आपने सिविल सेवाओं का चयन क्यों किया? सिविल सेवाएँ आपके जीवन के किस उद्देश्य को पूरा करती हैं? आप IAS/IPS/IRS क्यों बनना चाहते हैं? साक्षात्कार में इन सभी सवालों और शौक के बारे में पूछा जाता है। साक्षात्कार में ये कुछ बुनियादी सवाल होते हैं। पाठकों को इस पर आश्चर्य हो सकता है कि मैं इस पुस्तक की शुरुआत में ही यह चर्चा क्यों कर रहा हूँ। क्योंकि साक्षात्कार में आप जो उत्तर देते हैं वह बहुत भिन्न और आपके सिविल सेवाओं के अध्ययन करने के वास्तविक कारण के विपरीत हो सकता है!
सिविल सेवाओं का अध्ययन करने के कारण या प्रेरणा की आपको जानकारी होनी चाहिए। यह अव्यक्त रूप में बिल्कुल नहीं रहना चाहिए। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि सही कारण छिपाने की प्रवृति विशेष रूप से तब होती है जब आप सार्वजनिक मंच में इसका खुलासा नहीं कर सकते। आप खुलकर इसका खुलासा नहीं कर सकते लेकिन आपको इसकी सही जानकारी होनी चाहिए क्योंकि तैयारी की विकासवादी प्रक्रिया के दौरान कुछ स्वीकार्य रूपों में यह सही मायने में ढालने में मददगार होगी ताकि आपको साक्षात्कार में झूठ बोलने या कारणों को छिपाने की जरूरत न पड़े! प्रिय दोस्तो, मैं आपको बता दूँ कि UPSC सिविल सेवाओं के साक्षात्कार पैनल में बैठे लोग विशेषज्ञ और अनुभवी बुद्धिजीवी होते हैं और झांसा देने, गड़बड़ करने या तथ्यों को छिपाने की तकनीक का सहारा लेना उचित नहीं है। विचारों को ईमानदारी से प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है और इसे स्पष्टता के साथ प्रस्तुंत किया जाना चाहिए। इस प्रकार, साक्षात्कार की तैयारी उस दिन से शुरू होती है जिस दिन आप सिविल सेवाओं के लिए अध्ययन करने का निर्णय लेते हैं। और पहला कदम आत्मनिरीक्षण और अध्ययन के कारण पर निर्णय करना है और धीरे-धीरे इसे सिविल सेवाओं के सामाजिक रूप से स्वीकार्य परिप्रेक्ष्य में अत्यंत सीमित से व्यापक रुप में विकसित करना है।
इस प्रयोजन के लिए उम्मीदवारों के सिविल सेवाओं में जाने के विभिन्न कारणों की सूची नीचे दी गई है, उनमें कुछ कारण मेरे अपने हैं। कारण का संकीर्ण नजरिए से व्यापक दृष्टिकोण तक परिवर्तन होना आवश्यक है जिसे सोचने के लिए कुछ तरीके प्रस्तुत हैं, इनका सतत अध्ययन कर अपने व्यक्तित्व में आत्मसात करना जरुरी है।
(ए) पॉवर: आश्चर्यजनक रैंक सहित अपने तीसरे प्रयास में सफल होने वाले एक उम्मीदवार ने सार्वजनिक मंच से अपना प्रेरणा स्रोत बताया, “जब मैं बालक था तो जिला कलेक्टर ऑफिस के सामने से जाते हुए मैंने अपने पिता से पूछा कि यह किसका ऑफिस है और इस ऑफिस का उद्देश्य क्या है। मेरे पिताजी ने कहा कि वह हमारे क्षेत्र के भगवान हैं जो स्वर्ग से उतरकर आए हैं। जो वह कहते हैं वही किया जाता है!" मैं उस व्यक्ति की सच्चाई की खुलकर