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चाँद का कुरता Chapter Notes | Hindi Class 5 वीणा - New NCERT PDF Download

कविता का परिचय

यह कविता प्रसिद्ध कवि रामधारी सिंह दिनकर जी ने लिखी है। इस कविता में चाँद को एक नन्हा बच्चा दिखाया गया है, जो ठंड से परेशान होकर अपनी माँ से ऊन का मोटा कुरता सिलवाने की ज़िद करता है। माँ उसे प्यार से समझाती है कि कुरता कैसे सिले, क्योंकि चाँद तो कभी छोटा होता है, कभी बड़ा और कभी दिखाई ही नहीं देता। इसलिए उसका नाप लेना बहुत मुश्किल है। यह कविता बहुत ही सरल, मज़ेदार और कल्पना से भरी है। इसमें चाँद को बच्चे जैसा बनाकर, ठंड और आकार बदलने की बात को मज़ेदार तरीके से बताया गया है।

चाँद का कुरता Chapter Notes | Hindi Class 5 वीणा - New NCERT

कविता का सार

यह कविता चाँद और उसकी माँ के बीच की प्यारी बातचीत को दिखाती है। एक दिन चाँद अपनी माँ से कहता है कि वह बहुत ठंड महसूस करता है क्योंकि रात को तेज हवा चलती है। इसलिए वह माँ से एक मोटा ऊनी कुरता सिलवाने की ज़िद करता है।

चाँद का कुरता Chapter Notes | Hindi Class 5 वीणा - New NCERT

माँ उसकी बात सुनकर प्यार से कहती है कि भगवान तुम्हारी रक्षा करें, लेकिन एक परेशानी है – तुम्हारी नाप कौन ले? कभी तुम छोटे दिखते हो, कभी बड़े। कभी पतले, तो कभी मोटे। कभी तो तुम बिल्कुल दिखते ही नहीं। रोज़-रोज़ बदलते रहते हो, तो फिर एक ही नाप का कुरता कैसे सिला जाए?

इस कविता में हँसी और प्यार के साथ यह समझाया गया है कि चाँद की आकृति हर दिन बदलती है, इसलिए उसके लिए एक नाप का कुरता बनाना असंभव है।

कविता की व्याख्या

प्रसंग 1

हठ कर बैठा चाँद एक दिन, माता से यह बोला,  
“सिलवा दो माँ, मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला।  
सन-सन चलती हवा रात भर, जाड़े से मरता हूँ,  
ठिठुर-ठिठुरकर किसी तरह यात्रा पूरी करता हूँ।

व्याख्या: एक दिन चाँद, एक जिद्दी बच्चे की तरह, अपनी माँ से कहता है कि उसे रात में बहुत ठंड लगती है। तेज "सन-सन" हवा चलती है, जिससे वह ठिठुरता रहता है। वह माँ से ऊन का मोटा झिंगोला (गरम कुरता) सिलवाने की ज़िद करता है, ताकि ठंड से बचा रहे और आसमान में अपनी रात की यात्रा आराम से पूरी कर सके।

चाँद का कुरता Chapter Notes | Hindi Class 5 वीणा - New NCERT

प्रसंग 2

आसमान का सफर और यह मौसम है जाड़े का,  
न हो अगर तो ला दो कुरता ही कोई भाड़े का।"  
बच्चे की सुन बात कहा माता ने, "अरे सलोने !  
कुशल करें भगवान, लगें मत तुझको जादू-टोने।

व्याख्या: चाँद कहता है कि उसे सर्दियों के मौसम में आसमान में लंबा सफर करना पड़ता है, इसलिए उसे गरम कपड़ा चाहिए। अगर नया झिंगोला नहीं बन सकता, तो कोई किराए का या उधार का कुरता ही ला दो। माँ उसकी बात सुनकर प्यार से कहती है, "अरे मेरे सलोने बेटे! भगवान तुझे नजर से बचाए, कहीं तुझ पर जादू-टोना न हो जाए।" वह मजाक में उसकी ज़िद को हल्का करती है।

चाँद का कुरता Chapter Notes | Hindi Class 5 वीणा - New NCERT

प्रसंग 3

जाड़े की तो बात ठीक है, पर मैं तो डरती हूँ,  
एक नाप में कभी नहीं तुझको देखा करती हूँ।  
कभी एक अंगुल-भर चौड़ा, कभी एक फुट मोटा,  
बड़ा किसी दिन हो जाता है और किसी दिन छोटा।

व्याख्या: माँ कहती है कि ठंड की बात तो ठीक है, लेकिन मुझे चिंता इस बात की है कि तुम्हारा आकार कभी एक जैसा नहीं रहता। मैंने तुम्हें कभी एक नाप में नहीं देखा। कभी तुम एक अंगुल जितने छोटे दिखते हो, तो कभी एक फुट जितने बड़े। कोई दिन तुम बहुत छोटे तो कोई दिन बहुत बड़े हो जाते हो। ऐसे में तुम्हारी सही नाप कैसे लूँ?

