Class 8 Exam  >  Class 8 Notes  >  Chapter Notes For Class 8  >  Chapter Notes: स्वदेश

स्वदेश Chapter Notes | Chapter Notes For Class 8 PDF Download

कवि परिचय

गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही' हिंदी के प्रसिद्ध कवि थे। उनका जन्म 1883 में उत्तर प्रदेश के उन्नाव में हुआ। उन्होंने ब्रजभाषा और खड़ी बोली में कविताएँ लिखीं। 'सनेही' और 'त्रिशूल' उनके उपनाम थे। उनकी कविताएँ देशप्रेम, किसानों, मजदूरों और सामाजिक बुराइयों पर आधारित हैं। स्वदेश, त्रिशूल तरंग, राष्ट्रीय मंत्र उनकी प्रमुख रचनाएँ हैं। उनका निधन 1972 में हुआ। उनकी कविताएँ आज भी प्रेरणा देती हैं।

स्वदेश Chapter Notes | Chapter Notes For Class 8गयाप्रसाद शुक्ल 'सनेही'

मुख्य विषय

यह कविता देशभक्ति की भावना को प्रकट करती है। इसमें बताया गया है कि जिस व्यक्ति के दिल में अपने देश के लिए प्रेम, सम्मान और समर्पण नहीं है, वह व्यर्थ है। कवि देशप्रेम को जीवन का सार मानते हैं और कहते हैं कि जो व्यक्ति अपने देश के लिए कुछ नहीं करता, उसमें भावना और उद्देश्य की कमी है। कविता हमें यह सिखाती है कि जिस मिट्टी में हम पले-बढ़े, जिसने हमें सब कुछ दिया, उसके लिए हमें सच्चा प्रेम और कर्तव्यभाव होना चाहिए। सच्चा नागरिक वही है जो निडर होकर देश की सेवा करता है और समय रहते कुछ कर दिखाने का जज़्बा रखता है।

कविता का सार

यह कविता अपने देश के प्रति प्यार और समर्पण की भावना को दिखाती है। कवि कहता है कि जिस दिल में अपने देश के लिए प्यार नहीं है, वह दिल पत्थर के जैसा है। अगर किसी के जीवन में देश के लिए कोई जोश नहीं है, तो उस जीवन का कोई मतलब नहीं है।

जो इंसान देश और दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर नहीं चलता, वह जीवन में कुछ खास नहीं कर सकता। जो डर के कारण साहस छोड़ देता है, वह कभी अपने लक्ष्य तक नहीं पहुँच सकता।

कवि कहता है कि जिस इंसान के कारण समाज का भला नहीं होता, उसका खुद का भी भला नहीं हो सकता। जिस दिल में भावनाएँ नहीं हैं और जिसमें देशभक्ति की भावना नहीं बहती, वह दिल व्यर्थ है।

स्वदेश Chapter Notes | Chapter Notes For Class 8

जिस मिट्टी में हम जन्मे, पले-बढ़े, जिसने हमें खाना-पानी दिया, जहाँ हमारे माता-पिता और रिश्तेदार रहते हैं, उस देश को न मानना बहुत गलत बात है। यही देश हमें अमूल्य रत्नों की तरह ज्ञान और संपदा देता है, जिस पर दुनिया भी गर्व करती है।

अगर फिर भी किसी का दिल इस देश पर दया से नहीं पसीजता, तो वह धरती पर बोझ है। अंत में कवि कहता है कि हमारी जान एक दिन जानी ही है, समय की लौ हर पल जल रही है, इसलिए देश के लिए कुछ करने का समय अभी है। हमारे पास ताकत भी है, साहस भी है, बस जरूरत है देशप्रेम की।

इसलिए, जो अपने देश से प्यार नहीं करता, उसका दिल पत्थर के समान है।

कविता की व्याख्या

प्रसंग 1

वह हृदय नहीं है पत्थर है,
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।
जो जीवित जोश जगा न सका,
उस जीवन में कुछ सार नहीं।

व्याख्या: कवि कहता है कि जिस इंसान के दिल में अपने देश के लिए प्यार नहीं है, उसका दिल पत्थर जैसा कठोर है। ऐसा जीवन जिसमें देश के लिए जोश और उत्साह न हो, वह जीवन व्यर्थ है, उसका कोई मूल्य नहीं है।