घोषणा करने के लिए प्रशंसा करता हूँ कि उसके आईएएस अधिकारी बनने की प्रेरणा पॉवर है। हालांकि, उसने व्यक्तिगत रूप से मुझे बताया कि साक्षात्कार में कोई भी इतना खुलकर नहीं कह सकता। इस प्रकार, यह सच्चाई स्वीकार करने में कोई हानि नहीं कि सिविल सेवा की प्रतिष्ठा प्रेरित करती है और कारक के रूप में कार्य करती है। फिर भी, सत्ता के उपयोग मात्र के लिए अपने सच को बदलना होगा। मैं विकासवादी प्रक्रिया की बात कर रहा हूं।
आपके पास इस विचार की एक सतत अंतधारा का होना आवश्यक है, "हाँ! मैं सत्ता के लिए प्रयास करता हूँ लेकिन उस शक्ति के उपयोग का साक्षी मात्र हूँ।" प्रिय अभ्यर्थियो, मन में आत्मसात इस विचार के साथ आप स्वयं के लिए सच्चे होंगे और सिविल सेवाओं के लिए सही दिशा में लक्ष्य ओर अग्रसर होंगे।
(बी) धन: सबसे बड़े प्रेरक कारकों में से एक है स्वयं को विडंबना में डूबा पाना। सिविल सेवाओं में ऐसा नहीं है। सिवाय तब तक जब तक इसे पाने के लिए अनुचित साधनों का उपयोग न किया जाए। सिविल सेवाएं औसत रहन-सहन से परे सम्मानीय जीवन का भरोसा देती हैं। लेकिन जहां तक आर्थिक पहलू की बात है, ईमानदार नौकरशाहों का कोर्पोरेटोक्रेट से कोई मुकाबला नहीं। जब मैं कोर्पोरेटोक्रेट कहता हूँ तो इस शब्द से मेरा तात्पर्य उन लोगों से है जो – निदेशकों, प्रमोटरों, हैज फंड मेनेजरों, व्यापारिक घरानों आदि के शीर्ष स्तर पर कंपनियां चला रहे हैं।
धन की भूख से सामंजस्य बैठाते हुए सिविल सेवाओं से धन कैसे कमाएं? अनेक लोगों को यही दुविधा है। यहाँ हमें यह तथ्य समझना चाहिए कि सिविल सेवा भी निजी क्षेत्र में हमें असंख्य अवसर प्रदान करती है। एक नौकरशाह के रूप में 5 या 7 वर्षों के अनुभव के बाद कोई भी आराम से प्राइवेट सेक्टर में वरिष्ठ स्तर की हैसियत से काम कर सकता है या बेहतर प्रशासन कार्य के अनुभव के साथ अपना उद्यम शुरू कर सकता है। कुछ मौकों पर आपको दो परस्पर विरोधी विकल्पों में से एक का चयन करना होता है!
(सी) असफल/मध्यम दर्जे के लोग: IITs से काफी उम्मीदवार आ रहे हैं। ये मुख्यतया 5 से 6 पॉइंटर होते हैं और IITs के कठिन प्रतिस्पर्धी माहौल में शैक्षिक रूप से अच्छा नहीं कर सके। इस प्रकार, उनके प्लेसमेंट उनके स्तर के अनुरुप नहीं हो पाए।
एक बार मैंने अपने मित्र, जो IIT से नौ पॉइंटर था और USA में पीएचडी कर रहा था, से पूछा, "आप भारत क्यों नहीं आ जाते और सिविल सेवाओं के लिए अध्ययन क्यों नहीं करते? आप नौ पॉइंटर हैं इसलिए आप निश्चित तौर पर इसमें सफल हो सकते हैं!” उसने चौकाने वाला उत्तर दिया," मैंने कॉलेज जीवन के दौरान पढ़ाई में अपनी सारी ऊर्जा खर्च कर दी है। अब मैं थोड़ा आराम करना चाहता हूँ और किसी विकसित देश के गुणवत्ता प्रस्ताव का आनंद लेना चाहता हूँ।" उसने हल्के हास्य के साथ कहना जारी रखा, “इसके विपरीत, आप इसे करने की अच्छी स्थिति में हैं। आपमें फालतू ऊर्जा बची हुई जो आपने कॉलेज जीवन में बचाई थी और 5 पॉइंटर रहे थे", हमारे हंसने के बीच उसने कहना जारी रखा,”और यह आपको एक बार फिर अपनी क्षमताएं साबित करने का अवसर देता है।" उस बातचीत के बाद एक सप्ताह के भीतर मैंने स्वयं को सिविल सेवाओं के लिए अध्ययन करते पाया।
