Class 10 Exam  >  Class 10 Notes  >  संस्कृत कक्षा 10 (Sanskrit Class 10)  >  वर्ण विचार | Chapter Explanation

वर्ण विचार | Chapter Explanation | संस्कृत कक्षा 10 (Sanskrit Class 10) PDF Download

परिचय – किसी भी भाषा की सबसे छोटी ध्वनि वर्ण कहलाती है। अर्थात् वर्ण उस मूल ध्वनि को कहते हैं, जिसके टुकड़े न हो सकें, जैसे- क् ख् ग् घ् आदि। इन्हें अक्षर भी कहते हैं।

वर्ण के भेद या प्रकार

संस्कृत में वर्ण मुख्यतः दो प्रकार के माने गए हैं।
(1) स्वर वर्ण या अच् वर्ण
(2) व्यंजन वर्ण या हल् वर्ण

(1) स्वर वर्ण या अच् वर्ण 

जो वर्ण किसी अन्य वर्ण की सहायता के बिना ही बोले जाते हैं, उन्हें स्वर कहते हैं। संस्कृत में स्वरों की संख्या 13 मानी गई है, जिसमें 5 मूल स्वर हैं – अ, इ, उ, ऋ, लृ और अन्य 8 स्वर हैं – आ, ई, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।

स्वरों का वर्गीकरण 

स्वर तीन प्रकार के होते हैं-
(क) ह्रस्व स्वर
(ख) दीर्घ स्वर
(ग) प्लुत स्वर।

(क) ह्रस्व स्वर

जिन स्वरों के उच्चारण में केवल एक मात्रा का समय लगे या कम से कम समय लगे तो उसे ह्रस्व स्वर कहते हैं। इनकी संख्या 5 है, जैसे- अ, इ, उ, ऋ, लृ।

(ख) दीर्घ स्वर

जिन स्वरों के उच्चारण काल में मूल स्वरों की अपेक्षा दोगुना समय या दो मात्राओं का समय लगता है, वे दीर्घ स्वर कहलाते हैं। इनकी संख्या 8 है, जैसे- आ, ई, ऊ, ॠ, ए, ऐ, ओ, औ।

(ग) प्लुत स्वर

जिन स्वरों के उच्चारण में मूल स्वरों की अपेक्षा तीन गुना समय या तीन मात्राओं का समय लगता है, वे प्लुत स्वर कहलाते हैं। प्लुत का ज्ञान कराने के लिए ३ का अंक स्वर के आगे लगाते हैं, जैसे- अ३, इ३, उ३, ऋ३, लृ३, ए३, ऐ३, ओ३, औ३ आदि।

(2) व्यंजन वर्ण या हल् वर्ण

जिन वर्णों का उच्चारण स्वर वर्णों की सहायता के बिना नहीं किया जा सकता, उन्हें हल् या व्यंजन कहते हैं। स्वर रहित व्यंजन के नीचे हल् का चिह्न (्) लगाया जाता है। जैसे- क्, ख्, ग्, घ्, ङ्।

व्यंजनों का वर्गीकरण 

व्यंजन तीन प्रकार के होते हैं-
(क) स्पर्श व्यंजन
(ख) अन्तःस्थ व्यंजन
(ग) उष्म व्यंजन

(क) स्पर्श व्यंजन
जिन व्यञ्जनों के उच्चारण के लिए जिह्वा (tongue) मुख के विभिन्न भागों का स्पर्श करती है, उन्हें स्पर्श व्यञ्जन कहा जाता है। इनकी संख्या 25 होती है, जो निम्न पाँच वर्गों में विभक्त हैं-

वर्ण विचार | Chapter Explanation | संस्कृत कक्षा 10 (Sanskrit Class 10)

प्रत्येक वर्ग के अंतिम वर्ण ङ्, ञ्, ण्, न्, म् को अनुनासिक भी कहा जाता है, क्योंकि इनका उच्चारण मुख के साथ नासिका से भी होता है।

(ख) अन्तःस्थ व्यंजन
जिन वर्णों के उच्चारण के लिए वायु को मुख से कम शक्ति के साथ छोड़ा जाता है, वे ‘अन्तःस्थ व्यञ्जन’ कहलाते हैं। ये चार हैं- ‘य्, र्, ल् और व्’।

