(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (*) बनाइए—
(1) “दोस्त, खेल में इतना गुस्सा अच्छा नहीं। मैंने तो अपना बदला ले ही लिया है। अगर तुम मुझे हॉकी नहीं मारते तो शायद मैं तुम्हें दो ही गोल से हराता।” मेजर ध्यानचंद की इस बात से उनके बारे में क्या पता चलता है?
उत्तर: वे जानते थे कि खेल को सही भावना से खेलना चाहिए।
(2) लोगों ने मेजर ध्यानचंद को ‘हॉकी का जादूगर’ कहना क्यों शुरू कर दिया?
उत्तर: उनके हॉकी खेलने के विशेष कौशल के कारण
(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर: (1) हमने पहले प्रश्न का यह उत्तर इसलिए चुना क्योंकि अधिकतर खेल में धक्का-मुक्की या नोंक-झोंक होने पर लोग अपना संतुलन खो देते हैं और इस कारण खेल पर केंद्रित नहीं रख पाते और उन्हें हार का सामना करना पड़ता है। विरोधी टीम इसी प्रकार दूसरी टीम का ध्यान भटकाती है।
(2) हमने दूसरे प्रश्न का यह उत्तर इसलिए चुना क्योंकि खेल देखने वालों को ऐसा लगता था मानो गेंद उनकी हॉकी स्टिक से चिपक गई हो और वे गोल – पर- गोल करते रहे।
पाठ में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थों या संदर्भों से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।उत्तर:
पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए । आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार कक्षा में अपने समूह में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।
(क) “बुरा काम करने वाला आदमी हर समय इस बात से डरता रहता है कि उसके साथ भी बुराई की जाएगी।”
उत्तर: हॉकी खेलते समय ‘सैंपर्स एंड माइनर्स’ टीम के एक खिलाड़ी ने ध्यानचंद के सिर पर ज़ोर से हॉकी स्टिक से वार किया। उनके सिर से खून आना शुरू हो गया। उन्हें मैदान से बाहर जाकर पट्टी बँधवानी पड़ी। वापिस आकर उन्होंने उस खिलाड़ी से कहा- “ मैं इसका बदला ज़रूर लूँगा।” यह सुनकर वह खिलाड़ी घबरा गया और उसका ध्यान खेल से भटक गया। बुरा करने वाला डरता है क्योंकि अधिकतर बुरा ही करने वाले के साथ दूसरे भी बुरा करते हैं।
(ख) “मेरी तो हमेशा यह कोशिश रहती कि मैं गेंद को गोल के पास ले जाकर अपने किसी साथी खिलाड़ी को दे दूं ताकि उसे गोल करने का श्रेय मिल जाए। अपनी इसी खेल भावना के कारण मैंने दुनिया के खेल प्रेमियों का दिल जीत लिया।”
उत्तर: किसी भी खेल में जीत तभी मिलती है जब पूरी टीम मिलकर टीम भावना के साथ खेले। एक-दूसरे का सहयोग बहुत आवश्यक है। ध्यानचंद तो गोल करने का श्रेय स्वयं न लेकर गेंद को गोल के पास ले जाकर अपने किसी साथी खिलाड़ी को दे देते थे। यह कोई साधारण बात नहीं है। यह उनका बड़प्पन था। अपने इसी गुण के कारण वे खेल प्रेमियों के प्रिय बन गए।
संस्मरण को एक बार फिर से पढ़िए और निम्नलिखित के बारे में पता लगाकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए-
(क) ध्यानचंद की सफलता का क्या रहस्य था?
उत्तर: ध्यानचंद की सफलता का रहस्य उनकी लगन, साधना, और खेल भावना थी। उन्होंने खेल को सही भावना से खेला और हमेशा अपनी टीम को महत्व दिया।
(ख) किन बातों से ऐसा लगता है कि ध्यानचंद स्वयं से पहले दूसरों को रखते थे?
