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उपग्रह नेविगेशन पर आधारित नवीन राजमार्ग टोल संग्रह प्रणाली

The Hindi Editorial Analysis- 12th March 2024 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

संदर्भ

राजमार्गों पर टोल संग्रह प्रणाली के आधुनिकीकरण की दिशा में सरकार के द्वारा कई महत्वपूर्ण कदम उठाते गए हैं । हाल ही में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के नेतृत्व में भारत सरकार ने वैश्विक नेविगेशन उपग्रह प्रणाली(GNSS) पर आधारित एक नई टोल प्रणाली शुरू करने की घोषणा की है। इस अभूतपूर्व पहल का उद्देश्य अधिक कुशल, पारदर्शी और तकनीकी रूप से उन्नत प्रणाली के माध्यम से टोल एकत्र करने के तरीके में क्रांति लाना है।ध्यातव्य हो कि 2024 के चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू होने वाली है; इस को ध्यान में रखते हुए सरकार प्रस्तावित नवीन प्रणाली को तेजी से लागू करने का प्रयास कर रही है। यह योजना परिवहन क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास और नवाचार के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का संकेत देती है।

प्रस्तावित राजमार्ग टोल प्रणाली

  • नई टोल प्रणाली वैश्विक नेविगेशन उपग्रह प्रणाली के आधार पर कार्य करेगी, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका के ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम(GPS) जैसे उपग्रह-आधारित नेविगेशन प्रणालियाँ शामिल हैं। पारंपरिक टोल संग्रह विधियों के विपरीत, जो अक्सर भौतिक टोल बूथों और बैरियर्स पर निर्भर होते हैं, प्रस्तावित नवीन प्रणाली वाहनों में स्थापित ऑन-बोर्ड इकाइयों (ओबीयू) का उपयोग करेगी। ये प्रणालियाँ ओबीयू ट्रैकिंग उपकरणों का उपयोग करके वाहन के स्थानों की मैपिंग करने में सक्षम होंगी। इस प्रणाली में भारतीय उपग्रह नेविगेशन प्रणाली गगन का प्रयोग भी किया जाएगा जो लगभग 10 मीटर की प्रभावशाली सटीकता प्रदान कर सकता है । इसके अलावा डिजिटल इमेज प्रोसेसिंग के माध्यम से, राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्देशांकों को लॉग किया जाएगा, जिससे प्रत्येक वाहन द्वारा तय की गई दूरी के आधार पर सटीक टोल की गणना की जा सकेगी।
  • यह प्रणाली पारंपरिक टोल संग्रह दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण प्रस्थान को चिह्नित करती है, क्योंकि यह भौतिक टोल बूथों और बैरियर्स की आवश्यकता को समाप्त करेगी, जिससे राजमार्गों पर बाधा मुक्त आवाजाही का मार्ग प्रशस्त होगा। इसके अतिरिक्त, अनुपालन को लागू करने के लिए राजमार्गों के किनारे सीसीटीवी कैमरों से लैस गैन्ट्री लगाए जाएंगे। ये गैन्ट्री वाहनों की उच्च-सुरक्षा पंजीकरण प्लेटों की छवियों को कैप्चर करेंगे, जिससे अधिकारियों को ओबीयू की उपस्थिति को क्रॉस-सत्यापित करने और सिस्टम को दरकिनार करने के किसी भी प्रयास का पता लगाने में सरलता होगी।

चुनौतियां और समाधान

  • इसके संभावित लाभों के बावजूद, प्रस्तावित टोलिंग प्रणाली कई चुनौतियां भी पेश करती है इन्हे सफल कार्यान्वयन के लिए संबोधित करने की आवश्यकता है। एक प्रमुख चिंता उन मामलों में टोल वसूली का मुद्दा है जहां सड़क उपयोगकर्ता अपना भुगतान करने में विफल रहते हैं। पारंपरिक टोल बूथों के विपरीत, जो गैर-अनुपालन वाहनों को गुजरने से रोक सकते हैं, इस प्रणाली में इस तरह के प्रवर्तन तंत्र का अभाव है। नतीजतन, सरकार को टोल वसूली के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित करने और गैर-अनुपालन के लिए दंड को स्पष्ट करने की आवश्यकता होगी।
  • एक अन्य चुनौती प्रणाली की अखंडता सुनिश्चित करने और धोखाधड़ी संबंधी गतिविधियों को रोकने में निहित है, जैसे कि ओबीयू के साथ छेड़छाड़ या राजमार्गों पर अनधिकृत वाहनों का उपयोग करना। इससे निपटने के लिए, सरकार ने उल्लंघनों का पता लगाने हेतु स्वचालित नंबर प्लेट मान्यता (एएनपीआर) प्रणालियों से लैस गैन्ट्री को तैनात करने की योजना बनाई है। हालांकि, इन प्रणालियों की प्रभावशीलता लाइसेंस प्लेटों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। यह एक अतिरिक्त चुनौती पेश करती है इसका तकनीकी प्रगति और मानकीकरण प्रयासों के माध्यम से समाधान करने की आवश्यकता है।

