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कोऽरुक् ? कोऽरुक् ? कोऽरुक् ? Chapter Notes | Chapter Notes For Class 8 PDF Download

परिचय

यह अध्याय आयुर्वेद और स्वास्थ्य-नियमों पर आधारित है। इसमें वाग्भट नामक वैद्य और भगवान् धन्वन्तरि की कथा दी गई है। भगवान् धन्वन्तरि ‘कोऽरुक् ? कोऽरुक् ? कोऽरुक् ?’ कहते हुए प्रकट होते हैं और उसके रहस्य को समझाया जाता है। इसमें बताया गया है कि मनुष्य को स्वास्थ्य की प्राप्ति के लिए किस प्रकार का भोजन करना चाहिए — हितभुक् (स्वास्थ्यकर भोजन करने वाला), मितभुक् (मर्यादा में भोजन करने वाला) और ऋतुभुक् (ऋतु के अनुसार भोजन करने वाला)। साथ ही, इसमें आहार के प्रकार, ऋतु-नियम, और सात्त्विक, राजसिक, तामसिक आहार की व्याख्या दी गई है। अंत में श्लोकों और व्यावहारिक उपदेशों द्वारा स्वास्थ्य-संबंधी संदेश दिए गए हैं।

पाठांश

प्रारम्भिक संवाद

“अम्ब ! महती बभुकु्धा बाधते, शीघ्रं भोजनं परिवेषयतु। 
… उष्णं भोजनं सहस्रं न भवति” इति आयुर्वेद उपदेशः।

 अर्थ: बालक अपनी माता से कहता है कि उसे बहुत भूख लगी है और शीघ्र भोजन परोसा जाए। माता बताती है कि अधिक गर्म भोजन खाने से मुख में जलन होती है। इसलिए आयुर्वेद कहता है कि अत्यधिक गर्म भोजन कभी लाभकारी नहीं होता।

भगवान् धन्वन्तरिः का आगमन

“भाषितवः वैदाः सर्वसन्तानानां व्याधीनां शमनं कुर्युः” इति ज्ञातुं भगवान् धन्वन्तरिः भ्रमणं कुर्वन् ‘कोऽरुक् ? कोऽरुक् ? कोऽरुक् ?’ इति शब्दं उच्चैः श्रावयन्”।

अर्थ : भगवान धन्वन्तरि मनुष्य-रूप धारण कर घूमते हुए बार-बार पूछते थे — “कोऽरुक् ? कोऽरुक् ? कोऽरुक् ?” (कौन अरोग्य है? कौन स्वस्थ है?)।

वाग्भट और धन्वन्तरिः का संवाद

“वाग्भटः मनोहारीं तरुमूलां शुकं दृष्ट्वा चिन्तितवान् — एषः न साधारणः पक्षी, अवश्यं देवविशेषः”।
शुकः पुनः उच्चैः शब्दं करोति — “कोऽरुक् ? कोऽरुक् ? कोऽरुक् ?”।
ततः धन्वन्तरिः त्रयमुत्तरं दत्तवान् — 
हितभुक्, मितभुक्, ऋतुभुक्।

अर्थ : वाग्भट वैद्य ने देखा कि यह पक्षी साधारण नहीं है। भगवान् धन्वन्तरि ने उत्तर दिया — वही मनुष्य अरोग्य है जो हितकर भोजन करता है, मर्यादित मात्रा में भोजन करता है, और ऋतु के अनुसार भोजन करता है।

श्लोक एवं व्याख्या

(१) “तच्च हितं प्रयुञ्जीत स्वास्थ्यं येनानुतिष्ठते।
अजतानां च सर्वेषां अनुत्पत्तिकरं च यत्॥”

अर्थ :वही भोजन उचित है जिससे स्वास्थ्य ठीक रहे और जो नए रोग उत्पन्न न करे।

() “अल्पादाने गुरूणां च लघूनां चासमेवने।
गुरुलाघवे द्रव्याणाम् मात्रायाः अनुसारितम्॥”

अर्थ : भारी (कठिन पचने वाले) पदार्थ अल्प मात्रा में और हल्के पदार्थ उचित मात्रा में ही लेने चाहिए।

