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Important Questions: Diary Likhne ki Kala (डायरी लिखने की कला) | Hindi Class 11 - Humanities/Arts PDF Download

प्रश्न 1: डायरी किसे कहते हैं?
उत्तर: डायरी एक ऐसी नोट बुक होती है, जिसके पृष्ठों पर वर्ष के तीन सौ पैंसठ दिनों की तिथियाँ क्रम से लिखी होती हैं। प्रत्येक तिथि के बाद पृष्ठ को खाली छोड़ दिया जाता है। डायरी को दैनिकी, दैनंदिनी, रोज़नामचा, रोजनिशि, वासरी, वासरिया भी कहते हैं। यह मोटे गत्ते की सुंदर जिल्द से सजी हुई होती है। कुछ डायरियाँ प्लास्टिक के रंग-बिरंगे कवरों से सजाई जाती हैं। डायरी विभिन्न आकारों में मिलती है। इनमें टेबल डायरी, पुस्तकाकार डायरी, पॉकेट डायरी प्रमुख हैं। नए वर्ष के आगमन के साथ ही विभिन्न आकार-प्रकार की डायरियाँ भी बाज़ार में मिलने लगती हैं। डायरी लिखने वाले हर व्यक्ति की यही इच्छा होती है कि नए वर्ष के पहले दिन उसके पास नई डायरी हो।

प्रश्न 2: डायरी का क्या उपयोग है ?
उत्तर: डायरी के प्रत्येक पृष्ठ पर एक तिथि होती है तथा शेष पृष्ठ खाली होता है। इस खाली पृष्ठ का उपयोग उस तिथि विशेष से संबंधित सूचनाओं अथवा अपनी निजी बातों को लिखने के लिए किया जाता है। किसी विशेष तिथि पर यदि हमें कोई विशेष कार्य करना है अथवा कहीं जाना है तो उससे संबंधित सूचना पहले से ही उस तिथि वाले पृष्ठ पर लिख दी जाती है। इससे उक्त तिथि के आने पर हमें किए जाने वाले कार्य याद आ जाते हैं। हमारे दिन-प्रतिदिन के अनुभवों को भी हम उस तिथि के पृष्ठ पर लिख कर अपने अनुभवों को सुरक्षित रख सकते हैं। कुछ लोग अपने दैनिक आय-व्यय का विवरण, धोबी-दूध का हिसाब, बच्चों की शरारतों आदि को भी डायरी में लिखते हैं

प्रश्न 3: डायरी-लेखन क्या है ? कुछ प्रसिद्ध डायरियों और डायरी लेखकों के नाम भी बताइए।
उत्तर: अत्यंत निजी स्तर पर घटित घटनाओं और उससे संबंधित बौद्धिक तथा भावनात्मक प्रतिक्रियाओं का लेखा-जोखा डायरी कहलाता है। हमारे जीवन में प्रतिदिन अनेक घटनाएं घटती हैं। हम अनेक गतिविधियों और विचारों से भी गुज़रते हैं। दैनिक जीवन में हम जिन घटनाओं, विचारों और गतिविधियों से निरंतर गुज़रते हैं, उन्हें डायरी के पृष्ठों पर शब्दबद्ध कर लेना ही डायरी-लेखन है। प्रसिद्ध डायरियों और उनके लेखकों के नाम निम्नलिखित हैं-
(i) एक साहित्यिक की डायरी-गजानन माधव मुक्तिबोध।
(ii) पैरों में पंख बाँध कर-रामवृक्ष बेनीपुरी।
(iii) रूस में पच्चीस मास-राहुल सांकृत्यायन।
(iv) सुदूर दक्षिणपूर्व-सेठ गोविंददास।
(v) द डायरी ऑफ अ यंग गर्ल-ऐनी फ्रैंक।
(vi) हरी घाटी-डॉ० रघुवंश।
(vi) हरा घाटा-डॉ० रघुवंश।

