इस पाठ में उस महान चित्रकार ईश्वर की रचना के बारे में बताया गया है। उस महान चित्रकार ने इतनी सुंदर प्रकृति की रचना की है। कैसे रंग-बिरंगे फूल खिले हैं जो इतने मनमोहक हैं, प्राकृतिक सुंदरता में रंग-बिरंगे पक्षी और जानवर हैं जो कि प्रकृति को और भी सुंदर बनाते हैं। रंग-बिरंगे फूल, पशु, पक्षी इन सबको बनाने वाला वह चित्रकार ईश्वर ही है।
(1)शब्दार्था: (Word Meanings):
सरलार्थ-
ऊपर बाग का चित्र दिखाया गया है। यह राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में विद्यमान अमृत – उद्यान है। यहाँ सौ से अधिक प्रकार के गुलाब के फूल हैं। सामान्यतः पाँच हजार से अधिक मौसमी फूल हैं। सुंदर प्रकृति अपने अनेक रंगों से सबके मन को आकर्षित करती है। आइए, वैसे ही रंगों का परिचय इस पाठ में प्राप्त करते हैं।
(2)
शिक्षक: – वयम् अत्र किं किं पश्याम:?
श्रद्धा – सर्वत्र विविधानि पुष्पाणि, हरितानि पर्णानि, खगाः जन्तवः च सन्ति इति पश्यामः।
शिक्षक: – सत्यम्। एवमेव तेषां वर्णाः अपि विविधाः । यथा श्रद्धा वदति ‘हरितानि पर्णानि ‘ इति, अत्र पर्णस्य कः वर्णः?
छात्रा: – (सर्वे) हरितः।
श्रद्धा – अत्र वृक्षस्य उपरि शुकः अस्ति। सः अपि हरितवर्णेन शोभते।
शब्दार्था: (Word Meanings):
सरलार्थ –
अध्यापक – हम सब यहाँ क्या-क्या देखते हैं?
श्रद्धा – सब जगह हम’ अनेक प्रकार के फूल, हरे पत्ते, पक्षी और पशु देखते हैं ।
अध्यापक – सच है। ऐसे ही उनके रंग भी अनेक प्रकार के हैं। जैसे श्रद्धा बोलती है कि ‘हरे पत्ते’, यहाँ पत्ते का रंग क्या है?
सब छात्र – (सब) हरा ।
श्रद्धा – यहाँ पेड़ के ऊपर तोता है। वह भी हरे रंग से सुशोभित हो रहा है।
(3)
शिक्षक: – श्रद्धे! तव इष्टवर्णः हरितः इति चिन्तयामि । अत एव हरितवर्णम् एव पश्यसि खलु ।
मेधा – आचार्य! अत्र काकः अपि अस्ति, यस्य वर्णः कृष्णः । एवं पिकस्य अपि वर्णः कृष्णः ।
शिक्षक: – आम्। उत्तमं निरीक्षणं भवत्याः। छात्राः ! पश्यन्तु, अत्र पुष्पाणि अपि सन्ति । मनीष ! पश्यतु जपापुष्पम् । वदतु, अस्य वर्णः कः ?
मनीषः – रक्तवर्णः आचार्य! शुकस्य चञ्चुः अपि रक्तवर्णा । पाटलपुष्पम् अपि रक्तवर्णेन युक्तम् ।
शिक्षक: – शोभनम् । चित्रवर्णाः शुकाः अपि अत्र सन्ति इति जानन्ति किम् ?
शब्दार्था: (Word Meanings):
सरलार्थ-
अध्यापक – श्रद्धा! ऐसा सोचता हूँ तुम्हारा प्रिय रंग हरा है। इसलिए हरा रंग ही देखती हो ।
मेधा – गुरुजी ! यहाँ कौआ भी है; जिसका रंग काला है। ऐसे ही कोयल का भी रंग काला है।
अध्यापक – हाँ। आपने अच्छी तरह देखा। छात्रो ! देखो, यहाँ फूल भी हैं। मनीष ! गुड़हल का फूल देखो। बताओ। इसका रंग कौन-सा है ?
