Table of contents |
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लेखक परिचय |
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मुख्य विषय |
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कहानी का सार |
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कहानी की मुख्य घटनाएं |
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कहानी से शिक्षा |
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शब्दावली |
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निष्कर्ष |
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'रामप्रसाद बिस्मिल' भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी थे। उनका जीवन संघर्ष, साहस और देशभक्ति का प्रतीक है। उन्होंने अंग्रेज़ों के अत्याचारों का सामना करते हुए अपनी आत्मकथा लिखी, जो आज भी लोगों के दिलों में जीवित है। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कई क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति दी। 'सरफरोशी की तमन्ना' जैसे गीत के रचनाकार रामप्रसाद बिस्मिल भी उन वीरों में शामिल थे। केवल तीस वर्ष की आयु में अंग्रेज़ सरकार ने फाँसी दे दी गई। असाधारण प्रतिभा के स्वामी रामप्रसाद बिस्मिल न केवल एक महान कवि और लेखक थे, बल्कि उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखीं, जिनमें उनकी आत्मकथा विशेष रूप से प्रसिद्ध रही। 'मेरी माँ' उनकी आत्मकथा का एक महत्वपूर्ण भाग है।
इस आत्मकथा का प्रमुख विषय देशभक्ति, मातृप्रेम, नैतिकता और संघर्ष है। बिस्मिल की माँ ने उन्हें सदैव सत्य के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित किया। यह आत्मकथा उनकी माँ के महान आदर्शों और देशभक्ति के प्रति उनके अडिग समर्पण को प्रदर्शित करती है।
बिस्मिल ने जेल में रहते हुए अपनी आत्मकथा 'निज जीवन की एक छटा' लिखी। इस पुस्तक ने अंग्रेजों के होश उड़ा दिए और लोगों में स्वतंत्रता की ज्वाला प्रज्वलित कर दी। जेल में भी बिस्मिल ने अंग्रेजों के अत्याचारों का सामना किया। उनकी आत्मकथा ने उनके विचारों को अमर कर दिया। यह आत्मकथा आज भी लोगों को प्रेरित करती है।
उनके जीवन में माता-पिता का विशेष योगदान था। उनकी माताजी ने उन्हें सदैव प्रोत्साहित किया और कठिनाइयों के बावजूद उनका साथ दिया। एक प्रसंग में उनके पिताजी ने उनसे ऐसा कार्य करने को कहा जो उनके सिद्धांतों के विपरीत था, लेकिन बिस्मिल ने सत्य का पालन किया।
रामप्रसाद ‘बिस्मिल’ अपनी माँ को एक साहसी और दृढ़ निश्चयी महिला के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जिन्होंने न केवल अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना किया, बल्कि अपने बेटे को भी जीवन के संघर्षों से निपटने के लिए तैयार किया। उनकी माँ एक अनपढ़ गाँव की लड़की थीं, जो कम उम्र में विवाह करके शहर आईं और धीरे-धीरे अपने घर-परिवार के कामकाज को समझा और संभाला। उन्होंने अपनी रुचि और जिज्ञासा के चलते हिंदी पढ़ना-लिखना भी सीखा, जो उस समय की ग्रामीण महिलाओं के लिए असामान्य था।
माँ ने उन्हें हमेशा सत्य, ईमानदारी और नैतिकता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। जब रामप्रसाद ने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया, तब भी उनकी माँ ने उनका पूरा समर्थन किया, भले ही यह उनके लिए आसान नहीं था। उनकी माँ का यह कहना कि “कभी किसी के प्राण नहीं लेने चाहिए, चाहे वह शत्रु ही क्यों न हो,” उनके विचारों की उदारता और उच्च नैतिकता को दर्शाता है।
माँ के संस्कार और उनके दिए हुए शिक्षाओं ने रामप्रसाद को एक मजबूत और साहसी इंसान बनाया। उन्होंने बताया कि उनकी माँ ने उन्हें कभी गलत काम करने के लिए नहीं कहा और हमेशा सही रास्ते पर चलने की प्रेरणा दी। इस पाठ में यह भी स्पष्ट किया गया है कि उनकी माँ ने न केवल उन्हें जीवन के व्यावहारिक सबक सिखाए, बल्कि उन्हें धार्मिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शन भी दिया।
1. "मेरी माँ" कहानी का मुख्य संदेश क्या है? | ![]() |
2. कहानी "मेरी माँ" में मुख्य पात्र कौन हैं? | ![]() |
3. "मेरी माँ" कहानी में कौन-कौन सी प्रमुख घटनाएँ घटित होती हैं? | ![]() |
4. इस कहानी से हमें कौन सी शिक्षा मिलती है? | ![]() |
5. "मेरी माँ" कहानी में शब्दावली क्या महत्वपूर्ण है? | ![]() |