प्रश्न 4: डायरी-लेखन अपने अंतरंग के साथ साक्षात्कार कैसे है?
उत्तर: डायरी में हम अपने जीवन में घटित होने वाली घटनाओं, अनुभवों आदि का विवरण प्रत्येक तिथि के अनुसार लिखते रहते हैं। हम अपनी डायरी में उन बातों को भी लिख देते हैं, जिन्हें हम किसी दूसरे व्यक्ति को नहीं बता सकते। इस प्रकार हम डायरी पर लिखते समय अपनी बातें स्वयं को ही बताते चलते हैं। इससे हमारा अपने आप से ही संवाद स्थापित हो जाता है। इससे हमें हमारी अच्छाइयों और बुराइयों का ज्ञान हो जाता है। हम स्वयं को अच्छी प्रकार से समझ पाते हैं तथा जहाँ कमियाँ हैं उन्हें दूर करने का प्रयास करते हैं। हमें जब भी आवश्यकता होती है हम डायरी के पिछले पृष्ठों को पढ़कर अपने अतीत को स्मरण कर सकते हैं। इस प्रकार डायरी-लेखन हमें अपने अंतरंग के साथ साक्षात्कार करने का अवसर प्रदान करता है।

प्रश्न 5: डायरी एक व्यक्तिगत दस्तावेज़ कैसे है?
उत्तर: डायरी में हम अपने जीवन के कुछ विशेष क्षणों में घटित अनुभवों, विचारों, घटनाओं, मुलाकातों आदि का विवरण लिखते हैं। यदि हम इन विवरणों को उसी तिथि विशेष पर नहीं लिखते तो संभव है कि हम उस विशेष क्षण में घटित अनुभव को भूल जाएँगे और फिर कभी उसे स्मरण नहीं कर पाएंगे। डायरी में लिखित विवरण हमें भूलने से बचाते हैं। उदाहरण के लिए यदि हम किसी पर्यटन स्थल पर जाते हैं और वहाँ पर अनेक स्थलों को देखते हैं। यदि हम प्रत्येक स्थल की यात्रा का विवरण उसी दिन अपनी डायरी में लिख लेते हैं तो हम अपने अनुभव को पूर्ण रूप से सुरक्षित रख सकते हैं तथा अवसर मिलने पर इसे पढ़कर उस यात्रा का फिर से पूरा आनंद उठा सकते हैं। यदि हम यात्रा से लौट कर सारा विवरण लिखना चाहें तो संभव नहीं हो पाएगा। हम अनेक विवरण लिखना छोड़ जाएंगे। डायरी से जब हम अपने विगत को पढ़ते हैं तो यह हमारा एक व्यक्तिगत दस्तावेज़ बन जाता है।

प्रश्न 6: डायरी लिखते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर: डायरी लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा जाना आवश्यक है
(i) डायरी सदा किसी नोटबुक अथवा पिछले साल की डायरी में लिखी जानी चाहिए। इसका कारण यह है कि यदि
हम वर्तमान वर्ष की डायरी तिथि अनुसार लिखेंगे तो उसमें एक दिन के लिए दी गई जगह कम या अधिक हो सकती है। इससे हमें भावों की अभिव्यक्ति को उसी सीमा में ही बाँधना पड़ेगा।
(ii) डायरी लिखते समय स्वयं तय करें कि आप क्या सोचते हैं और स्वयं को क्या कहना चाहते हैं। दिन भर की घटनाओं में से मुख्य घटना अथवा गतिविधि का चयन करने के बाद ही उसे शब्दबद्ध करें।
(iii) डायरी अत्यंत निजी वस्तु है। इसे सदा यही मानकर लिखें कि उसके पाठक भी आप स्वयं हैं और लेखक भी।इससे भाषा-शैली स्वाभाविक बनी रहती है।
(iv) डायरी में भाषा की शुद्धता और शैली की विशेषता पर ध्यान नहीं देना चाहिए। मन के भावों को स्वाभाविक वेग से जिस रूप में भी प्रस्तुत किया जाए, वही डायरी की शैली होती है।
(v) डायरी समकालीन इतिहास होता है। अतः डायरी लिखते समय हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए। डायरी में डायरी लेखक के भावों और तत्कालीन समाज को स्पष्ट देखा जा सकता है।

प्रश्न 7: डायरी कैसे और किस में लिखनी चाहिए?
उत्तर: डायरी सोने से पूर्व दिनभर की गतिविधियों को स्मरण करते हुए लिखनी चाहिए। डायरी किसी नोट बुक अथवा पुरानी डायरी में लिखने वाले दिन की तिथि डाल कर लिखनी चाहिए। नोट बुक अथवा पुराने साल की डायरी में डायरी लिखना इसलिए उचित होता है क्योंकि कई बार नए साल की डायरी की तिथियों में दिया गया खाली पृष्ठ हमें अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए कम लगता है अथवा कभी हम दो-चार पंक्तियों में ही अपनी बात लिखना चाहते हैं। इसलिए नए साल की डायरी के पृष्ठों की तिथियों तक स्वयं को सीमित रखने के स्थान पर यदि हम किसी नोटबुक अथवा पुराने साल की डायरी में अपनी सुविधा के अनुसार तिथियाँ डालकर अपने विचारों और अनुभवों को लिपिबद्ध करेंगे तो हम स्वयं को खुलकर अभिव्यक्त कर सकते हैं

