Table of contents |
|
परिचय |
|
कहानी का सार |
|
सारांश |
|
शब्द -अर्थ |
|
यह कहानी एक गेंद के इर्द-गिर्द घूमती है। गर्मी की छुट्टियों के दिन थे दिनेश को अपने बगीचे में एक गेंद के गिरने की आवाज सुनाई देती है। दिनेश गेंद पाने के लिए बिना चप्पल पहने बगीचे में दौड़ लगा देता है और वहां उसे एक किरमिच की गेंद मिलती है। कहानी से पता चलता है कि दिनेश एक ईमानदार बालक है। वह सोचता है कि अगर मोहल्ले में से किसी की होगी तो वापस कर दूंगा। मोहल्ले के बच्चों ने खेलने के लिए एक क्लब बना रखा था। शाम को जब सब बच्चे इक्कठे हुए तो दिनेश ने गेंद वाली बात सबको बताई और पूछा कि अगर उनमे से किसी की है और कोई गेंद की पहचान सही बता देता है तो वह गेंद उसको दे देगा। लेकिन कोई भी बालक सही पहचान नहीं बता पाया फिर बाद में सभी ने निर्णय किया कि चाहे जिसकी हो पहले इससे क्रिकेट खेल लिया जाय। दिनेश बल्लेबाजी कर रहा था खेलते-खेलते दिनेश ने ऐसा शॉट लगाया कि गेंद सड़क पर जाते हुए स्कूटर की टोकरी में जा गिरी। गेंद जैसे आई थी वैसे ही चली भी गई। सभी बच्चों ने एक-दूसरे की ओर देखा और ठहाका मारकर हंस पड़े।
गर्मी की छुट्टियाँ थीं। दोपहर के समय दिनेश घर में बैठा कहानी पढ़ रहा था कि तभी बगीचे में धम से किसी चीज के गिरने की आवाज हुई। दिनेश तुरंत बगीचे की ओर दौड़ पड़ा। वहाँ उसने भिंडियों के पौधों को उलटा-पलटा, सीताफल की बेल छान मारी, परन्तु उसे कुछ मिला नहीं। ढूँढ़ते-ढूढ़ते अचानक उसकी निगाह घूस के गड्ढे के ऊपर गई। वहाँ एक नई चमचमाती किरमिच की गेंद पड़ी थी।
उसने इधर-उधर देखा। सभी घरों के दरवाजे और खिड़कियाँ बंद थे। इसलिए दिनेश को लगा कि हो सकता है यह गेंद बाहर से आई हो। तभी माँ की आवाज सुनकर वह गेंद उठा लिया और कमरे के अंदर आ गया। ठंडे फर्श पर बिछी चटाई पर लेटकर वह सोचने लगा-भले ही यह गेंद मोहल्ले में से किसी की न हो, किन्तु ईमानदारी इसी में है कि एकबार सबसे पूछ लिया जाए।
गर्मी की छुट्टियाँ थीं। खेलने की सुविधा को ध्यान में रखते हुए एक क्लब बनाया हुआ था। शाम को सारे बच्चे यहीं एकत्रित हुए। दिनेश ने सबसे पूछा-मुझे एक गेंद मिली है। अगर तुममें से किसी की गेंद खो गई हो, तो वह गेंद की पहचान बताकर गेंद मुझसे ले सकता है। अनिल, सुधीर, दीपक सभी ने गेंद पर अपना अधिकार जताना शुरू किया। लेकिन दिनेश अच्छी तरह जानता था कि यह गेंद तीनों में से किसी की नहीं है। फिर भी दीपक बार-बार कहे जा रहा था-गेंद मेरी है और सिर्फ मेरी है। अनिल उसकी बात काटते हुए बोल पड़ा-क्या सबूत है कि यह गेंद तेरी ही है? फिर दोनों में ठन गई। दिनेश ने देखा कि झगड़ा बढ़ रहा है। गेंद हथियाने के लिए दीपक सुधीर और सुनील का सहारा ले रहा है। वह जानता था कि यदि गेंद दीपक के पास चली गई तो ये तीनों मिलकर खेलेंगे। अंत में वह गेंद दिखा दिया लेकिन साथ में यह भी कहा कि जो पक्का सबूत देगा, वही गेंद ले जाएगा। गेंद देखते ही दीपक बोल पड़ा-यही मेरी गेंद है। यह लाल रंग का निशान मेरी ही गेंद पर था।
लेकिन उसकी बात पर किसी को भरोसा नहीं हो रहा था। दीपक क्रोध में आ गया। उसने कहा-मैं इसे सड़क पर फेंक दूंगा। और उसने जैसे ही गेंद को सड़क पर फेंकने के लिए हाथ उठाया कि अनिल और दिनेश ने उसे पकड़ लिया। वास्तव में दिनेश का मन सबके साथ मिलकर उस गेंद से खेलने को कर रहा था। इसलिए उसने सबसे कहा-झगड़ा बाद में कर लेंगे। अपने-अपने बल्ले ले आओ, पहले खेल लें। पाँच मिनट के भीतर ही खेल आरंभ हो गया। दिनेश बल्लेबाजी कर रहा था। अभी दो-चार बार ही खेला था कि वह गेंद जोर से उछली और दरवाज़ा पार कर सड़क पर जाते हुए एक स्कूटर में बनी सामान रखने की जालीदार टोकरी में जा गिरी। तेज़ी से चलते हुए स्कूटर के साथ गेंद भी चली गई। बच्चे स्कूटर के पीछे भागे किंतु जल्दी ही रुक गए। वे समझ गए कि स्कूटर के पीछे भागना बेकार है। फिर वे सभी ठहाका मारकर हँस पड़े।
इस कहानी से हमें ईमानदारी और मिलजुलकर रहने का महत्व समझ में आता है। दिनेश ने अपने दोस्तों के साथ ईमानदारी से पेश आकर एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत किया।
17 videos|74 docs|20 tests
|
1. किरमिच की गेंद क्या होती है ? | ![]() |
2. किरमिच की गेंद का उपयोग किस खेल में किया जाता है ? | ![]() |
3. किरमिच की गेंद को बनाने में कौन-कौन से सामग्री का उपयोग होता है ? | ![]() |
4. क्या किरमिच की गेंद से खेलने का कोई लाभ है ? | ![]() |
5. किरमिच की गेंद का क्या इतिहास है ? | ![]() |