इस पाठ में बताया गया है कि हम सब भारतीय वीर और धैर्यवान हैं। हम सब भारतीय गुणशाली, बलशाली और विजय प्राप्त करने वाले हैं। हम सब दृढ़ संकल्प से युक्त, लोभ रहित और साहसी हैं। हम सब भारतवासी उत्तम भाव से लोगों की सेवा करते हैं। हम भारतीयों के मन में अधिक धन की, सुख की और कपट की भावना नहीं है। हम सब निडर हैं। युद्ध के मैदान में भी हमेशा विजय की इच्छा रखते हैं और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि हे ईश्वर! आप हम सभी को गौरवशाली एवं विजयी बनाएँ।
(1)
छात्र: : श्रीमन्! अहम् अद्य ‘शूरा वयं धीरा वयम्’ इति गीतं श्रुतवान्।
अध्यापकः : अस्तु ! शोभनम्।
छात्रः : श्रीमन् ! अहमपि एतत् गीतं श्रुतवान् । सुन्दरं गीतम् अस्ति ।
अध्यापकः : छात्राः! “शूरा वयं धीरा वयम्” अत्र ‘वयम्’ इति शब्दः केषां कृते प्रयुक्तः?
छात्रा : वयं शब्दः भारतीयानां कृते अस्ति इति चिन्तयामि ।
छात्र: : श्रीमन् ! वयं भारतीयाः शूराः वीराः च स्मः।
अध्यापक : सत्यम्। वयं भारतीयाः शूराः वीराः च। एतत् एव सस्वरं मिलित्वा गायामः।
शब्दार्था: (Word Meanings):
सरलार्थ-
एक छात्र : श्रीमानजी! मैंने आज ‘हम सब वीर और धैर्यवान हैं’ इस गीत को सुना।
अध्यापक : अच्छा। बहुत अच्छा।
एक छात्र : श्रीमान जी ! मैंने भी इस गीत को सुना । सुन्दर गीत है।
अध्यापक : छात्रो ! ” हम सब वीर हैं, हम सब धैर्यवान हैं” यहाँ ‘हम सब यह शब्द किनके लिए प्रयोग किया गया है?
एक छात्रा : ‘हम सब’ शब्द भारतीयों के लिए है, ऐसा मैं सोचती हूँ ।
एक छात्र : श्रीमानजी! हम सब भारतीय शूरवीर और धैर्यवान हैं।
अध्यापक : सच है। हम सब भारतीय शूरवीर और धैर्यवान हैं। यही हम सब मिलकर सस्वर गाएँगे ।
(2)शब्दार्था: (Word Meanings):
सरलार्थ-
हम शक्तिशाली वीर और बहुत बहादुर हैं। हम गुणशाली, बलशाली और निरन्तर जय को प्राप्त करने वाले हैं || 1 || हम शक्तिशाली हैं । । हम भारतीय बहुत मजबूत इच्छा शक्तिवाले हैं, हमारे मन में कोई स्वार्थ नहीं है; हम अत्यधिक साहसी लोग हैं। हम लोगों की सेवा करने वाले हैं, हम सबके दुख में दुखी होने वाले हैं और हम सब भला (शुभ) सोचने वाले हैं ||2|| हम शक्तिशाली हैं ।।
(3)
शब्दार्था: (Word Meanings):
सरलार्थ-
हमें धन की इच्छा नहीं है, हम संसार के सुख भी नहीं चाहते, हमारे हृदय में किसी के लिए कोई धोखा या कपट नहीं है। हम शुद्ध चित्त वाले हैं। हम फुर्तीले (ऊर्जावान ) हैं। हम तेजस्वी हैं, दृढ संकल्प के साथ विजय प्राप्त करने वाले हैं । | 3 || हम शक्तिशाली हैं ।।
हम निडर हैं, नीतिवान हैं और सम्पूर्ण दृढ – शक्तियों से युक्त हैं। हम ( माँ भारती के) बालक जब भी युद्ध के मैदान में जाते हैं, जीत प्राप्त करने की इच्छा वाले होते हैं ।। 4 ।। हम शक्तिशाली हैं ।।