अनेक अभ्यर्थी ऐसे हैं जिनकी झोली में कई बार असफलता ही आई। कुछ ने IIT को मिस किया और NIT में पहुंच गए। कुछ सरकारी कॉलेजों तक भी नहीं पहुंच सके। कुछ ने अपनी किशोरावस्था में पहले अच्छा नहीं किया और मजबूरी में आर्टस या वाणिज्य लेना पड़ा। सभी वाणिज्य के छात्र SRCC में नहीं जा सकते साथ ही सभी मेडिकल छात्रों को AIIMS नहीं मिलेगा। मेरे जैसे कईयों ने अपने कॉलेज में गड़बड़ कर दी और घटिया ग्रेड के साथ पढ़ाई पूरी की। ये सभी लोग समाज में स्वयं को श्रेष्ठ साबित करने में लगे हैं कि उनमें उत्साह है और वे महत्वपूर्ण हैं। और भारतीय शिक्षा प्रणाली ऐसी है कि यह अतीत को सही करने का मौका देती है। सिविल सेवा परीक्षा एक ऐसा ही साधन है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि हमें अपनी असफलताओं, गलतियों और गलत निर्णयों को स्वीकार करना चाहिए और उसके बाद ही हम उन्हें ठीक करने का प्रयास शुरु कर सकते हैं।
(डी) कार्य के वर्तमान प्रोफाइल के साथ असंतोष: यह अनेक तरीके से पैदा हो सकता है। आमतौर पर IT sector के लोग खुद को कंप्यूटर के समक्ष बंधन में पाते हैं; नीरस दिनचर्या से जूझते हैं। PSU में युवाओं को प्रबंधन प्रशिक्षु की आरंभिक स्थिति में निर्णय लेने की अत्यधिक आजादी नहीं होती। इंजीनियरिंग क्षेत्र में आरंभिक नौकरी पैकेज युवा प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। शिक्षण, चाहे स्कूलों, कॉलेजों में हो या कोचिंग संस्थानों में हो, लिंग पूर्वाग्रह से ग्रस्त होता है और इसे असफल व्यक्तियों के पेशे के रूप में चिह्नित किया गया है। कॉलेज से ग्रेजुएशन कर रहा मध्यम वर्गीय व्यक्ति क्षमता और कौशल, दोनों के साथ-साथ धन के अभाव में व्यापार करना बहुत कठिन मानता है। सेवा क्षेत्र में क्षमता निर्माण, उद्यमशीलता, फंडिंग और व्यवसायीकरण का आपसी संबंध कमजोर है और उत्पादन क्षेत्र में लगभग न के बराबर है। जब मैं राष्ट्रीयकृत बैंकों के लिए एक व्यापार कंसलटेंसी चला रहा था तो मुझे ठीक ऐसा ही सामना करना पड़ा।
इस प्रकार, वर्तमान परिदृश्य में सिविल सेवा युवाओं के साथ जुड़ा पाती है और यही कारण है कि हम प्रारंभिक परीक्षा में कटऑफ की बढ़ती प्रवृत्ति से प्रत्येक वर्ष बढ़ रही प्रतिस्पर्धा देखते हैं (यद्यपि, CSAT 2014 रूझान से भटक रहा है लेकिन इसके कारण भिन्न हैं)। नौकरी छोड़ने के अपने कारण को जानना और परीक्षा के लिए जाने का निर्णय लेना अनिवार्य हो जाता है।
