Table of contents |
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परिचय |
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प्रमुख बातें |
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कहानी का सारांश |
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कहानी से शिक्षा |
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शब्दार्थ |
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इस पाठ में हम एक मजेदार कहानी पढ़ेंगे, जिसमें मिठाइयाँ एक सम्मेलन करती हैं। यह कहानी हमें बताती है कि मिठाइयाँ कितनी खास हैं, लेकिन हमें इन्हें ज्यादा नहीं खाना चाहिए। कहानी में मिठाइयाँ आपस में बात करती हैं और अपने बारे में सोचती हैं। यह हमें सिखाता है कि हर चीज को संतुलन में रखना जरूरी है।
कहानी शुरू होती है छगनलाल हलवाई की दुकान से, जो रात को दुकान बंद करके घर चले जाते हैं। दुकान बंद होने के बाद वहाँ रखी मिठाइयाँ एक सम्मेलन करती हैं, जिसमें लड्डू दादा को अध्यक्ष चुना जाता है। सम्मेलन में कई मिठाइयाँ शामिल होती हैं, जैसे इमरती जी, पेड़ा, बरफ़ी बहन, रसगुल्ला, जलेबी बहन, रबड़ी जी, गुलाबजामुन, मैसूरपाक, रस मलाई, सोनपापड़ी, बालूसाही, कलाकंद भाई, गुझिया, काजू कतली और शक्करपारा।
सम्मेलन में मिठाइयाँ अपने बारे में बात करती हैं। कलाकंद भाई कहते हैं कि आजकल डॉक्टर कुछ लोगों को मिठाइयाँ खाने से मना करते हैं। सोनपापड़ी पूछती है कि ऐसा क्यों हो रहा है। जलेबी बहन, बरफ़ी बहन से जवाब माँगती है, लेकिन बरफ़ी बहन मजाक में टाल देती हैं। मैसूरपाक दोनों को शांत करते हुए कहता है कि मिठाइयों का स्वाद मीठा है और हमें मीठे बोल बोलकर मिठास फैलानी चाहिए।
रसगुल्ला बताता है कि उनकी ज्यादा मिठास ही लोगों के लिए परेशानी का कारण है। गुलाबजामुन कहता है कि लोग चटोरी जीभ की वजह से बार-बार मिठाइयाँ माँगते हैं, लेकिन ज्यादा खाने से बोर हो जाते हैं। गुझिया बताती है कि कुछ लोगों के शरीर में शक्कर की मात्रा बढ़ रही है, जिससे परेशानी होती है। रबड़ी जी कहती हैं कि ज्यादा मिठाई खाने से नुकसान होता है, क्योंकि “जहाँ अति होती है, वहाँ क्षति होती है।”
लड्डू दादा सुझाव देते हैं कि मिठाइयों में शक्कर की मात्रा कम करनी चाहिए, ताकि लोग उन्हें खा सकें और स्वस्थ रहें। गुलाबजामुन पूछता है कि अगर शक्कर कम होगी, तो उन्हें मिठाई कौन कहेगा? लड्डू दादा जवाब देते हैं कि कम शक्कर से लोगों के मन में मिठास बढ़ेगी। पेड़ा कहता है कि शुभ अवसरों पर मिठाइयाँ बाँटने की परंपरा कोई नहीं बदल सकता।
अंत में, लड्डू दादा कहते हैं कि लोगों को अपनी जीभ पर नियंत्रण रखना चाहिए। मिठाइयाँ खानी चाहिए, लेकिन ज्यादा नहीं। साथ ही, शारीरिक श्रम करके स्वस्थ रहना चाहिए। इस निर्णय के साथ लड्डू दादा सभी को धन्यवाद देते हैं और सम्मेलन खत्म करते हैं।
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1. मिठाइयों का सम्मेलन क्या है? | ![]() |
2. इस कविता से हमें क्या शिक्षा मिलती है? | ![]() |
3. मिठाइयों का सम्मेलन में कौन-कौन सी मिठाइयाँ शामिल होती हैं? | ![]() |
4. इस कविता का मुख्य भाव क्या है? | ![]() |
5. बच्चों के लिए मिठाइयाँ बनाने की प्रक्रिया क्यों महत्वपूर्ण है? | ![]() |