हे संसार के स्वामी! हे परम ईश्वर ! आप देवों के भी देव और सर्व शक्तिमान हैं। हे परमात्मा आप सभी कार्यों में हमें मंगल एवं विजय दें || 5 || हम सब शक्तिशाली हैं ।।
गीतस्य भावार्थ:
भावार्थ- वयं सर्वे भारतीयाः शूराः वीराः, धैर्यशालिनः च स्मः । सर्वे गुणशालिनः बलशालिनः विजेतारः च स्मः । वयं दृढसंकल्पयुक्ताः लोभरहिताः साहसयुक्ताः च स्मः । वयं सर्वे भारतवासिन: उत्तमभावेन जनानां सेवां सर्वेषां शुभचिन्तनं च कुर्मः । अस्माकं हृदये धनस्य अधिककामनाः, सुखस्य विषये वासना, कपटभावना च न सन्ति । तेजोयुक्ताः वयं भारतीयाः ऊर्जापूर्वकं दृढतया च कार्यं कुर्मः। वयं भारतीयाः निर्भयाः दृढशक्त्या च युक्ताः युद्धक्षेत्रे सर्वदा नीतिपूर्वकं विजयम् इच्छामः । अतः इयं प्रार्थना अस्ति यत् – हे संसारस्य स्वामिन्! हे परमेश ! हे सकलेश ! हे भगवन्! भवान् अस्माकं कृते सर्वेषु कार्येषु उज्ज्वलं शुभं च विजयं प्रयच्छतु इति।
सरलार्थ
हम सब भारतीय शूरवीर, पराक्रमी और धैर्यशाली हैं। हम सभी गुणों से युक्त, बलशाली और जीतने वाले हैं। हम सब दृढ़ इच्छा शक्ति वाले लोभरहित और बहुत साहसी हैं। हम सब भारतवासी बहुत ही अच्छे मन से और उत्तम भाव से लोगों की सेवा करते हैं और सबका भला सोचते हैं। हमारे हृदय में धन की अधिक इच्छा नहीं है, ज्यादा सुख की भी इच्छा नहीं है और किसी भी प्रकार के कपट या धोखे की भावना नहीं है।
हम सब भारतीय तेजस्वी, उत्साहपूर्वक और दृढ़ता से सब काम करते हैं। हम सब भारतीय निडरता और दृढ़ इच्छा शक्ति से युक्त हैं और युद्ध के मैदान में हमेशा नीतिपूर्वक (सही नीतियों पर चलकर) विजय पाना चाहते हैं। इसलिए यह प्रार्थना है कि – हे संसार के स्वामी! हे परम ईश्वर ! हे सम्पूर्ण जगत के स्वामी! हे भगवन्! आप हमारे लिए सब कामों में उज्ज्वल, शुभ और विजय दें।
अवधेयांश: (ध्यान देने योग्य बातें)
‘रामः, सः, सीता, देवालयः, पीतः, बलशालिनः’ इति एतानि | पदानि नामपदानि सन्ति ।
‘राम:’ इति पदस्य मूलम् अस्ति ‘राम’ । नामपदस्य मूलरूपं ‘प्रातिपदिकम् ‘ इति कथ्यते ।
अधः विद्यमाने कोष्ठके प्रातिपदिकस्य प्रथमा – विभक्तेः रूपाणि पठन्तु।
अर्थ – ‘रामः, स : (वह), सीता, देवालयः (मंदिर), पीतः (पीला), बलशाली’- ये सारे पद नामपद हैं।
‘राम:’ इस पद का मूल ‘राम’ है। नाम / पद का मूल रूप ‘प्रातिपदिक’ कहा जाता है।
नीचे दिए गए कोष्ठक में प्रतिपदिक के प्रथमा विभक्ति के रूप को पढ़ें-
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1. "शूरा: वयं धीरा: वयम्" पाठ का मुख्य विषय क्या है? | ![]() |
2. इस पाठ में शूरा का क्या अर्थ है? | ![]() |
3. पाठ में धीरता का क्या महत्व बताया गया है? | ![]() |
4. पाठ में दी गई प्रेरणादायक बातें किस प्रकार की हैं? | ![]() |
5. "शूरा: वयं धीरा: वयम्" पाठ से हमें क्या सीख मिलती है? | ![]() |