(ग) उष्म व्यंजन
जिन वर्णों के उच्चारण के लिए मुख में जिह्वा की सहायता से घर्षण उत्पन्न होता है, वे उष्म व्यञ्जन कहलाते हैं। ये चार हैं- ‘श्, ष्, स् और ह्’।

अयोगवाह वर्ण 

इसका उच्चारण नासिका से ही होता है। यह हमेशा स्वर के बाद ही आता है। ये वर्ण संस्कृत भाषा में दो प्रकार के होते हैं- (क) अनुस्वार, (ख) विसर्ग।
(क) अनुस्वार – यह किसी भी स्वर के बाद ‘न् या म्’ के स्थान पर आता है, जैसे- सः गृहं गच्छति। ‘गृहम्’ के ‘म्’ के स्थान पर ऊपर बिंदु (ं) का प्रयोग हुआ है।
(ख) विसर्ग (:) – विसर्ग का प्रयोग स्वर के बाद होता है। इसका उच्चारण ह् के समान किया जाता है, जैसे- बालकः, वृक्षः आदि।

संयुक्त व्यंजन

दो व्यंजनों के संयोग से बने वर्ण को संयुक्त व्यंजन कहते हैं। जैसे-
क् + ष् + अ = क्ष
ज् + ञ् + अ = ज्ञ
त् + र् + अ = त्र
श् + र् + अ = श्र

वर्णों के उच्चारण स्थान

कण्ठ, तालु, मूर्धा, दन्त, नासिका, ओष्ठ आदि को वर्णों का उच्चारण स्थान कहते हैं। वर्णों का उच्चारण करने के लिए फेफड़ों से निकली निःश्वास वायु इन स्थानों को स्पर्श करती है। जिस वर्ण को मुख के जिस अंग की सहायता से बोला जाता है, उसे उस वर्ण का उच्चारण स्थान कहते हैं। कुछ वर्णों का उच्चारण एक साथ दो स्थानों से भी होता है। वर्णों के उच्चारण स्थानों का विभाजन निम्न रूप से किया गया है-
कण्ठ –अकुहविसर्जनीयानां कण्ठः’ अर्थात् अकार (अ, आ), क वर्ग (क्, ख्, ग्, घ्, ङ्) और विसर्ग (:) का उच्चारण स्थान कण्ठ होता है। कण्ठ से उच्चारण किये गये वर्ण ‘कन्ठ्य’ कहलाते हैं।)
तालु –इचुयशानां तालु’ अर्थात् इ, ई, च वर्ग (च्, छ्, ज्, झ्, ञ्), य् और श् का उच्चारण स्थान तालु है। तालु से उच्चारित वर्ण ‘तालव्य’ कहलाते हैं।
मूर्धा –ऋटुरषाणां मूर्धा’ अर्थात् ऋ, ॠ, ट वर्ग (ट्, ठ्, ड्, ढ्, ण्), र् और ष् का उच्चारण स्थान मूर्धा है। इस स्थान से उच्चारित वर्ण ‘मूर्धन्य’ कहे जाते हैं।
ओष्ठौ –उपूपध्मानीयानामोष्ठौ’ अर्थात् उ, ऊ, प वर्ग (प्, फ्, ब्, भ, म्) तथा उपध्मानीय (प, फ) का उच्चारण स्थान ओष्ठ होते हैं। ये वर्ण ‘ओष्ठ्य’ कहलाते हैं।
दन्तः –लृतुलसानां दन्ताः’ अर्थात् लृ, त वर्ग (त्, थ्, द्, ध्, न्), ल् और स् का उच्चारण स्थान दन्त होता है। दन्तर स्थान से उच्चारित वर्ण ‘दन्त्य’ कहलाते हैं।
नासिका
(1) ‘ञमङ्णनानां नासिका च’ अर्थात् ङ्, ञ्, ण्, न्, म् तथा अनुस्वार का उच्चारण स्थान नासिका है। इस स्थान से उच्चारित वर्ण ‘नासिक्य’ कहलाते हैं।
(2) नासिकाऽनुस्वारस्यं – अर्थात् अनुस्वार (ं) का उच्चारण स्थान नासिका है।
कण्ठतालु –एदैतोः कण्ठतालु’ अर्थात् ए तथा ऐ का उच्चारण स्थान कण्ठतालु होता है। अत: ये वर्ण ‘कण्ठतालव्य’ कहे जाते हैं। अ, इ के संयोग से ए तथा अ, ए के संयोग से ऐ बनता है।
कण्ठोष्ठम् –ओदौतोः कण्ठोष्ठम्’ अर्थात् ओ तथा औ का उच्चारण स्थान कण्ठोष्ठ होता है। अ + उ = ओ तथा अ + ओ = औ बनते हैं। अत: ये वर्ण कंठोष्ठ्य कहे जाते हैं।
दन्तोष्ठम् –वकारस्य दन्तोष्ठम्’ अर्थात् व् का उच्चारण स्थान दन्तोष्ठ होता है। इस कारण ‘व्’ ‘दन्तोष्ठ्य’ कहलाता है। इसका उच्चारण करते समय जिह्वा दाँतों का स्पर्श करती है तथा ओष्ठ भी कुछ मुड़ते हैं।
जिह्वामूलम् –जिह्वामूलीयस्य जिह्वामूलम्’ अर्थात् जिह्वामूलीय (क, ख) का उच्चारण स्थान जिह्वामूल होता है।