निजता की सुरक्षा

  • टोल संग्रह के लिए ट्रैकिंग उपकरणों और उपग्रह नेविगेशन प्रणालियों के उपयोग के संबंध में गोपनीयता संबंधी चिंताएं भी उठाई गई हैं। इन चिंताओं के जवाब में, सरकार ने देश के भीतर डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए जीपीएस के बजाय गगन उपग्रह प्रणाली का उपयोग करने का विकल्प चुना है। इसके अतिरिक्त, 2023 में संसद में पारित डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम का उद्देश्य व्यक्तिगत डेटा के लिए सुरक्षा उपाय स्थापित करना और इसके संग्रह, भंडारण और उपयोग को विनियमित करके गोपनीयता के मुद्दों का समाधान करना है। 
  • हालांकि, इन नियमों का कार्यान्वयन और प्रवर्तन वाहन उपयोगकर्ताओं के गोपनीयता अधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

फास्टैग के साथ सह-अस्तित्व

  • नई टोल प्रणाली के साथ मौजूदा टोल संग्रह विधियों, विशेष रूप से फास्टैग के साथ इसका क्या संबंध होगा ? यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। विगत हो कि फास्टैग रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन तकनीक के आधार पर कार्य करते हैं। 
  • वर्तमान में यह भारतीय राजमार्गों पर सर्वाधिक प्रचलित हैं, दिसंबर 2023 तक इनके लगभग 99% अनुपालन की सूचना मिली है। 
  • इस व्यापकता के बावजूद, सरकार ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि ओबीयू सभी वाहनों के लिए अनिवार्य होगा या केवल नए वाहनों के लिए। नतीजतन, नई टोलिंग प्रणाली फास्टैग के साथ सह-अस्तित्व में रहेगी, जो सड़क उपयोगकर्ताओं को टोल भुगतान के लिए कई विकल्प प्रदान करेगी।

निष्कर्ष

अंत में, वैश्विक नौवहन उपग्रह प्रणाली पर आधारित प्रस्तावित राजमार्ग टोलिंग प्रणाली भारत के परिवहन बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उपग्रह प्रौद्योगिकी और ट्रैकिंग उपकरणों का लाभ उठाकर, सरकार का उद्देश्य टोल संग्रह प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना, सटीकता बढ़ाना और राजमार्गों पर बाधा मुक्त आवाजाही को बढ़ावा देना है। हालांकि, इस प्रणाली के सफल कार्यान्वयन के लिए टोल वसूली, प्रवर्तन और गोपनीयता संबंधी चिंताओं सहित विभिन्न चुनौतियों पर काबू पाने की आवश्यकता होगी। इसके अतिरिक्त, फास्टैग जैसी मौजूदा टोल संग्रह विधियों के साथ नई प्रणाली का सह-अस्तित्व अधिक कुशल और तकनीकी रूप से उन्नत परिवहन प्रणालियों की ओर संक्रमण में लचीलेपन और अनुकूलनशीलता के महत्व को रेखांकित करता है। कुल मिलाकर, प्रस्तावित टोलिंग प्रणाली भारत के राजमार्ग बुनियादी ढांचे को बदलने और सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए समग्र यात्रा अनुभव में सुधार करने का एक प्रयास है।

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FAQs on The Hindi Editorial Analysis- 12th March 2024 - Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

1. क्या उपग्रह नेविगेशन पर आधारित नवीन राजमार्ग टोल संग्रह प्रणाली क्या है?
उत्तर: यह एक नवीन राजमार्ग टोल संग्रह प्रणाली है जो उपग्रह नेविगेशन का उपयोग करके सड़कों की टोल संग्रह को सुधारती है।
2. नई प्रणाली कैसे काम करती है?
उत्तर: नई प्रणाली सड़कों पर उपग्रह सेंसर्स का उपयोग करती है जो वाहनों की गति और उनके टोल किराये को संयंत्रित रूप से निर्धारित करने में मदद करते हैं।
3. यह प्रणाली किस तरह से सड़क सुरक्षा में मदद कर सकती है?
उत्तर: यह प्रणाली सड़कों पर ट्रैफिक को अधिक सुरक्षित और नियंत्रित बनाने में मदद कर सकती है क्योंकि यह वाहनों की सही गति को सुनिश्चित करती है।
4. क्या इस प्रणाली का उपयोग भारत में कहीं किया जा रहा है?
उत्तर: हां, कुछ राज्यों में भारत में इस प्रणाली का परीक्षण और अमल किया जा रहा है।
5. क्या उपग्रह नेविगेशन पर आधारित नवीन राजमार्ग टोल संग्रह प्रणाली आम जनता के लिए क्या लाभ प्रदान कर सकती है?
उत्तर: यह प्रणाली ट्रैफिक को नियंत्रित करने में मदद कर सकती है, जिससे सड़कों पर जाम कम हो और यातायात सुचारू रहे।
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