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पढ़ाकू की सूझ Chapter Notes | Hindi for Class 4 PDF Download

परिचय

यह कविता रामधारी सिंह दिनकर द्वारा लिखी गई है। इसमें एक पढ़ाकू व्यक्ति की हास्यप्रद कहानी है, जो तर्कशास्त्र का ज्ञाता है लेकिन व्यावहारिकता से अनजान है। कवि ने इस कविता में व्यंग्य के माध्यम से जीवन की सादगी और वास्तविकता पर जोर दिया है। पढ़ाकू व्यक्ति की जटिल सोच और मालिक की सरलता के बीच का अंतर इस कविता को अत्यंत रोचक बनाता है। पढ़ाकू की सूझ Chapter Notes | Hindi for Class 4

व्याख्या

प्रथम पद

एक पढ़क्कू बड़े तेज़ थे, तर्कशास्त्र पढ़ते थे,
जहाँ न कोई बात, वहाँ भी नई बात गढ़ते थे।
एक रोज़ वे पड़े फ़िक्र में समझ नहीं कुछ पाए,
"बैल घूमता है कोल्हू में कैसे बिना चलाए?"

व्याख्या: इन पंक्तियों में कवि ने पढ़ाकू व्यक्ति की आदतों को प्रस्तुत किया है। वह अत्यधिक पढ़ाई-लिखाई में रुचि रखता था और तर्कशास्त्र में माहिर था। वह इतनी गहरी सोच में रहता था कि जहाँ कोई समस्या न भी हो, वहाँ भी अपनी जटिल सोच से नई समस्याएँ उत्पन्न कर लेता था। एक दिन, उसकी नजर कोल्हू के बैल पर पड़ी और उसने यह विचार करना शुरू कर दिया कि बैल बिना किसी निर्देश या आदेश के कैसे घूमता रहता है। यह प्रश्न उसके दिमाग में बार-बार घूमता रहा, और वह इस रहस्य को सुलझाने के लिए बेचैन हो गया।

द्वितीय पद

कई दिनों तक रहे सोचते, मालिक बड़ा गज़ब है?
सिखा बैल को रक्खा इसने, निश्चय कोई ढब है।
आखिर, एक रोज़ मालिक से पूछा उसने ऐसे,
"अजी, बिना देखे, लेते तुम जान भेद यह कैसे?"

व्याख्या: पढ़ाकू ने कई दिनों तक इस पर विचार किया और यह मान लिया कि मालिक ने बैल को किसी विशेष तरीके से प्रशिक्षित किया होगा। उसे विश्वास था कि बैल को घूमते रहने के लिए कोई खास तकनीक सिखाई गई होगी। अंततः उसकी जिज्ञासा इतनी बढ़ गई कि उसने सीधे मालिक से जाकर सवाल पूछ लिया। उसने मालिक से जानना चाहा कि वह बिना बैल को देखे कैसे यह तय कर लेते हैं कि बैल ठीक से चल रहा है। पढ़ाकू की सोच यह दर्शाती है कि वह छोटी-छोटी चीजों में भी जटिलता ढूंढने का आदी था।

तृतीय पद

"कोल्हू का यह बैल तुम्हारा चलता या अड़ता है?
घूमता, खड़ा हो या पागुर करता है?"
मालिक ने यह कहा, "अजी, इसमें क्या बात बड़ी है?
नहीं देखते क्या, गर्दन में घंटी एक पड़ी है?"

व्याख्या: पढ़ाकू ने अपने सवाल को और गहराई में ले जाकर पूछा कि बैल हमेशा चलता रहता है या कभी रुक जाता है। उसने यह भी पूछा कि क्या बैल कभी खड़ा होकर जुगाली (पागुर) करता है। इस पर मालिक ने बड़े शांत और सरल ढंग से उत्तर दिया कि यह कोई बड़ी बात नहीं है। उसने कहा कि बैल की गर्दन में एक घंटी बंधी हुई है, जिसकी आवाज़ से वह समझ जाता है कि बैल काम कर रहा है। मालिक का उत्तर पढ़ाकू की जटिल सोच के विपरीत सरलता का प्रतीक है।

पढ़ाकू की सूझ Chapter Notes | Hindi for Class 4

चतुर्थ पद

"जब तक यह बजती रहती है, मैं न फ़िक्र करता हूँ,
हाँ, जब बजती नहीं, दौड़कर तनिक पूँछ धरता हूँ।
कहा पढ़क्कू ने सुनकर, "तुम रहे सदा के कोरे!
बेवकूफ! मंतिख की बातें समझ सकोगे थोड़े!"

