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The Hindi Editorial Analysis- 11th March 2024 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC PDF Download

आई. एन. एस. जटायुः पूर्वी हिंद महासागर में भारत की समुद्री यात्रा

The Hindi Editorial Analysis- 11th March 2024 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

संदर्भ:

लक्षद्वीप समूह के मिनिकॉय द्वीप में आईएनएस जटायु को शामिल किया जाना (कमीशन होना) भारत की नौसैनिक क्षमताओं और क्षेत्रीय रणनीतिक स्थिति को दर्शाने हेतु एक प्रगतिवादी चरण का प्रतीक है। इस विश्लेषण में हम इस प्रक्रम के बहुआयामी निहितार्थों के संदर्भ पर दृष्टिपात करते हुए, इसके रणनीतिक, भू-राजनीतिक और संचालनात्मक आयामों का आकलन कर रहे हैं। साथ ही पूर्वी हिंद महासागर में एक नए नौसैनिक अड्डे की स्थापना द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों और अवसरों का मूल्यांकन करने की भी कोशिश कर रहे हैं।

आईएनएस जटायु का रणनीतिक महत्व:

  • आईएनएस जटायु का कमीशन होना पूर्वी हिन्द महासागर में भारत की नौसेना की उपस्थिति को मजबूत करने और समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने की उसकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है। रामायण के पौराणिक चरित्र के नाम पर रखा गया, आईएनएस जटायु भारतीय नौसेना की सेवा और सुरक्षा के प्रति समर्पण का प्रतीक है, जो उस पौराणिक पात्र के निस्वार्थ कार्य की याद दिलाता है।
  • आईएनएस जटायु के माध्यम से अदन की खाड़ी में समुद्री डाकुओं द्वारा उत्पन्न खतरों, लाल सागर में हौती हमलों और अन्य अवैध गतिविधियों में वृद्धि कारण हिन्द महासागर क्षेत्र में भारत के रणनीतिक हितों को रेखांकित किया गया है। मिनिकॉय में नौसेना सुविधा को पूर्ण विकसित नौसेना बेस में बदलना; चिन्हित महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों की रक्षा और उभरती सुरक्षा चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए भारत के सक्रिय दृष्टिकोण को दर्शाता है।

आई. एन. एस. जटायु के परिचालन उद्देश्य:

  • आई. एन. एस. जटायु समुद्र में एक प्रहरी के रूप में कार्य करता है, जो न केवल अवैध गतिविधियों की निगरानी और ट्रैक करने के लिए सुसज्जित है, बल्कि नौसेना बलों की तीव्र तैनाती की सुविधा भी प्रदान करता है और क्षेत्र में एक रणनीतिक उपस्थिति बनाए रखता है। प्रमुख नौवहन मार्गों (शिपिंग लेन) और महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों के मध्य स्थित होने के कारण, मिनिकॉय निगरानी और परिचालन समन्वय के लिए एक आदर्श और सुविधाजनक स्थिति प्रदान करता है।
  • आई. एन. एस. जटायु की स्थापना भारत की व्यापक समुद्री रणनीति के साथ संरेखित है, जो अग्रिम संचालन ठिकानों और रसद केंद्रों के विकास के माध्यम से सञ्चालन पहुंच और प्रभावशीलता को बढ़ाने का प्रयास करती है। मिनिकॉय को रसद और समर्थन कार्यों के लिए एक नोडल बिंदु के रूप में उपयोग करके, भारतीय नौसेना का लक्ष्य अरब सागर और उससे आगे अपने समुद्री डोमेन जागरूकता और प्रतिक्रिया क्षमताओं को मजबूत करना है।

आई. एन. एस. जटायु के भू-राजनीतिक प्रभाव:

