Class 6 Exam  >  Class 6 Notes  >  Sanskrit for class 6  >  Chapter Notes: वृक्षाः सत्पुरुषाः इव

वृक्षाः सत्पुरुषाः इव Chapter Notes | Sanskrit for class 6 PDF Download

आधुनिक समाज की ज्वलन्त समस्या है – ‘पर्यावरण- संरक्षण’। क्योंकि स्वार्थ सिद्ध करने के लिए मनुष्यों ने ईश्वर की सुन्दर सृष्टि का जो हनन किया है। उसी कारण प्राकृतिक आपदाएँ सुरसा समान मुँह फाड़े हमारे समक्ष अपना भयंकर रूप दिखा रही हैं। इस समस्या का समाधान केवल और केवल ‘वृक्षारोपण’ ही है।
अपने घर के परिसर में विद्यालय में या मार्ग के दोनों ओर वृक्ष लगाकर हम अपने प्रकृति का कुछ संरक्षण कर सकते हैं। क्योंकि ‘वृक्ष और जल’ ही हमारे जीवन का आधार हैं। वृक्ष सत्पुरुषों के समान स्वयं कष्ट सह दूसरों का हित करते हैं। यही सत्य प्रस्तुत पाठ में बताया गया है।
प्रस्तुत पाठ में वृक्षों का महत्त्व बताया गया है। वृक्ष सज्जन की तरह होते हैं जो स्वयं धूप में खड़े रहते हैं तथा दूसरों को छाया, आश्रय, फल, लकड़ियाँ व प्राणवायु (ऑक्सीजन) देते हैं।

पाठ: शब्दार्थ, अन्वयाः एवं सरलार्थ

पर्यावरणसंरक्षणस्य विषये एका प्रदर्शिनी विद्यालये आयोजिता अस्ति। छात्राः तां प्रदर्शनीं पश्यन्ति । शिक्षकेण सह संलापं च कुर्वन्ति।

वृक्षाः सत्पुरुषाः इव Chapter Notes | Sanskrit for class 6

शब्दार्था:

  • यच्छन्ति – देते हैं।
  • यत् – कि ।
  • पूज्याः – पूजनीय |
  • सत्यम् – सच है।

सरलार्थ: पर्यावरण संरक्षण के विषय में एक प्रदर्शनी विद्यालय में आयोजित है। छात्र उस प्रदर्शनी को देख रहे हैं और शिक्षक के साथ बात कर रहे हैं।
वृक्षाः सत्पुरुषाः इव Chapter Notes | Sanskrit for class 6

शब्दार्था:

  • सुभाषितं – सुन्दर कथन ।
  • पठितवती – पढ़ा है।
  • अस्तु – ठीक है।
  • तर्हि – तो |
  • श्रावयतु- सुनाओ।
  • श्रावयति-सुनाती है।

सरलार्थ:
छात्रा – श्रीमान ! मैने एक सुन्दर कथन पढ़ा है कि ‘वृक्ष सत्पुरुष हैं। ‘
शिक्षक – क्या ऐसा है? ठीक है, तो वह सुभाषित सुनाओ।
छात्रा – ठीक है श्रीमान !
(मुदिता सुभाषित सुनाती है, दूसरे छात्र भी गाते हैं)
छात्रा – श्रीमान ! मैंने जीवशास्त्र की पुस्तक में पढ़ा है कि वृक्ष शुद्ध वायु देते हैं।
छात्र- श्रीमान ! मेरी माता भी बोलती हैं कि वृक्ष पूजनीय होते हैं।
शिक्षक – प्रिय छात्रों ! सच है, वृक्ष शुद्ध वायु, फल, पुष्प और सब कुछ भी देते हैं। इसलिए वे पूजनीय हैं।

(क)
वृक्षाः सत्पुरुषाः इव Chapter Notes | Sanskrit for class 6

छायामन्यस्य कुर्वन्ति तिष्ठन्ति स्वयमातपे।
फलान्यपि परार्थाय वृक्षाः सत्पुरुषा इव ॥

अन्वयः (वृक्षाः) स्वयम् आतपे तिष्ठन्ति ( किन्तु ) अन्यस्य छायां कुर्वन्ति, फलानि अपि परार्थाय ( यच्छन्ति) (अत:) वृक्षाः सत्पुरुषा इव (सन्ति) ।

शब्दार्था:

  • कुर्वन्ति – करते हैं।
  • तिष्ठन्ति – ठहरते हैं।
  • फलान्यपि – (फलानि + अपि) – फल भी ।
  • आतपे – धूप में ।
  • परार्थाय – दूसरों के लिए।
  • सत्पुरुषाः इव- सज्जनों की तरह ।