प्रश्न 8: डायरी-लेखन की भाषा-शैली कैसी होनी चाहिए?
डायरी लिखते समय हमें सहज, व्यावहारिक तथा आडंबरविहीन भाषा-शैली का प्रयोग करना चाहिए। मानव एवं साहित्यिक भाषा-शैली के प्रयोग के मोह में हम डायरी में अपनी भावनाओं को सहज रूप से व्यक्त नहीं कर सकते। डायरी में भावों को सर्वत्र सहजता से प्रकट होने का अवसर मिलना चाहिए। मन में उत्पन्न भाव अत्यंत सरलता से शब्दों में ढलते जाने चाहिए। डायरी-लेखन प्रत्येक अच्छी-बुरी बात को सहज रूप से लिखा जाता है। इसलिए इसमें भाषा-शैली के आडंबरपूर्ण होने का अवसर ही नहीं होता है। डायरी में आप अपनी बात जैसे चाहें और जिस ढंग से चाहें लिख सकते हैं। यही डायरी की भाषा-शैली की विशेषता है। डायरी की भाषा-शैली समस्त बंधनों से मुक्त होती है।

प्रश्न 9: ऐनी फ्रैंक का परिचय दीजिए।
उत्तर: ऐनी फ्रैंक का जन्म सन् 1929 ई० में जर्मनी में हुआ था। वह एक यहूदी लड़की थी। जब जर्मनी में नाज़ियों ने यहूदियों पर अत्याचार करने शुरू कर दिए तो वह अपने परिवार के साथ एम्स्टर्डम चली गई। जब नीदरलैंड्स पर नाज़ियों का अधिकार हो गया और उन्होंने वहाँ रहने वाले यहूदियों पर अत्याचार किए तो ऐनी का परिवार जुलाई, सन् 1942 में एक दफ़्तर में गुप्त रूप से रहने लगा। यहाँ से दो साल बाद उन्हें नाज़ियों ने पकड़कर यातना कैंप में भेज दिया था। ऐनी को उसके तेरहवें जन्म-दिन पर एक डायरी मिली थी, जिसमें उसने जून, सन् 1942 से अगस्त, सन् 1944 तक की घटनाओं का वर्णन किया था। सन् 1945 ई० में ऐनी की मृत्यु हो गई थी। द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद उसके पिता ने एम्स्टर्डम जाकर ऐनी की डायरी तलाश की और इसे प्रकाशित करवाया। मूल डायरी डच भाषा में लिखी हुई थी जो सन् 1947 ई० में अंग्रेजी में 'द डायरी ऑफ अ यंग गर्ल' के नाम से प्रकाशित हुई। यह बीसवीं सदी की सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली पुस्तकों में से एक मानी गई है।

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FAQs on Important Questions: Diary Likhne ki Kala (डायरी लिखने की कला) - Hindi Class 11 - Humanities/Arts

1. डायरी लिखने की कला क्या है?
उत्तर: डायरी लिखने की कला का मतलब है अपने विचारों, अनुभवों और खुशियों को एक नोटबुक या डायरी में लिखना और संग्रहित करना।
2. डायरी लिखने की कला क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: डायरी लिखने की कला महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे हम अपने जीवन के महत्वपूर्ण पलों को याद रख सकते हैं और स्वयं को समझ सकते हैं।
3. डायरी लिखने की कला कैसे सीखी जा सकती है?
उत्तर: डायरी लिखने की कला सीखने के लिए हर दिन नियमित रूप से लिखना शुरू करें, विभिन्न विचारों को एकत्रित करें और समय-समय पर अपनी डायरी को पढ़ें।
4. कैसे डायरी लिखने से हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है?
उत्तर: डायरी लिखने से हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है क्योंकि यह हमें अपने भावनाओं को व्यक्त करने का माध्यम प्रदान करता है।
5. क्या डायरी लिखने से हमारे सांस्कृतिक विकास में मदद मिलती है?
उत्तर: हां, डायरी लिखने से हमारे सांस्कृतिक विकास में मदद मिलती है क्योंकि यह हमें अपने विचारों और धार्मिक अनुभवों को समझने में सहायक होती है।
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