Class 10 Exam  >  Class 10 Notes  >  NCERT Textbooks & Solutions for Class 10  >  NCERT Solutions: पाठ 3 - आत्मकथ्य, क्षितिज II, हिंदी, कक्षा - 10

पाठ 3 - आत्मकथ्य, क्षितिज II, हिंदी, कक्षा - 10 NCERT Solutions | NCERT Textbooks & Solutions for Class 10 PDF Download

प्रश्न - अभ्यास

प्रश्न 1: कवि आत्मकथा लिखने से क्यों बचना चाहते हैं ?
उत्तर: कवि आत्मकथा लिखने से इसलिए बचना चाहते हैं क्योंकि उनका जीवन दुखदायी घटनाओं से भरा पड़ा है। अपनी सरलता के कारण उन्होंने कई बार धोखा भी खाया है। वे मज़ाक का कारण नहीं बनाना चाहते| उन्हें लगता है की उनकी आत्मकथा में कुछ रोचक और प्रेरक नहीं है।

प्रश्न 2: आत्मकथा सुनाने के संदर्भ में ‘अभी समय भी नहीं’ कवि ऐसा क्यों कहता है ?
उत्तर: ‘अभी समय भी नहीं’ कवि ने ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि कवि को लगता है कि उसने जीवन में अब तक कोई ऐसी उपलब्धि नहीं हासिल की है जो दूसरों को बताने योग्य हो तथा उसकी दुख और पीड़ा इस समय शांत है अर्थात् वह उन्हें किसी सीमा तक भूल गया है और इस समय उन्हें याद करके दुखी नहीं होना चाहता है।

प्रश्न 3: स्मृति को ‘पाथेय’ बनाने से कवि का क्या आशय है?
उत्तर: ‘पाथेय’ अर्थात् रास्ते का भोजन या सहारा। ‘पाथेय’ यात्रा में यात्री को सहारा देता है। स्मृति को पाथेय बनाने से कवि का आशय स्मृति के सहारे जीवन जीने से है। कवि की प्रेयसी उससे दूर हो गई है। कवि के मन-मस्तिष्क पर केवल उसकी स्मृति ही है। इन्हीं स्मृतियों को कवि अपने जीने का सहारा बनाना चाहता है।

प्रश्न 4: भाव स्पष्ट कीजिए –
(क) मिला कहाँ वह सुख जिसका मैं स्वप्न देखकर जाग गया।
 आलिंगन में आते-आते मुसक्या कर जो भाग गया।

उत्तर: कवि कहना चाहता है कि जिस प्रेम के कवि सपने देख रहे थे वो उन्हें कभी प्राप्त नहीं हुआ। कवि ने जिस सुख की कल्पना की थी वह उसे कभी प्राप्त न हुआ और उसका जीवन हमेशा उस सुख से वंचित ही रहा। इस दुनिया में सुख छलावा मात्र है। हम जिसे सुख समझते हैं वह अधिक समय तक नहीं रहता है, स्वप्न की तरह जल्दी ही समाप्त हो जाता है।

(ख) जिसके अरुण कपोलों की मतवाली सुंदर छाया में।
 अनुरागिनी उषा लेती थी निज सुहाग मधुमाया में।

उत्तर: कवि अपनी प्रेयसी के सौंदर्य का वर्णन करते हुए कहता है कि प्रेममयी भोर वेला भी अपनी मधुर लालिमा उसके गालों से लिया करती थी। कवि की प्रेमिका का मुख सौंदर्य ऊषाकालीन लालिमा से भी बढ़कर था।

प्रश्न 5: ‘उज्ज्वल गाथा कैसे गाऊँ, मधुर चाँदनी रातों की’ – कथन के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
 उत्तर: 
उपर्युक्त पंक्तियों से कवि का आशय निजी प्रेम का उन मधुर और सुख-भरे क्षणों से है, जो कवि ने अपनी प्रेमिका के साथ व्यतीत किये थे । चाँदनी रातों में बिताए गए वे सुखदायक क्षण किसी उज्ज्वल गाथा की तरह ही पवित्र है जो कवि के लिए अपने अन्धकारमय जीवन में आगे बढ़ने का एकमात्र सहारा बनकर रह गया । इसीलिए कवि अपने जीवन की उन मधुर स्मृतियों को किसी से बाँटना नहीं चाहता बल्कि अपने तक ही सीमित रखना चाहता है ।