  • आईएनएस जटायु का सञ्चालन पूर्वी हिंद महासागर में अपनी प्रमुख स्थिति बनाए रखने के भारतीय संकल्प; भारत के पड़ोसियों और रणनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को एक स्पष्ट संदेश देता है। इस क्षेत्र में बढ़ते चीनी प्रभाव की पृष्ठभूमि में, भारत के रणनीतिक योजनाकार आईएनएस जटायु की स्थापना को अपने समुद्री हितों के लिए संभावित चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए एक सक्रिय उपाय के रूप में देखते हैं।
  • मालदीव में हाल के घटनाक्रमों, जिनमें चीन के साथ एक रक्षा सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर और चीनी सैन्य उपस्थिति की छूट शामिल है; ने नई दिल्ली में अपने निकटवर्ती समुद्री पड़ोस में भारतीय प्रभाव के क्षरण को लेकर चिंता जताई है। आईएनएस जटायु की कमीशनिंग इन भू-राजनीतिक गतिशीलता के लिए एक ठोस प्रतिक्रिया के रूप में कार्य करती है, जो क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा को संरक्षित करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है।

सामाजिक-आर्थिक प्रभाव और विकास पहल:

  • अपने रणनीतिक और भू-राजनीतिक आयामों से परे, आईएनएस जटायु की स्थापना लक्षद्वीप क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास सम्बन्धी व्यापक प्रभाव डालती है। नए नौसेना अड्डे के क्रियान्वयन से बुनियादी ढांचे के विकास को उत्प्रेरित करने, संचार नेटवर्क को बढ़ाने और स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए तैयार है।
  • भारत के नौसेना योजनाकारों ने आई. एन. एस. जटायु और उससे सम्बंधित बुनियादी ढांचे के विकास में पर्यावरणीय स्थिरता को एकीकृत करने के महत्व पर जोर दिया है। बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाकर, भारत का उद्देश्य स्थानीय आबादी के लिए सामाजिक-आर्थिक लाभों को अधिकतम करते हुए संभावित पर्यावरणीय प्रभावों को कम करना है।

चुनौतियाँ और संभावनाएं:

  • अपनी रणनीतिक अनिवार्यता के बावजूद, आईएनएस जटायु की स्थापना भारत की समुद्री सुरक्षा वास्तुकला के लिए कई चुनौतियाँ और संभावनाएं प्रस्तुत करती है। मिनिकॉय का दूरस्थ स्थान, ताजे पानी जैसे आवश्यक संसाधनों तक अपनी सीमित पहुंच के साथ, आगे के परिचालन आधार को बनाए रखने के लिए तार्किक और परिचालन संबंधी बाधाएं प्रस्तुत करता है।
  • मिनिकॉय जैसे दूरस्थ द्वीप पर सैन्य उपस्थिति बनाए रखने के लिए बुनियादी ढांचे की आवश्यकताओं, कर्मियों के आवास और पर्यावरण संरक्षण को संबोधित करने के लिए व्यापक योजना और संसाधन आवंटन की आवश्यकता होती है। द्वीप की पारिस्थितिकी की नाजुकता सतत विकास प्रथाओं और सक्रिय संरक्षण उपायों की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

प्रगतिशील दृष्टिकोण और दीर्घकालिक व्यवहार्यता:

  • उपर्युक्त चुनौतियों के आलोक में, आईएनएस जटायु के विकास हेतु एक प्रगतिशील दृष्टिकोण अपनाने का भारत का निर्णय एक व्यावहारिक और सूक्ष्म रणनीति को दर्शाता है। रणनीतिक बुनियादी ढांचे के उन्नयन को प्राथमिकता देकर तथा आवश्यक मंजूरी प्राप्त करके, भारत पर्यावरणीय प्रबंधन और स्थानीय संवेदनशीलता के साथ अपनी परिचालन अनिवार्यताओं को संतुलित करना चाहता है।
  • आईएनएस जटायु की दीर्घकालिक व्यवहार्यता उभरती सुरक्षा गतिशीलता के अनुकूल होने, परिचालन बाधाओं को कम करने और क्षेत्रीय भागीदारों के साथ सहयोग को बढ़ावा देने की क्षमता पर निर्भर करती है। हालांकि इसके सामरिक लाभ हैं, फिर भी आईएनएस जटायु की निरंतर प्रभावशीलता भारत की तार्किक चुनौतियों से निपटने और अपनी रणनीतिक संपत्तियों का प्रभावी ढंग से लाभ उठाने की क्षमता पर निर्भर करेगी।