सरलार्थ: वृक्ष छाया दूसरों के लिए करते हैं, स्वयं धूप में रहते हैं, फल भी दूसरों के लिए हैं, वृक्ष सज्जनों की तरह होते हैं।

(ख)
वृक्षाः सत्पुरुषाः इव Chapter Notes | Sanskrit for class 6

दशकूपसमा वापी दशवापीसमो ह्रदः ।
दशह्रदसमः पुत्रः दशपुत्रसमो द्रुमः ॥

अन्वयः दशकूपसमा वापी (अस्ति), दशवापीसमः हृदः (अस्ति), दशह्रदसम: पुत्र: ( अस्ति), दशपुत्रसमः द्रुमः (अस्ति ) ।

शब्दार्था:

  • दशकूप – दस कुएँ।
  • वापी – जल कुंड ।
  • सम – समान ।
  • हृदः – तालाब |
  • द्रुमः – वृक्ष ।

सरलार्थ: एक जलकुंड दस कुओं के समान है, एक तालाब दस जलकुंडों के समान है, एक पुत्र का दस तालाबों के समान है (तथा) दस पुत्रों के समान एक वृक्ष है।

(ग)
वृक्षाः सत्पुरुषाः इव Chapter Notes | Sanskrit for class 6

अहो एषां वरं जन्म सर्वप्राण्युपजीवनम् ।
सुजनस्येव येषां वै विमुखा यान्ति नार्थिनः ॥

अन्वयः अहो ! एषां सर्वप्राण्युपजीवनं जन्म वरम् (अस्ति) । सुजनस्य इव येषाम् अर्थिनः विमुखाः न यान्ति ।

शब्दार्था:

  • एषाम् – इन ( वृक्षों) का ।
  • वरम् – श्रेष्ठ ।
  • सर्वप्राण्युपजीवनम् – सब प्राणियों का आश्रय का साधन।
  • सुजनस्येव – सज्जन के समान ।
  • जन्म – पैदा होना ।
  • अर्थिन: – याचक (प्रार्थना करने वाला) ।
  • विमुखाः – निराश होकर ।
  • न यान्ति – नहीं जाते।

सरलार्थ: अरे! सभी प्राणियों का आश्रय भूत इन वृक्षों का जन्म श्रेष्ठ है। ये (वृक्ष) सज्जन के समान हैं जिनसे प्रार्थना करने वाले (याचक) निराश होकर नहीं जाते।

(घ)
वृक्षाः सत्पुरुषाः इव Chapter Notes | Sanskrit for class 6

परोपकाराय फलन्ति वृक्षाः परोपकाराय वहन्ति नद्यः ।
परोपकाराय दुहन्ति गावः परोपकाराय इदं शरीरम् ॥

अन्वयः वृक्षाः परोपकाराय फलन्ति, नद्यः परोपकाराय वहन्ति, गावः परोपकाराय दुहन्ति, परोपकाराय (एव) इदं शरीरम् (अस्ति)।

शब्दार्था:

  • परोपकाराय – परोपकार के लिए।
  • नद्यः – नदियाँ।
  • फलन्ति – फल देते हैं।
  • गाव: – गाय |
  • वहन्ति – बहती हैं।
  • दुहन्ति – दूध देती हैं।

सरलार्थ: परोपकार के लिए वृक्ष फल देते हैं, नदियाँ परोपकार के लिए बहती हैं। गाय परोपकार के लिए दूध देती हैं, यह शरीर परोपकार के लिए (ही) है।

(ङ)
वृक्षाः सत्पुरुषाः इव Chapter Notes | Sanskrit for class 6

पुष्प – पत्र- फलच्छाया – मूल – वल्कल- दारुभिः ।
धन्या महीरुहा येषां विमुखा यान्ति नार्थिनः ॥

अन्वयः येषां पुष्प-पत्र- फल- छाया-मूल-वल्कल- दारुभि: अर्थिनः विमुखाः न यान्ति (ते) महीरुहाः धन्याः (सन्ति) ।

शब्दार्था:

  • पुष्प – फूल। 
  • पत्र – पत्ते ।
  • मूल – जड़ ।
  • वल्कल – पेड़ की छाल।
  • दारुभिः – लकड़ियों से ।
  • महीरुहाः – पेड़ |
  • विमुखाः- निराश |
  • न यान्ति – नहीं जाते।
  • अर्थिन:- याचक।

