित करना।
    • LoC पर तनाव कम करना: युद्धविराम समझौतों को लागू करना और मज़बूत करना, सेना की तैनाती को कम करना तथा उल्लंघन की जाँच के लिये संयुक्त तंत्र स्थापित करना।
    • जन-जन की पहल: सांस्कृतिक और शैक्षणिक आदान-प्रदान, खेल आयोजनों तथा जलवायु परिवर्तन व स्वास्थ्य देखभाल जैसी आम चुनौतियों का समाधान करने वाली संयुक्त पहल को बढ़ावा देना।
  • मुख्य मुद्दों को हल करना:
    • कश्मीर विवाद समाधान: कश्मीरी लोगों की आकांक्षाओं पर विचार करते हुए और अंतर्राष्ट्रीय कानूनी ढाँचे का सम्मान करते हुए, वार्ता के माध्यम से कश्मीर मुद्दे का उचित एवं स्थायी समाधान तलाशना।
    • आतंकवाद का मुकाबला: आतंकवादी नेटवर्क को नष्ट करने, इनके वित्तपोषण एवं वैचारिक स्रोतों को निरस्त करने और पिछले कृत्यों के लिये जवाबदेही सुनिश्चित करने हेतु संयुक्त प्रयासों को तीव्रता प्रदान करना।
    • जल सहयोग: सिंधु जल संधि को प्रभावी ढंग से लागू करना, डेटा और जानकारी को पारदर्शी रूप से साझा करना व पारस्परिक लाभ के लिये संयुक्त जल प्रबंधन परियोजनाओं की खोज करना।
  • क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
    • मध्यस्थता को प्रोत्साहित करना: सार्क (SAARC) जैसे क्षेत्रीय मंचों के माध्यम से वार्ता को सुविधाजनक बनाना, दोनों पक्षों को स्वीकार्य समाधान तलाशना।
    • बाह्य प्रभावों को संतुलित करना: द्विपक्षीय प्रगति को खतरे में डालने से बचने के लिये दोनों देशों को चीन और अमेरिका जैसी बाह्य शक्तियों के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाने की आवश्यकता है।
  • सार्वजनिक समझ और समर्थन को बढ़ावा देना:
    • मीडिया की ज़िम्मेदारी: ज़िम्मेदार मीडिया कवरेज को बढ़ावा देना, नकारात्मक रूढ़िवादिता से बचना और सहयोग व साझा इतिहास की सकारात्मक पहलूओं पर ज़ोर देना।

विदेश में जेल में बंद भारतीयों का मुद्दा

चर्चा में क्यों?

विश्व भर में सबसे अधिक भारतीय प्रवासी नागरिक होने के कारण, 9,500 से अधिक भारतीय वर्तमान में विदेशों की जेलों में हैं।

  • मध्य पूर्व की जेलों में प्रत्येक पाँच में से तीन भारतीय जेल में हैं तथा इस क्षेत्र की जेलों में भारतीय कैदियों की तीसरी सबसे बड़ी आबादी कतर में है।

विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में कैद भारतीय

  • विदेश में जेल में बंद कुल भारतीय:
    • जिन 210 देशों में भारतीय प्रवासी समुदाय रहते हैं उनमें से 89 देशों की जेलों में 9,521 भारतीय बंद हैं।
  • मध्य पूर्व:
    • 62% से अधिक लोग मध्य पूर्व की जेलों में हैं एवं उसके बाद एशिया का स्थान आता है।
    • सबसे अधिक संख्या में भारतीय कैदी– 2,200, सऊदी अरब में बंद हैं जिसके बाद संयुक्त अरब अमीरात का स्थान है।
    • कतर में 752 भारतीय कैदी हैं तथा इसके बाद कुवैत, बहरीन और ओमान का स्थान है।
  • एशिया:
    • एशिया में कुल 1,227 कैदियों में से 23% से अधिक कैदी नेपाल में हैं, इसके बाद मलेशिया, पाकिस्तान, चीन, सिंगापुर, भूटान एवं बांग्लादेश हैं।
  • यूरोप:
    • यूरोप में अधिकांश भारतीय कैदी (278) यूनाइटेड किंगडम की जेलों में हैं, इसके बाद इटली, जर्मनी, फ्राँस एवं स्पेन का स्थान है।

क्या होता है जब किसी भारतीय को विदेश में कैद कर लिया जाता है?