उत्तर: ध्यानचंद हमेशा यह कोशिश करते थे कि वे गेंद को गोल के पास ले जाकर अपने किसी साथी खिलाड़ी को दें ताकि उसे गोल करने का श्रेय मिल जाए। उन्होंने हमेशा टीम को प्राथमिकता दी और अपने व्यक्तिगत लाभ से पहले टीम की जीत को महत्व दिया।
“उन दिनों में मैं, पंजाब रेजिमेंट की ओर से खेला करता था।”
इस वाक्य को पढ़कर ऐसा लगता है मानो लेखक आपसे यानी पाठक से अपनी यादों को साझा कर रहा है। इस पाठ में ऐसी और भी अनेक विशेष बातें दिखाई देती हैं।
(क) अपने-अपने समूह में मिलकर इस संस्मरण की विशेषताओं की सूची बनाइए।
उत्तर:
(ख) अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तर: विद्यार्थी के स्वयं करने योग्य।
(क) “जैसे-जैसे मेरे खेल में निखार आता गया, वैसे-वैसे मुझे तरक्की भी मिलती गई।”
इस वाक्य में ‘जैसे-जैसे’ और ‘वैसे-वैसे’ शब्दों के जोड़े हैं जिनमें एक ही शब्द दो बार उपयोग में लाया गया है। ऐसे जोड़ों को ‘शब्द-युग्म’ कहते हैं। आप भी ऐसे पाँच शब्द-युग्म लिखिए।
उत्तर:
(ख) “खेल के मैदान में धक्का-मुक्की और नोंक-झोंक की घटनाएं होती रहती हैं।”
इस वाक्य में भी आपको दो शब्द-युग्म दिखाई दे रहे हैं, लेकिन इन शब्द-युग्मों के दोनों शब्द आपस में मिलते-जुलते नहीं हैं। आप भी ऐसे पाँच शब्द-युग्म लिखिए जिनमें दोनों शब्द आपस में मिलते-जुलते न हों।
उत्तर:
इन वाक्यों में जिन शब्दों के नीचे रेखा खिंची है, उन्हें ध्यान से पढ़िए एवं इन शब्दों को योजक की सहायता से भी लिख सकते हैं, जैसे— हार-जीत, बच्चे-बड़े आदि।
आप नीचे दिए गए शब्दों को योजक की सहायता से लिखिए—
“मैंने तो अपना बदला ले ही लिया है।”
“मैंने तो अपना बदला ले लिया है।”
इन दोनों वाक्यों में क्या अंतर है? ध्यान दीजिए और बताइए। सही पहचाना! दूसरे वाक्य में एक शब्द कम है। उस एक शब्द के न होने से वाक्य के अर्थ में भी थोड़ा अंतर आ गया है।
हम अपनी बात पर बल देने के लिए कुछ विशेष शब्दों का प्रयोग करते हैं जैसे— ‘ही’, ‘भी’, ‘तो’ आदि। पाठ में से इन शब्दों वाले वाक्यों को चुनकर लिखिए। ध्यान दीजिए कि यदि उन वाक्यों में ये शब्द न होते तो उनके अर्थ पर इसका क्या प्रभाव पड़ता।
उत्तर: (क) उन दिनों भी यह सब चलता था। यहाँ पर भी का प्रयोग न होता तो अर्थ बदल जाता, केवल उसी समय यह सब चलता था।
(ख) मैंने तो अपना बदला ले ही लिया है। यहाँ पर ही का प्रयोग न होता तो अर्थ बदल जाता।
(ग) आज मैं जहाँ भी जाता हूँ। अगर यहाँ पर ‘भी’ शब्द न होता तो अर्थ बदल जाता।
(घ) सारे गोल मैं ही करता था ऐसा नहीं था। मेरे साथ अन्य साथी भी गोल करते थे।
(क) ध्यानचंद के स्थान पर आप होते तो क्या आप बदला लेते? यदि हाँ, तो बताइए कि आप बदला किस प्रकार लेते?
उत्तर: ध्यानचंद के स्थान पर यदि हम होते तो हम भी बदला अवश्य लेते। बदला लेने का ढंग सकारात्मक ही होता। जब हम खेल रहे हैं तो मन में खेल भावना ही होनी चाहिए। बदला लेना ऐसा होना चाहिए जो विद्वेष भावना को समाप्त करने में सहायक हो और सामने वाले का मनोबल गिरा दे । उसका ध्यान खेल पर कम स्वयं पर ज्यादा हो। वह भयभीत हो जाए। उसे शारीरिक चोट न पहुँचाकर उसका मानसिक बल कम करके बदला लिया जाए। खेलते समय कोई अन्य बात उसके मन-मस्तिष्क पर हावी कर दी जाए। हम भी ध्यानचंद जी की तरह ही उसे डराकर कहते – ” मैं तुम्हें छोड़ूंगा नहीं। देख मैं अपना बदला कैसे लेता हूँ?”
