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गिरीधर कविराय की कुंडलिया Class 7 Notes Hindi Chapter 6 Free PDF

कवि परिचय

गिरिधर कविराय अठारहवीं सदी के प्रसिद्ध हिंदी कवि थे। उनकी कुंडलियाँ बहुत लोकप्रिय हैं और लोग इन्हें कहावतों की तरह इस्तेमाल करते हैं। उनकी कविताएँ सरल और सीधी भाषा में लिखी गई हैं, जो आम लोगों को आसानी से समझ आती हैं। इनमें जीवन के लिए जरूरी नीतियाँ और घर-परिवार के व्यवहार की बातें शामिल हैं। गिरिधर कविराय ने अपनी रचनाओं में लाठी जैसी चीजों के उपयोग और धन के सही इस्तेमाल जैसे विषयों पर भी लिखा है। उनकी दो प्रसिद्ध पंक्तियाँ हैं: “बिना बिचारे जो करै सो पाछे पछिताय” और “बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि लेइ।”

गिरीधर कविराय की कुंडलिया Class 7 Notes Hindi Chapter 6 Free PDFगिरिधर कविराय

मुख्य विषय

कविता का मुख्य विषय है बिना सोचे-समझे काम करने के नुकसान और अतीत को भूलकर भविष्य पर ध्यान देने की सलाह। पहली कुंडलिया बताती है कि जल्दबाजी में किए गए काम से पछतावा होता है और मन को शांति नहीं मिलती। दूसरी कुंडलिया सिखाती है कि पुरानी बातों को भूलकर आगे की योजना बनानी चाहिए और जो सहज हो, उसी पर ध्यान देना चाहिए। ये कविताएँ हमें सही निर्णय लेने और जीवन को सरल रखने की प्रेरणा देती हैं।

कविता का सार

गिरिधर कविराय की ये दो कुंडलियाँ जीवन के लिए महत्वपूर्ण सबक सिखाती हैं।

पहली कुंडलिया: यह बताती है कि बिना सोचे-समझे किया गया काम अपने लिए परेशानी लाता है। लोग उसका मजाक उड़ाते हैं, और मन में बेचैनी रहती है। खाना-पीना, सम्मान और खुशियाँ भी अच्छी नहीं लगतीं। कवि कहते हैं कि जल्दबाजी में किए गए काम का पछतावा हमेशा मन में चुभता रहता है।

दूसरी कुंडलिया: यह सलाह देती है कि बीती बातों को भूल जाना चाहिए और भविष्य की चिंता करनी चाहिए। जो काम आसानी से हो सकता है, उसी पर ध्यान देना चाहिए। ऐसा करने से कोई हमारा मजाक नहीं उड़ाएगा और मन में शांति रहेगी। कवि कहते हैं कि आगे की सोच और विश्वास से सुख मिलता है, और पुरानी बातों को भूल जाना ही ठीक है।

कविता की व्याख्या

पहली कुंडलिया

बिना बिचारे जो करै सो पाछे पछिताय।
काम बिगारे आपनो जग में होत हँसाय॥

व्याख्या: कवि गिरिधर कविराय कहते हैं कि जो व्यक्ति बिना सोचे-समझे कोई भी कार्य करता है, उसे बाद में पछताना पड़ता है। ऐसे लोग अपने ही काम को बिगाड़ लेते हैं और अपने ही हाथों अपमान का कारण बनते हैं। परिणाम यह होता है कि दुनिया में उनका मजाक उड़ाया जाता है और वे सबके बीच हँसी का पात्र बन जाते हैं। इसलिए कोई भी काम करने से पहले अच्छी तरह सोच-विचार करना जरूरी है।

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जग में होत हँसाय चित में चैन न पावै।
खान पान सन्मान राग रंग मनहिं न भावै॥

व्याख्या: जब लोग किसी का मजाक उड़ाते हैं तो उस व्यक्ति के मन का चैन चला जाता है। उसे मानसिक दुख होता है। फिर न अच्छा खाना अच्छा लगता है, न आदर-सम्मान की बातों में मन लगता है और न ही किसी मनोरंजन या खुशी की चीज़ में रुचि बचती है। यानी उसका पूरा जीवन दुखी और बेचैन हो जाता है।

कह गिरिधर कविराय दुःख कछु टरत न टारे।
खटकत है जिय माहि कियो जो बिना बिचारे॥

व्याख्या: गिरिधर कविराय कहते हैं कि बिना सोचे-समझे किए गए काम के कारण जो दुख पैदा होता है, वह जल्दी से खत्म नहीं होता। यह दुख बार-बार मन को कचोटता रहता है और व्यक्ति को अंदर ही अंदर परेशान करता है। इसीलिए हमें हर कार्य को करने से पहले भलीभांति सोच-विचार कर लेना चाहिए।

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दूसरी कुंडलिया

बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि लेइ।
जो बनि आवै सहज में ताही में चित देइ॥

व्याख्या: कवि गिरिधर कविराय यहाँ यह शिक्षा देते हैं कि जो बातें बीत गई हैं, उन्हें भुला देना चाहिए। हमें बार-बार पुराने दुख या गलती को याद करके परेशान नहीं होना चाहिए। इसके बजाय, हमें भविष्य के बारे में सोचना चाहिए। जो भी कार्य सहजता से बन जाए, उसी में मन लगाना चाहिए। पुरानी गलतियों पर पछताने के बजाय आगे बढ़ने पर ध्यान देना चाहिए।

