Table of contents |
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कहानी परिचय |
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मुख्य विषय |
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कहानी का सार |
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कहानी की मुख्य बातें |
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कहानी से शिक्षा |
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शब्दार्थ |
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यह एक पत्र है जो अरूप चाचा ने अपने भतीजे-भतीजियों को काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की यात्रा के बारे में लिखा है। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान असम में ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे बसा है। इस पत्र में अरूप चाचा ने अपनी रोमांचक यात्रा का वर्णन किया है। उन्होंने बताया कि कैसे वे सुबह जल्दी उठकर हाथी पर बैठकर जंगल देखने गए। वहाँ उन्होंने एक सींग वाले गैंडे, हिरण, जंगली भैंसें, और कई तरह के पक्षी देखे। गैंडों के बारे में एक मजेदार कहानी भी सुनी। अगले दिन वे जीप से गए और जंगली हाथियों का झुंड, ऊदबिलाव, और बहुत सारे पक्षियों को देखा। यह कहानी हमें प्रकृति और जानवरों के प्रति प्रेम और उनकी रक्षा करने का संदेश देती है।
इस कहानी का मुख्य विषय काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की यात्रा और वहाँ पाए जाने वाले अलग-अलग पशु-पक्षियों का वर्णन है। लेखक ने बताया है कि काजीरंगा असम में स्थित है और यह एक सींग वाले गैंडे के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यहाँ हिरण, भैंस, जंगली सूअर, हाथी, बाघ और कई प्रकार के पक्षी भी मिलते हैं। लेखक ने अपनी यात्रा का अनुभव साझा करते हुए बताया है कि जानवर आपस में शांति और भाईचारे से रहते हैं, इसलिए इंसानों को भी उनसे यह सीख लेनी चाहिए।
यह कहानी काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की यात्रा पर आधारित है। लेखक अपने भतीजे-भतीजियों को पत्र लिखकर वहाँ के अनुभव बताते हैं। काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान असम में ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे स्थित है और यह एक सींग वाले गैंडे के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है।
लेखक बताते हैं कि सुबह-सुबह वे हाथी पर बैठकर उद्यान घूमने गए। वहाँ हिरणों और जंगली भैंसों के झुंड दिखे। सबसे खास बात यह रही कि उन्होंने पहली बार एक सींग वाला गैंडा देखा। गैंडे के शरीर पर मोटी चमड़ी होती है, जो कवच जैसी लगती है। महावत ने एक कहानी सुनाई कि भगवान कृष्ण ने गैंडे को युद्ध के लिए तैयार किया, लेकिन वह आदेशों का पालन नहीं कर पाया और उसे जंगल भेज दिया गया।
पहले गैंडे भारत के कई हिस्सों में पाए जाते थे, लेकिन लोगों ने उसके सींग के लालच में बहुत शिकार किया। लोग मानते थे कि सींग में औषधीय गुण हैं, लेकिन वैज्ञानिकों ने इसे गलत साबित किया। शिकार की वजह से गैंडे की संख्या कम हो गई और अब आधे से अधिक गैंडे काजीरंगा में पाए जाते हैं।
यात्रा के दौरान लेखक ने मादा गैंडे को उसके बच्चे के साथ देखा। महावत ने बताया कि शिशु के साथ होने पर मादा गैंडा खतरनाक हो सकती है। उन्होंने हिरण की चार प्रजातियाँ देखीं – भौंकने वाला हिरण, बौना सूअर हिरण, दलदली हिरण और साँभर हिरण। साथ ही जंगली सूअर भी दिखाई दिए।
दूसरे दिन जीप से घूमते समय वे एक बील पर पहुँचे। वहाँ सैकड़ों पक्षियों के झुंड थे – पेलिकन, सारस, बगुले और कलहोन। पानी में ऊदबिलाव भी खेल रहे थे। लौटते समय उन्हें जंगली हाथियों का झुंड दिखा। झुंड में बच्चे भी थे और एक बड़ा हाथी सबकी सुरक्षा कर रहा था।
काजीरंगा में रॉयल बंगाल टाइगर भी रहते हैं, लेकिन वे रात में निकलते हैं इसलिए लेखक उन्हें नहीं देख पाए। कुल मिलाकर यह यात्रा बहुत अद्भुत रही। लेखक को लगा कि सभी जानवर शांति और भाईचारे से रहते हैं, इसलिए मनुष्यों को भी शांति और मेल-जोल से रहना चाहिए।
इस तरह यह कहानी हमें काजीरंगा उद्यान की सुंदरता, वहाँ के विविध पशु-पक्षी और वन्यजीवन की महत्वपूर्ण जानकारी देती है।
कहानी हमें सिखाती है कि हमें प्रकृति और जंगली जानवरों से प्यार करना चाहिए। काजीरंगा में सभी जानवर शांति और भाईचारे से रहते हैं। हमें भी एक-दूसरे के साथ प्रेम और सम्मान से रहना चाहिए। यह कहानी बताती है कि जानवरों और पर्यावरण की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इन्हें देख सकें।
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1. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान कहाँ स्थित है और इसकी विशेषताएँ क्या हैं? | ![]() |
2. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना कब हुई थी? | ![]() |
3. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में कौन-से प्रमुख जीव-जंतु पाए जाते हैं? | ![]() |
4. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की जलवायु कैसी होती है? | ![]() |
5. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय कब है? | ![]() |