Table of contents |
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परिचय |
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शब्दानां सम्यक् उच्चारणस्य महत्त्वम् |
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वागुत्पत्तेः प्रणाली |
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उच्चारण हेतु आवश्यक तत्त्वानि |
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स्थानानि (उच्चारण-स्थान) |
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करणानि (उपकरणानि) |
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परिभाषा |
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संस्कृत भाषा के अध्ययन में वर्णों का शुद्ध उच्चारण अत्यन्त आवश्यक है। यदि किसी शब्द का उच्चारण ठीक प्रकार से न हो, तो उसका अर्थ भी बदल सकता है। इसीलिए वर्णोच्चारण-शिक्षा का विशेष महत्त्व है। इस अध्याय में यह बताया गया है कि शब्द उच्चारण के लिए किन-किन स्थानों, करणों और प्रयत्नों की आवश्यकता होती है, तथा मुख और नासिका में ध्वनि उत्पन्न होने की प्रक्रिया कैसी है।
मूल पाठ (संस्कृत):
शब्दानां सम्यक् शब्दं च उच्चारणं नितान्तं महत्त्वपूर्णम् अन्तेऽपि तत्त्व्यं पदार्थे दृष्टव्यम्।
किञ्चित् शब्दस्य सम्यग् उच्चारणार्थं, तस्य शब्दस्य प्रत्येकवर्णस्य स्पष्टम उच्चारणं भवति।
अतः प्रत्येकवर्णस्य शब्दम् उच्चारणं कर्तुं भवति इति अत्र ज्ञायते।
भावार्थ:
किसी भी शब्द का सही उच्चारण बहुत आवश्यक है, क्योंकि इससे उसका वास्तविक अर्थ प्रकट होता है। जब तक किसी शब्द के प्रत्येक वर्ण का शुद्ध उच्चारण नहीं होगा, तब तक उसका सही अर्थ स्पष्ट नहीं हो सकता।
संस्कृत अनुच्छेद:
स्वर-व्यान्जनानां नत्वनत्वध-भेद-उपभेदानां विशेषः तत्त्व्यदर्शनातः। तत्र अङ्गेषु षट् उच्चारण-प्रदानानि अपि दृष्टानि। परन्तु, स्वराणाम् उच्चारणे केवलं आङ्ग्य एव उपयुज्यते न।
भावार्थ (हिंदी):
मानव-शरीर में ध्वनि उत्पन्न करने के लिए मुख्यतः छः अंग कार्य करते हैं। स्वर-उच्चारण में केवल मुख और नासिका का ही प्रयोग होता है, जबकि व्यंजन-उच्चारण में अन्य अंग भी सहायक होते हैं।
षट् उच्चारण-प्रदानानि (षडङ्गानि):
संस्कृत अनुच्छेद:
आस्यस्य अभ्यन्तरे वर्णानाम् उत्पत्त्यर्थं त्रीणि तत्त्वानि आवश्यकानि –
(क) स्थानम्, (ख) करणम्, (ग) आभ्यन्तर-प्रयत्नः।
भावार्थ (हिंदी):
मुख और नासिका के भीतर वर्णों के निर्माण के लिए तीन बातें आवश्यक हैं—
षट् स्थानानि:
भावार्थ (हिंदी):
मुख और नासिका में ये छह स्थान वर्णों के उच्चारण में सहायक होते हैं।
संस्कृत अनुच्छेद:
स्थानस्य समीपं यदागतं तत् करणं कथ्यते।
भावार्थ (हिंदी):
जिस अंग से उच्चारण-स्थान को स्पर्श किया जाता है, उसे करण कहते हैं।
स्थान और करण के उदाहरण:
इस अध्याय में यह स्पष्ट हुआ कि –
1. उच्चारण का महत्त्व क्या है ? | ![]() |
2. वागुत्पत्तेः प्रणाली क्या है ? | ![]() |
3. उच्चारण हेतु आवश्यक तत्त्वानि क्या हैं ? | ![]() |
4. उच्चारण-स्थान और करणानि (उपकरणानि) के बारे में बताइए। | ![]() |
5. वर्णोच्चारण-शिक्षा का क्या महत्व है ? | ![]() |