प्रश्न 1: ‘सड़क के किनारे एक सुंदर फ्लैट में बैठक का दृश्य। उसका एक दरवाज़ा सड़क वाले बरामदे में खुलता है… उस पर एक फ़ोन रखा है। इस बैठक की पूरी तसवीर बनाओ।
उत्तर: बैठक में फ़र्श पर कालीन बिछा है। इसके ऊपर सोफा सेट रखा है। कोने में तिपाही पर फूलदान सज़ा है। दूसरे कोने में टेबल लैंप रखा है। कमरे के बीच में शीशे की मेज़ रखी है। मेज़ पर अखबार और पत्रिकाएँ रखी हैं। दीवार पर दो सुंदर पेंटिंग टंगी हुई हैं।
- छात्र दिए गए विवरण के आधार पर चित्र बनाएँ।
प्रश्न 2: माँ मोहन के ‘ऐसे-ऐसे’ कहने पर क्यों घबरा रही थी?
उत्तर: माँ का घबराना स्वाभाविक था क्योंकि मोहन कुछ बताता ही नहीं था बस ऐसे-ऐसे इशारे किए जा रहा था।। माँ ने सोचा पता नहीं यह कौन-सी बीमारी है और कितनी भयंकर है। इसलिए मोहन की माँ घबरा गई थी।
प्रश्न 3: ऐसे कौन-कौन से बहाने होते हैं जिन्हें मास्टर जी एक ही बार सुनकर समझ जाते हैं? ऐसे कुछ बहानों के बारे में लिखो।
उत्तर: ऐसे कई बहाने हैं जिन्हें मास्टर जी एक ही बार में सुनकर समझ जाते हैं। जैसे-पेट दर्द, सिर दर्द या बुखार का बहाना, माँ की बीमारी, पिताजी के शहर से बाहर गए होने का बहाना, स छूट जाने का बहाना, इत्यादि।।
प्रश्न 1: स्कूल के काम से बचने के लिए मोहन ने कई बार पेट में ऐसे-ऐसे’ होने के बहाने बनाए। मान लो, एक बार उसे सचमुच पेट में दर्द हो गया और उसकी बातों पर लोगों ने विश्वास नहीं किया, तब मोहन पर क्या बीती होगी?
उत्तर: यदि कभी सचमुच दर्द हो जाए और लोग उसकी बातों पर विश्वास न करें, तब जाकर मोहन को पता चलेगा कि झूठ बोलने से क्या नुकसान होता है। उसे अपनी आदत पर पछतावा होगा और संभवतः वह भविष्य में कभी झूठ बोलने से तौबा कर ले।
प्रश्न 2: पाठ में आए वाक्य ‘लोचा-लोचा फिरे है, के बदले ढीला-ढाला हो गया है या बहुत कमज़ोर हो गया है-लिखा जा सकता है लेकिन, लेखक ने संवाद में विशेषता लाने के लिए बोलियों के रंग-ढंग का उपयोग किया है। इस पाठ में इस तरह की अन्य पंक्तियाँ भी हैं; जैसे-
- इत्ती नई-नई बीमारियाँ निकली हैं,
- राम मारी बीमारियों ने तंग कर दिया,
- तेरे पेट में तो बड़ी दाढ़ी है।
• अनुमान लगाओ, इन पंक्तियों को दूसरे ढंग से कैसे लिखा जा सकता है।
उत्तर: इतनी नयी-नयी बीमारियाँ निकली हैं।
- इन बीमारियों ने परेशान कर दिया है।
- तुम तो बहुत चालाक हो।
प्रश्न 3: मान लो कि तुम मोहन की तबीयत पूछने जाते हो। तुम अपने और मोहन के बीच की बातचीत को संवाद के रूप में लिखो।
उत्तर: मैं- अरे मोहन ! कैसे हो? क्या हुआ है तुम्हें?
मोहन- कुछ नहीं भाई। बस पेट में ऐसे-ऐसे हो रहा है।
मैं- ऐसे कैसे?
मोहन- बस ऐसे-ऐसे।
मैं- डॉक्टर को दिखाया?