  • निगरानी करना:
    • विदेश मंत्रालय की मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार, विदेशों में भारतीय मिशन और केंद्र स्थानीय कानूनों के कथित उल्लंघन के लिये भारतीय नागरिकों को जेल भेजे जाने की घटनाओं पर बारीकी से नज़र रखते हैं।
    • जैसे ही मिशन या पोस्ट को किसी भारतीय नागरिक की हिरासत या गिरफ्तारी के बारे में जानकारी मिलती है, वह ऐसे व्यक्तियों तक कांसुलर पहुँच प्राप्त करने के लिये स्थानीय विदेश कार्यालय और अन्य स्थानीय अधिकारियों से संपर्क करता है।
  • कल्याण और कांसुलर सहायता सुनिश्चित करना:
    • विदेश मंत्रालय के अधिकारी मामले के तथ्यों का पता लगाते हैं, भारतीय राष्ट्रीयता की पुष्टि करते हैं और विभिन्न तरीकों से ऐसे व्यक्तियों का कल्याण सुनिश्चित करना, जैसे कि हर संभव कांसुलर सहायता प्रदान करना, जहाँ भी आवश्यक हो, कानूनी सहायता प्रदान करने में मदद करना तथा न्यायिक कार्यवाही को जल्द-से-जल्द पूरा करने के लिये स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों से संपर्क करना।

विदेश में कैदियों को सहायता प्रदान करने हेतु सरकारी कदम क्या हैं?

  • कानूनी सहयोग:
    • भारतीय मिशन और पोस्ट उन देशों में वकीलों का एक स्थानीय पैनल बनाए रखते हैं जहाँ भारतीय समुदाय बड़ी संख्या में रहते हैं।
    • दूतावास द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं के लिये कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।
    • भारतीय समुदाय कल्याण कोष (ICWF) की स्थापना विदेशों में मिशनों और केंद्रों पर संकट की स्थिति में प्रवासी भारतीय नागरिकों की सहायता के लिये की गई है।
    • ICWF के तहत दिये जाने वाले समर्थन में कानूनी सहायता के लिये वित्तीय सहायता के साथ-साथ स्वदेश वापसी के दौरान यात्रा दस्तावेज़ और हवाई टिकट भी शामिल हैं।
  • भारतीय नागरिकों की स्वदेश वापसी:
    • सरकार विभिन्न देशों के साथ कांसुलर और अन्य परामर्शों के दौरान विदेशी जेलों में बंद भारतीय नागरिकों की रिहाई तथा स्वदेश वापसी के मुद्दे पर कार्रवाई करती है।
  • क्षमा और जेल की सज़ा में कमी:
    • कुछ देश समय-समय पर विभिन्न राष्ट्रीयताओं के कैदियों को माफी देते हैं या उनकी सज़ा कम करते हैं, लेकिन संबंधित देशों के साथ डेटा साझा नहीं करते हैं।
    • वर्ष 2014 के बाद से विभिन्न चैनलों के माध्यम से भारत सरकार के प्रयासों के कारण 4,597 भारतीय नागरिकों को विदेशी सरकारों द्वारा माफी या उनकी सज़ा में कमी मिली है।
  • सज़ायाफ्ता व्यक्तियों के स्थानांतरण (TSP) पर समझौते:
    • भारत ने 31 देशों के साथ TSP पर समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं, जिसके तहत विदेशों में बंद भारतीय कैदियों को उनकी शेष सज़ा काटने के लिये भारत में स्थानांतरित किया जा सकता है और इसके विपरीत भी। 
    • इनमें ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, बांग्लादेश, बोस्निया और हर्जेगोविना, ब्राज़ील, बुल्गारिया, कंबोडिया, मिस्र, एस्टोनिया, फ्राँस, हाॅन्गकाॅन्ग, ईरान, इज़रायल, इटली, कज़ाखस्तान, कोरिया, कुवैत, मालदीव, मॉरीशस, मंगोलिया, कतर, रूस, सऊदी अरब, सोमालिया, स्पेन, श्रीलंका, थाईलैंड, तुर्की, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), यूनाइटेड किंगडम और वियतनाम शामिल हैं। 
    • भारत ने सज़ायाफ्ता व्यक्तियों के स्थानांतरण पर दो बहुपक्षीय सम्मेलनों पर भी हस्ताक्षर किये हैं, विदेश में आपराधिक सज़ा काटने पर अंतर-अमेरिकी कन्वेंशन और सज़ा पाए व्यक्तियों के स्थानांतरण पर यूरोप काउंसिल कन्वेंशन, जिसके तहत सदस्य राज्यों तथा अन्य देशों के सज़ायाफ्ता व्यक्ति, जो इनमें शामिल हो गए हैं, कैदियों के स्थानांतरण की मांग कर सकते हैं।
    • वर्ष 2006 से जनवरी 2022 तक, 86 कैदियों को TSP के तहत स्थानांतरित किया गया, इनमें 75 कैद भारतीयों को भारत में स्थानांतरित किया गया और 11 विदेशी कैदियों को उनके संबंधित देशों में स्थानांतरित किया गया।

