प्रश्न 1: विद्यार्थी जीवन पर अनुच्छेद लेखन।
उत्तर:
संकेत बिंदु:
विद्यार्थी-जीवन उन विद्याओं, कलाओं या शिल्पों के शिक्षण का काल है, जिनसे वह छात्र-जीवन के अनंतर पारिवारिक दायित्वों का वहन कर सके।अत: यह संघर्षमय संसार में आन, मान और शान से जीने की योग्यता का निर्माण करने का समय है। इन सबके निमित्त ज्ञानार्जन करने, शारीरिक और मानसिक विकास करने, नैतिकता द्वारा आत्मा को विकसित करने की स्वर्णिम अवधि है विद्यार्थी जीवन।
प्रश्न यह है कि क्या आज का शिक्षार्थी सच्चे अर्थों में विद्यार्थी-जीवन का आनंद ले रहा है? इसका उत्तर नहीं में होगा। कारण, उसे अपने विद्यार्थी जीवन में न तो ऐसी शिक्षा दी जाती है, जिससे विद्यार्थी जीवन पार करते ही आय का स्रोत प्रारंभ हो जाए और न ही उसे वैवाहिक अर्थात् पारिवारिक जीवन जीने की कला का पाठ पढ़ाया जाता है।
इसलिए जब वह विद्यार्थी जीवन से अर्थात् गैर-ज़िम्मेदारी से पारिवारिक जीवन अर्थात् संपूर्ण जिम्मेदारी के जीवन में पदार्पण करता है तो उसे असफलता का ही मुँह देखना पड़ता है। विद्यार्थी-जीवन में विद्यार्थी अनुपयुक्त बहुविध विषयों का मस्तिष्क पर बोझ लादता है। आज का विद्यार्थी-जीवन विद्या की साधना, मन की एकाग्रता और अध्ययन के चिंतन-मनन से कोसों दूर है। आज का विद्यार्थी-जीवन प्रेम और वासना के आकर्षण का जीवन है।
वह गर्लफ्रेंड, बॉयफ्रेंड बनाने में रुचि लेता है। व्यर्थ घूमने-फिरने, होटलों-क्लबों में जाने, सिनेमा देखने में समय का सदुपयोग मानता है। आवश्यकता है इसे सही राह दिखाने की, सही मार्गदर्शन की और एक ऐसी शिक्षा प्रणाली की, जो वास्तव में विद्यार्थियों को एक सफल नागरिक व ज़िम्मेदार पारिवारिक सदस्य बनने में सहायता प्रदान करें।
प्रश्न 2: विद्यार्थी और अनुशासन पर अनुच्छेद लेखन।
उत्तर:
संकेत बिंदु:
अनुशासन का अर्थ है-आत्मानुशासन अर्थात् स्वतः प्रेरणा से शासित होना। प्रकृति का समस्त कार्य-व्यापार अनुशासन की सूचना देता है। नियमित जीवन जीने का प्रयत्न ही अनुशासन है। अनुशासन किसी वर्ग या आयु विशेष के लोगों के लिए ही नहीं, अपितु सभी के लिए परम आवश्यक होता है। विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का विशेष महत्त्व है। जो विद्यार्थी जीवन में उचित अनुशासन में रहकर समय व्यतीत करता है, उसका जीवन-क्रम एक ऐसे व्यवस्थित तथा सफल मार्ग पर चलने का अभ्यस्त हो जाता है कि वह विद्यार्थी जीवन में सफलता और सम्मान तो पाता ही है, भविष्य के लिए मार्ग निर्धारण में भी सफल होता है। अनुशासन विद्यार्थी के जीवन में व्यवस्था का वातावरण बनाता है।
इससे नियमित रूप से कार्य करने की क्षमता का विकास होता है। अनुशासन द्वारा कर्तव्य और अधिकार का समुचित ज्ञान होता है। यह एक ऐसा गुण है जिससे मनुष्य सर्वप्रिय बन जाता है। वास्तव में विद्यार्थियों के लिए अनुशासन एक महत्त्वपूर्ण जीवन-मूल्य है। इसके अभाव में विद्यार्थी का जीवन शून्य बन जाता है। अपने भावी जीवन को आनंदमय बनाने के लिए विद्यार्थियों के लिए यह अति आवश्यक है कि वे अनुशासन में रहें। अनुशासन और सफलता का बड़ा घनिष्ठ संबंध है। जहाँ अनुशासन है, वहीं सफलता है और जहाँ अनुशासनहीनता है, वहाँ असफलता है।
प्रश्न 3: पुस्तकालय पर अनुच्छेद लेखन।
उत्तर:
संकेत बिंदु:
ज्ञान-विज्ञान की निस्सीम प्रगति के साथ पुस्तकालयों की सामाजिक उपयोगिता और अधिक बढ़ गई है। युग-युग की साधना से मनुष्य ने जो ज्ञान अर्जित किया है, वह पुस्तकों में संकलित होकर पुस्तकालयों में सुरक्षित है। वे जनसाधारण के लिए सुलभ होती हैं। पुस्तकालयों में अच्छे स्तर की पुस्तकें रखी जाती हैं; उनमें कुछ एक पुस्तकें अथवा ग्रंथमालाएँ इतनी महँगी होती हैं कि सर्वसाधारण के लिए उन्हें स्वयं खरीदकर पढ़ना संभव नहीं होता।