निष्कर्ष:

  • मिनिकॉय में आईएनएस जटायु का कमीशन होना भारत की समुद्री सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है, जो पूर्वी हिंद महासागर में समुद्री हितों की रक्षा के लिए इसकी अटूट प्रतिबद्धता का संकेतक भी है। जैसा कि भारत वर्तमान में जटिल भू-राजनीतिक गतिशीलता और उभरती सुरक्षा चुनौतियों का सामना करता है, आईएनएस जटायु की स्थापना क्षेत्रीय समुद्री व्यवस्था को आकार देने और रणनीतिक स्थिरता को संरक्षित करने में अपने सक्रिय रुख को रेखांकित करती है।
  • एक व्यापक दृष्टिकोण, जो रणनीतिक अनिवार्यताओं, सामाजिक-आर्थिक विकास लक्ष्यों और पर्यावरणीय विचारों को एकीकृत करता है; के माध्यम से, भारत का उद्देश्य एक दूरस्थ द्वीप वातावरण में एक फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस को बनाए रखने की अंतर्निहित जटिलताओं को दूर करते हुए आईएनएस जटायु के प्रभाव को अधिकतम करना है।
  • इस प्रकार आईएनएस जटायु समुद्र में एक प्रहरी के रूप में अपनी भूमिका निभाता है, इसकी स्थायी विरासत को न केवल इसके परिचालन कौशल से परिभाषित किया जाएगा, बल्कि क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने, सतत विकास को बढ़ावा देने और हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा और नौवहन की स्वतंत्रता के सिद्धांतों को बनाए रखने की क्षमता से भी परिभाषित किया जाएगा
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FAQs on The Hindi Editorial Analysis- 11th March 2024 - Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

1. पूर्वी हिंद महासागर क्या है?
Ans. पूर्वी हिंद महासागर भारत के पूर्वी किनारे पर स्थित महासागर है। यह भारत का सबसे बड़ा महासागर है और भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश क्षेत्र को घेरता है।
2. जटायुः कौन थे और उनकी महत्वपूर्णता क्या थी?
Ans. जटायुः रामायण महाकाव्य में एक महाराखासी गरुड़ थे जो श्रीराम की पत्नी सीता का हरण करनेवाले रावण से युद्ध करते हुए मारे गए थे। जटायुः की वीरता और समर्पण की कहानी हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण है।
3. क्या भारत की समुद्री यात्रा और पूर्वी हिंद महासागर में यात्रा सुरक्षित है?
Ans. हां, भारत की समुद्री यात्रा में बड़ी सुरक्षा की व्यवस्था है। सरकार ने नौसेना, तटरक्षक और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को समुद्री सुरक्षा में सहायता के लिए नियुक्त किया है।
4. पूर्वी हिंद महासागर के किन-किन देशों के साथ सीमारेखा है?
Ans. पूर्वी हिंद महासागर के किनारे बांग्लादेश, भूटान, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमार, थाईलैंड, वियतनाम, और सिंगापुर जैसे देश हैं।
5. जटायुः के बारे में किस प्रसिद्ध रामायण कथा में उल्लेख किया गया है?
Ans. जटायुः के बारे में ज्यादातर जानकारी वाली कथा वाल्मीकि रामायण महाकाव्य में उपलब्ध है, जो एक प्राचीन भारतीय कवि वाल्मीकि द्वारा रचित है।
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