(ई) प्रतिशोध: हरेक को विश्वास है कि सिविल सेवा उत्तीर्ण करने के बाद वो अपने निजी समीकरणों को बनाने में सक्षम होंगे। मैं नहीं जानता कि यह कहाँ तक संभव है। लेकिन सबसे बुरी स्थिति में, यहां तक भ्रांतियां में होने पर भी, अभ्यर्थी इस वादे के साथ विश्वास बनाए रख सकते हैं कि वे इसे तब तक प्रकट नहीं करेंगे जब तक काम पूरा नहीं हो जाता। यह अपरंपरागत तंत्र ऊर्जा का स्रोत हो सकता है बशर्ते सार्वजनिक रूप से प्रयोजन के खुलासे से इसे बिगाड़ा न गया हो। धीरे-धीरे समय के साथ-साथ, चिंताओं का व्यापक दबाव सिविल सेवा चुनने के कारणों में शामिल हो जाएगा।
एफ) रणनीतिक गठबंधन: जब CSE 2013 में मेरा चयन हुआ तो मेरा एक करीबी दोस्त, जो स्वयं एक अभ्यर्थी था, बधाई देने मेरे घर आया और कहा “सेठी जी अब आपका रेट कम से कम एक करोड़ रूपये है।" हम उसकी बेतकलुफ टिप्पणी पर हँसे। लेकिन इस मामले में गहनता से सोचने पर हमें एहसास होगा कि कुछ अभ्यर्थी भी रणनीतिक गठबंधन, व्यवसायिक घराने या राजनीतिक परिवार की संभावना से प्रेरित हो सकते हैं। आप एक कारक के रूप में विचार कर निर्णय करें और स्वीकारें, हालांकि आप इसे व्यक्त नहीं कर सकते।
(जी) उत्कृष्टता की खोज: आपका ऐसे लोगों से सामना हो सकता है जो स्वयं को लगातार प्रमाणित करते रहे हों। उनकी प्रेरणा उत्कृष्टता की खोज है। वे जहाँ भी जाएंगे, अग्रगण्य होंगे और उस समय का सर्वोत्तम अवसर प्राप्त करेंगे। डी सुब्बाराव, रघुराम राजन और इसी तरह के कुछ अन्य उदाहरण। उनके कैरियर ग्राफ की जाँच करें तो आप ऐसा पाएंगे। मैं एक व्यक्ति को जानता हूँ जो बिहार के थे और वर्ष 2003 के दौरान IIT JEE प्रवेश परीक्षा में पहले पाँच में स्थान पाया। IIT के दिनों में वह नौ पॉईंटर थे और दूसरे प्रयास में उसने सिविल सेवाओं में अखिल भारतीय रैंक में पहले पांच में स्थान पाया। ऐसा बहुत दुर्लभ होता है और इस लॉट में जगह पाने के लिए अभ्यर्थी की अंतरआत्मा में सच होना चाहिए। यदि आप उत्कृष्टता की खोज से प्रेरित हैं और आपका अतीत वही सुझाव देता है तो आप इस वर्ग में शामिल हो जाएंगे।
इसके अलावा, कैरियर उन्मुख होकर और साथ ही इसके लिए प्रयास करते हुए स्वयं के लिए बेहतर करना सिविल सेवाओं के लक्ष्यों के विपरीत नहीं है। वास्तव में इन्हें एक दूसरे को मजबूत करने के रूप में देखा जाना चाहिए।
(एच) व्यापक दृष्टिकोण: उपर्युक्त समस्त निजी शक्तिशाली कारकों को तैयारी के दौरान स्वीकार्य और सामाजिक रूप से प्रस्तुत करने योग्य रूपों में मूर्तरुप दिया जाना है। इसके लिए बुनियादी समझ की जरूरत है कि वे लक्ष्य क्या हैं जिनके लिए सिविल सेवा मौजूद है और क्यों है। सिविल सेवा की दो आधारशिलाएं हैं- राष्ट्र निर्माण और सार्वजनिक सेवा।