आगे की राह 

  • जेल में बंद कैदियों को नियमित और व्यापक कौंसल-संबंधी सहायता प्रदान करने के लिये विदेशों में भारतीय मिशनों के संसाधनों तथा क्षमताओं को मज़बूत किया जाना चाहिये।
  • संभवतः आउटरीच कार्यक्रमों या सूचना अभियानों के माध्यम से, उन देशों में स्थानीय कानूनों और रीति-रिवाज़ों के बारे में भारतीय प्रवासियों के बीच जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है।
  • कैदियों के स्थानांतरण की प्रक्रिया को सरल बनाने और विदेशी जेलों में भारतीय लोगों के लिये उचित व्यवहार सुनिश्चित करने के लिये अन्य देशों के साथ राजनीतिक प्रयासों तथा समझौतों को बढ़ाना आवश्यक है।
  • विदेश में कैद भारतीय नागरिकों से संबंधित नीतियों की लगातार समीक्षा और अद्यतन करना, सहज प्रत्यावर्तन या सज़ा हस्तांतरण(smoother repatriation or sentence transfers) की सुविधा के लिये संभावित रूप से मौजूदा समझौतों में संशोधन करना।

भारत मालदीव संबंध

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने मालदीव के राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय वार्ता की।

  • प्रधानमंत्री ने हिंद महासागर में अंतर्राष्ट्रीय अपराध, आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी के खतरे पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शांति तथा स्थिरता के लिये रक्षा एवं सुरक्षा के क्षेत्र में भारत एवं मालदीव के बीच समन्वय महत्त्वपूर्ण है।