वर्ण विचार | Chapter Explanation | संस्कृत कक्षा 10 (Sanskrit Class 10)

The document वर्ण विचार | Chapter Explanation | संस्कृत कक्षा 10 (Sanskrit Class 10) is a part of the Class 10 Course संस्कृत कक्षा 10 (Sanskrit Class 10).
All you need of Class 10 at this link: Class 10
24 videos|77 docs|20 tests

Top Courses for Class 10

FAQs on वर्ण विचार - Chapter Explanation - संस्कृत कक्षा 10 (Sanskrit Class 10)

1. वर्ण क्या है और उसके कितने प्रकार होते हैं?
Ans.वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई होती है जिसका वर्णन विशेष रूप से किया जा सकता है। वर्ण के चार प्रकार होते हैं - स्वर, व्यंजन, स्वरांश और अनुस्वार।
2. स्वर और व्यंजन में क्या अंतर है?
Ans.स्वर में वायवीय ध्वनि होती है जबकि व्यंजन में उच्चारित ध्वनि होती है। स्वर बिना किसी रुकावट के उच्चारित होते हैं जबकि व्यंजन के उच्चारण में रुकावट होती है।
3. स्वरांश क्या है और उसका क्या महत्व है?
Ans.स्वरांश स्वर और व्यंजन के बीच की उच्चारण में मध्य स्थान पर होते हैं। इनका महत्व यह है कि वे भाषा में स्वर और व्यंजन के बीच संधि का कारण बनते हैं।
4. अनुस्वार क्या है और उसका क्या उपयोग है?
Ans.अनुस्वार एक व्यंजन है जो किसी स्वर के उच्चारण के बाद आता है और उसे लंबा कर देता है। इसका उपयोग ध्वनि की लंबाई बढ़ाने के लिए होता है।
5. वर्ण के भेद क्या-क्या होते हैं और उनका वर्णन कीजिए?
Ans.वर्ण के मुख्य भेद हैं - स्वर, व्यंजन, स्वरांश और अनुस्वार। स्वर में केवल वायवीय ध्वनि होती है, व्यंजन में केवल उच्चारित ध्वनि होती है, स्वरांश स्वर और व्यंजन के बीच की उच्चारण में मध्य स्थान पर होते हैं और अनुस्वार एक व्यंजन है जो किसी स्वर के उच्चारण के बाद आता है।
Explore Courses for Class 10 exam

Top Courses for Class 10

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

वर्ण विचार | Chapter Explanation | संस्कृत कक्षा 10 (Sanskrit Class 10)

,

video lectures

,

Semester Notes

,

Extra Questions

,

Viva Questions

,

Important questions

,

वर्ण विचार | Chapter Explanation | संस्कृत कक्षा 10 (Sanskrit Class 10)

,

mock tests for examination

,

Objective type Questions

,

Sample Paper

,

pdf

,

MCQs

,

shortcuts and tricks

,

practice quizzes

,

Free

,

study material

,

Previous Year Questions with Solutions

,

वर्ण विचार | Chapter Explanation | संस्कृत कक्षा 10 (Sanskrit Class 10)

,

Summary

,

Exam

,

ppt

,

past year papers

;