(३) “तस्मात् हितं यदन्नं स्यात् बलवर्णकरं तथा।
ऋतुनां चानुसार्यं तदन्नं साधु भोजनम्॥”

अर्थ: जो आहार ऋतु के अनुकूल हो, वह बल, वर्ण और आयु बढ़ाता है।

(४) “व्यायामः प्रातरुत्थाय स्नानं शुद्धोदकेन च।
बुभुक्षायां च भोजनं हितं चान्नं प्रयोक्तव्यम्॥”

अर्थ: प्रातः उठकर व्यायाम करना चाहिए, शुद्ध जल से स्नान करना चाहिए और जब भूख लगे तभी हितकर भोजन करना चाहिए।

(५) “सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत्॥”

अर्थ  सब सुखी हों, सब निरोग हों, सब शुभ देखें और कोई भी दुःख न पाए।

आहार के प्रकार (गीता के आधार पर)

  • सात्त्विक आहार : आयुष्यमान, बलवर्धक, सुखद, रोगनाशक, रसयुक्त, मधुर, स्निग्ध।
  • राजसिक आहार : अत्यधिक तिक्त, अम्ल, लवण, उष्ण, तीक्ष्ण, रूक्ष, विदाहकारक; रोग उत्पन्न करने वाले।
  • तामसिक आहार : बासी, दुर्गंधयुक्त, अतिपक्व, पुनः गरम किया हुआ, अस्वच्छ — यह आलस्य, निद्रा और रोग बढ़ाता है।

व्याकरणिक अंश

  • विशेषण – विशेष्य सम्बन्ध उदाहरण सहित।
  • शब्दरूप अभ्यास (उत्तम, मनोहरि, सर्वस्मत, उत्कृष्ट, एक)।
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FAQs on कोऽरुक् ? कोऽरुक् ? कोऽरुक् ? Chapter Notes - Chapter Notes For Class 8

1. 'कोऽरुक्' का अर्थ क्या है ?
Ans. 'कोऽरुक्' एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ 'कौन है?' है। यह प्रश्न पूछने का एक तरीका है जिसका उपयोग विभिन्न संदर्भों में किया जा सकता है, जैसे कि किसी व्यक्ति की पहचान जानने के लिए।
2. 'कोऽरुक्' का उपयोग किस प्रकार के संवाद में किया जाता है ?
Ans. 'कोऽरुक्' शब्द का उपयोग मुख्य रूप से संवाद में प्रश्न पूछने के लिए किया जाता है। यह एक सामान्य प्रश्न है जो किसी व्यक्ति या वस्तु की पहचान के लिए उपयोग किया जाता है। यह संवाद को अधिक संवादात्मक और जीवंत बनाता है।
3. 'कोऽरुक्' का ऐतिहासिक महत्व क्या है ?
Ans. 'कोऽरुक्' शब्द संस्कृत के प्राचीन ग्रंथों में भी पाया जाता है। यह शब्द उस समय के संवाद और विचारों के आदान-प्रदान को दर्शाता है, जब संस्कृत भाषा का व्यापक उपयोग होता था। यह भाषा और संस्कृति के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
4. संस्कृत में प्रश्न पूछने की अन्य विधियाँ कौन सी हैं ?
Ans. संस्कृत में प्रश्न पूछने के लिए कई विधियाँ हैं, जैसे 'कः', 'किम्', 'कस्य', आदि। ये शब्द विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछने के लिए उपयोग किए जाते हैं, जैसे कि व्यक्ति, वस्तु, स्थान आदि के बारे में पूछना।
5. 'कोऽरुक्' का प्रयोग आधुनिक संदर्भ में कैसे किया जा सकता है ?
Ans. आधुनिक संदर्भ में 'कोऽरुक्' का प्रयोग एक जिज्ञासा या पहचान संबंधी प्रश्न पूछने के लिए किया जा सकता है। यह शब्द सामाजिक मीडिया, व्यक्तिगत संवाद, या शैक्षणिक चर्चा में उपयोग किया जा सकता है, जब किसी व्यक्ति या वस्तु की जानकारी की आवश्यकता होती है।
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