स्वदेश Chapter Notes | Chapter Notes For Class 8

प्रसंग 2

जो चल न सका संसार-संग,
उसका होता संसार नहीं।
जिसने साहस को छोड़ दिया,
वह पहुँच सकेगा पार नहीं।

व्याख्या: कवि कहता है कि जो व्यक्ति दुनिया की तरक्की और बदलाव के साथ नहीं चलता, वह पीछे रह जाता है और जो साहसी नहीं होता, वह जीवन की कठिनाइयों को पार नहीं कर सकता। साहस और आगे बढ़ने की भावना ज़रूरी है।

प्रसंग 3

जिससे न जाति- उद्धार हुआ,
होगा उसका उद्धार नहीं॥
जो भरा नहीं है भावों से,
बहती जिसमें रस-धार नहीं।
वह हृदय नहीं है पत्थर है,
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।

व्याख्या: यहाँ कवि कहता है कि जो व्यक्ति अपने समाज और देश की भलाई के लिए काम नहीं करता, वह खुद भी कभी सफल नहीं हो सकता। जिस दिल में भावना, ममता और प्यार नहीं है, वह पत्थर की तरह निर्जीव है और खासकर वह हृदय तो निश्चय ही पत्थर है जिसमें अपने देश के लिए प्रेम नहीं है।

प्रसंग 4

जिसकी मिट्टी में उगे बढ़े,
पाया जिसमें दाना-पानी।
माता-पिता बंधु जिसमें,
हैं जिसके राजा-रानी॥

व्याख्या: कवि अपने देश की महानता का वर्णन करते हुए कहता है कि जिस देश की मिट्टी में हम बड़े हुए, जिसमें हमने अन्न और जल पाया, हमारे माता-पिता और रिश्तेदार रहते हैं, और जिसके राजा-रानी हमारे संरक्षक हैं – ऐसा देश हमारा कर्ज़दार नहीं, बल्कि हम उस देश के ऋणी हैं।

प्रसंग 5

जिसने कि खजाने खोले हैं,
नव रत्न दिये हैं लासानी।
जिस पर ज्ञानी भी मरते हैं,
जिस पर है दुनिया दीवानी॥

व्याख्या: कवि कहता है कि हमारा देश भारत ऐसा है जिसने दुनिया को अनगिनत रत्न दिए हैं – जैसे विद्या, संस्कृति, योग, और महान विचारक। यहाँ की सुंदरता और ज्ञान को पूरी दुनिया मानती है और आकर्षित होती है। हमारा देश वास्तव में अद्भुत है।

स्वदेश Chapter Notes | Chapter Notes For Class 8

प्रसंग 6

उस पर है नहीं पसीजा जो,
क्या है वह भू का भार नहीं।
निश्चित है निस्संशय निश्चित,
है जान एक दिन जाने को।

व्याख्या: कवि कहते हैं कि अगर किसी का हृदय अपने महान देश की महानता को देखकर भी नहीं पिघलता, तो वह धरती पर बोझ के समान है। जीवन एक दिन खत्म हो जाएगा, इसलिए जब तक ज़िंदा हैं, हमें अपने देश के लिए कुछ अच्छा करना चाहिए।

प्रसंग 7

है काल- दीप जलता हरदम,
जल जाना है परवानों को ॥
सब कुछ है अपने हाथों में,
क्या तोप नहीं तलवार नहीं।
वह हृदय नहीं है, पत्थर है,
जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं।

व्याख्या: कवि अंत में कहता है कि समय का दीपक हमेशा जलता रहता है, और जो वीर होते हैं, वे उस दीपक की लौ में जलने को तैयार रहते हैं (अर्थात बलिदान को तैयार रहते हैं)। हमारे पास सब कुछ है – शक्ति, साहस और हथियार भी। फिर भी यदि किसी के दिल में देश के लिए प्रेम नहीं है, तो वह दिल पत्थर है।

