पांच साल पहले, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 'आएगा तो मोदी ही' का नारा दिया था। उस समय, इस नारे ने समर्थन की भावना को बढ़ावा दिया, खासकर एक राष्ट्रीय त्रासदी और उसके बाद पाकिस्तान में सरकार की प्रतिक्रिया के मद्देनजर। जैसे-जैसे 2024 का चुनाव नजदीक आया, 'आएगा तो मोदी ही' की जगह एक नया नारा सामने आया - 'अबकी बार 400 पार'। पार्टी ने चुनाव को एक मुकाबले के बजाय एक अभिषेक के रूप में देखा। जबकि बात करने वाले वर्ग इस बात पर केंद्रित थे कि भाजपा 240 सीटें जीतेगी या 340 सीटें, हमने जिस औसत मतदाता से बात की, वह पूर्ण नियंत्रण के वास्तविक निहितार्थों को समझता था और इसने लोकतांत्रिक क्षरण के बारे में चिंताएँ पैदा कीं। ये चिंताएँ ही हैं जिन्होंने 2024 के चुनावों की रूपरेखा तैयार की।
कांग्रेस प्रणाली का अंत :
मंडल मुद्दे का उदय :
नये आर्थिक सुधार :
बाबरी मस्जिद का विध्वंस (दिसम्बर 1992) :
राजीव गांधी की हत्या (1991) :
गठबंधन समझौता :
अस्थायी अभिसरण :
गतिशील प्रकृति :
गठबंधन के प्रकार :
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