A) मैं अपने पूरे कैरियर में औसत या औसत से नीचे का छात्र रहा हूँ। क्या मैं सिविल सेवा में सफल हो सकता हूँ?
प्रिय अभ्यर्थी, मुझे आपको अवश्य बताना चाहिए कि सिविल सेवाओं की यह परीक्षा औसत छात्रों की है। जो पूरे कैरियर में अपने लक्ष्य में औसत रहे, इस परीक्षा में उनके उत्तीर्ण होने की बेहतर संभावनाएं हैं। वास्तव में, स्कूल जीवन मैं एक औसत छात्र था और आर्टस विषय में औसत से थोड़ा कम था। इसके अलावा, मैंने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पांच पॉइंटर से उत्तीर्ण की। इस प्रकार, मैं महसूस करता हूँ कि किसी व्यक्ति ने अभी तक अपने कैरियर में औसत या औसत से कम प्रदर्शन किया है, दृढ़ निश्चय से शुरू कर, मध्यम दर्जे का यह टैग उतार फैंका जाए, इससे पेपर उत्तीर्ण करने के अवसर बढ़़ हो जाते हैं।
B) क्या IITs, IIMs, SRCC, JNU, AIIMs, Maulana, इत्यादि के लोगों के लिए सिविल सेवाओं में बेहतर संभावनाएं हैं?
हाल के दिनों में हमने काफी इंजीनियरों और डॉक्टरों को सिविल सेवाओं में सफल होते देखा है विशेषरूप से ऐसे लोगों को जो अंतरराष्ट्रीय ख्याति वाले राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों से हैं। लेकिन प्रश्न उठता है कि ऊपर बताए लोग अच्छा प्रदर्शन क्यों करते हैं। उन पर समाज की उम्मीदों को बनाए रखने का दवाब होता है जो उन्हें अच्छा प्रदर्शन करने में सहायक होता है। IIT के मेरे मित्रों में से एक प्रारंभिक परीक्षा के अपने दूसरे प्रयास में असफल हो गया। घटनाक्रम पर सोचते हुए उसने स्पष्ट कहा कि "मैं शर्मिंदा हूँ क्योंकि किसी भी IITian से प्रारंभिक परीक्षा में विफल होने की उम्मीद नहीं होती।" यह क्या है? यह समाज की उम्मीद का तात्कालिक दबाव है जो इन लोगों को प्रयास तेज करने में मदद करता है। लेकिन यहाँ बात समझने की है। तैयारी के दौरान भूल जाना चाहिए कि वो सफल स्नातक स्तर की पढ़ाई की एक विरासत है, अन्यथा मैंने दिग्गजों को भी आत्मतुष्ट बनते देखा है और यहां तक कि चार प्रयासों के बाद भी उनके हाथ खाली रहे।
C) मैं IITs, IIMs, SRCC, JNU, AIIMS, Maulana आदि से नहीं हूँ। क्या मेरे लिए मौका है? मैं कैसे शुरू करूँ?
