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Unit Test (Solutions): न्याय की कुर्सी | Hindi Class 5 वीणा - New NCERT PDF Download

समय: 1 घंटा
पूर्णांक: 30

निर्देश: सभी प्रश्नों का प्रयास करें।

  • प्रश्न संख्या 1 से 5 तक 1 अंक का प्रत्येक प्रश्न है।
  • प्रश्न संख्या 6 से 8 तक 2 अंक का प्रत्येक प्रश्न है।
  • प्रश्न संख्या 9 से 11 तक 3 अंक का प्रत्येक प्रश्न है।
  • प्रश्न संख्या 12 और 13 प्रत्येक 5 अंकों का प्रश्न है।

प्रश्न 1: कहानी "न्याय की कुर्सी" में बच्चे किस शहर के मैदान में खेल रहे थे? (1 अंक)
(i) दिल्ली
(ii) उज्जैन
(iii) जयपुर
(iv) भोपाल
उत्तर:
(ii)
कहानी में बच्चे उज्जैन शहर के बाहर एक मैदान में खेल रहे थे।  

प्रश्न 2: लड़के ने पत्थर को क्या समझकर उस पर बैठकर खेल शुरू किया? (1 अंक)
(i) मंदिर
(ii) सिंहासन
(iii) मूर्ति
(iv) गुफा
उत्तर: 
(ii)
लड़के ने पत्थर को सिंहासन समझकर उस पर बैठकर राजा बनने का खेल शुरू किया।  

प्रश्न 3: जब राजा को लड़के के फैसलों की बात पता चली, तो उसने क्या कहा? (1 अंक)
(i) यह लड़का मुझसे बेहतर न्यायकर्ता है
(ii) यह लड़का अपने आप को मुझसे बेहतर समझता है
(iii) यह लड़का जादूगर है
(iv) यह लड़का बहुत शरारती है
उत्तर: 
(ii)
राजा ने कहा, "यह लड़का अपने आप को मुझसे बेहतर न्यायकर्ता समझता है?"  

प्रश्न 4: सिंहासन के चारों पायों पर क्या बनी थीं? (1 अंक)
(i) फूलों की नक्काशी
(ii) जानवरों की मूर्तियाँ
(iii) देवदूतों की मूर्तियाँ
(iv) सैनिकों की मूर्तियाँ
उत्तर: 
(iii)
सिंहासन के चारों पायों पर देवदूतों की मूर्तियाँ बनी थीं।  

प्रश्न 5: राजा को सिंहासन पर बैठने से रोकने वाली आखिरी मूर्ति ने क्या पूछा? (1 अंक)
(i) क्या तुमने कभी युद्ध किया है?
(ii) क्या तुम्हारा मन साफ है?
(iii) क्या तुम धनवान हो?
(iv) क्या तुम बुद्धिमान हो?
उत्तर: 
(ii)
आखिरी मूर्ति ने पूछा, "क्या तुम्हें विश्वास है कि तुम इस योग्य हो?"  

प्रश्न 6: कहानी में बच्चों का खेल कैसे शुरू हुआ? (2 अंक)
उत्तर: 
कहानी में बच्चों का खेल तब शुरू हुआ जब एक लड़का उज्जैन के मैदान में एक टीले पर चढ़ा और एक चिकने पत्थर से ठोकर खाकर गिर पड़ा। उसने उस पत्थर को सिंहासन समझा और अपने दोस्तों को बुलाकर राजा बनने का खेल शुरू किया, जिसमें वह उनकी शिकायतों के फैसले करता था।  

प्रश्न 7: लोगों ने लड़के के फैसलों की तारीफ क्यों की? (2 अंक)
उत्तर: 
लोगों ने लड़के के फैसलों की तारीफ की क्योंकि उसके फैसले निष्पक्ष, समझदारी भरे और संतोषजनक थे। वह दोनों पक्षों की बात ध्यान से सुनता था और ऐसा फैसला देता था कि लोग खुश हो जाते थे, जिससे उसकी बुद्धिमानी की चर्चा पूरे शहर में फैल गई।  

प्रश्न 8: राजा को यह जानकर और आश्चर्य क्यों हुआ कि दूसरा लड़का फैसले कर रहा था? (2 अंक)
उत्तर: 
राजा को यह जानकर और आश्चर्य हुआ कि दूसरा लड़का फैसले कर रहा था क्योंकि पहला लड़का, जो रोज़ फैसले करता था, बीमार था। इससे राजा को लगा कि शायद उस पत्थर में ही कोई जादू है, जो बच्चों को इतनी समझदारी दे रहा था।  

प्रश्न 9: राजा ने सिंहासन पर बैठने की कोशिश में क्या-क्या गलतियाँ स्वीकार कीं? (3 अंक)
उत्तर:
राजा ने सिंहासन पर बैठने की कोशिश में तीन गलतियाँ स्वीकारीं। पहली मूर्ति के सवाल पर उसने माना कि उसने एक दरबारी की ज़मीन पर कब्ज़ा किया था। दूसरी मूर्ति के सवाल पर उसने स्वीकार किया कि उसने कई बार झूठ बोला था। तीसरी मूर्ति के सवाल पर उसने माना कि उसने कई लोगों को चोट पहुँचाई थी।  

प्रश्न 10: कहानी में विक्रमादित्य का सिंहासन किस तरह खास था? (3 अंक)
उत्तर: 
विक्रमादित्य का सिंहासन खास था क्योंकि यह कोई साधारण पत्थर नहीं, बल्कि एक सुंदर नक्काशी वाला सिंहासन था, जिसके चार पायों पर देवदूतों की मूर्तियाँ थीं। ये मूर्तियाँ बोल सकती थीं और केवल सच्चे, निष्पक्ष और पवित्र मन वाले व्यक्ति को ही सिंहासन पर बैठने देती थीं। यह सिंहासन न्याय और विवेक का प्रतीक था।  