मनीष – गुरुजी लाल रंग। तोते की चोंच भी लाल रंग की है। गुलाब का फूल भी लाल रंग से युक्त है।
अध्यापक – बहुत अच्छा। रंग-बिरंगे तोते भी यहाँ हैं, ये जानते हो क्या ?
(4)
आदित्यः – आचार्य! ते कीदृशाः भवन्ति ? वयं द्रष्टुम् इच्छामः ।
शिक्षकः – तादृशान् शुकान् वयं प्रायः जन्तुशालायां पश्यामः । तेषां पक्षाः नीलाः पीताः रक्ताः च भवन्ति ।
मञ्जुलः – आचार्य! पाटलपुष्पाणि अपि विविधवर्णयुक्तानि भवन्ति । मम उद्याने पीतवर्णानि श्वेतवर्णानि, नीललोहितवर्णानि, केसरवर्णानि च पाटलपुष्पाणि सन्ति ।
शिक्षक: – उत्तमम्। पश्यन्तु, हंसः श्वेतः । तथा अन्ये के श्वेतवर्णा : ?
मेधा – आचार्य! बकः शशः च । तथा भवतः प्रावारकम् अपि श्वेतम्।
शब्दार्था: (Word Meanings):
सरलार्थ-
आदित्य – गुरुजी ! वे कैसे होते हैं? हम सब देखना चाहते हैं ।
अध्यापक – वैसे तोतों को हम अकसर जन्तुशाला में देखते हैं। उनके पंख भी नीले, पीले और लाल होते हैं।
मञ्जुल – आचार्य! गुलाब के फूल भी अनेक रंगों के होते हैं। मेरे बाग में पीले, सफ़ेद, बैंगनी (जामुनी), केसरिया रंग के गुलाब के फूल हैं।
अध्यापक – अच्छा। देखो हंस सफ़ेद है। वैसे ही अन्य कौन सफ़ेद रंगों के हैं।
मेधा – आचार्य ! बगुला और खरगोश हैं। हाँ, वैसे ही आपका कोट भी सफ़ेद है।
(5)
शिक्षक: – आम्। सम्यक्। सर्वे स्वस्य अन्येषां च वस्त्राणां वर्णान् अवलोकयन्तु ।
मञ्जुलः – आचार्य! इन्द्रधनुः तु बहुवर्णमयं खलु । तत्र सप्त वर्णाः भवन्ति ।
शिक्षक: – आम्। सर्वः अपि निसर्गः बहुवर्णमयः । तेन संसारः सुन्दरः । वर्णैः एव अस्माकं जीवनम् अपि मनोरमं भवति। तत्र ‘वर्णयोजक : चित्रकारः कः’ इति जानन्ति किम् ?
सर्वे – (उच्चैः) परमेश्वरः, परमेश्वरः ।
शिक्षक: – आम्। सः एव महान् चित्रकारः।
शब्दार्था: (Word Meanings):
सरलार्थ –
अध्यापक – हाँ। ठीक है । सब अपने और दूसरों के वस्त्रों के रंगों को देखो।
मञ्जुल – आचार्य ! इन्द्रधनुष तो बहुत सारे रंगों का होता है। उसमें सात रंग होते हैं।
अध्यापक – हाँ। सारी ही प्रकृति बहुत रंगों वाली है। उसी से संसार सुंदर है। रंगों से ही हमारा जीवन मनोरम होता है। इन रंगों को बनाने वाला चित्रकार कौन है, यह आप सब जानते हैं क्या?
सभी – (ज़ोर से) परमेश्वर, परमेश्वर ।
अध्यापक – हाँ। वही महान चित्रकार है।
वयं शब्दार्थान् जानीम:
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1. सः महान् चित्रकार: कः अस्ति? | ![]() |
2. सः चित्रकारः केनेन प्रेरितः अभवत्? | ![]() |
3. सः चित्राणि कस्य विषयेषु अधिकं रचयति? | ![]() |
4. सः चित्रकारः कस्य प्रकारस्य कलेः प्रयोगं करोति? | ![]() |
5. सः चित्रकारस्य कार्यं कदापि प्रदर्शितं अभवत्? | ![]() |