Table of contents |
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परिचय |
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प्रमुख बातें |
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कहानी का सारांश |
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कहानी से शिक्षा |
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शब्दार्थ |
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इस पाठ में हम सूर्य के बारे में एक रोचक कक्षा की बातचीत पढ़ेंगे। यह बातचीत एक अध्यापक और चौथी कक्षा के विद्यार्थियों के बीच होती है। बच्चे सूर्य के बारे में अपनी-अपनी बातें बताते हैं, और अध्यापक उन्हें सूर्य के वैज्ञानिक रहस्य समझाते हैं। इस अध्याय में हम भारत के अंतरिक्ष यान आदित्य-एल 1 के बारे में भी जानेंगे, जो सूर्य का अध्ययन करता है। यह कहानी हमें सूर्य की खासियत और वैज्ञानिक खोजों के बारे में सिखाती है।
कहानी की शुरुआत एक कक्षा से होती है, जहाँ अध्यापक बच्चों से सूर्य के बारे में बात करते हैं। बच्चे सूर्य को अलग-अलग तरह से समझते हैं। वाणी कहती है कि सूर्य सात घोड़ों के रथ पर आकाश में यात्रा करता है। गौरव भी कुछ ऐसा ही कहता है। राहुल कहता है कि सूर्य आग का गोला है, सुमन उसे ग्रह मानती है, और रवि बताता है कि यह एक तारा है, और वही सही निकलता है। अध्यापक बच्चों को समझाते हैं कि सूर्य एक तारा है, जो हाइड्रोजन और हीलियम गैसों का बहुत गरम गोला है। इसे लोग आग का गोला भी कहते हैं, क्योंकि यह बहुत गर्म होता है।
बच्चे आश्चर्य करते हैं कि सूर्य इतना दूर होने पर भी इतनी गर्मी कैसे देता है। ज्योति कहती है कि सर्दियों में सूर्य की गर्मी अच्छी लगती है, लेकिन भास्कर को गर्मी के मौसम में सूर्य पसंद नहीं आता। सुमन कहती है कि उसकी नानी को ठंड लगती है, इसलिए वे धूप में बैठती हैं। अध्यापक बच्चों से पूछते हैं कि सूर्य इतना गरम क्यों है। दिनेश कहता है कि सूर्य पर आग जलती रहती है। रवि पूछता है कि वह आग किसने जलाई होगी। धरा बताती है कि सूर्य की गर्मी आग से नहीं, बल्कि गरम गैसों से आती है। अध्यापक बताते हैं कि सूर्य हाइड्रोजन और हीलियम गैसों से बना है।
साहिल को इन गैसों के नाम बोलने में मज़ा आता है, और वह हँसते हुए “हाई… ड्रजन… हेलम…” कहता है। रवि पूछता है कि क्या हम चाँद की तरह सूर्य पर जा सकते हैं। सुमन कहती है कि वहाँ कोई नहीं जा सकता, क्योंकि वहाँ जाने वाला जल जाएगा। दिनेश कहता है कि सूर्य की गर्मी ही उसे चमकदार बनाती है। अध्यापक समझाते हैं कि सूर्य बहुत दूर है और वहाँ पहुँचना आसान नहीं है। सूर्य के भीतर हर समय गैसें टकराती रहती हैं, जिससे आग जैसी ऊर्जा निकलती रहती है। सूर्य के रहस्यों को जानने के लिए भारत के वैज्ञानिकों ने आदित्य-एल 1 नाम का एक अंतरिक्ष यान भेजा है।
