Class 8 Exam  >  Class 8 Notes  >  Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT  >  NCERT Solutions: हरिद्वार

हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT PDF Download

Table of contents
पाठ से
मिलकर करें मिलान
मिलकर करें चयन
पंक्तियों पर चर्चा
सोच-विचार के लिए
अनुमान और कल्पना से
लिखें संवाद
'है' और 'हैं' का उपयोग
भावों की पहचान
काल की पहचान
पत्र की रचना
पत्र
शब्द से जुड़े शब्द
लेखन के अनोखे तरीके
पाठ से आगे
प्रकृति का सौंदर्य और संरक्षण
स्वास्थ्य और योग
सज्जन वृक्ष
अपने शब्द
यात्रा के व्यय की गणना
यात्रा सबके लिए
आज की पहेली
खोजबीन के लिए

पाठ से

मेरी समझ से

नीचे दिए गए प्रश्नों के सही उत्तर के सामने तारा (*) लगाया गया है। प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के साथ सरल भाषा में व्याख्या दी गई है, जो कक्षा 8 के छात्रों के लिए समझने में आसान होगी।

1. "सज्जन ऐसे कि पत्थर मारने से फल देते हैं" का क्या अर्थ है?

  • लेखक के अनुसार सज्जन लोग बिना पूछे स्वादिष्ट रसीले फल देते हैं।
  • लेखक फलदार वृक्षों की उदारता को मानवीय रूप में व्यक्त कर रहे हैं। *
  • लेखक का मानना था कि हरिद्वार के सभी दुकानदार बहुत सज्जन थे।
  • लेखक को पत्थर मारकर पके हुए फल तोड़कर खाना पसंद था।

उत्तर: लेखक फलदार वृक्षों की उदारता को मानवीय रूप में व्यक्त कर रहे हैं।

भारतेंदु ने हरिद्वार के वृक्षों की तुलना सज्जन (अच्छे) लोगों से की है। जैसे सज्जन लोग बुराई के बदले भी अच्छाई करते हैं, वैसे ही ये वृक्ष पत्थर मारने पर भी फल देते हैं। यहाँ वे वृक्षों की उदारता को मानवीय गुणों से जोड़ रहे हैं, न कि दुकानदारों या फल तोड़ने की बात कर रहे हैं।

2. "वैराग्य और भक्ति का उदय होता था" इस कथन से लेखक का कौन-सा भाव प्रकट होता है?

  • शारीरिक थकान और मानसिक बेचैनी
  • आर्थिक संतोष और मानसिक विकास
  • मानसिक शांति और आध्यात्मिक अनुभव *
  • सामाजिक सद्भाव और पारिवारिक प्रेम

उत्तर: मानसिक शांति और आध्यात्मिक अनुभव

वैराग्य (दुनिया से दूरी) और भक्ति (ईश्वर के प्रति प्रेम) का मतलब है कि लेखक को हरिद्वार में शांति और आध्यात्मिक (धार्मिक) अनुभव हुआ। गंगा और प्रकृति की सुंदरता ने उनके मन को शांत और ईश्वर के करीब किया, न कि थकान या सामाजिक प्रेम की भावना दी।

3. "पत्थर पर का भोजन का सुख सोने की थाल से बढ़कर था" इस वाक्य का सर्वाधिक उपयुक्त निष्कर्ष क्या है?

  • संतुष्टि में सुख होता है। *
  • सुखी लोग पत्थर पर भोजन करते हैं।
  • लेखक के पास सोने की थाली नहीं थी।
  • पत्थर पर रखा भोजन अधिक स्वादिष्ट होता है।

उत्तर: संतुष्टि में सुख होता है।

लेखक कहते हैं कि गंगा के किनारे पत्थर पर भोजन करने का सुख सोने की थाली से भी ज्यादा था। इसका मतलब है कि सादगी और प्रकृति के बीच मिलने वाली संतुष्टि (खुशी) सबसे बड़ी होती है, न कि भोजन स्वादिष्ट था या सोने की थाली की कमी थी।

4. "एक दिन मैंने श्री गंगा जी के तट पर रसोई करके पत्थर ही पर जल के अत्यंत निकट परोसकर भोजन किया।" यह प्रसंग किस मूल्य को बढ़ावा देता है?

  • अंधविश्वास और लालच
  • मानवता और देशप्रेम
  • सादगी और आत्मनिर्भरता *
  • स्वच्छता और प्रकृति प्रेम *

उत्तर: सादगी और आत्मनिर्भरता, स्वच्छता और प्रकृति प्रेम

लेखक ने खुद खाना बनाकर सादगी से गंगा के पास बैठकर खाया – यह सादगी और स्वावलंबन (आत्मनिर्भरता) को दिखाता है। साथ ही, उन्होंने प्रकृति के पास रहकर स्वच्छ वातावरण में भोजन किया – यह प्रकृति प्रेम और स्वच्छता को भी बढ़ावा देता है।

5. लेखक का हरिद्वार अनुभव मुख्यतः किस प्रकार का था?

  • राजनीतिक
  • आध्यात्मिक *
  • सामाजिक
  • प्राकृतिक *

उत्तर: आध्यात्मिक

हरिद्वार की सुंदरता (प्राकृतिक अनुभव) और वहाँ मिली शांति, भक्ति और ज्ञान (आध्यात्मिक अनुभव) – दोनों ही लेखक के अनुभव का मुख्य भाग हैं।

6. पत्र की भाषा का एक मुख्य लक्षण क्या है?

  • कठिन शब्दों का प्रयोग और बोझिलता
  • मुहावरों का अधिक प्रयोग
  • सरलता और चित्रात्मकता *
  • जटिलता और संक्षिप्तता

उत्तर: सरलता और चित्रात्मकता

लेखक ने अपने अनुभवों को ऐसे लिखा है कि पढ़ने वाले के मन में चित्र बन जाएँ। भाषा सरल और भावों से भरी हुई है।

(ख) हो सकता है कि आपके समूह के साथियों ने अलग-अलग उत्तर चुने हों। अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर: 

  1. हमने यह उत्तर इसलिए चुने क्योंकि लेखक ने वृक्षों की उदारता की तुलना सज्जनों से की है, जो बिना किसी स्वार्थ के फल देते हैं।
  2. "वैराग्य और भक्ति" जैसे शब्द बताते हैं कि लेखक आध्यात्मिक भावों से भर गया था।
  3. "पत्थर पर भोजन" का वर्णन यह स्पष्ट करता है कि सच्चा सुख साधनों में नहीं, संतोष में होता है।
  4. गंगा के तट पर भोजन करना सादगी, प्रकृति के प्रति प्रेम और आत्मीयता को दर्शाता है।
  5. पूरी यात्रा-वृत्तांत में प्रकृति, आध्यात्मिकता और भक्ति का वर्णन प्रमुख है, इसलिए यह अनुभव आध्यात्मिक और प्राकृतिक दोनों था।
  6. पत्र की भाषा में सरलता और चित्रात्मकता है, जिससे पाठक दृश्य को कल्पना में देख सकते हैं।

मिलकर करें मिलान

पाठ से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। आपस में चर्चा कीजिए और इनके उपयुक्त संदर्भों से इनका मिलान कीजिए-
हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERTउत्तर: 
हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT

मिलकर करें चयन

(क) पाठ से चुनकर कुछ वाक्य नीचे दिए गए हैं। प्रत्येक वाक्य के सामने दो-दो निष्कर्ष दिए गए हैं- एक सही और एक भ्रामक। अपने समूह में इन पर विचार कीजिए और उपयुक्त निष्कर्ष पर सही का चिह्न लगाइए।
हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT

हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT

उत्तर: 

हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT

हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT

पंक्तियों पर चर्चा

पाठ से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और लिखिए।

(क) “यहाँ की कुशा सबसे विलक्षण होती है जिसमें से दालचीनी, जावित्री इत्यादि की अच्छी सुगंध आती है। मानो यह प्रत्यक्ष प्रगट होता है कि यह ऐसी पुण्यभूमि है कि यहाँ की घास भी ऐसी सुगंधमय है।"
उत्तर: 

  • अर्थ: भारतेंदु कहते हैं कि हरिद्वार की कुशा (एक विशेष प्रकार की घास, जो पूजा में उपयोग होती है) बहुत अनोखी है। इसकी खुशबू दालचीनी और जावित्री जैसी मसालों की तरह शानदार है। वे कहते हैं कि यह दिखाता है कि हरिद्वार इतनी पवित्र जगह है कि यहाँ की साधारण घास भी सुगंधित और खास है।
  • विचार: यह पंक्ति हरिद्वार की पवित्रता और खासियत को दर्शाती है। लेखक बताते हैं कि इस तीर्थस्थल की हर चीज़, यहाँ तक कि घास भी, सामान्य नहीं है। यहाँ की प्रकृति में एक विशेष आध्यात्मिक शक्ति है, जो हर चीज़ को सुंदर और पवित्र बनाती है। मुझे लगता है कि लेखक यह कहना चाहते हैं कि हरिद्वार की पवित्रता इतनी गहरी है कि यहाँ की छोटी-छोटी चीज़ें भी असाधारण हो जाती हैं। यह हमें सिखाता है कि पवित्र स्थानों का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि वहाँ की हर चीज़ में कुछ खास होता है।
  • समूह में साझा करने के लिए: मैं अपने दोस्तों से कहूँगा कि यह पंक्ति दिखाती है कि हरिद्वार की प्रकृति और आध्यात्मिकता कितनी खास है। हम इस पर चर्चा कर सकते हैं कि क्या हमने कभी ऐसी जगह देखी है, जहाँ की साधारण चीज़ें भी खास लगी हों, जैसे कोई मंदिर या नदी।

(ख) “अहा! इनके जन्म भी धन्य हैं जिनसे अर्थी विमुख जाते ही नहीं। फल, फूल, गंध, छाया, पत्ते, छाल, बीज, लकड़ी और जड़; यहाँ तक कि जले पर भी कोयले और राख से लोगों का मनोर्थ पूर्ण करते हैं।"
उत्तर: 

  • अर्थ: भारतेंदु हरिद्वार के वृक्षों की तारीफ करते हैं और कहते हैं कि इनका जन्म धन्य है, क्योंकि ये हमेशा लोगों की मदद करते हैं। ये वृक्ष फल, फूल, खुशबू, छाया, पत्ते, छाल, बीज, लकड़ी, और जड़ देते हैं। यहाँ तक कि जलने के बाद भी उनकी राख और कोयला लोगों के लिए उपयोगी होता है। कोई भी इनसे खाली हाथ नहीं लौटता।
  • विचार: यह पंक्ति वृक्षों की उदारता और हरिद्वार की प्राकृतिक सुंदरता को दर्शाती है। लेखक वृक्षों को ऐसे लोगों की तरह देखते हैं, जो बिना स्वार्थ के सब कुछ दे देते हैं। मुझे लगता है कि यह हमें प्रकृति का सम्मान करना और उसकी कीमत समझना सिखाता है। यह पंक्ति यह भी बताती है कि हरिद्वार की प्रकृति पवित्र और उपयोगी है, जो लोगों की हर जरूरत पूरी करती है। यह हमें यह भी सोचने पर मजबूर करता है कि हमें भी दूसरों की मदद बिना स्वार्थ के करनी चाहिए, जैसे ये वृक्ष करते हैं।
  • समूह में साझा करने के लिए: मैं अपने दोस्तों से कहूँगा कि यह पंक्ति वृक्षों की उदारता को दिखाती है और हमें सिखाती है कि हमें भी दूसरों की मदद करनी चाहिए। हम इस पर चर्चा कर सकते हैं कि प्रकृति हमारी कैसे मदद करती है और हम उसका ख्याल कैसे रख सकते हैं।

सोच-विचार के लिए

पाठ को पुनः ध्यान से पढ़िए, पता लगाइए और लिखिए।

(क) “और संपादक महाशय, मैं चित्त से तो अब तक वहीं निवास करता हूँ..."
लेखक का यह वाक्य क्या दर्शाता है? क्या आपने कभी किसी स्थान को छोड़कर ऐसा अनुभव किया है? कब-कब?
(संकेत - किसी स्थान से लौटने के बाद भी उसी के विषय में सोचते रहना)

उत्तर: इस वाक्य से पता चलता है कि लेखक का मन हरिद्वार की पवित्रता, शांति और सुंदरता से इतना प्रभावित हुआ कि वह वहाँ से लौटने के बाद भी मन से वहीं बना रहा। उसका मन हरिद्वार की यादों में ही बसा रहा।
मेरी अनुभूति: हाँ, मुझे भी ऐसा अनुभव हुआ है। जब मैं किसी सुंदर जगह जैसे पहाड़ों या किसी शांत गाँव से लौटती हूँ, तो कई दिन तक वहीं की बातें, लोग, दृश्य और अनुभव मन में चलते रहते हैं। ऐसा लगा जैसे मैं वहाँ से लौटी ही नहीं।

(ख) “पंडे भी यहाँ बड़े विलक्षण संतोषी हैं। एक पैसे को लाख करके मान लेते हैं।"
लेखक का यह कथन आज के समाज में कितना सच है? क्या अब भी ऐसे संतोषी लोग मिलते हैं? अपने विचार उदाहरण सहित लिखिए।

उत्तर: इस कथन का अर्थ है कि वहाँ के पंडे लालच नहीं करते, वे कम में भी खुश रहते हैं।
आज के समय में ऐसा व्यवहार बहुत कम देखने को मिलता है। आज कई लोग अधिक पैसा कमाने की होड़ में रहते हैं। फिर भी कुछ लोग आज भी संतोषी होते हैं – जैसे गाँवों के कुछ दुकानदार या मंदिरों के पुजारी, जो कम में भी खुश रहते हैं और सेवा भाव रखते हैं।
उदाहरण: मेरे गाँव के पास एक मंदिर के पुजारी हैं, जो केवल भक्ति से पूजा कराते हैं और दान में जो भी मिले, उसी से संतुष्ट रहते हैं। ऐसे लोग आज भी समाज में हैं, पर बहुत कम।

(ग) “मैं दीवान कृपा राम के घर के ऊपर के बंगले पर टिका था। यह स्थान भी उस क्षेत्र में टिकने योग्य ही है।"
आपके विचार से लेखक ने उस स्थान को 'टिकने योग्य' क्यों कहा है? उस स्थान में कौन-कौन सी विशेषताएँ होंगी जो उसे 'टिकने योग्य' बनाती होंगी?
(संकेत - केवल आराम, सुविधा या कोई और कारण भी।)

उत्तर: लेखक ने इस स्थान को 'टिकने योग्य' इसलिए कहा क्योंकि वहाँ चारों ओर से शीतल हवा आती थी, स्थान शांत था, आरामदायक था और वहाँ से हरिद्वार की सुंदरता का आनंद लिया जा सकता था।
अनुमानित विशेषताएँ:

  • वहाँ प्राकृतिक वातावरण था।
  • गर्मी या भीड़ नहीं थी।
  • शांत, सुरक्षित और स्वच्छ स्थान था।
  • मन को प्रसन्न करने वाला वातावरण था।

इसलिए लेखक को वहाँ ठहरना अच्छा लगा।

(घ) “फल, फूल, गंध, छाया, पत्ते, छाल, बीज, लकड़ी और जड़; यहाँ तक कि जले पर भी कोयले और राख से लोगों का मनोर्थ पूर्ण करते हैं।"
इस वाक्य के माध्यम से आपको वृक्षों के महत्व के बारे में कौन-कौन सी बातें सूझ रही हैं?

