Table of contents |
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परिचय |
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प्रमुख बातें |
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मुख्य पात्र |
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कहानी का सारांश |
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कहानी से शिक्षा |
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शब्दार्थ |
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इस पाठ में हम तेनालीरामन की एक मजेदार और चतुराई भरी कहानी पढ़ेंगे। तेनालीरामन विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय के दरबार में विदूषक और सलाहकार थे। वे अपनी तेज बुद्धि और हास्य के लिए मशहूर थे। इस कहानी में, दरबारी तेनालीरामन से जलन के कारण उन्हें नीचा दिखाने की योजना बनाते हैं। वे राजा को यह विश्वास दिलाते हैं कि तेनालीरामन शतरंज का शानदार खिलाड़ी है, जबकि तेनालीरामन को शतरंज का कोई ज्ञान नहीं होता। फिर भी, तेनालीरामन अपनी चतुराई से न केवल स्वयं को अपमान से बचाते हैं, बल्कि राजा को प्रसन्न भी करते हैं। यह कहानी हमें सिखाती है कि बुद्धि और हास्य से मुश्किल स्थिति को भी हल किया जा सकता है।
कहानी की शुरुआत विजयनगर राज्य के राजा कृष्णदेव राय के दरबार से होती है। उस दिन तेनालीरामन दरबार में नहीं आए होते। राजा के कुछ दरबारी, जो तेनालीरामन से जलते थे क्योंकि राजा उन्हें बहुत पसंद करते थे, इस बात का फायदा उठाते हैं।
वे तेनालीरामन की बुराई करते हैं और राजा से झूठ बोलते हैं कि तेनालीरामन बहुत अच्छे शतरंज खिलाड़ी हैं, लेकिन वे यह बात इसलिए छिपाते हैं क्योंकि उन्हें डर है कि राजा उन्हें हरा न दें।
राजा को यह सुनकर हैरानी होती है और वे सोचते हैं कि तेनालीरामन से शतरंज खेलना अच्छा मनोरंजन और एक मजेदार चुनौती होगी। दरबारी बहुत खुश होते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि अब तेनालीरामन दरबार में सबके सामने शर्मिंदा होंगे।
राजा जब तेनालीरामन को दरबार में बुलाते हैं, तो उनसे पूछते हैं कि उन्होंने अपनी शतरंज की कला क्यों छिपाई। तेनालीरामन विनम्रतापूर्वक कहते हैं कि उन्हें शतरंज खेलना ही नहीं आता, लेकिन राजा उनकी बात पर विश्वास नहीं करते। दरबारी भी राजा का साथ देते हुए तेनालीरामन को खेल खेलने के लिए मजबूर करते हैं।
खेल आरंभ होता है। तेनालीरामन शतरंज की चादर (बिसात) पर गलत चालें चलते हैं — कभी प्यादे को सीधा राजा के सामने कर देते हैं, कभी घोड़े को बेमतलब घुमाते हैं, तो कभी मंत्री को व्यर्थ में बलिदान कर देते हैं। राजा को लगता है कि तेनाली जानबूझकर हार रहे हैं, जिससे वे बहुत क्रोधित हो जाते हैं। दरबारी भी तेनाली का मजाक उड़ाते हैं।
आखिरकार, तेनाली की गलत चालों की वजह से उनका "राजा" मोहरा पकड़ लिया जाता है और खेल खत्म हो जाता है। राजा को लगता है कि तेनाली ने उनका अपमान किया है, इसलिए वे गुस्से में आकर शतरंज की बिसात उलट देते हैं और तेनालीरामन को आदेश देते हैं कि अगली सुबह दरबार में उनके सिर के बाल मुंडवा दिए जाएँ।
अगले दिन दरबार में तेनालीरामन को सिर मुंडवाने के लिए बुलाया जाता है। नाई भी तैयार होता है। लेकिन तेनालीरामन अपनी बुद्धिमानी का प्रदर्शन करते हुए एक नहीं, बल्कि दो चालें चलते हैं:
राजा यह सुनकर डर जाते हैं और सिर मुंडवाने का आदेश तुरंत रद्द कर देते हैं। वे तेनालीरामन की इस अनोखी बुद्धिमत्ता और विनम्रता से बहुत प्रभावित होते हैं। राजा तेनालीरामन की बुद्धिमत्ता से प्रसन्न होकर उन्हें सम्मानित करते हैं।
तेनालीरामन न केवल अपमान से बच जाते हैं, बल्कि पाँच हजार अशर्फियाँ भी हासिल कर लेते हैं। दूसरी ओर, षड्यंत्र रचने वाले दरबारी अपना सिर पीटते हैं और तेनाली की चतुराई की तारीफ करने पर मजबूर हो जाते हैं।
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1. शतरंज में मात क्या है और यह कहानी में कैसे महत्व रखती है? | ![]() |
2. इस कहानी से हमें कौन सी शिक्षा मिलती है? | ![]() |
3. शतरंज के खेल में मात खाने से बचने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं? | ![]() |
4. शतरंज में विभिन्न प्रकार की चालें क्या होती हैं? | ![]() |
5. इस कहानी के पात्र कौन-कौन हैं और उनका क्या महत्व है? | ![]() |