प्रश्न 6: ‘आत्मकथ्य’ कविता की काव्यभाषा की विशेषताएँ उदाहरण सहित लिखिए।
 उत्तर: 
‘जयशंकर प्रसाद’ द्वारा रचित कविता ‘आत्मकथ्य’ की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
1. प्रस्तुत कविता में कवि ने खड़ी बोली हिंदी भाषा का प्रयोग किया है –
2. अपने मनोभावों को व्यक्त कर उसमें सजीवता लाने के लिए कवि ने ललित, सुंदर एवं नवीन बिंबों का प्रयोग किया है कविता में बिम्बों का प्रयोग किया है।
3. विडंबना, प्रवंचना जैसे नवीन शब्दों का प्रयोग किया गया है जिससे काव्य में सुंदरता आई है।
4. मानवेतर पदार्थों को मानव की तरह सजीव बनाकर प्रस्तुत किया गया है । यह छायावाद की प्रमुख विशेषता रही है।
5. अलंकारों के प्रयोग से काव्य सौंदर्य बढ़ गया है। 

प्रश्न 7: कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था उसे कविता में किस रूप में अभिव्यक्त किया है ?
उत्तर: 
कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था उसे वह अपने प्रेमिका के रूप में व्यक्त किया ह । यह प्रेमिका स्वप्न में कवि के पास आते-आते मुस्कराकर दूर चली जाती है और कवि को सुख से वंचित ही रहना पड़ता है। कवि कहता है की अपने जीवन में वह जो सुख का सपना देखा था,, वह उसे कभी प्राप्त नहीं हुआ।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8: इस कविता के माध्यम से प्रसाद जी के व्यक्त्तित्व की जो झलक मिलती है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर: 
इस कविता को पढ़कर प्रसाद जी के व्यक्तित्व की ये विशेषताएँ हमारे सामने आती हैं -

  • सरल और भोले: प्रसाद जी एक सीधे-सादे व्यक्तित्व के इंसान थे। उनके जीवन में दिखावा नहीं था। उनके मित्रों ने उनके साथ छल किया फिर भी वे भोलेपन में जीते रहें।
  • गंभीर और मर्यादित: वे अपने जीवन के सुख-दुख को लोगों पर व्यक्त नहीं करना चाहते थे, अपनी दुर्बलताओं को अपने तक ही सीमित रखना चाहते थे। अपनी दुर्बलताओं को समाज में प्रस्तुत कर वे स्वयं को हँसी का पात्र बनाना नहीं चाहते थे।
  • विनयशील: प्रसाद जी का स्वयं को दुर्बलताओं से भरा सरल दुर्बल इनसान कहना उनकी विनम्रता प्रकट करता हैं।


प्रश्न 9: आप किन व्यक्तियों की आत्मकथा पढ़ना चाहेंगे और क्यों?
उत्तर: मैं उन व्यक्तियों की आत्मकथा पढ़ना चाहूँगा, जिन्होंने अपनी मातृ भूमि और देश के लिए सुखों को ठोकर मार दिया और अपने देश के आन-बान और शान के लिए ठोकरें खाईं, संघर्ष किया और आवश्यकता पड़ने पर मौत को भी गले लगा लिया। मैं राणा प्रताप, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस जैसों की आत्मकथा पढ़ना चाहूँगा।