अब यदि आपके कॉलेज के 'पर्याप्त प्रतिष्ठित' न होने के कारण आप पर बाहरी दबाव नहीं है और इस तरह उस कॉलेज या संस्थान के लोगों को आजीवन मध्यम दर्जे का बने रहने की उम्मीद रहती है, तब उम्मीद का आंतरिक दबाव पैदा किया जाना है। जो अभ्यर्थी IITs, IIMs, AIIMS आदि से नहीं हैं उन्हें स्वयं की उम्मीद अवश्य बनानी होगी। उन्हें स्वयं का आंतरिक दबाव बनाना होगा क्योंकि उनके आसपास के लोग उनसे उस लक्ष्य को पाने की उम्मीद नहीं करते जिसे बड़ा माना जाता है और न ही वे ऐसा चाहते हैं।
प्रिय उम्मीदवार, इन लाइनों के बारे में सोचें। किसी कॉलेज से कोई व्यक्ति– जो टॉप लीग कॉलेजों में नहीं है– क्यों चाहेगा कि उसके दोस्तों में से कोई सिविल सेवाओं का लक्ष्य प्राप्त करे। निरुत्साहित करने वाला व्यक्ति निश्चित रूप से दो बातें जानता है; a) उसकी एक वर्ष तक धैर्यपूर्वक बैठकर पढ़ाई करने की इच्छा नहीं होती और b) यदि आप सिविल सेवा में सफल होते हैं तो वह हीनता का शिकार होगा और वह व्यक्ति कैरियर में पीछे छूट जाएगा। इस प्रकार वह आपको UPSC सिविल सेवा की तैयारी से आतंकित करने के लिए भावुक सलाहें देने का प्रयास करेगा।
इस प्रकार, एक बार आपने पढ़ाई करने का मन बना लिया है, तो आंतरिक दवाब बनाने का सर्वोत्तम तरीका अपनी स्थिति को सार्वजनिक करना है। इस तथ्य से न शरमाएँ या छिपाने का प्रयास न करें कि आप UPSC के लिए अध्ययन कर रहे हैं। मैंने अनेक लोगों में इसे देखा है। वे UPSC के लिए अध्ययन करते हैं लेकिन कभी स्वीकार नहीं करते। यह विफलता की असुरक्षा दर्शाती है और आपको कमजोर बनाती है। यह किसी प्रशासक की विशेषता नहीं है। आपको अपने निर्णय पर दृढ़ रहना होगा, इसमें लगे रहना होगा और परिणाम जैसे भी हों, भुगतने के लिए तैयार रहना होगा। जो भी आपसे पूछा जाए उसके प्रति दृढ़ और निश्चयी बनें,"हाँ. मैं सिविल सेवाओं के लिए अध्ययन कर रहा हूँ और मैं अपेक्षित लक्ष्य पाने के लिए आपके सहयोग की उम्मीद करता हूँ।" इसका प्रयास करें। आप निश्चित रूप से स्वयं को मजबूत पाएंगे और ऐसे लोगों का समूह स्वतः एक दूसरे को सुदृढ़ बनाएगा और जो लोग आपके प्रति उदासीन हैं वे अन्य शिकार ढूंढ लेंगे।
D) सभी प्रयास करने के बावजूद यदि असफलता मिली तो?
यदि भविष्य इतना ही निश्चयात्मक होता तो जीवन में मजा ही कहां था? हर क्षेत्र में हम अवसर की बात करते हैं और यह अध्ययन इस नियम का अपवाद नहीं है। इस खेल में हार का खतरा वास्तविक है। लेकिन यह कम हो सकता है और इसे कम से कम किया जा सकता है। स्वयं को पेशेवर के रूप में तैयार करें। बड़ी सफलता से पहले आंशिक सफलता का स्वाद चखें। परीक्षा के फॉर्म में वो भरें जो सिविल सेवाओं से संबन्धित हों जैसे SSC का सामान्य स्नातक स्तर, Assistant Commandant, APFC इत्यादि। सरकार द्वारा किए जाने वाले परिवर्तनों के प्रति जागरुक रहें।
किसी भी परीक्षा में चयन सिविल सेवा के लिए आपकी दो तरह से मदद करेगा: a) आपके उप-चेतन मन में हमेशा सुरक्षा होगी कि मेरे पास सहारे के लिए कुछ है और b) यह साक्षात्कार में आपकी मदद करेगा। (साक्षात्कार के लिए तैयारी अघ्याय में विस्तार से पढ़ें)