उत्तर: इस वाक्य से वृक्षों की उपयोगिता और उदारता का पता चलता है। पेड़ जीवन भर और मृत्यु के बाद भी लोगों की मदद करते हैं। वे बिना कुछ माँगे फल, फूल, छाया देते हैं। यहाँ तक कि जब पेड़ जल जाते हैं, तब भी उनकी राख और कोयले से लोग लाभ उठाते हैं।
मेरी समझ: यह हमें सिखाता है कि हमें भी वृक्षों की तरह निःस्वार्थ सेवा करनी चाहिए और प्रकृति का आदर करना चाहिए। वृक्ष सच्चे सज्जन और समाज के सेवक होते हैं।

अनुमान और कल्पना से

(क) "यह भूमि तीन ओर सुंदर हरे-हरे पर्वतों से घिरी है।"
कल्पना कीजिए कि आप हरिद्वार में हैं। आप वहाँ क्या-क्या करना चाहेंगे?

उत्तर: यदि मैं हरिद्वार में हूँ, जहाँ हरे-भरे पहाड़ हैं, तो मैं ये चीज़ें करना चाहूँगा:

  • गंगा में स्नान: मैं हरि की पैड़ी पर जाकर गंगा में स्नान करूँगा, क्योंकि यह पवित्र और ठंडा जल मेरे मन को शांति देगा।
  • पहाड़ों पर सैर: मैं हरे-भरे पर्वतों पर चढ़कर प्रकृति की सुंदरता देखूँगा, जैसे चहचहाते पक्षी और लहलहाती वनस्पतियाँ।
  • मंदिर दर्शन: मैं चण्डिका देवी मंदिर और विल्वेश्वर महादेव मंदिर जाऊँगा, ताकि वहाँ की आध्यात्मिक शांति का अनुभव कर सकूँ।
  • गंगा आरती: मैं शाम को हरि की पैड़ी पर गंगा आरती देखूँगा, क्योंकि दीयों की रोशनी और भक्ति का माहौल बहुत सुंदर होता है।
  • प्रकृति का आनंद: मैं गंगा के किनारे बैठकर ठंडी हवा और पानी की आवाज़ का मज़ा लूँगा, जैसे भारतेंदु ने अपने अनुभव में बताया। 

(ख) “जल के छलके पास ही ठंढे-ठंढे आते थे।"
कल्पना कीजिए कि आप गंगा के तट पर हैं और पानी के छींटे आपके मुँह पर आ रहे हैं। अपने अनुभवों को अपनी कल्पना से लिखिए।

उत्तर: मैं गंगा के तट पर हरि की पैड़ी के पास बैठा हूँ। गंगा का ठंडा, साफ़ पानी बह रहा है, और उसकी छोटी-छोटी लहरें मेरे पास आकर छींटे मार रही हैं। पानी के ये छींटे मेरे चेहरे पर पड़ते हैं, जो इतने ठंडे और ताज़ा हैं कि मुझे गर्मी और थकान भूल जाती है। हल्की हवा चल रही है, जो गंगा के पानी की ठंडक को मेरे पास लाती है। चारों ओर पक्षियों की चहचहाहट और गंगा की कल-कल की आवाज़ सुनाई दे रही है। मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं किसी शांत और पवित्र दुनिया में हूँ। मैं अपने हाथों से पानी छूता हूँ, और उसकी शीतलता मेरे मन को शांति देती है। मैं सोचता हूँ कि गंगा माँ मुझे अपनी गोद में बुला रही हैं। यह अनुभव इतना सुंदर है कि मैं इसे हमेशा याद रखना चाहता हूँ।

(ग) “सज्जन ऐसे कि पत्थर मारने से फल देते हैं।"
यदि पेड़-पौधे सच में मनुष्यों की तरह व्यवहार करने लगें तो क्या होगा?

उत्तर: यदि पेड़-पौधे मनुष्यों की तरह व्यवहार करने लगें, तो दुनिया बहुत रोचक और अलग होगी:

  • बातचीत: पेड़ हमसे बात करेंगे। उदाहरण के लिए, एक बरगद का पेड़ कह सकता है, "मुझे पानी दो, मैं तुम्हें छाया दूँगा!" या कोई फल का पेड़ कहेगा, "मेरे फल खाओ, लेकिन मेरी डालियाँ मत तोड़ो!"
  • उदारता: जैसे भारतेंदु ने कहा, पेड़ सज्जनों की तरह रहेंगे। अगर कोई उन पर पत्थर फेंके, तो वे गुस्सा होने की बजाय और फल दे सकते हैं, जैसे कहें, "तुम्हें और फल चाहिए? लो!"
  • शिकायतें: पेड़ शायद शिकायत करें कि लोग उनकी छाल या लकड़ी काटते हैं। वे कह सकते हैं, "हमें दर्द होता है, कृपया हमें बख्श दो!"
  • पर्यावरण की रक्षा: पेड़ इंसानों को सिखाएँगे कि उनकी देखभाल कैसे करनी है। वे कह सकते हैं, "ज़्यादा पेड़ लगाओ, ताकि हमारा परिवार बढ़े!"

(घ) “यहाँ पर श्री गंगा जी दो धारा हो गई हैं- एक का नाम नील धारा, दूसरी श्री गंगा जी ही के नाम से।" 
इस पाठ में 'गंगा' शब्द के साथ 'श्री' और 'जी' लगाया गया है। आपके अनुसार उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा?

उत्तर: भारतेंदु ने 'गंगा' के साथ 'श्री' और 'जी' का उपयोग इसलिए किया होगा:

  • सम्मान और पवित्रता: गंगा को हिंदू धर्म में माँ और देवी माना जाता है। 'श्री' और 'जी' लगाना गंगा के प्रति सम्मान और उनकी पवित्रता को दर्शाता है। यह दिखाता है कि लेखक गंगा को सिर्फ़ नदी नहीं, बल्कि एक पवित्र शक्ति मानते हैं।
  • आध्यात्मिक भावना: हरिद्वार एक तीर्थस्थल है, और गंगा वहाँ की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है। 'श्री' और 'जी' का उपयोग लेखक की भक्ति और श्रद्धा को व्यक्त करता है।
  • सांस्कृतिक परंपरा: भारत में पवित्र नदियों, जैसे गंगा, यमुना, को सम्मान देने के लिए 'जी' या 'माँ' जैसे शब्द जोड़े जाते हैं। यह हमारी संस्कृति का हिस्सा है।

(ङ) कल्पना कीजिए कि आप हरिद्वार एक श्रवणबाधित या दृष्टिबाधित व्यक्ति के साथ गए हैं। उसकी यात्रा को अच्छा बनाने के लिए कुछ सुझाव दीजिए।
उत्तर: अगर मैं किसी श्रवणबाधित या दृष्टिबाधित मित्र के साथ हरिद्वार गया/गई होता/होती, तो मैं इन बातों का ध्यान रखता/रखती:

  • उन्हें रास्ता सुरक्षित तरीके से दिखाता/दिखाती।
  • हरिद्वार का वातावरण, गंगा की ठंडक, हवा की ताजगी उन्हें स्पर्श से महसूस कराता/कराती।
  • मंदिरों में आरती का कंपन और घंटियों की ध्वनि उन्हें अनुभव करवाता/करवाती।
  • उनके लिए विशेष गाइड या संकेत भाषा (sign language) की मदद लेता/लेती।
  • उन्हें गंगा जल का स्पर्श, फूलों की खुशबू, प्रसाद का स्वाद और चप्पलों की ध्वनि से यात्रा का आनंद दिलवाता/दिलवाती।

लिखें संवाद

(क) “मेरे संग कल्लू जी मित्र भी परमानंदी थे।"
लेखक और कल्लू जी के बीच हरिद्वार यात्रा पर एक काल्पनिक संवाद लिखिए।