(ख) आपको कौन-से खेल और कौन-से खिलाड़ी सबसे अधिक अच्छे लगते हैं? क्यों?
उत्तर: खेलों के द्वारा हमारा शारीरिक व्यायाम भी होता है। इससे हम सजग एवं फुर्तीले रहते हैं। सभी को कोई न कोई खेल पसंद होता है। किसी को क्रिकेट तो किसी को फुटबॉल या कोई और खेल।
मुझे क्रिकेट खेलना पसंद है क्योंकि मुझे यह उत्साह से भर देता है। यह सिर्फ़ बैटिंग, बॉलिंग, फील्डिंग और विकेटकीपिंग के बारे में ही नहीं है बल्कि यह दिमाग का खेल भी है। जिस प्रकार शतरंज में खिलाड़ी को चाल चलनी पड़ती है, उसी प्रकार टीम के कप्तान को फील्ड सेट करना पड़ता है। क्रिकेट खेलने से मुझे शारीरिक और मानसिक दोनों लाभ मिलते हैं। यह बहुत रोमांचक और चुनौती भरा खेल है। यह हाथ और आँख के समन्वय को बढ़ावा देता है। मेरे पसंदीदा खिलाड़ी हैं, कपिलदेव, सुनील गावस्कर, सचिन तेंदुलकर, रोहित शर्मा, विराट कोहली । युवराज सिंह, विराट कोहली के नाम से हर कोई परिचित है। रोहित शर्मा ने सबसे ज्यादा इंटरनेशनल मैच जीतने के मामले में महेंद्र सिंह धोनी को पछाड़ दिया है। टी-20 विश्व चैंपियनशिप भी इन्हीं के नेतृत्व में भारत ने जीती है। मैं घर में लूडो, शतरंज तथा कैरमबोर्ड खेलना पसंद करता हूँ।
(क) क्या आप समाचार-पत्र पढ़ते हैं? समाचार-पत्रों में प्रतिदिन खेल के समाचारों का एक पृष्ठ प्रकाशित होता है। अपने घर या पुस्तकालय से पिछले सप्ताह के समाचार पत्रों को देखिए। अपनी पसंद का एक खेल-समाचार अपनी लेखन पुस्तक में लिखिए।
उत्तर: खेल के दो विशेष नियम
बाकी लकड़ी से आप गेंद को रोक सकते हैं या हिट कर सकते हैं। आगे जैसा कि बता चुके हैं, जो दल बीच की रेखा को पार करके विरोधी दल के क्षेत्र में अधिक से अधिक दबाव या प्रवेश बनाए रखता है, वह विजयी होता है।
(ख) मान लीजिए कि आप एक खेल-संवाददाता हैं और किसी खेल का आँखों देखा प्रसारण कर रहे हैं। अपने समूह के साथ मिलकर कक्षा में उस खेल का आँखों देखा प्रस्तुत कीजिए।
(संकेत- इस कार्य में आप आकाशवाणी या दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले खेल-प्रसारणों की कमेंट्री की शैली का उपयोग कर सकते हैं। बारी-बारी से प्रत्येक समूह कक्षा के सामने डेस्क या कुर्सियों पर बैठ जाएगा और पाँच मिनट के लिए किसी खेल के सजीव प्रसारण की कमेंट्री का अभिनय करेगा।)
उत्तर: छात्र स्वयं करें
संदर्भ के लिए:
परिस्थिति: मान लीजिए कि मैं एक खेल-संवाददाता हूँ और क्रिकेट मैच का आँखों देखा हाल प्रस्तुत कर रहा हूँ।कमेंट्री:
"नमस्कार, दोस्तों! मैं हूँ आपका खेल-संवाददाता और हम इस समय लाइव जुड़े हैं एक रोमांचक क्रिकेट मैच से! मैदान में जबरदस्त उत्साह है, दर्शक तालियों से खिलाड़ियों का हौसला बढ़ा रहे हैं। और यह रहा अगला गेंद... बल्लेबाज ने जोरदार शॉट मारा... और यह गया सीधा बाउंड्री लाइन के पार... चार रन!!! दर्शकों में खुशी की लहर दौड़ गई है। गेंदबाज अगली गेंद के लिए तैयार... यह रही गेंद... और आउट!!! कैच आउट हो गया बल्लेबाज! शानदार फील्डिंग!! अब देखते हैं कि नया बल्लेबाज टीम को कैसे आगे बढ़ाता है।"
