Table of contents |
|
परिचय |
|
कहानी का सार |
|
सारांश |
|
शब्द-अर्थ |
|
यह नाटक बच्चों की मासूमियत और खेल की कल्पनाशीलता को बहुत ही सुंदर तरीके से प्रस्तुत करता है। कहानी की शुरुआत में बच्चे एक मैदान में हँसी-खुशी खेल रहे होते हैं। तभी मुन्नी दौड़ती हुई आती है और नीना को बुलाती है। वह नीना को बताती है कि उसने घर से रोटी बनाने और खाने का खेल खेलने के लिए आटा, घी, दाल, दही, साग, चीनी, मक्खन जैसी सारी चीजें जुटा ली हैं। नीना को यह सुझाव बहुत अच्छा लगता है, और वह अन्य बच्चों को भी बुलाने का प्रस्ताव रखती है।
बच्चे आपस में भूमिका बाँटते हैं। चुन्नू और टिंकू को साग-सब्ज़ी लाने का काम मिलता है, लेकिन मुन्नी का सुझाव होता है कि उन्हें दाल पकाने दिया जाए, क्योंकि वह देखना चाहती है कि वे आग जला भी सकते हैं या नहीं। चुन्नू और टिंकू यह चुनौती स्वीकार करते हैं और दावा करते हैं कि वे न केवल आग जला सकते हैं, बल्कि दाल और बड़ियाँ भी बनाकर दिखाएँगे।
सरला और तरला भी अपनी भूमिका निभाने में जुट जाती हैं। सरला दही का मट्ठा तैयार करने का नाटक करती है, और तरला मुन्नी के साथ मिलकर रोटियाँ बनाने का अभिनय करती है। सब बच्चे बड़े उत्साह से अपने-अपने कामों में व्यस्त हो जाते हैं। चुन्नू और टिंकू आग जलाने, दाल पकाने और बड़ियाँ तलने का अभिनय करते हैं, लेकिन इस प्रक्रिया में उनकी बड़ियाँ जल जाती हैं, और दाल भी सही से नहीं बनती।
इस बीच, सभी बच्चे मिलकर "थप्प रोटी थप्प दाल" का गीत गाते हैं और खाने का अभिनय करते हैं। खेल का माहौल आनंद और उत्साह से भर जाता है। लेकिन तभी रात को बिल्ली म्याऊँ-म्याऊँ करती हुई आती है। वह चुपचाप रोटियाँ, दाल, मक्खन और चावल खा जाती है। बच्चे इस चोरी से अनजान सोते रहते हैं। सुबह जब बच्चे जागते हैं, तो सरला मक्खन के बर्तन को खाली देखकर घबरा जाती है। वह सभी बच्चों को बुलाती है और मक्खन और रोटियों की चोरी का पता चलता है। मुन्नी और अन्य बच्चे छींके की ओर देखते हैं, लेकिन वहाँ भी कुछ नहीं बचा होता। सभी को समझ आता है कि बिल्ली ने यह सारी चीज़ें खा ली हैं।
इसके बाद, बच्चे बिल्ली को ढूँढ़ने के लिए अभियान शुरू करते हैं। वे पूरे मैदान और रंगमंच पर बिल्ली को ढूँढ़ते हैं। अंततः तरला और सरला बिल्ली को ढूँढ़ निकालती हैं। बच्चे मिलकर उसे पकड़ लेते हैं और उससे पूछते हैं कि उसने उनकी रोटियाँ और दाल क्यों खाई। बिल्ली जवाब देती है कि जब बच्चे आराम से सोते हैं, तो वह चोरी करने का आनंद लेती है। बिल्ली खुद को छुड़ाने की कोशिश करती है, लेकिन बच्चे उसे घेरकर सजा देने का अभिनय करते हैं। आखिरकार, बिल्ली मौका पाकर भाग जाती है, और बच्चे उसके पीछे दौड़ पड़ते हैं। इस प्रकार नाटक का अंत बच्चों के उत्साह और खेल की मस्ती के साथ होता है।
यह नाटक बच्चों के खेल, उनकी मासूमियत, और रचनात्मकता का अद्भुत उदाहरण है। यह सिखाता है कि खेल में सभी को मिलजुलकर भाग लेना चाहिए और कैसे छोटे-छोटे नाटक बच्चों की कल्पनाशीलता और सामाजिक सहयोग को बढ़ावा देते हैं। कहानी में बच्चों की उत्सुकता, आपसी बातचीत और खेल के आनंद को दर्शाया गया है।
17 videos|74 docs|20 tests
|
1. कहानी "थप्प रोटी थप्प दाल" का मुख्य विषय क्या है? | ![]() |
2. इस कहानी में कौन-कौन से पात्र हैं? | ![]() |
3. कहानी में "थप्प रोटी" और "थप्प दाल" का क्या महत्व है? | ![]() |
4. कहानी का संदेश क्या है? | ![]() |
5. "थप्प रोटी थप्प दाल" का सारांश क्या है? | ![]() |