मोहन- डॉक्टर को भी दिखाया और वैद्य की भी दवा मिली है खाने को।
मैं- क्या कहा उन्होंने?
मोहन- उन्होंने कब्ज और बदहजमी बताया है।
मैं- ठीक है, दवा खाओ और जल्दी ठीक होने की कोशिश करो। कल से स्कूल खुल रहा है, याद है न।।
मोहन- हाँ, हाँ, याद है।
मैं- अब मैं चलता हूँ। कल स्कूल जाते समय आऊँगा। अगर पेट ठीक हो जाए तो तुम भी तैयार रहना।
मोहन- अच्छा भाई ! धन्यवाद।
प्रश्न 4: संकट के समय के लिए कौन-कौन से नंबर याद रखे जाने चाहिए? ऐसे वक्त में पुलिस, फायर ब्रिगेड और डॉक्टर से तुम कैसे बात करोगे? कक्षा में करके बताओ।
उत्तर: संकट के समय के लिए पुलिस स्टेशन का नंबर 100, फायर ब्रिगेड का नंबर 101, तथा एंबुलेंस बुलाने का नंबर 102 याद रखना चाहिए। यदि कहीं कोई दुर्घटना, चोरी या मार-पीट हो जाए तो पुलिस स्टेशन का 100 नंबर डायल करके घटना की सूचना देते हुए उस स्थान का पता देना चाहिए और शीघ्र आने का निवेदन करना चाहिए। इसी प्रकार आग लग जाने पर फायर ब्रिगेड का 101 नंबर और किसी के अचानक बीमार पड़ जाने पर शीघ्र इलाज के लिए एंबुलेंस बुलाने हेतु 102 नंबर डायल कर घटना की जानकारी देते हुए उस स्थान का पता जरूर बता देना चाहिए, जहाँ उनकी जरूरत है।
- छात्र कक्षा में अभिनय करके बताएँ कि ये सारी बातें फोन पर कैसे कही जाएँगी।
मास्टर: ” स्कूल का काम तो पूरा कर लिया है?
(मोहन हाँ में सिर हिलता है।)
मोहन: जी, सब काम पूरा कर लिया है।
• इस स्थिति में नाटक का अंत क्या होता ? लिखो।
उत्तर: ऐसी स्थिति में मास्टर जी समझ जाते कि मोहन बहाना नहीं कर रहा है। उसके पेट में सचमुच दर्द है। वे मोहन के माता-पिता को उसका ठीक से इलाज कराने की सलाह देते।
प्रश्न 1: (क) मोहन ने केला और संतरा खाया।
(ख) मोहन ने केला और संतरा नहीं खाया।
(ग) मोहन ने क्या खाया?
(घ) मोहन केला और संतरा खाओ।
• उपर्युक्त वाक्यों में से पहला वाक्य एकांकी से लिया गया है। बाकी तीन वाक्य देखने में पहले वाक्य से मिलते-जुलते हैं, पर उनके अर्थ अलग-अलग हैं। पहला वाक्य किसी कार्य या बात के होने के बारे में बताता है। इसे विधिवाचक वाक्य कहते हैं। दूसरे वाक्य का संबंध उस कार्य के न होने से है, इसलिए उसे निषेधात्मक वाक्य कहते हैं। (निषेध का अर्थ नहीं या मनाही होता है।) तीसरे वाक्य में इसी बात को प्रश्न के रूप में पूछा जा रहा है, ऐसे वाक्य प्रश्नवाचक कहलाते हैं। चौथे वाक्य में मोहन से उसी कार्य को करने के लिए कहा जा रहा है। इसलिए उसे आदेशवाचक वाक्य कहते हैं। आगे एक वाक्य दिया गया है। इसके बाकी तीन रूप तुम सोचकर लिखो।
इसके बाकी तीन रूप तुम सोचकर लिखो
बताना- रूथ ने कपड़े अलमारी में रखे।
नहीं/मना करना : ……….
पूछना : ………
आदेश देना : ……….
उत्तर: नहीं/मना करना: रुथ ने कपड़े अलमारी में नहीं रखे।
पूछना: क्या रुथ ने कपड़े अलमारी में रखे ?
आदेश देना: रुथ कपड़े अलमारी में रखो।
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