स्वदेश Chapter Notes | Chapter Notes For Class 8

कविता से शिक्षा

इस कविता से हमें सिखाई जाती है कि हमें अपने देश से सच्चा प्रेम करना चाहिए। जिस दिल में देशभक्ति नहीं है, वह पत्थर जैसा है। जो देश के लिए कुछ नहीं करता, उसका जीवन बेकार है। जिस मिट्टी ने हमें सब कुछ दिया – भोजन, परिवार, संस्कार – उसके लिए हमें सम्मान और भाव होना चाहिए। हमें डरना नहीं चाहिए, बल्कि साहस से देश की सेवा करनी चाहिए। इस कविता की मुख्य शिक्षा है कि सच्चा नागरिक वही है जो अपने देश से प्रेम करता है और उसके लिए कुछ करता है।

शब्दार्थ

  • स्वदेश: अपना देश
  • हृदय: दिल, मन
  • जोश: उत्साह, उमंग
  • साहस: हिम्मत
  • उद्धार: सुधार या मुक्ति
  • रस-धार: भावना की बहती धारा
  • लासानी: अनुपम, जिसकी कोई तुलना न हो
  • पसीजा: दया या भावना से पिघलना
  • परवाना: दीपक पर जान देने वाला कीट, प्रेमी
  • तलवार: एक तेज़ धार वाला युद्ध-हथियार
The document स्वदेश Chapter Notes | Chapter Notes For Class 8 is a part of the Class 8 Course Chapter Notes For Class 8.
All you need of Class 8 at this link: Class 8
103 docs

FAQs on स्वदेश Chapter Notes - Chapter Notes For Class 8

1. कविता का परिचय क्या है?
Ans. कविता का परिचय उसके भाव, भाषा और शिल्प के माध्यम से होता है। यह एक साहित्यिक रूप है जो विचारों और भावनाओं को सुंदरता और लय के साथ व्यक्त करता है। कविता में रचनात्मकता, कल्पना और गहन भावनाओं का समावेश होता है, जिससे पाठक को एक अलग अनुभव मिलता है।
2. कविता का सार क्या होता है?
Ans. कविता का सार उसके मुख्य विचार या संदेश को दर्शाता है। यह उस भावना या स्थिति को संक्षेप में प्रस्तुत करता है जिसे कवि अपने शब्दों के माध्यम से व्यक्त करना चाहता है। सार कविता के गहन अर्थ और उसके पीछे के भावनात्मक तत्वों को उजागर करता है, जिससे पाठक को उसके संबंध में सोचने का अवसर मिलता है।
3. कविता की व्याख्या कैसे की जाती है?
Ans. कविता की व्याख्या उसके शब्दों, प्रतीकों, और शिल्प का गहन अध्ययन करने से की जाती है। इसमें कविता के संदर्भ, भाव, और कवि की दृष्टि को समझना शामिल होता है। पाठक को यह देखना होता है कि कविता में कौन से तत्व उसे प्रभावित कर रहे हैं और कवि किस संदेश को पहुँचाने का प्रयास कर रहा है।
4. कविता से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
Ans. कविता से हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं, मानवीय भावनाओं, और अनुभवों की गहरी समझ मिलती है। यह हमें प्रेरित करती है, सोचने पर मजबूर करती है, और हमारी संवेदनाओं को जागृत करती है। कविता हमें यह सिखाती है कि कैसे हम अपने विचारों और भावनाओं को अभिव्यक्त कर सकते हैं तथा समाज की वास्तविकताओं को समझ सकते हैं।
5. कविता के शब्दार्थ का महत्व क्या है?
Ans. कविता के शब्दार्थ का महत्व इसलिए है क्योंकि यह शब्दों के गहरे अर्थ और भावनाओं को समझने में मदद करता है। सही शब्दार्थ से पाठक को कविता का वास्तविक भाव और उसकी गहराइयों को समझने में सहायता मिलती है। यह कविता के भावार्थ को स्पष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिससे पाठक को कविता का सही अनुभव हो सके।
Related Searches

Extra Questions

,

स्वदेश Chapter Notes | Chapter Notes For Class 8

,

Previous Year Questions with Solutions

,

practice quizzes

,

past year papers

,

Important questions

,

video lectures

,

स्वदेश Chapter Notes | Chapter Notes For Class 8

,

shortcuts and tricks

,

MCQs

,

स्वदेश Chapter Notes | Chapter Notes For Class 8

,

Semester Notes

,

study material

,

Summary

,

Free

,

mock tests for examination

,

Objective type Questions

,

Exam

,

ppt

,

Viva Questions

,

Sample Paper

,

pdf

;