सरलार्थ: जिनके फूल, पत्ते, फल, छाया, जड़, छाल व लकड़ियों से याचक निराश नहीं जाते। (वे) वृक्ष धन्य हैं।

(च)

वृक्षाः सत्पुरुषाः इव Chapter Notes | Sanskrit for class 6

पिबन्ति नद्यः स्वयमेव नाम्भः
स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षाः ।
नादन्ति सस्यं खलु वारिवाहाः
परोपकाराय सतां विभूतयः ॥

अन्वयः नद्यः अम्भः स्वयम् एव न पिबन्ति । वृक्षाः अपि फलानि स्वयं न खादन्ति । वारिवाहाः (अपि) सस्यं न अदन्ति खलु। (यतः) सतां विभूतयः परोपकाराय (भवन्ति)।

शब्दार्था:

  • नद्यः – नदियाँ
  • स्वयमेव – अपने आप ही ।
  • अम्भ: – जल ।
  • अदन्ति – खाते हैं।
  • सस्यम् – अनाज ।
  • वारिवाहाः – बादल ।
  • सताम् – सज्जनों की।
  • विभूतयः – सम्पत्ति |

सरलार्थ: नदियाँ (अपना) पानी स्वयं नहीं पीती, वृक्ष (अपने) फल स्वयं नहीं खाते, बादल (भी) अनाज नहीं खाते हैं। (क्योंकि) सज्जनों की सम्पत्ति परोपकार के लिए होती है।

The document वृक्षाः सत्पुरुषाः इव Chapter Notes | Sanskrit for class 6 is a part of the Class 6 Course Sanskrit for class 6.
All you need of Class 6 at this link: Class 6
30 videos|78 docs|15 tests

FAQs on वृक्षाः सत्पुरुषाः इव Chapter Notes - Sanskrit for class 6

1. वृक्षाः सत्पुरुषाः इव शीर्षक का क्या अर्थ है?
Ans. "वृक्षाः सत्पुरुषाः इव" का अर्थ है "वृक्ष (पेड़) अच्छे व्यक्तियों की तरह होते हैं।" इस शीर्षक का संदर्भ यह है कि पेड़ और अच्छे लोग दोनों ही जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और समाज को लाभ पहुंचाते हैं।
2. वृक्षों के महत्व के बारे में क्या जानकारी दी गई है?
Ans. वृक्षों का महत्व बहुत अधिक है। वे हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, पर्यावरण को संतुलित रखते हैं, मिट्टी की गुणवत्ता को सुधारते हैं, और विभिन्न जीवों के लिए आश्रय प्रदान करते हैं। वृक्षों के बिना जीवन की कल्पना करना कठिन है।
3. इस पाठ में सत्पुरुषों के गुण कौन से बताए गए हैं?
Ans. इस पाठ में सत्पुरुषों के गुणों में दया, सहानुभूति, ईमानदारी, और समाज की भलाई के लिए काम करने की प्रवृत्ति शामिल हैं। अच्छे लोग समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में सक्षम होते हैं।
4. वृक्षों और सत्पुरुषों में क्या समानताएँ हैं?
Ans. वृक्षों और सत्पुरुषों में कई समानताएँ हैं। दोनों ही जीवनदायिनी होते हैं, दूसरों के लिए सहारा बनते हैं, और अपने आसपास के वातावरण को बेहतर बनाते हैं। जैसे वृक्ष फल और छाया देते हैं, वैसे ही अच्छे लोग प्रेम और समर्थन प्रदान करते हैं।
5. इस पाठ से हमें क्या सीख मिलती है?
Ans. इस पाठ से हमें यह सीख मिलती है कि हमें वृक्षों की तरह अपने आस-पास के लोगों की मदद करनी चाहिए और समाज में सकारात्मक योगदान देना चाहिए। हमें अच्छे गुणों को अपनाना चाहिए और दूसरों के प्रति दयालु रहना चाहिए।
Related Searches

वृक्षाः सत्पुरुषाः इव Chapter Notes | Sanskrit for class 6

,

MCQs

,

Free

,

Semester Notes

,

Extra Questions

,

वृक्षाः सत्पुरुषाः इव Chapter Notes | Sanskrit for class 6

,

pdf

,

Viva Questions

,

shortcuts and tricks

,

past year papers

,

वृक्षाः सत्पुरुषाः इव Chapter Notes | Sanskrit for class 6

,

study material

,

video lectures

,

ppt

,

Sample Paper

,

Exam

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Summary

,

mock tests for examination

,

Objective type Questions

,

practice quizzes

,

Important questions

;