कुछ लोग प्रतिदिन थोड़ी-थोड़ी बातें किसी स्थान पर लिख लेते हैं। जो वे सोचते हैं, या जो उनके साथ उस दिन हुआ या जो उन्होंने देखा, उसे ईमानदारी से लिख लेते हैं या टाइप कर लेते हैं। इसे डायरी लिखना कहते हैं।
क्या आप भी अपने मन की बातों और विचारों को लिखना चाहते हैं? यदि हाँ, तो आज से ही प्रारंभ कर दीजिए—
उत्तर: छात्र स्वयं करें
यहाँ एक रोचक पहेली दी गई है। इसमें आपको तीन खिलाड़ी दिखाई दे रहे हैं। आपको पता लगाना है कि कौन-से खिलाड़ी द्वारा गोल किया जाएगा-उत्तर:
(क) आपने इस खेल के नियम पढ़कर अच्छी तरह समझ लिए हैं। अब अपने मित्रों के साथ मिलकर ‘डाँडी’ या ‘गोथा’ खेल खेलिए ।
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।
(ख) आप भी ‘डाँडी’ या ‘गोथा’ जैसे अनेक स्वदेशी खेल अपने मित्रों के साथ मिलकर अपने विद्यालय, घर या मोहल्ले में खेलते होंगे। अब आप ऐसे ही किसी एक खेल के नियम इस प्रकार से लिखिए कि उन्हें पढ़कर कोई भी बच्चा उस खेल को समझ सके और खेल सके।
उत्तर: स्वदेशी खेल खेलने से न केवल हमारा शारीरिक और मानसिक विकास होता है। इनसे हमारा शरीर मज़बूत और जोशीला भी बनता है। समूह में खेले जाने के कारण सामजिक मेल-जोल भी बढ़ता है। कुछ समय पहले खेल मंत्रालय ने चार स्वदेशी खेलों को भारत युवा खेल में शामिल करने की मंजूरी दी है। इन खेलों में क्रमशः गतका, कलारीपयट्टू, थांग – ता, मलखंब और योगासन शामिल हैं।
हम गिल्ली-डंडा खेलते हैं। खेल के दौरान गिल्ली को डंडे से किनारों पर मारते हैं, इससे गिल्ली हवा में उछलती है। गिल्ली को हवा में ही ज़मीन पर गिरने से पहले फिर मारते हैं। जो खिलाड़ी सबसे ज्यादा दूर तक गिल्ली को पहुँचाता है, वह विजयी होता है।
इस खेल में खिलाड़ियों की संख्या मायने नहीं रखती, दो खिलाड़ी भी खेल सकते हैं और दस भी । गिल्ली डंडा खेल शुरू करने से पहले मैदान के किसी भी भाग में एक छेद बनाया जाता है। यह नाव के आकार का होता है। एक खिलाड़ी उस गड्ढे पर गिल्ली को टिकाकर उसे ज़ोर से डंडे से उछालकर दूर फेंकता है और दूसरे खिलाड़ी उसे लपकने के लिए तैयार रहते हैं। अगर गिल्ली लपक ली जाती है तो वह खिलाड़ी आउट हो जाता है। इस खेल को खेलते समय ध्यान रखना चाहिए कि किसी को चोट न लगे । इसे खुले स्थान में खेलना चाहिए।
नीचे ध्यानचंद जी के विषय में कुछ सामग्री दी गई है जैसे- फिल्में, साक्षात्कार आदि, इन्हें पुस्तक में दिए गए क्यू.आर. कोड की सहायता से पढ़ें, देखें व समझें।
उत्तर: विद्यार्थी स्वयं करें।
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1. इस लेख में "संस्मरण की रचना" का क्या अर्थ है ? | ![]() |
2. "सोच-विचार के लिए" का उद्देश्य क्या है ? | ![]() |
3. "शब्दों के जोड़े" का प्रयोग कैसे किया जा सकता है ? | ![]() |
4. "पाठ से आगे" का क्या मतलब है ? | ![]() |
5. "समाचार-पत्र से" क्या जानकारी ली जा सकती है ? | ![]() |