उत्तर: 
लेखक: (गंगा जल में हाथ डुबोते हुए) कल्लू जी, देखिए न! इस जल की शीतलता जैसे मन की सारी थकावट दूर कर दे।
कल्लू जी: बिल्कुल! लगता है जैसे गंगा माँ हमें स्वयं स्नेह से बुला रही हैं। कितना शांत, कितना पवित्र वातावरण है!
लेखक: और वह देखिए — सामने के पर्वतों पर कितनी हरियाली है! लगता है जैसे वे हमें आलिंगन दे रहे हों।
कल्लू जी: (मुस्कुराते हुए) यह भूमि सच में पुण्यभूमि है। यहाँ के पेड़-पौधे, जल, हवा — सबमें एक भक्ति की सुगंध है।
लेखक: सही कहा आपने। यहाँ आकर मैं जैसे अपने अंदर उतर गया हूँ। ऐसा लग रहा है, जैसे मेरी आत्मा गंगा में स्नान कर रही है।
कल्लू जी: और संतों का वैराग्य देखिए — धन का लोभ नहीं, केवल संतोष। क्या आजकल ऐसा कहीं देखने को मिलता है?
लेखक: सचमुच, इस यात्रा ने मेरी सोच को बदल दिया है। लगता है जैसे मन को कोई नया रास्ता मिल गया हो।

(ख) "यह भूमि तीन ओर सुंदर हरे-हरे पर्वतों से घिरी है।"
लेखक और प्रकृति के बीच एक कल्पनात्मक संवाद तैयार कीजिए- जैसे पर्वत बोल रहे हों।

उत्तर: 
लेखक: (पर्वतों को निहारते हुए) हे पर्वतों! तुम्हारी ऊँचाई और स्थिरता को देखकर मन श्रद्धा से भर जाता है।
पर्वत: (मुस्कराते हुए) धन्यवाद, पथिक! हम सदियों से यहीं खड़े हैं — स्थिर, शांत और साक्षी।
लेखक: क्या आप कभी थकते नहीं? न गर्मी से, न वर्षा से, न सर्दी से?
पर्वत: नहीं, क्योंकि हमारा काम है सहना और सँभालना। हम धरती की रीढ़ हैं — तुम्हें छाया, हवा, जल और शांति देते हैं।
लेखक: तुम्हारे ऊपर की हरियाली, झरनों की ध्वनि और हवा की गंध — सबकुछ मंत्रमुग्ध कर देता है।
पर्वत: यह सब तुम्हारे मन की निर्मलता पर निर्भर करता है। जब मन शांत होता है, तब ही प्रकृति की आवाज़ सुनाई देती है।
लेखक: मैं धन्य हो गया। तुम्हारी गोद में बैठकर मैं खुद को खोज रहा हूँ।
पर्वत: खोजते रहो, पथिक। जब तक भीतर प्रकृति न जागे, तब तक सच्चा सुख नहीं मिलता।

'है' और 'हैं' का उपयोग

इन वाक्यों में रेखांकित शब्दों के प्रयोग पर ध्यान दीजिए-

  • विशेष आश्चर्य का विषय यह है कि यहाँ केवल गंगा जी ही देवता हैं, दूसरा देवता नहीं।
  • यों तो वैरागियों ने मठ मंदिर कई बना लिए हैं

आप जानते ही हैं कि एकवचन संज्ञा शब्दों के साथ है' का प्रयोग किया जाता है और बहुवचन संज्ञा शब्दों के साथ 'हैं' का। सोचिए, 'गंगा' शब्द एकवचन है, फिर भी इसके साथ 'हैं' क्यों लिखा गया है?
इसका कारण यह है कि कभी-कभी हम आदर-सम्मान प्रदर्शित करने के लिए एकवचन संज्ञा शब्दों को भी बहुवचन के रूप में प्रयोग करते हैं। इसे 'आदरार्थ बहुवचन' प्रयोग कहते हैं। उदाहरण के लिए-

  • मेरे पिता जी सो रहे हैं।
  • भारत के प्रधानमंत्री भाषण दे रहे हैं।

अब 'आदरार्थ बहुवचन' को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त शब्दों से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERTउत्तर: 

हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT

भावों की पहचान

हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERTनीचे कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। सोचिए कि इनमें कौन-सा भाव प्रकट हो रहा है? पहचानिए और चुनकर लिखिए-
हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERTहरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERTउत्तर: 
हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT

काल की पहचान

"यहाँ हरि की पैड़ी नामक एक पक्का घाट है और यहीं स्नान भी होता है।"
आप जानते ही होंगे कि काल के तीन भेद होते हैं- भूतकाल, वर्तमान काल और भविष्य काल। परस्पर चर्चा करके पता लगाइए कि ऊपर दिए गए वाक्य में कौन-सा काल प्रदर्शित हो रहा है? सही पहचाना, यह वाक्य वर्तमान काल को प्रदर्शित कर रहा है।
(क) नीचे दी गई पाठ की इन पंक्तियों को पढ़कर बताइए, इनमें क्रिया कौन-से काल को प्रदर्शित कर रही है? (भूतकाल/वर्तमान/भविष्य)

हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERTउत्तर: 
हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT


(ख) अब इन वाक्यों के काल को अन्य कालों में बदलकर लिखिए और नए वाक्य बनाइए।
उत्तर: 
काल परिवर्तन के बाद नए वाक्य:
1. भविष्यकाल → वर्तमानकाल: निश्चय है कि आप इस पत्र को स्थानदान देते हैं।
भविष्यकाल → भूतकाल: निश्चय था कि आप इस पत्र को स्थानदान देते थे।
2. वर्तमानकाल → भूतकाल: यह भूमि तीन ओर सुंदर हरे-हरे पर्वतों से घिरी थी।
वर्तमानकाल → भविष्यकाल: यह भूमि तीन ओर सुंदर हरे-हरे पर्वतों से घिरी होगी।
3. वर्तमानकाल → भूतकाल: वृक्ष ऐसे थे कि पत्थर मारने से फल देते थे।
वर्तमानकाल → भविष्यकाल: वृक्ष ऐसे होंगे कि पत्थर मारने से फल देंगे।
4. भूतकाल → वर्तमानकाल: चित्त में बारंबार ज्ञान, वैराग्य और भक्ति का उदय होता है।
भूतकाल → भविष्यकाल: चित्त में बारंबार ज्ञान, वैराग्य और भक्ति का उदय होगा।
5. भूतकाल → वर्तमानकाल: मैं दीवान कृपा राम के घर के ऊपर के बंगले पर टिकता हूँ।
भूतकाल → भविष्यकाल: मैं दीवान कृपा राम के घर के ऊपर के बंगले पर टिकूंगा।

पत्र की रचना

"और संपादक महाशय, मैं चित्त से तो अब तक वहीं निवास करता हूँ..."
इस पंक्ति में लेखक संपादक महोदय को संबोधित करके अपनी बात लिख रहे हैं। आप जानते ही होंगे कि पत्र जिस व्यक्ति के लिए लिखा जाता है, उसे संबोधित किया जाता है। पत्र के अंत में अपना नाम लिखा जाता है ताकि पत्र पाने वाले को पता चल सके कि पत्र किसने लिखा है।

नीचे इस पत्र की कुछ विशेषताएँ दी गई हैं। अपने समूह के साथ मिलकर इन विशेषताओं से जुड़े वाक्यों से इनका मिलान कीजिए-
हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERTआप एक विशेषता को एक से अधिक वाक्यों से भी जोड़ सकते हैं।
उत्तर: 
हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT

पत्र

आपने जो यात्रा-वर्णन पढ़ा है, इसे भारतेंदु हरिश्चंद्र ने एक संपादक को पत्र के रूप में लिखकर भेजा था। आप भी अपनी किसी यात्रा के विषय में अपने किसी परिचित को पत्र लिखकर बताइए।
उत्तर: प्रिय मित्र,
नमस्ते।
आशा है तुम स्वस्थ और खुश होगे। पिछले हफ़्ते मैं अपने परिवार के साथ हरिद्वार घूमने गया था। यहाँ गंगा नदी के किनारे का दृश्य बहुत सुंदर था। सुबह-सुबह घाट पर आरती देखने का अलग ही आनंद था। चारों ओर भक्तजन भजन गा रहे थे और दीपक जलाकर गंगा जी में प्रवाहित कर रहे थे।
हमने हर की पौड़ी, मनसा देवी मंदिर और चंडी देवी मंदिर भी देखे। पहाड़ों से घिरी यह जगह बहुत शांत और पवित्र लगी। यहाँ का वातावरण इतना साफ़ और सुगंधित था कि मन को शांति मिल गई।
यह यात्रा मेरे लिए बहुत यादगार रही। जब मौका मिले तो तुम भी वहाँ ज़रूर जाना।
तुम्हारा मित्र,
(अपना नाम)

शब्द से जुड़े शब्द

नीचे दिए गए स्थानों में 'हरिद्वार' से जुड़े शब्द अपने मन से या पाठ से चुनकर लिखिए-
हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERTउत्तर:
हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT

लेखन के अनोखे तरीके

(क) 'हरिद्वार' पाठ में लेखक ने हरिद्वार के अपने अनुभवों को बहुत ही साहित्यिक और कल्पनाशील भाषा में प्रस्तुत किया है। है जिसमें कई स्थानों पर उन्होंने तुलनात्मक वाक्यों के माध्यम से दृश्यों का वर्णन किया है।
जैसे- हरी-भरी लताओं की तुलना सज्जनों से इस प्रकार की गई है-
"पर्वतों पर अनेक प्रकार की वल्ली हरी-भरी सज्जनों के शुभ मनोरथों की भाँति फैलकर लहलहा रही है।"
नीचे कुछ तुलनात्मक वाक्य दिए गए हैं। पाठ में ढूंढ़िए कि इन तुलनात्मक वाक्यों को लेखक ने किस प्रकार विशिष्ट तरीके से लिखा है यानी विशिष्टता प्रदान की है?

1. वृक्षों की तुलना साधुओं से की गई है।
2. गंगाजल की मिठास की तुलना चीनी से की गई है।
3. हरियाली की तुलना गलीचे से की गई है।
4. नदी की धारा की तुलना राजा भगीरथ के यश (कीर्ति) से की गई है।
उत्तर:
हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT


(ख) "मैं उस पुण्य भूमि का वर्णन करता हूँ जहाँ प्रवेश करने ही से मन शुद्ध हो जाता है।"
"पंडे भी यहाँ बड़े विलक्षण संतोषी हैं। एक पैसे को लाख करके मान लेते हैं।"
उपर्युक्त पंक्तियों को ध्यान से देखिए, ये आज की हिंदी की तरह नहीं लिखी गई हैं। इसे लेखक ने न केवल अपनी शैली में लिखा है, अपितु इसमें प्राचीन हिंदी भाषा की छवि भी दिखाई देती है। नीचे कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं आप इन्हें आज की हिंदी में लिखिए।

1. "इन वृक्षों पर अनेक रंग के पक्षी चहचहाते हैं और नगर के दुष्ट बधिकों से निडर होकर कल्लोल करते हैं।"
उत्तर: 
इन वृक्षों पर रंग-बिरंगे पक्षी चहचहाते हैं और नगर के हिंसक पक्षी-मारों से निडर होकर आनंद से गाते हैं।

2. "वर्षा के कारण सब ओर हरियाली ही दृष्टि पड़ती थी मानो हरे गलीचा की जात्रियों के विश्राम के हेतु बिछायत बिछी थी।"
उत्तर: 
वर्षा के कारण चारों ओर हरियाली ही दिख रही थी, जैसे तीर्थयात्रियों के विश्राम के लिए हरे गलीचे बिछा दिए गए हों।

3. "यह ऐसा निर्मल तीर्थ है कि इच्छा क्रोध की खानि जो मनुष्य हैं सो वहाँ रहते ही नहीं।"
उत्तर: 
यह इतना पवित्र तीर्थ है कि वहाँ जाकर इच्छाओं और क्रोध से भरे हुए लोग भी शांत हो जाते हैं।

4. "मेरा तो चित्त वहाँ जाते ही ऐसा प्रसन्न और निर्मल हुआ कि वर्णन के बाहर है।"
उत्तर: 
वहाँ पहुँचते ही मेरा मन इतना शांति और प्रसन्न हो गया कि उसे शब्दों में बताना कठिन है।

5. "यहाँ रात्रि को ग्रहण हुआ और हम लोगों ने ग्रहण में बड़े आनंदपूर्वक स्नान किया और दिन में श्री भागवत का पारायण भी किया।"
उत्तर: 
वहाँ रात को ग्रहण पड़ा और हमने बहुत आनंद के साथ स्नान किया; दिन में श्रीमद्भागवत का पाठ भी किया।

6. "उस समय के पत्थर पर का भोजन का सुख सोने की थाल के भोजन से कहीं बढ़ के था।"
उत्तर: 
उस समय पत्थर पर बैठकर खाया हुआ भोजन सोने की थाली में परोसे गए भोजन से कहीं ज्यादा सुखद था।

7. "निश्चय है कि आप इस पत्र को स्थानदान दीजिएगा।"
उत्तर: मुझे विश्वास है कि आप इस पत्र को ज़रूर पढ़कर उचित स्थान देंगे।

(ग) इस रचना में हरिश्चंद्र जी ने कहीं-कहीं प्राचीन वर्तनी का प्रयोग किया है, जैसे- शिखर के लिए शिषर, यात्रियों के लिए जात्रियों। ऐसे शब्दों की सूची बनाइए। आप इन शब्दों को कैसे लिखते हैं? कक्षा में चर्चा कीजिए।
उत्तर: 
हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT

पाठ से आगे

आपकी बात

1. "मैंने गंगा जी के तट पर रसोई करके... भोजन किया।"
क्या आपने कभी खुले वातावरण में या प्रकृति के पास भोजन किया है? वह अनुभव घर पर खाने से कैसे भिन्न था?
उत्तर: 
हाँ, मैंने एक बार स्कूल पिकनिक में नदी के किनारे अपने दोस्तों के साथ खाना खाया था। वहाँ पर खुले वातावरण में, पेड़ों की छाया में बैठकर खाना खाने का अनुभव बहुत अलग और सुखद था। घर पर तो हम आराम से खाते हैं, लेकिन वहाँ हम सबने मिलकर खाना बांटा, हँसी-मजाक किया और हवा के साथ खाने का स्वाद भी बढ़ गया। वह पल हमेशा याद रहेगा।

2. "उस समय के पत्थर पर का भोजन का सुख सोने की थाल में भोजन से कहीं बढ़ के था।"
आपके जीवन में ऐसा कोई क्षण आया, जब किसी सामान्य-सी वस्तु ने आपको गहरा सुख दिया हो? उसके बारे में बताइए।
उत्तर: 
मेरे जीवन में ऐसा एक पल तब आया था जब बारिश के मौसम में हम सबने घर की छत पर खिचड़ी बनाई थी। वह खिचड़ी बहुत ही साधारण थी, लेकिन बारिश, बादलों की गड़गड़ाहट और हवा के साथ बैठकर खाने का अनुभव इतना सुखद था कि वह साधारण भोजन भी बहुत स्वादिष्ट लगने लगा। उस दिन मुझे महसूस हुआ कि सुख महंगे बर्तनों या चीजों में नहीं, बल्कि माहौल और साथ में होता है।