यह बात संदर्भ ग्रंथों पर विशेष रूप से लागू होती है। बड़ी-बड़ी जिल्दों के शब्द-कोशों और विश्वकोशों तथा इतिहास-पुरातत्व की बहुमूल्य पुस्तकों को एक साथ पढ़ने का सुअवसर पुस्तकालयों में ही संभव हो पाता है। इतना ही नहीं, असंख्य दुर्लभ और अलभ्य पांडुलिपियाँ भी हमें पुस्तकालयों में संरक्षित मिलती हैं। आज आवश्यकता है कि नगर-नगर में अच्छे और संपन्न पुस्तकालय खुलें और देश की युवा प्रतिभाओं के विकास के सुअवसर सहज सुलभ हों।
प्रश्न 4: समाचार पत्र पर अनुच्छेद लेखन।
उत्तर:
संकेत बिंदु:
आज विश्व में समाचार-पत्रों का प्रकाशन सर्वाधिक प्रचलित और प्रभावी संचार साधन माना जाता है। हिंदुस्तान का सबसे पहला समाचार-पत्र ‘इंडिया गजट’ नाम से निकला था। तब से मुद्रण तकनीक के विकास के साथ-साथ समाचार-पत्रों का प्रकाशन तथा जन-वितरण आजतक निरंतर प्रगति के पथ पर है। आज अंग्रेज़ी एवं हिंदी भाषा के अतिरिक्त सभी क्षेत्रीय भाषाओं में समाचार-पत्रों का प्रकाशन काफ़ी जोरों पर है।
ये समाचार-पत्र राजनीतिक, सामाजिक, व्यावसायिक क्षेत्र की अद्यतन सूचनाएँ देकर जनमत तैयार करने का महत्त्वपूर्ण कार्य करते हैं। एक तरह से इन समाचार-पत्रों को समय की आँख और समाज की नब्ज़ कहा जाता है। समाचार-पत्र जन-जीवन की वास्तविकताओं को उजागर करके सत्ता का ध्यान आकर्षित करते हैं और सत्ता की नीतियों का आकलन कर समाज के सामने रखते हैं। एक प्रकार से स्वस्थ पत्रकारिता के माध्यम से वे जनता और सत्ता के बीच एक मज़बूत कड़ी की भूमिका निभा सकते हैं।
अखबार की ताकत का इज़हार इन शब्दों में दर्शनीय है:
“खेंचोन कमान-ओ-खंजर,न तलवार निकालो।
जब तोप मुकाबिल हो तो अख़बार निकालो।”
प्रश्न 5: मेरा जीवन लक्ष्य पर अनुच्छेद लेखन।
उत्तर:
संकेत बिंदु:
एक नाव को यदि यूँ ही सागर में छोड़ दिया जाए तो वह दिशाहीन हो भटकती रहती है। उसका अंत क्या होगा, कोई नहीं जानता। उसी प्रकार मनुष्य जीवन भी यदि दिशाहीन हो तो वह अनिश्चितता के सागर में गोते खाता रहता है और कहीं भी पहुँच नहीं पाता। अतः हम सबको जीवन में आगे बढ़ने के लिए एक लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए। मेरा एक सपना है कि मैं डॉक्टर बनूँ। वैसे तो कई व्यवसाय हो सकते हैं, जिससे मैं धन कमा सकता हूँ, लेकिन डॉक्टर बनकर मैं धन कमाने के साथ-साथ मानवता के प्रति अपने कर्तव्य की पूर्ति भी कर पाऊँगा, ऐसा मेरा मानना है।
जब भी मैं डॉक्टरों द्वारा मरीजों को संतुष्टि पहुँचाते देखता हूँ तो मेरी इच्छा और भी बलवती हो जाती है। इसके लिए मुझे बहुत पढ़ना होगा। डॉक्टरी शिक्षा प्राप्त करने के लिए बहुत धन भी ख़र्च करना होगा, साथ ही इस महान लक्ष्य को पूरा करने के लिए अपने आराम और सुविधाओं का त्याग भी करना होगा, यह मैं अच्छी तरह जानता हूँ। मुझे लगता है कि एक डॉक्टर को सबसे पहले एक अच्छा इंसान होना चाहिए।
विनम्रता और दूसरों के प्रति सच्ची सहानुभूति होना सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। मैंने देखा है कि एक डॉक्टर जब रोगी से प्रेमपूर्वक, सहृदयता से बात करता है तो उसका आधा दर्द तो स्वयमेव दूर हो जाता है। मैं अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ संकल्प हूँ और इसे पाकर ही रहूँगा।
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1. अनुच्छेद लेखन क्या होता है? |
2. अनुच्छेद लेखन के लिए क्या आवश्यकताएँ हैं? |
3. अनुच्छेद लेखन में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? |
4. अनुच्छेद लेखन के लिए किस तरह के विषय चुने जा सकते हैं? |
5. क्या अनुच्छेद लेखन में चित्र या चित्रण का उपयोग किया जा सकता है? |
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