प्रश्न 10: कोई भी अपनी आत्मकथा लिख सकता है। उसके लिए विशिष्ट या बड़ा होना जरूरी नहीं। हरियाणा राज्य के गुड़गाँव में घरेलू सहायिका के रूप में काम करने वाली बेबी हालदार की आत्मकथा “आलो आंधारि” बहुतों के द्वारा सराही गई। आत्मकथात्मक शैली में अपने बारे में कुछ लिखिए।
उत्तर: मेरा नाम तवांग है। मैं चौदह साल का हूँ। मैं देहात में अपने माता पिता और बड़े भाई के साथ रहता हूँ। हमारा जीवन बड़ा ही कष्टमय है। मेरे गाँव में किसी भी प्रकार की कोई मूलभूत सुविधा (बिजली, पानी, स्कूल, अस्पताल आदि) न होने के करण यहाँ का जीवन बड़ा ही कष्टप्रद है। हमारे गाँव में बच्चों के लिए नजदीक में कोई विद्यालय न होने के कारण हमें करीब चार से पाँच किलोमीटर पैदल जाना पड़ता है। मुझे पढाई के साथ खेत में माता पिता का हाथ भी बटाँना पड़ता है।
हमारा पूरा परिवार कृषि पर ही केन्द्रित होने के कारण हम सभी को खेतों में भरपूर मेहनत करनी पड़ती है। मैं और मेरे मित्र सुबह बड़ी जल्दी उठकर नदी से पानी भरकर लाते हैं, उसके पश्चात् विद्यालय के लिए निकल पड़ते है। रोज विद्यालय से घर के रास्ते में एक मंदिर पड़ता है। मैं और मेरे मित्र रोज उस मंदिर में जाते हैं।
हमारी रास्ते भर शरारतें चलती रहती है। शाम के समय विद्यालय से लौटते समय हमें जंगल से सूखी लकड़ियाँ बटोरकर लानी पड़ती है और हमारे पशुओं के लिए हरा चारा भी लाना होता है। मेरे जीवन का यह लक्ष्य है कि मैं उच्च शिक्षा प्राप्त कर अपने गाँव की तस्वीर बदलूँगा और अपने माता-पिता के सपनों को सच करूँगा। मेरे माता-पिता मुझे एक काबिल डॉक्टर बनाना चाहते हैं। गाँव में पास में अस्पताल न होने के कारण सभी को बीमारी के समय काफ़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इसलिए मैं इसलिए भरपूर मेहनत कर रहा हूँ।

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FAQs on पाठ 3 - आत्मकथ्य, क्षितिज II, हिंदी, कक्षा - 10 NCERT Solutions - NCERT Textbooks & Solutions for Class 10

1. आत्मकथ्य का क्या अर्थ है और यह लेखन में क्यों महत्वपूर्ण है ?
Ans. आत्मकथ्य का अर्थ है अपनी व्यक्तिगत कहानी या अनुभवों को लिखना। यह लेखन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है क्योंकि यह लेखक को अपने विचारों, भावनाओं और अनुभवों को साझा करने का अवसर देता है। इसके माध्यम से पाठक लेखक की मानसिकता और जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझ सकते हैं।
2. आत्मकथ्य लिखने के लिए कौन-कौन से तत्वों का ध्यान रखना चाहिए ?
Ans. आत्मकथ्य लिखते समय कुछ महत्वपूर्ण तत्वों का ध्यान रखना चाहिए, जैसे कि स्पष्टता, ईमानदारी, भावनात्मक गहराई, और संक्षिप्तता। लेखक को अपनी कहानी को सच्चाई के साथ प्रस्तुत करना चाहिए और अनुभवों को इस तरह से व्यक्त करना चाहिए कि पाठक उनसे जुड़ सकें।
3. आत्मकथ्य में कौन-सी भावनाएँ प्रकट की जा सकती हैं ?
Ans. आत्मकथ्य में कई भावनाएँ प्रकट की जा सकती हैं, जैसे कि खुशी, दुख, संघर्ष, सफलता, और आत्मविश्लेषण। ये भावनाएँ लेखक के अनुभवों और जीवन की घटनाओं के अनुसार बदलती हैं, जिससे पाठकों को लेखक के जीवन का एक समग्र चित्र मिलता है।
4. क्या आत्मकथ्य केवल प्रसिद्ध व्यक्तियों द्वारा लिखा जा सकता है ?
Ans. नहीं, आत्मकथ्य केवल प्रसिद्ध व्यक्तियों द्वारा नहीं लिखा जा सकता। कोई भी व्यक्ति, चाहे वह आम हो या खास, अपने अनुभवों को साझा कर सकता है। आत्मकथ्य लिखने का अधिकार सभी को है, और यह समाज के विभिन्न वर्गों की आवाज को उजागर करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।
5. आत्मकथ्य लेखन में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है ?
Ans. आत्मकथ्य लेखन में कई चुनौतियाँ होती हैं, जैसे कि अपनी निजी भावनाओं को व्यक्त करना, कठिन अनुभवों को साझा करना, और पाठकों के सामने खुद को Vulnerable दिखाना। इसके अलावा, लेखकों को यह भी सोचने की आवश्यकता होती है कि उनकी कहानी दूसरों पर क्या प्रभाव डालेगी।
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