हमें यह तथ्य समझना है कि सिविल सेवा को प्राप्त करने के निजी प्रयासों के अलावा समाज का भी सहयोग होता है, भले ही कम हो। इसके अलावा माता-पिता, भाई-बहन, रिश्तेदारों और दोस्तों के तात्कालिक सहयोग के अलावा समाज का सहयोग होता है जिसका हम हिसाब नहीं रखते अथवा इसे प्राय: नजरअंदाज कर दिया जाता है। सफाई कर्मचारी जो हमारा कमरा साफ करता है, कुक जो भोजन खिलाता है, यदि हम किराए के अपार्टमेंट में रहते हों, रिक्शा चालक जो हमें हमारे कमरे से कोचिंग संस्थान तक खींचकर ले जाता है, प्राइमरी से ग्रेजुएट स्तर के सभी शिक्षक, वह व्यक्ति, जो हर रोज सुबह अखबार फेंकता है इत्यादि। प्रयास करें और उनके चेहरे याद करें, उनकी स्थिति समझें और उनके जीवन की चुनौतियों का एहसास करें।
इन योगदानों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्हें बड़े पैमाने पर समाज को लौटाना है। और इसी के लिए हैं- सिविल सेवाएँ। निर्णयों, विचारों, नीतियों को लागू करने आदि के माध्यम से इससे हमें जनता की सेवा का अवसर मिलता है। सिविल सेवाओं की पहुंच दूर तक है और उतनी ही बड़ी जिम्मेदारी भी। यदि सिविल सेवाओं के कर्मी अक्षम हों, केवल निजी उपलब्धियों तक सीमित हों या उनमें सिविल सेवाओं के बुनियादी लोकाचार की कमी हो तो हमारे समाज की दुर्दशा की कल्पना करें। यह अपने निर्णयों, विचार-विमर्श, नीतियों इत्यादि को लागू करने के माध्यम से लोगों की सेवा करने का अवसर प्रदान करती है। इसी झुकाव के कारण अध्ययन के दौरान हम अपना व्यक्तित्व ही भुला बैठते हैं, लेकिन साक्षात्कार से एक सप्ताह पहले नहीं!
इस प्रकार जैसा कि मैंने कहा, निजी लक्ष्य, व्यक्तिगत एजेंडे को स्पष्ट समझते हुए उस पर विचार करना चाहिए। आम तौर पर, सिविल सेवाओं के लिए अध्ययन करने का एकमात्र निजी कारण नहीं हो सकता, दो या तीन एकसाथ भी हो सकते हैं। एक बार सटीक मूल कारण सामने आ जाए तो यह मत समझिए कि कार्य समाप्त हो गया। अब लक्ष्य होना चाहिए - संकीर्ण निजी कारण को सिविल सेवाओं के व्यापक दृष्टिकोण से समायोजित करना और ऐसा करने में समय लगेगा। जैसे-जैसे हमारी तैयारी आगे बढ़ेगी, यह निश्चित रूप से लेकिन धीरे-धीरे होगा; केवल पूरी जानकारी के साथ कि यह परिवर्तन एक ही रात में पूरा नहीं हो सकता। इस तरह मैं सही ढंग से कह सकता हूँ कि साक्षात्कार की तैयारी सिविल सेवाओं के अध्ययन करने के विचार से शुरू होती है।
1. सिविल सेवाओं में जाने के लिए UPSC द्वारा आयोजित परीक्षा क्या होती है? |
2. सिविल सेवाओं में जाने के लिए UPSC परीक्षा के लिए पात्रता मानदंड क्या होते हैं? |
3. UPSC परीक्षा की तैयारी के लिए कौन-कौन से विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए? |
4. UPSC परीक्षा में लिखित परीक्षा की संरचना क्या होती है? |
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