प्रश्न 11: कहानी में बच्चों की तुलना में राजा क्यों असफल रहा? (3 अंक)
उत्तर: 
बच्चे सिंहासन पर बैठकर निष्पक्ष फैसले कर पाए क्योंकि उनके मन साफ, निष्कलंक और अहंकार से मुक्त थे। दूसरी ओर, राजा असफल रहा क्योंकि उसने चोरी, झूठ और हिंसा जैसे गलत काम किए थे, और आखिरी बार उसका अहंकार सामने आया जब उसने खुद को योग्य समझा। इस कारण सिंहासन उसे स्वीकार नहीं कर सका।  

प्रश्न 12: कहानी "न्याय की कुर्सी" का मुख्य संदेश क्या है? विस्तार से समझाएँ। (5 अंक)
उत्तर: 
कहानी "न्याय की कुर्सी" का मुख्य संदेश है कि सच्चा न्याय केवल वही व्यक्ति कर सकता है, जिसका मन साफ, निष्पक्ष और अहंकार से मुक्त हो। कहानी में बच्चे अपने सच्चे और निर्मल मन के कारण सिंहासन पर बैठकर निष्पक्ष फैसले कर पाए, जबकि राजा अपने गलत कार्यों (चोरी, झूठ, हिंसा) और अहंकार के कारण असफल रहा। यह कहानी सिखाती है कि सत्ता और शक्ति से ज्यादा जरूरी है सत्य, ईमानदारी और करुणा। विक्रमादित्य का सिंहासन इस बात का प्रतीक है कि सच्चे न्याय के लिए मन की पवित्रता और विनम्रता आवश्यक है। यह हमें प्रेरित करती है कि हम अपने अंदर की कमियों को सुधारें और दूसरों के प्रति दयालु और निष्पक्ष रहें।  

प्रश्न 13: कहानी में अहंकार को कैसे दर्शाया गया है और यह राजा की असफलता का कारण क्यों बना? विस्तार से वर्णन करें। (5 अंक)
उत्तर: 
कहानी में अहंकार को राजा के व्यवहार और अंतिम मूर्ति के सवाल के जवाब में दर्शाया गया है। राजा ने अपनी गलतियों (चोरी, झूठ, हिंसा) को स्वीकार किया और प्रायश्चित भी किया, लेकिन जब चौथी मूर्ति ने पूछा कि क्या वह सिंहासन पर बैठने योग्य है, तो राजा ने अपने धन, बुद्धि और सत्ता के अहंकार में खुद को योग्य समझ लिया। यह अहंकार ही उसकी सबसे बड़ी कमजोरी थी, क्योंकि सच्चा न्याय करने के लिए मन की शुद्धता और विनम्रता जरूरी थी, जो बच्चों में थी, लेकिन राजा में नहीं। इस कारण सिंहासन चौथी मूर्ति के साथ आकाश में उड़ गया। कहानी यह सिखाती है कि अहंकार इंसान को सही रास्ते से भटका देता है और सच्चे न्याय और सम्मान के लिए नम्रता जरूरी है।

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FAQs on Unit Test (Solutions): न्याय की कुर्सी - Hindi Class 5 वीणा - New NCERT

1. न्याय की कुर्सी का महत्व क्या है ?
Ans. न्याय की कुर्सी का महत्व इस बात में निहित है कि यह न्याय का प्रतीक है। यह दर्शाती है कि सभी व्यक्तियों को समान न्याय मिलना चाहिए, चाहे उनकी पृष्ठभूमि या स्थिति कुछ भी हो। न्याय की कुर्सी पर बैठा न्यायाधीश निष्पक्षता और सच्चाई के साथ निर्णय लेते हैं।
2. न्याय की कुर्सी पर कौन बैठता है ?
Ans. न्याय की कुर्सी पर न्यायाधीश या जज बैठते हैं। वे कानून के अनुसार मामलों का निपटारा करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि सभी पक्षों को सुनने का अवसर मिले।
3. न्याय की कुर्सी से संबंधित प्रमुख सिद्धांत क्या हैं ?
Ans. न्याय की कुर्सी से संबंधित प्रमुख सिद्धांतों में निष्पक्षता, समानता, और स्वतंत्रता शामिल हैं। ये सिद्धांत यह सुनिश्चित करते हैं कि हर व्यक्ति को न्याय में समान अधिकार मिले और किसी भी प्रकार के भेदभाव को समाप्त किया जाए।
4. न्याय की कुर्सी का प्रतीकात्मक अर्थ क्या है ?
Ans. न्याय की कुर्सी का प्रतीकात्मक अर्थ यह है कि न्याय एक महत्वपूर्ण सामाजिक मूल्य है। यह दर्शाता है कि न्याय प्रणाली को सच्चाई और नैतिकता के आधार पर काम करना चाहिए। यह समाज में विश्वास और सुरक्षा की भावना को बढ़ावा देती है।
5. न्याय की कुर्सी से जुड़े कुछ ऐतिहासिक उदाहरण क्या हैं ?
Ans. न्याय की कुर्सी से जुड़े ऐतिहासिक उदाहरणों में विभिन्न देशों में न्याय प्रणाली के विकास को शामिल किया जा सकता है। जैसे, कुछ प्राचीन सभ्यताओं में न्याय की कुर्सी का उपयोग यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता था कि सभी नागरिकों को उनके अधिकार मिलें।
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