3. "हर वस्तु पवित्रता और प्रसन्नता बिखेर रही थी।"
आपको किस स्थान पर पवित्रता और प्रसन्नता का अनुभव होता है? क्या कोई ऐसा स्थान है जहाँ जाने पर मन शांत हो जाता हो? उस स्थान की कौन-सी बातें आपको अच्छी लगती हैं?
उत्तर: 
मुझे अपने गाँव का मंदिर बहुत पवित्र और प्रसन्नता देने वाला स्थान लगता है। वहाँ की घंटियों की आवाज, फूलों की सुगंध और भक्तों की आरती देखकर मन बहुत शांत हो जाता है। मंदिर में बैठने के बाद चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और जीवन-भावना, अपनापन, शांति और आभार की पवित्र भावना बहुत अच्छी लगती है।

4. पाठ में वर्णित है, यहाँ के वृक्ष "फल, फूल, गंध... जले पर भी कोयले और राख से लोगों का मनोर्थ पूर्ण करते हैं।"
क्या आपके जीवन में कोई पेड़, फूल या प्राकृतिक वस्तु है जिससे आप विशेष जुड़ाव महसूस करते हैं? क्यों?
उत्तर:
मुझे प्रकृति के पेड़-पौधे और फूल बहुत अच्छे लगते हैं। हमारे मोहल्ले में एक गुलमोहर का पेड़ है, जिसके फूल गर्मियों में पूरे पेड़ को लाल रंग में रंग देते हैं। उस पेड़ के नीचे बैठकर मुझे बहुत शांति और सुकून मिलता है। पेड़ की छाया में मुझे गर्मी भी नहीं लगती और मन प्रसन्न हो जाता है। यह पेड़ जैसे हमारी जिंदगी का हिस्सा बन गया है।

प्रकृति का सौंदर्य और संरक्षण

"यह भूमि तीन ओर सुंदर हरे-हरे पर्वतों से घिरी है..."
आपने पत्र में पढ़ा कि हरिद्वार का प्राकृतिक सौंदर्य अद्भुत है। इस सौंदर्य को बनाए रखने में प्रत्येक मानव की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस विषय में अपने समूह में चर्चा कीजिए। इसके बाद अपने समूह के साथ मिलकर "तीर्थ ही नहीं, पृथ्वी भी पावन हो!" विषय पर जन-जागरूकता पोस्टर बनाइए।

उत्तर: समूह चर्चा बिंदु: प्रकृति का सौंदर्य और संरक्षण

  • हरिद्वार जैसे तीर्थस्थलों का प्राकृतिक सौंदर्य हमें शांति और पवित्रता का अनुभव कराता है।
  • यह सौंदर्य पर्वतों, नदियों, पेड़ों और पक्षियों की वजह से है, जिन्हें संरक्षित करना आवश्यक है।
  • तीर्थों पर बढ़ते कूड़े-कचरे, प्लास्टिक, ध्वनि और जल प्रदूषण से यह पवित्रता खतरे में है।
  • यदि हम अपने तीर्थों की सफाई का ध्यान नहीं रखेंगे, तो भविष्य में ये स्थान केवल "इतिहास" बन जाएंगे।
  • तीर्थ ही नहीं, पूरी पृथ्वी एक जीवित तीर्थ है — इसे भी पावन बनाकर रखना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।

जन-जागरूकता पोस्टर की विषयवस्तु:
शीर्षक: 
"तीर्थ ही नहीं, पृथ्वी भी पावन हो!"
पोस्टर में शामिल किए जा सकते हैं ये स्लोगन:

  • "गंगा को माँ कहते हो, फिर उसे गंदा क्यों करते हो?"
  • "पवित्र तीर्थ का पहला नियम — हर मौसम में स्वच्छता अपनाएं।"
  • "हर पेड़ में देवता बसते हैं — पेड़ बचाओ, जीवन बचाओ।"
  • "प्लास्टिक नहीं, प्रकृति को चुनो।"
  • "धूप-दीप से पहले, ज़रूरत है स्वच्छता की आरती की।"
  • "तीर्थस्थल पर कूड़ा फेंकना पाप है — नदियों को गंदा न करो।"

पोस्टर में हो सकते हैं ये चित्र:

  • हरिद्वार घाट की स्वच्छ और गंदी स्थिति की तुलना दर्शाता चित्र।
  • एक ओर हरा-भरा पर्वत, दूसरी ओर पेड़ों की कटाई का दृश्य।
  • माँ गंगा के मुस्कुराते और दुखी दो रूपों की झलक।
  • बच्चे पौधे लगाते हुए।
  • "धरती भी एक तीर्थ है" लिखा हुआ नीला-हरा ग्लोब।

हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT

स्वास्थ्य और योग

"चित्त में बारंबार ज्ञान, वैराग्य और भक्ति का उदय होता था।"
अनेक लोग आज भी मन की शांति, स्वास्थ्य लाभ और भक्ति के लिए तीर्थ और पर्वतीय स्थानों की यात्रा करते हैं। मन की शांति और स्वास्थ्य के लिए हमारे देश में हजारों वर्षों से योग भी किया जाता रहा है।

(क) 5 मिनट ध्यान लगाकर या मौन बैठकर अपने आस-पास की ध्वनियों को सुनिए, अपनी श्वास पर ध्यान दीजिए तथा ध्यान को केंद्रित करने का प्रयास कीजिए। इस अनुभव के विषय में एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर: ध्यान का अनुभव
आज हमने 5 मिनट तक आँखें बंद करके मौन बैठने का अभ्यास किया। मैंने अपने आसपास पक्षियों की चहचहाहट, पत्तों की सरसराहट और हल्की हवा की आवाज सुनी। जब मैंने अपनी साँस पर ध्यान दिया तो मन धीरे-धीरे शांत हो गया। शुरुआत में कुछ विचार आते रहे, लेकिन बाद में मन हल्का और सुकून भरा लगा।

(ख) अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में अपने विद्यालय के कार्यक्रमों को बताने के लिए एक 'सूचना' लिखिए जिसे सूचना-पट पर लगाया जा सके।
उत्तर: सूचना
विद्यालय सूचना-पट
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस
सभी विद्यार्थियों को सूचित किया जाता है कि हमारे विद्यालय में 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाएगा। इस अवसर पर सुबह 7 बजे विद्यालय के मैदान में योगाभ्यास कार्यक्रम होगा। सभी छात्र-छात्राएँ खेल की ड्रेस पहनकर योग मैट या चटाई लेकर आएँ। कार्यक्रम में योग आसन, प्राणायाम और ध्यान कराया जाएगा। सभी का समय पर उपस्थित होना अनिवार्य है।
प्रधानाचार्य

सज्जन वृक्ष

"सज्जन ऐसे कि पत्थर मारने से फल देते हैं।"
आप जानते ही हैं कि पेड़-पौधे हमारे जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। किंतु हमारे ही कार्यों के कारण वे कम होते जा रहे हैं। आइए, पेड़-पौधों को अपना मित्र बनाएँ।

(क) एक पौधा लगाइए और उसकी देखभाल कीजिए ताकि वह कुछ वर्षों में बड़ा पेड़ बन सके। उसे एक नाम दीजिए और उसका मित्र बनिए।
हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT
उत्तर: मैंने आज अपने आँगन में एक नीम का पौधा लगाया। मैंने इसका नाम "हरी" रखा है, क्योंकि यह हरियाली और जीवन का प्रतीक है। मैं इसे रोज पानी लगाऊँगा, इसकी मिट्टी ढीली करूँगा तथा नियमित रूप से ध्यानपूर्वक पत्तियाँ साफ़ करूँगा। इसकी बढ़त पर मैं ध्यान दूँगा और इसे सुरक्षित रखूँगा। मैं इसे रोज पानी दूँगा, जरूरत पड़ने पर इसकी मिट्टी बदलूँगा और इसमें खाद डालूँगा। मुझे विश्वास है कि कुछ वर्षों में यह एक मजबूत और छायादार वृक्ष बन जाएगा।