प्रसंग 4

घटता-बढ़ता रोज किसी दिन ऐसा भी करता है,  
नहीं किसी की भी आँखों को दिखलाई पड़ता है।  
अब तू ही तो बता, नाप तेरी किस रोज लिवाएँ,  
सी दें एक झिंगोला जो हर रोज बदन में आए?"

व्याख्या: माँ कहती है कि तुम तो रोज घटते-बढ़ते हो, और कभी-कभी तो बिल्कुल दिखाई ही नहीं देते, जैसे अमावस्या में। अब तू ही बता, तुम्हारी नाप किस दिन लें? अगर तुम्हारा आकार ही रोज बदलता है, तो ऐसा झिंगोला (कुरता) कैसे सिलवाया जाए जो तुम्हारे बदन में हर रोज फिट हो?

चाँद का कुरता Chapter Notes | Hindi Class 5 वीणा - New NCERT

कविता से शिक्षा

यह कविता हमें यह सिखाती है कि हर चीज़ को मापकर, सोच-समझकर और सही समय पर करना चाहिए। चाँद की तरह अगर कोई हर दिन बदलता रहे — कभी बड़ा, कभी छोटा, तो उसके लिए सही चीज़ बनाना बहुत मुश्किल हो जाता है। इससे हमें यह भी समझ में आता है कि अगर हम अपने कामों में स्थिर नहीं रहेंगे और हर दिन अपना मन बदलते रहेंगे, तो न तो कोई हमारी मदद कर पाएगा और न ही कोई काम ठीक से हो पाएगा। इसलिए हमें खुद में थोड़ा स्थिर और समझदार बनना चाहिए।

शब्दार्थ

  • हठ: ज़िद
  • झिंगोला: ऊन से बना मोटा कपड़ा या कुरता
  • सन-सन: हवा चलने की आवाज़
  • ठिठुर-ठिठुरकर: ठंड से काँपते हुए
  • जाड़ा: सर्दी
  • भाड़े का: किराए का
  • सलोने: सुंदर, प्यारे
  • कुशल करें भगवान: भगवान रक्षा करें
  • जादू-टोने: तंत्र-मंत्र
  • नाप: माप
  • अंगुल: उंगली की चौड़ाई
  • फुट: लंबाई मापने की इकाई
  • घटता-बढ़ता: कभी छोटा, कभी बड़ा होना
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FAQs on चाँद का कुरता Chapter Notes - Hindi Class 5 वीणा - New NCERT

1. "चाँद का कुरता" कविता किस विषय पर आधारित है?
Ans."चाँद का कुरता" कविता चाँद की सुंदरता और उसकी विशेषताओं के बारे में है। इसमें चाँद को विभिन्न रूपों और रंगों में दर्शाया गया है, और यह बताता है कि चाँद रात के आकाश में कितना आकर्षक और मनमोहक है।
2. "चाँद का कुरता" कविता के लेखक कौन हैं?
Ans."चाँद का कुरता" कविता के लेखक सुभाष नीरव हैं। वह बच्चों के लिए सरल और प्रभावशाली कविताएँ लिखने के लिए जाने जाते हैं, जो बच्चों की कल्पना और संवेदनाओं को जगाती हैं।
3. इस कविता से बच्चों को क्या शिक्षा मिलती है?
Ans. इस कविता से बच्चों को यह शिक्षा मिलती है कि प्रकृति में सुंदरता है और हमें इसे देखकर आनंद लेना चाहिए। साथ ही, यह भी सिखाती है कि हमें अपनी कल्पना का उपयोग करना चाहिए और अपने चारों ओर के वातावरण की सराहना करनी चाहिए।
4. "चाँद का कुरता" कविता का सार क्या है?
Ans. "चाँद का कुरता" कविता का सार यह है कि चाँद की सुंदरता और उसकी अनोखी विशेषताएँ हमें आकर्षित करती हैं। कविता में चाँद को एक कुरते के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो उसकी चमक और रंगीनता को दर्शाता है।
5. इस कविता की व्याख्या कैसे की जा सकती है?
Ans. इस कविता की व्याख्या इस प्रकार की जा सकती है कि चाँद केवल एक खगोलीय वस्तु नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन में खुशियों और सपनों का प्रतीक भी है। कविता में चाँद की परिकल्पना करते समय लेखक ने उसके विभिन्न रंगों और आकारों के माध्यम से उसकी सुंदरता को उजागर किया है।
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