व्याख्या: मालिक ने विस्तार से समझाया कि जब तक घंटी बजती रहती है, वह पूरी तरह से निश्चिंत रहते हैं और अपने अन्य काम करते हैं। लेकिन जब घंटी बजना बंद हो जाती है, तो वह तुरंत जाकर बैल की स्थिति देखने पहुँच जाते हैं। यह व्यवस्था सरल और प्रभावी थी। लेकिन पढ़ाकू ने मालिक की इस सरलता को नादानी और मूर्खता माना। उसने कहा कि मालिक को तर्कशास्त्र की गहराई समझने में असमर्थता है। पढ़ाकू का यह कथन उसकी अपनी सोच और व्यावहारिकता से अनभिज्ञता को प्रकट करता है।

पंचम पद

"अगर किसी दिन बैल तुम्हारा सोच-समझ अड़ जाए,
चले नहीं, बस, खड़ा - खड़ा गर्दन को खूब हिलाए।
घंटी टुन टुन खूब बजेगी, तुम न पास आओगे,
मगर बूँद भर तेल साँझ तक भी क्या तुम पाओगे?"

व्याख्या: पढ़ाकू ने एक काल्पनिक परिस्थिति की ओर इशारा किया, जिसमें बैल अपनी जगह पर खड़ा होकर केवल गर्दन हिलाता रहे। उसने चेतावनी दी कि ऐसी स्थिति में घंटी बजती रहेगी, लेकिन बैल काम नहीं करेगा। यदि मालिक घंटी की आवाज़ पर निर्भर रहेंगे, तो उन्हें शाम तक तेल की एक भी बूँद नहीं मिलेगी। पढ़ाकू का यह तर्क उसकी जटिल और सैद्धांतिक सोच का उदाहरण है।

षष्ठम पद

मालिक थोड़ा हँसा और बोला कि पढ़क्कू जाओ,
सीखा है यह ज्ञान जहाँ पर, वहीं इसे फैलाओ।
यहाँ सभी कुछ ठीक-ठाक है, यह केवल माया है,
बैल हमारा नहीं अभी तक मंतिख पढ़ पाया है।

व्याख्या: मालिक पढ़ाकू की बात सुनकर मुस्कुराया और व्यंग्य के साथ कहा कि वह अपने सीखे हुए तर्कशास्त्र को वहीं जाकर फैलाए, जहाँ इसकी ज़रूरत हो। उसने स्पष्ट किया कि उनकी व्यवस्था पूरी तरह से सही काम कर रही है और उनके बैल को किसी भी प्रकार के तर्कशास्त्र की जरूरत नहीं है। मालिक का यह उत्तर उसकी व्यावहारिकता और जीवन की सादगी को दर्शाता है। यह पढ़ाकू की जटिल सोच और वास्तविकता के बीच के अंतर को प्रकट करता है।

सारांश

इस कविता में रामधारी सिंह दिनकर ने तर्कशास्त्र और व्यावहारिकता के बीच का अंतर हास्य के माध्यम से समझाया है। पढ़ाकू व्यक्ति हर बात में जटिलता ढूँढता है और अपनी सोच को व्यावहारिकता से अधिक महत्वपूर्ण मानता है। वहीं, मालिक सरलता से अपनी समस्या का समाधान करता है और वास्तविकता पर आधारित जीवन जीता है। कविता यह सिखाती है कि जीवन में केवल तर्कशास्त्र ही नहीं, बल्कि सरलता और व्यावहारिकता भी आवश्यक हैं।

शब्दार्थ

  • मंतिख: तर्कशास्त्र
  • पागुर: जुगाली
  • ढब: तरीका
  • अड़ना: रुक जाना
  • गज़ब: अद्भुत या असाधारण
  • माया: यहाँ व्यावहारिकता या वास्तविकता का संदर्भ
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FAQs on पढ़ाकू की सूझ Chapter Notes - Hindi for Class 4

1. "पढ़ाकू की सूझ" कहानी का मुख्य संदेश क्या है?
Ans. "पढ़ाकू की सूझ" कहानी का मुख्य संदेश यह है कि ज्ञान और समझदारी का सही उपयोग करना चाहिए। यह दिखाता है कि कठिनाइयों का सामना करने के लिए सूझ-बूझ और मेहनत जरूरी है।
2. इस कहानी के प्रमुख पात्र कौन हैं?
Ans. इस कहानी में प्रमुख पात्र एक पढ़ाकू लड़का है, जो अपनी बुद्धिमत्ता और मेहनत से समस्याओं का समाधान निकालता है। इसके अलावा, अन्य सहायक पात्र भी हैं जो उसकी मदद करते हैं।
3. "पढ़ाकू की सूझ" से हमें क्या सीखने को मिलता है?
Ans. "पढ़ाकू की सूझ" से हमें यह सीखने को मिलता है कि कठिनाइयों में धैर्य और समझदारी से काम लेना चाहिए। हमें हमेशा अपने ज्ञान का सही उपयोग करना चाहिए।
4. इस कहानी का स्थान और समय क्या है?
Ans. "पढ़ाकू की सूझ" की कहानी एक छोटे से गाँव में घटित होती है, जहां लड़का अपनी पढ़ाई और समस्याओं का सामना करता है। समय के संदर्भ में यह एक काल्पनिक कथा है, जो किसी भी समय में लागू हो सकती है।
5. क्या इस कहानी में कोई नैतिक शिक्षा है?
Ans. हाँ, इस कहानी में नैतिक शिक्षा है कि मेहनत और समझदारी से किसी भी समस्या का समाधान संभव है। यह हमें प्रेरित करता है कि कठिनाइयों में हमें हार नहीं माननी चाहिए।
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