ताही में चित देइ बात जोइ बनि आवै।
दुर्जन हँसै न कोइ चित में खता न पावै॥

व्याख्या: कवि कहते हैं कि यदि हम अपना ध्यान उन कामों पर लगाएँ जो स्वाभाविक रूप से आसानी से पूरे हो सकते हैं, तो कोई भी बुरा व्यक्ति हम पर हँस नहीं सकेगा। साथ ही, हमारे मन में भी किसी तरह की गलती का बोझ या पछतावा नहीं रहेगा। यानी सोच-समझकर आगे बढ़ने से सम्मान बना रहता है और मन में संतोष रहता है।

कह गिरिधर कविराय यहै कर मन परतीती।
आगे को सुख होइ समुझि बीती सो बीती॥

व्याख्या: कवि गिरिधर कविराय अंत में यह कहते हैं कि मन में इस बात का पक्का विश्वास रखना चाहिए कि बीती बातों को भूलकर यदि हम समझदारी से आगे बढ़ेंगे, तो भविष्य में सुख और सफलता मिलना निश्चित है। पुराने दुखों को भूलकर जो व्यक्ति आगे की सोचता है, वही जीवन में आनंद और शांति प्राप्त कर सकता है।

कविता से शिक्षा

गिरिधर कविराय की ये कुंडलियाँ सरल शब्दों में जीवन के बड़े सबक सिखाती हैं। पहली कुंडलिया हमें जल्दबाजी से बचने और सोच-समझकर काम करने की सलाह देती है, ताकि पछतावे से बचा जा सके। दूसरी कुंडलिया अतीत को भूलकर भविष्य पर ध्यान देने और सरल जीवन जीने की प्रेरणा देती है। ये कविताएँ हमें सिखाती हैं कि सही निर्णय और धैर्य से जीवन में सुख और शांति पाई जा सकती है। ये कुंडलियाँ न केवल मनोरंजक हैं, बल्कि हमें बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित भी करती हैं।

शब्दार्थ

  • बिना बिचारे: बिना सोचे-समझे
  • पछिताय: पछताना
  • काम बिगारे: काम खराब करना
  • हँसाय: हँसी उड़ाना
  • चित: मन
  • चैन: शांति
  • खान-पान: खाना-पीना
  • सन्मान: सम्मान
  • राग रंग: खुशियाँ और मनोरंजन
  • खटकत: चुभना
  • जिय माहि: मन में
  • बिसारि: भूल जाना
  • सुधि: ख्याल, चिंता
  • सहज: आसान, स्वाभाविक
  • परतीती: विश्वास
  • समुझ: समझना
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FAQs on गिरीधर कविराय की कुंडलिया Class 7 Notes Hindi Chapter 6 Free PDF

1. गिरीधर कविराय कौन थे और उनकी लेखनी की विशेषताएँ क्या हैं?
Ans. गिरीधर कविराय एक प्रमुख हिंदी कवि थे, जिन्होंने अपनी कविताओं में भारतीय संस्कृति और भावनाओं को सुंदरता से प्रस्तुत किया। उनकी लेखनी में सरलता और सहजता होती है, जिससे पाठक आसानी से जुड़ाव महसूस कर सकते हैं। वे विशेष रूप से 'कुंडलिया' शैली के लिए जाने जाते हैं, जिसमें वे अपनी भावनाओं को संक्षेप में व्यक्त करते हैं।
2. 'कुंडलिया' कविता का मुख्य विषय क्या है?
Ans. 'कुंडलिया' कविता का मुख्य विषय मानव जीवन की जटिलताओं और भावनाओं का चित्रण है। इसमें कवि ने जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूने का प्रयास किया है, जैसे प्रेम, दुःख, और संघर्ष। यह कविता जीवन के वास्तविकता को समझाने में मदद करती है।
3. इस कविता का सार क्या है?
Ans. इस कविता का सार यह है कि जीवन में कठिनाइयाँ और चुनौतियाँ होती हैं, लेकिन उन पर विजय पाने के लिए संघर्ष करना आवश्यक है। कवि ने यह संदेश दिया है कि हमें अपने सपनों को पूरा करने के लिए हमेशा प्रयासरत रहना चाहिए, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न हों।
4. 'कुंडलिया' कविता की व्याख्या कैसे की जा सकती है?
Ans. 'कुंडलिया' कविता की व्याख्या करते समय, हमें उसके प्रतीकों और भावनाओं को समझना चाहिए। कवि ने शब्दों के माध्यम से गहरी भावनाओं को व्यक्त किया है, जैसे प्रेम, पीड़ा, और आशा। कविता में छिपे अर्थों को जानने से पाठक को जीवन के प्रति एक नई दृष्टि मिलती है।
5. इस कविता से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
Ans. इस कविता से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जीवन में कठिनाइयाँ स्वाभाविक हैं, लेकिन हमें उन्हें सामना करना चाहिए। संघर्ष और मेहनत से हम अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकते हैं। इसके अलावा, यह कविता हमें यह भी सिखाती है कि सकारात्मक सोच और धैर्य रखना महत्वपूर्ण है।
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