(ख) उसके बारे में अपनी दैनंदिनी में नियमित रूप से लिखिए।
उत्तर: दैनंदिनी (डायरी लेखन का उदाहरण)

  • दिनांक: 01 अगस्त 2025, शुक्रवार
    आज मैंने हरी को सुबह पानी दिया। आज हल्की धूप थी और हरी की पत्तियाँ ताज़ी लग रही थीं। मैंने उसके पास बैठकर पाँच मिनट मौन ध्यान किया। मुझे बहुत अच्छा लगा।
  • दिनांक: 03 अगस्त 2025, रविवार
    आज बारिश हुई, तो मैंने हरी को पानी नहीं दिया। उसकी पत्तियाँ बारिश में नहा रही थीं। मैंने देखा कि उसमें नई कोंपलें निकल रही हैं। यह देखकर मुझे बहुत खुशी हुई।
  • दिनांक: 05 अगस्त 2025, मंगलवार
    हरी के पत्ते हरे-भरे और लहलहाते हैं। मैंने फोटो ली और माँ को दिखाई। माँ ने हरी से कौन-कौन पक्षी आकर बैठते हैं, यह भी बताया। हरी सचमुच मेरे जीवन का हिस्सा बन गया है।

अपने शब्द

"शीतल वायु... स्पर्श ही से पावन करता हुआ संचार करता है।"
आइए, एक रोचक गतिविधि करते हैं। 'शीतल' शब्द को केंद्र में रखिए और उसके चारों ओर ये चार बातें अर्थ
हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT

अब इसी प्रकार आपके समूह का प्रत्येक सदस्य इस पत्र से एक-एक शब्द चुनकर उसके लिए ऐसा ही शब्द-चित्र बनाए।
उत्तर: 
1. शीतल
अर्थ: ठंडक पहुँचाने वाला, मन को शांति देने वाला
समानार्थी शब्द: ठंडा, मंद, शांति दायक, प्रशांत
विपरीतार्थक शब्द: उष्ण, गरम, तप्त
वाक्य प्रयोग: गर्मी में शीतल हवा शरीर और मन को सुकून देती है।
2. पावन
अर्थ: शुद्ध, पवित्र, निर्मल
समानार्थी शब्द: शुद्ध, पवित्र, निर्मल, विशुद्ध
विपरीतार्थक शब्द: अपवित्र, अशुद्ध, गंदा
वाक्य प्रयोग: गंगा नदी को हिंदू धर्म में पावन माना जाता है।
3. प्रसन्नता
अर्थ: खुश रहने की स्थिति, आनंद
समानार्थी शब्द: हर्ष, आनंद, खुशी, उल्लास
विपरीतार्थक शब्द: दुःख, उदासी, खिन्नता
वाक्य प्रयोग: परीक्षा में अच्छे अंक पाकर मुझे प्रसन्नता हुई।
4. संतोष
अर्थ: संतुष्ट होने की भावना
समानार्थी शब्द: तृप्ति, संतुष्टि, समाधान
विपरीतार्थक शब्द: असंतोष, लालच, अधीरता
वाक्य प्रयोग: संतोष सबसे बड़ा धन है।

यात्रा के व्यय की गणना

इस पत्र में आपने हरिद्वार की एक यात्रा का वर्णन पढ़ा है। मान लीजिए कि आपको अपने मित्रों या अभिभावकों के साथ अपनी रुचि के किसी स्थान की यात्रा करनी है। उस स्थान को ध्यान में रखते हुए निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

(क) मान लीजिए कि यात्रा के लिए आपको ₹1000 दिए गए हैं। यात्रा, खाना आदि सब मिलाकर एक व्यय विवरण बनाइए।
उत्तर: 

हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT
(ख) मान लीजिए कि आप इस यात्रा में एक छोटी वस्तु (स्मृति चिह्न) खरीदना चाहते हैं। आप क्या खरीदेंगे और क्यों?
(संकेत - सोचिए, क्या वह आवश्यक है? बजट कैसे संभालेंगे?)
उत्तर: मैं आमेर किले से एक छोटी राजस्थानी पेंटिंग (मिनीचर आर्ट) खरीदूँगा।
कारण:

  • यह यात्रा की खूबसूरत याद को संजोकर रखेगी।
  • पारंपरिक कला और संस्कृति से जुड़ा एक अनमोल नमूना होगा।
  • कीमत ₹150–₹200 के बीच होगी, जो मेरे बजट में फिट बैठता है।
  • इसे घर लाकर अपने कमरे की सजावट में लगा सकता हूँ और माता-पिता को भी दिखा सकता हूँ।

यात्रा सबके लिए

(क) कल्पना कीजिए कि कुछ मित्रों का समूह एक यात्रा पर जा रहा है। आप एक मार्गदर्शक या टूरिस्ट गाइड हैं। आप इन सबकी यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए किन-किन बातों का ध्यान रखेंगे?
हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERTउपर्युक्त चित्र में सबकी अलग-अलग आवश्यकताएँ हो सकती हैं। इन्हें ध्यान में रखते हुए सोचिए कि वहाँ पहुँचने, घूमने, भोजन आदि में आप कैसे सहायता करेंगे?

उत्तर: यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए ध्यान रखने योग्य बातें (टूरिस्ट गाइड के रूप में):

  • यात्रा से पहले की तैयारी: सभी यात्रियों के टिकट, पहचान पत्र और जरूरी कागज़ों की जांच करना।
  • परिवहन व्यवस्था: बस/ट्रेन/वाहन समय पर तैयार रखना और सभी के बैठने की व्यवस्था सुनिश्चित करना।
  • विशेष आवश्यकताओं का ध्यान: वृद्ध, छोटे बच्चों, महिलाओं, और विकलांग व्यक्तियों के लिए अलग से सुविधा (व्हीलचेयर, अतिरिक्त पानी आदि) रखना।
  • भोजन व्यवस्था: समय पर स्वच्छ और पौष्टिक भोजन एवं पीने का साफ पानी उपलब्ध कराना।
  • यात्रा मार्ग की जानकारी: घूमने वाले स्थानों का संक्षिप्त परिचय देना ताकि लोग समझकर आनंद लें।
  • आपातकालीन सहायता: प्राथमिक उपचार पेटी (First Aid Kit) और आपातकालीन संपर्क नंबर साथ रखना।
  • समूह की सुरक्षा: सभी को एक साथ रखना और खोने से बचाने के लिए पहचान टैग या रंगीन रिबन देना।

(ख) अपने किसी मित्र के साथ बिना बोले संवाद कीजिए संकेतों से। अब सोचिए कि यात्रा में श्रवणबाधित व्यक्ति के लिए क्या-क्या आवश्यक होगा?
उत्तर: श्रवणबाधित व्यक्ति के लिए आवश्यक सुविधाएँ:

  • संकेत भाषा (Sign Language) का ज्ञान रखने वाला सहायक या गाइड।
  • लिखित बोर्ड या कार्ड जिनमें स्थान, समय और दिशा की जानकारी हो।
  • मोबाइल पर लिखकर या चित्र दिखाकर संवाद करने की सुविधा।
  • यात्रा स्थलों पर दृश्य-आधारित सूचनाएँ (जैसे—पिक्टोग्राम, साइन बोर्ड)।
  • यात्रा मार्ग और कार्यक्रम पहले से लिखित रूप में उपलब्ध कराना।

(ग) यात्रा करते हुए ऐतिहासिक धरोहरों या भवनों की सुरक्षा के लिए आप किन किन बातों का ध्यान रखेंगे?
उत्तर: ऐतिहासिक धरोहरों या भवनों की सुरक्षा के लिए सावधानियाँ:

  • धरोहर की दीवारों, मूर्तियों या चित्रों को न छूना।
  • गंदगी न फैलाना, कचरा डस्टबिन में डालना।
  • स्मारक के भीतर तेज आवाज़ या लाउड म्यूज़िक का उपयोग न करना।
  • कहीं भी नाम, प्रतीक या चित्र न बनाना (वैंडलिज़्म से बचना)।
  • केवल निर्धारित रास्तों और स्थानों पर ही घूमना।
  • आग, धूम्रपान या किसी भी तरह के हानिकारक रसायन का प्रयोग न करना।
  • स्थानीय नियमों और गाइड के निर्देशों का पालन करना।

आज की पहेली

पाठ में से शब्द खोजिए और नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में लिखिए-
हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERTउत्तर:

हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT

झरोखे से

भारतेंदु हरिश्चंद्र द्वारा लिखे एक और पत्र का एक अंश नीचे दिया गया है। इसे पढ़िए और आपस में विचार कीजिए।
हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT

उत्तर: विद्यार्थी स्वयं पढ़ें और अपने मित्र या कक्षा में चर्चा करें।

खोजबीन के लिए

भारतेंदु हरिश्चंद्र का एक प्रसिद्ध नाटक है- अंधेर नगरी। इसे पुस्तकालय या इंटरनेट से ढूँढ़कर पढ़िए और अपने सहपाठियों के साथ चर्चा कीजिए।
हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERTउत्तर: विद्यार्थी स्वयं पढ़ें और अपने सहपाठियों से चर्चा करें।
खोजबीन के निर्देश

  1. किताब ढूँढ़ना:
    • सबसे पहले पुस्तकालय में जाकर भारतेंदु हरिश्चंद्र — अंधेर नगरी खोजिए।
    • अगर घर पर पुस्तकालय न हो तो आप इंटरनेट पर भी खोज सकते हैं — नैशनल डिजिटल लाइब्रेरी या किसी विश्वसनीय साइट/ई-पुस्तक में मिल सकती है।
  2. पढ़ना:
    • पूरा नाटक ध्यान से पढ़िए। पहली बार पूरा पढ़ लें, दूसरी बार मुख्य पात्रों और घटनाओं पर ध्यान दीजिए।
    • हर सीन या अध्याय के बाद छोटे-छोटे नोट बनाते जाइए (कौन क्या कर रहा था, क्या हुआ, क्यों हुआ)।
  3. मुख्य बातों को नोट करिए:
    • पात्र (जैसे — राजा, अमीर, दुकानदार आदि) के नाम और उनके व्यवहार।
    • नाटक का मुख्य संदेश या विचार — (न्याय/अन्याय, व्यवस्था का विनोद, भ्रष्टाचार आदि)।
    • कोई मजेदार या महत्वपूर्ण संवाद जो आपको लगा।
  4. सहपाठियों के साथ चर्चा के प्रश्न:
    • इस नाटक का मुख्य उद्देश्य क्या है? लेखक क्या आलोचना कर रहे हैं?
    • कौन सा पात्र सबसे प्रभावशाली लगा और क्यों?
    • नाटक में जो हास्य (व्यंग्य) है, वह किस तरह से विचार जगाता है?
    • आज के समाज में इसका क्या महत्व है — क्या यह अभी भी प्रासंगिक है?
  5. प्रस्तुति का तरीका:
    • चर्चा में अपने नोटों को संक्षेप में बताइए।
    • 3–4 मुख्य बिंदु तैयार रखें जिन्हें आप जोर देकर कह सकें।
    • अगर संभव हो तो दोस्तों के साथ नाटक के एक छोटे दृश्य का नाटक (role-play) भी कर लें — इससे चर्चा रोचक बनती है।
  6. अगर आप चाहें तो: मैं आपको अंधेर नगरी का छोटा सार (summary), मुख्य पात्रों की सूची और चर्चा के लिए उत्तर/नोट्स दे सकता हूँ। बताइए क्या चाहिए।
The document हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT is a part of the Class 8 Course Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT.
All you need of Class 8 at this link: Class 8
33 videos|111 docs|10 tests

FAQs on हरिद्वार NCERT Solutions - Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT

1. हरिद्वार का ऐतिहासिक महत्व क्या है ?
Ans. हरिद्वार का ऐतिहासिक महत्व बहुत गहरा है। यह स्थान प्राचीन समय से ही धार्मिक और आध्यात्मिक केंद्र रहा है। इसे भगवान शिव और विष्णु का प्रिय स्थल माना जाता है। हरिद्वार में गंगा नदी का प्रवाह होता है, जो इसे तीर्थ स्थल बनाता है। यहाँ हर की पौड़ी, चंडी देवी मंदिर जैसे प्रमुख तीर्थ हैं, जहाँ श्रद्धालु स्नान कर उनके पापों का नाश करते हैं। हरिद्वार कुंभ मेले का आयोजन भी करता है, जो विश्व के सबसे बड़े धार्मिक मेलों में से एक है।
2. हरिद्वार में होने वाले प्रमुख त्योहार कौन से हैं ?
Ans. हरिद्वार में कई प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं, जैसे कि कुम्भ मेला, माघ मेला, और गंगा दशहरा। कुम्भ मेला हर 12 वर्ष में आयोजित होता है, जबकि माघ मेला हर वर्ष माघ महीने में होता है। गंगा दशहरा हर साल ज्येष्ठ माह की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इन त्योहारों के दौरान हरिद्वार में लाखों श्रद्धालु आते हैं और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।
3. हरिद्वार में गंगा नदी का क्या महत्व है ?
Ans. गंगा नदी का हरिद्वार में अत्यधिक धार्मिक महत्व है। इसे माँ गंगा के रूप में पूजा जाता है और इसे जीवनदायिनी माना जाता है। यहाँ गंगा के जल को पवित्र माना जाता है, और श्रद्धालु यहाँ स्नान करके अपने पापों से मुक्ति पाते हैं। गंगा की धारा को यहाँ "गंगा आरती" के माध्यम से भी पूजा जाता है, जो हर शाम आयोजित की जाती है और यह एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करती है।
4. हरिद्वार की संस्कृति और परंपराएँ क्या हैं ?
Ans. हरिद्वार की संस्कृति और परंपराएँ गंगा नदी की पूजा, योग और ध्यान पर आधारित हैं। यहाँ परंपरागत संस्कृतियों का पालन किया जाता है, जिसमें विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान और पर्व शामिल हैं। यहाँ के लोग साधारण और मेहमाननवाज़ होते हैं। हरिद्वार में योग और आयुर्वेद का भी एक समृद्ध इतिहास है, जिससे लोग स्वास्थ्य और मानसिक शांति के लिए यहाँ आते हैं।
5. हरिद्वार के प्रमुख दर्शनीय स्थल कौन से हैं ?
Ans. हरिद्वार में कई प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं, जैसे कि हर की पौड़ी, चंडी देवी मंदिर, मंसादेवी मंदिर, और ऋषिकेश के निकट स्थित आश्रम। हर की पौड़ी पर गंगा स्नान का विशेष महत्व है, जबकि चंडी देवी और मंसादेवी मंदिर पर्वतीय स्थलों पर स्थित हैं और यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता लोगों को आकर्षित करती है। इसके अलावा, यहाँ गंगा आरती और योगा केंद्र भी दर्शनीय हैं।
Related Searches

Exam

,

pdf

,

Semester Notes

,

past year papers

,

video lectures

,

ppt

,

Sample Paper

,

हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT

,

study material

,

Summary

,

mock tests for examination

,

Objective type Questions

,

practice quizzes

,

Free

,

MCQs

,

Viva Questions

,

हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT

,

Important questions

,

Extra Questions

,

shortcuts and tricks

,

हरिद्वार NCERT Solutions | Hindi मल्हार Class 8 - New NCERT

,

Previous Year Questions with Solutions

;