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द्विपक्षीय वार्ता

  • सुरक्षा:
    • हिंद महासागर क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय अपराध, आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी के खतरे का मुकाबला करने के लिये भारत मालदीव सुरक्षा बल को 24 वाहन एवं एक नौसैनिक नाव उपलब्ध कराएगा, साथ ही द्वीपीय राष्ट्र के सुरक्षा कर्मियों को प्रशिक्षित करने में मदद करेगा।
    • भारत मालदीव के 61 द्वीपों में पुलिस सुविधाओं के निर्माण में भी सहयोग करेगा।
  • माले कनेक्टिविटी परियोजना:
    • दोनों नेताओं ने ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट, नई दिल्ली द्वारा वित्तपोषित 500 मिलियन अमेरिकी डाॅलर की परियोजना के का भी स्वागत किया।
    • दोनों नेताओं ने भारत से प्राप्त अनुदान और रियायती ऋण सहायता के तहत बनाए जा रहे 500 मिलियन अमेरिकी डाॅलर के ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट के वर्चुअल आधारशिला समारोह में भाग लिया।
  • समझौते:
    • मालदीव के विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार करने के लिये दोनों देशों ने छह समझौतों पर हस्ताक्षर किये, जिनमें शामिल हैं:
    • साइबर सुरक्षा
    • क्षमता निर्माण
    • आवास
    • आपदा प्रबंधन
    • आधारभूत संरचना का विकास
    • भारत ने द्वीपीय राष्ट्र को कुछ आधारिक संरचना परियोजनाओं को पूरा करने में मदद करने के लिये 100 मिलियन अमेरिकी डाॅलर के वित्तीय सहायता की घोषणा की।

भारत-मालदीव संबंध

  • सुरक्षा सहयोग:
    • हाल ही में भारतीय विदेश मंत्री द्वारा मालदीव की अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान नेशनल कॉलेज फॉर पुलिसिंग एंड लॉ एन्फोर्समेंट (National College for Policing and Law Enforcement- NCPLE) का उद्घाटन किया गया।
  • पुनर्वास केंद्र:
    • अड्डू रिक्लेमेशन एंड शोर प्रोटेक्शन प्रोजेक्ट (Addu Reclamation and Shore Protection Project) हेतु 80 मिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुबंध पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
    • अड्डू में एक ‘ड्रग डिटॉक्सिफिकेशन एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर’ (Drug Detoxification And Rehabilitation Centre) का निर्माण भारत की मदद से किया गया है।
    • यह सेंटर स्वास्थ्य, शिक्षा, मत्स्यपालन, पर्यटन, खेल और संस्कृति जैसे क्षेत्रों में भारत द्वारा कार्यान्वित की जा रही 20 उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाओं में से एक है।
  • आर्थिक सहयोग:
    • पर्यटन, मालदीव की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। वर्तमान में मालदीव कुछ भारतीयों के लिये एक प्रमुख पर्यटन स्थल है और बहुत से भारतीय वहाँ रोज़गार के लिये जाते हैं।
    • अगस्त 2021 में एक भारतीय कंपनी, ‘एफकॉन’ (Afcons) ने मालदीव में अब तक की सबसे बड़ी बुनियादी अवसंरचना परियोजना- ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (GMCP) हेतु एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये थे।
    • भारत मालदीव का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है।
    • महामारी संबंधी चुनौतियों के बावज़ूद वर्ष 2021 में, द्विपक्षीय व्यापार में पिछले वर्ष की तुलना में 31% की वृद्धि दर्ज की गई।

भारत-मालदीव संबंधों में विद्यमान चुनौतियाँ:

  • राजनैतिक अस्थिरता:
    • भारत की प्रमुख चिंता इसकी सुरक्षा और विकास पर पड़ोसी देशों की राजनीतिक अस्थिरता का प्रभाव रहा है।
    • फरवरी 2015 में मालदीव के विपक्षी नेता मोहम्मद नशीद की आतंकवाद के आरोपों में गिरफ्तारी और उसके परिणामस्वरूप उत्पन्न हुए राजनीतिक संकट ने भारत की पड़ोस नीति के समक्ष एक वास्तविक कूटनीतिक परीक्षा जैसी स्थिति उत्पन्न की है।
  • कट्टरता:
    • पिछले एक दशक में, इस्लामिक स्टेट (IS) और पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूहों का मालदीव में प्रभाव बढ़ता दिखाई दे रहा है।
    • यह पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों द्वारा भारत और भारतीय हितों के खिलाफ आतंकी हमलों के लिये लॉन्च पैड के रूप में मालदीव के द्वीपों का उपयोग करने की आशंका को जन्म देता है।
  • चीनी पक्ष:
    • हाल के वर्षों में भारत के पड़ोसी देशों में चीन के सामरिक दखल में वृद्धि देखने को मिली है। मालदीव दक्षिण एशिया में चीन की ‘स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स’ (String of Pearls) रणनीति का एक महत्त्वपूर्ण घटक बनकर उभरा है।
    • चीन-भारत संबंधों की अनिश्चितता को देखते हुए मालदीव में चीन की रणनीतिक उपस्थिति चिंता का विषय है।
    • इसके अलावा मालदीव ने भारत के साथ समझौते के लिये 'चाइना कार्ड' का उपयोग शुरू कर दिया है।

आगे की राह

  • यद्यपि भारत मालदीव का एक महत्त्वपूर्ण भागीदार है, किंतु भारत को अपनी स्थिति पर संतुष्ट नहीं होना चाहिये और मालदीव के विकास के प्रति अधिक ध्यान देना चाहिये।
  • दक्षिण एशिया और आसपास की समुद्री सीमाओं में क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये भारत को इंडो-पैसिफिक सुरक्षा क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिये।
  • इंडो-पैसिफिक सुरक्षा क्षेत्र को भारत के समुद्री प्रभाव क्षेत्र में अतिरिक्त-क्षेत्रीय शक्तियों (विशेषकर चीन की) की वृद्धि प्रतिक्रिया के रूप में विकसित किया गया है।
  • वर्तमान में 'इंडिया आउट' अभियान को सीमित आबादी का समर्थन प्राप्त है, लेकिन इसे भारत सरकार द्वारा समर्थन प्रदान नहीं किया जा सकता है।
  • यदि 'इंडिया आउट' के समर्थकों द्वारा उठाए गए मुद्दों को सावधानी से हल नहीं किया जाता है और भारत, मालदीव के लोगों को द्वीप राष्ट्र पर परियोजनाओं के पीछे अपने इरादों के बारे में प्रभावी ढंग से नहीं समझाता है, तो यह अभियान मालदीव में घरेलू राजनीतिक स्थिति को बदल सकता है।
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FAQs on International Relations (अंतर्राष्ट्रीय संबंध): January 2024 UPSC Current Affairs - Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly

1. What is the significance of the annual exchange of nuclear installation lists between India and Pakistan?
Ans. The annual exchange of nuclear installation lists between India and Pakistan is a confidence-building measure aimed at preventing accidental targeting of each other's nuclear facilities during military conflicts.
2. How does the exchange of nuclear installation lists contribute to nuclear transparency between India and Pakistan?
Ans. The exchange of nuclear installation lists helps in promoting transparency and reducing the risk of misunderstandings or miscalculations between India and Pakistan regarding their nuclear capabilities and intentions.
3. How does the issue of Indian prisoners in foreign jails impact international relations between India and other countries?
Ans. The issue of Indian prisoners in foreign jails can strain diplomatic relations between India and other countries, leading to bilateral discussions and negotiations to ensure the welfare and legal rights of the incarcerated individuals.
4. What are the common challenges faced by Indian prisoners in foreign jails?
Ans. Indian prisoners in foreign jails often face challenges such as language barriers, cultural differences, inadequate legal representation, lack of consular assistance, and difficulties in accessing basic amenities and healthcare services.
5. How do international agreements and treaties play a role in addressing the issues faced by Indian prisoners in foreign jails?
Ans. International agreements and treaties, such as consular access agreements and prisoner transfer treaties, provide a legal framework for addressing the rights and welfare of Indian prisoners in foreign jails, facilitating their repatriation or transfer to serve their sentences in India.
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