Table of contents |
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कविता परिचय |
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कविता का सार |
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कविता की व्याख्या |
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कविता से शिक्षा |
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शब्दार्थ |
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यह कविता "किरन" प्रसिद्ध कवि निरंकार देव सेवक जी ने लिखी है। इसमें सूरज की किरण को एक प्यारे दोस्त की तरह दिखाया गया है, जो सुबह-सुबह जल्दी आ जाता है। कविता में एक बच्ची और किरन के बीच की मजेदार और प्यारी बातचीत दिखाई गई है। यह कविता हमें प्रकृति की सुंदरता और कल्पना की दुनिया में ले जाती है।
यह कविता एक छोटी लड़की और सूरज की किरण (किरन) के बीच की मजेदार और प्यारी बातचीत की कहानी है। लड़की हैरान है कि उसका दोस्त किरण सुबह इतनी जल्दी कैसे आ गया, जबकि वह खुद अभी बिस्तर से उठी भी नहीं है। वह बताती है कि कल उसने किरण के साथ दिनभर खूब खेल खेले, लेकिन जब सूरज डूबा और किरण चली गई, तो वह अकेली रह गई और उसे नींद नहीं आई।
किरण जवाब देती है कि वह सोती नहीं है! जब यहाँ रात होती है, तो वह पृथ्वी के दूसरे हिस्से में जाती है, जहाँ वह वहाँ के बच्चों को सुबह जगाती है। फिर, जब वहाँ शाम होती है, तो वह वापस यहाँ लौट आती है। यह कविता हमें सिखाती है कि सूरज की किरणें पृथ्वी के घूमने की वजह से दिन-रात बनाती हैं और हमेशा मेहनत से काम करती हैं।
अरी किरन तू उठकर इतनी
जल्दी आज चली आई।
मैं तो बिस्तर में से अपने
अब तक निकल नहीं पाई।
व्याख्या: बच्ची अपनी दोस्त जैसी सूरज की किरण से कहती है, "अरे किरण, तुम तो सुबह इतनी जल्दी आ गई!" लेकिन वह खुद अभी तक बिस्तर से उठ नहीं पाई। उसे आश्चर्य होता है कि सूरज की किरण हर दिन इतनी जल्दी कैसे आ जाती है। यह इसलिए होता है, क्योंकि सूरज हर सुबह समय पर उगता है और अपनी किरणों को धरती पर भेजता है।
कल तो तेरे साथ शाम तक
खेल बहुत से खेली मैं।
पर जब तू चल दी सोने को
तो रह गई अकेली मैं।
व्याख्या: बच्ची कहती है कि कल उसने अपनी दोस्त किरण के साथ दिनभर खूब खेल खेले। लेकिन जब शाम हुई और सूरज डूब गया, तो किरण चली गई और बच्ची अकेली रह गई। उसे अकेलापन महसूस हुआ। यह दर्शाता है कि सूरज हर शाम डूबता है, जिससे रात शुरू होती है।
तू सुख से सोई होगी पर
मुझको नींद नहीं आई।
परी कथाएँ पढ़ते-पढ़ते
बड़ी देर में सो पाई।
व्याख्या: बच्ची सोचती है कि किरण शायद चैन से सो गई होगी। लेकिन वह खुद रात तक अपनी पसंदीदा परी कथाओं की किताबें पढ़ती रही, जिससे उसे बहुत देर बाद नींद आई। उसे लगता है कि किरण सो रही है, पर यह उसकी कल्पना है, क्योंकि सूरज की किरणें वास्तव में सोती नहीं हैं।
कहने लगी किरन यह सुनकर
मैं ही कब सो पाती हूँ।
तुम्हें सुलाकर एक दूसरी
दुनिया में मैं जाती हूँ।
व्याख्या: किरण बच्ची से कहती है, "मैं तो कभी सोती नहीं!" जब यहाँ रात होती है और तुम सो जाते हो, तब मैं पृथ्वी के दूसरे हिस्से में चली जाती हूँ, जहाँ उस समय सुबह होती है। यह इसलिए होता है, क्योंकि पृथ्वी घूमती है, और सूरज की किरणें हर जगह बारी-बारी से पहुँचती हैं।
बच्चे जो बिस्तर में सोए
होते, उन्हें जगाती हूँ।
वहाँ शाम हो जाती है तो
लौट यहाँ फिर आती हूँ।
व्याख्या: किरण बताती है कि वह पृथ्वी के दूसरे हिस्से में जाती है और वहाँ सो रहे बच्चों को अपनी चमक से सुबह जगाती है। जब वहाँ शाम होती है, तो वह वापस यहाँ लौट आती है, ताकि तुम्हें फिर से सुबह जगा सके। यह सब पृथ्वी के घूमने की वजह से होता है, जिससे दिन और रात बनते हैं।
इस कविता से हमें यह सीख मिलती है कि समय बहुत कीमती होता है। सूरज की किरण समय पर आती है, अपना काम करती है और फिर दूसरी जगह चली जाती है। हमें भी समय का सही उपयोग करना चाहिए। हमें सुबह जल्दी उठकर अपना दिन अच्छे कामों में लगाना चाहिए। यह कविता हमें यह भी सिखाती है कि किरण (प्रकाश) सभी बच्चों को जगाने और रोशनी फैलाने के लिए मेहनत करती है। हमें भी मेहनती और समय के पाबंद बनना चाहिए।
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1. कविता का परिचय क्या है? | ![]() |
2. कविता का सार क्या होता है? | ![]() |
3. कविता की व्याख्या कैसे की जाती है? | ![]() |
4. कविता का प्रसंग क्या होता है? | ![]() |
5. कविता से हमें क्या शिक्षा मिलती है? | ![]() |