बच्चे उत्साह से “आदित्य-एल 1” का नाम दोहराते हैं। भास्कर पूछता है कि यह क्या है। अध्यापक मुस्कुराते हुए बताते हैं कि आदित्य का मतलब सूर्य है, और कक्षा में भास्कर, दिनेश और रवि भी “आदित्य” हैं, क्योंकि ये सूर्य के अन्य नाम हैं। अध्यापक बताते हैं कि आदित्य-एल 1 एक अंतरिक्ष यान है, जो सूर्य के बारे में जानकारी इकट्ठा करता है — जैसे सूर्य का तापमान, उसकी ऊर्जा का प्रभाव, और पृथ्वी पर उसका असर। पूरवा पूछती है कि क्या यह यान सूर्य पर पहुँच गया है। अध्यापक बताते हैं कि यह सूर्य पर नहीं गया, बल्कि सूर्य से सुरक्षित दूरी पर रुककर चित्र भेजता है। सुमन पूछती है कि इतनी गर्मी में यह जलता क्यों नहीं। अध्यापक बताते हैं कि यान एक सुरक्षित दूरी पर है, इसलिए उसे नुकसान नहीं होता।
भास्कर कहता है कि यह यान कमाल का है, जो इतने गरम सूर्य के चित्र लेता है। ज्योति पूछती है कि “एल 1” का क्या मतलब है। अध्यापक बताते हैं कि “एल 1” यानी लगरांज 1 — एक खास जगह, जहाँ सूर्य और पृथ्वी की गुरुत्व शक्तियाँ संतुलन में होती हैं। यहाँ आदित्य-एल 1 सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हुए चित्र लेता है। दीपक पूछता है कि “लगरांज” क्या है। अध्यापक बताते हैं कि लगरांज 18वीं सदी के एक इतालवी गणितज्ञ थे, जिन्होंने ऐसे पाँच खास बिंदुओं की खोज की, जिन्हें एल 1, एल 2, एल 3, एल 4 और एल 5 कहते हैं।
सुमन पूछती है कि आदित्य-एल 1 को कब भेजा गया था। अध्यापक बताते हैं कि इसे 2 सितंबर 2023 को इसरो ने लॉन्च किया था। यह यान पाँच साल तक सूर्य के चित्र लेगा और उसके रहस्यों को उजागर करेगा। दीपक कहता है कि उसे सूर्य के चित्र देखने की उत्सुकता है। बाकी बच्चे भी कहते हैं कि उन्होंने कभी सूर्य का चित्र नहीं देखा। रफत मज़ाक में कहता है कि उसने चाँद, पृथ्वी और अपने बचपन के चित्र तो देखे हैं, लेकिन सूर्य का नहीं। दिनेश बताता है कि उसके पिताजी ने कहा है कि सूर्य को सीधे नहीं देखना चाहिए।
अध्यापक बताते हैं कि सूर्य को सीधे देखना आँखों के लिए हानिकारक है, लेकिन आदित्य-एल 1 ने सूर्य के ग्यारह रंगों के सुंदर चित्र भेजे हैं। वे टैब या मोबाइल पर ये चित्र बच्चों को दिखाते हैं। सिल्विया कहती है कि ये चित्र अद्भुत हैं और यान का काम चमत्कार जैसा है। वह पूछती है कि चित्र लेने के अलावा यान और क्या करता है। अध्यापक बताते हैं कि सूर्य पर गैसों की टक्कर से बड़े विस्फोट होते हैं, जिनसे ऊर्जा निकलती है। ये विस्फोट सूर्य पर आँधियों की तरह होते हैं, और आदित्य-एल 1 इनका पृथ्वी पर क्या असर पड़ता है, यह समझने में मदद करता है।
बच्चे इस यंत्र की तारीफ़ करते हैं। दीपक कहता है कि उसे ये बातें सुनकर बहुत मज़ा आ रहा है, और वह बड़ा होकर अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनेगा। सुमन भी वैज्ञानिक बनने का सपना देखती है और कहती है कि वह ऐसा यान बनाएगी, जिसमें बैठकर सूर्य को करीब से देख सके। बाकी बच्चे भी यही कहते हैं। अध्यापक बच्चों की मेधा की सराहना करते हैं और हँसते हुए कहते हैं कि जब वे अपना अंतरिक्ष यान बनाएँ, तो उन्हें भी उसमें ज़रूर ले जाएँ।
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