जब मैं SSC द्वारा भर्ती किए जाने वाले जूनियर इंजीनियर का फॉर्म भर रहा था तो मेरे कॉलेज के दोस्तों में से एक ने मुझे बताया, "IITians से ये आशा नहीं होती कि वे मध्यम दर्जे का काम करें। यह दयनीय है कि आप इसे कर रहे हैं।" उन्होंने कभी महसूस नहीं किया कि मैंने SSC और Engineering services, दोनों को अंतिम लक्ष्य के लिए उन्नति का मार्ग माना है। वही सच है कि SRCC या college of business studies या कहें NLUs के ग्रेजुएट SSC द्वारा आयोजित सामान्य स्नातक स्तर की परीक्षा के फार्म भरते देखे जाते हैं। कोई विशेष परीक्षा मेरे स्तर के लिए नहीं है, ऐसा कहना ही तर्कहीन है। उन सभी परीक्षाओं के फॉर्म भरें जिनके लिए आप फिट हैं, उन्हें उत्तीर्ण करें और कुछ सुरक्षित हो जाएं।
E) CSE में सफल नहीं होने पर भी क्या किसी राज्य लोक सेवा परीक्षा में सफल होना निश्चित है।
यह एक भम्र है। इसके शिकार न बनें। मैं सिर्फ दो कारणों से राज्य लोक सेवा परीक्षाओं को CSE से कठिन मानता हूं: a) कोर्स की सामग्री और संरचना CSE से काफी भिन्न है तथा एक राज्य से दूसरे राज्य में अंतर होता है; और b) आयु सीमा का CSE की आयु सीमा से पांच वर्ष अधिक होना प्रतियोगिता को कठिन बनाता है क्योंकि अधिक परिपक्व और अनुभवी लोग परीक्षा में बैठते हैं।
सोच यह होनी चाहिए कि राज्य PSC परीक्षाएँ उन लोगों के लिए सरल काम नहीं जिन्होंने अपना CSE कोर्स पूरा कर लिया हो और इस गलतफहमी में न रहें कि अध्ययन पूरा हो गया। राज्य PSC के लिए आपको भिन्न दृष्टिकोण से अध्यन्न करना होगा।
F) मैं आरक्षित वर्ग से हूँ इसलिए मेरे पास अधिक अवसर हैं। मेरा इनमें से किसी में सफल होना निश्चित है?
सबसे खतरनाक धारणा। क्या कोई भी मात्रात्मक रूप से बता सकता है कि सामान्य वर्ग के छात्र की इनपुट की तुलना में आरक्षित वर्ग के आरक्षण के कारण उस वर्ग के छात्र के लिए प्रयास में कितनी कमी स्वीकार्य है? यदि सामान्य वर्ग के छात्र के लिए सिविल सेवा को उत्तीर्ण करने के लिए एक वर्ष तक औसतन दैनिक 6 घंटे का अध्ययन पर्याप्त है, तो OBC के अभ्यर्थी के लिए 5 घंटे, SC के अभ्यर्थी के लिए 4 घंटे और ST के अभ्यर्थी के लिए 3 घंटे पर्याप्त हो सकता है। भिन्न-भिन्न वर्ग के छात्रों के लिए पढ़ाई के घंटों की संख्या में अवसरों की मात्रा की गणना करने का प्रयास करना हास्यास्पद होगा।
मेरे परम मित्रों में से एक आरक्षित वर्ग से संबंधित है। उसने सिविल सेवाओं के लिए अध्ययन करने हेतु 2008 में एक प्रतिष्ठित निजी क्षेत्र की कंपनी से त्यागपत्र दे दिया। 2009 में मैं CSE की प्रारंभिक परीक्षा से पहले उससे मिला तो उसने कहा “आप चिंता न करें, मैं एक दिन IPS अवश्य हो जाऊंगा। मेरे पास अनेक अवसर हैं और मुझे लगता है मैं इनमें से किसी एक में सफल हो जाऊंगा।" अब 2014 है और उस सुनहरे अवसर की अभी प्रतीक्षा है!
हर उम्मीदवार, चाहे किसी भी वर्ग से हो, को अधिकाधिक अध्यन्न करना चाहिए और परीक्षा में अपना सर्वश्रेष्ठ करना चाहिए। क्या आरक्षित वर्ग के किसी भी उम्मीदवार ने सोचा है कि हमें परीक्षा में एक प्रश्न कम लिखना चाहिए क्योंकि हम आरक्षित वर्ग के हैं? तो फिर हम प्रयासों की संख्या में सांत्वना की तलाश क्यों करते हैं? आरक्षित वर्ग के प्रिय उम्मीदवारो, आपको उस सोच की शरण नहीं लेनी चाहिए कि सामान्य उम्मीदवारों की तुलना में आप अधिक अवसरों के अधिकारी हैं। एक आकांक्षी अभ्यर्थी को हमेशा अपने आगामी प्रयास को अंतिम प्रयास मानना चाहिए!
G) मैं हिंदी माध्यम से हूँ और हिंदी के छात्रों के CSE 2013 के परिणाम देखकर बेहद निराश हूँ। मुझे क्या करना चाहिए?
हिंदी छात्रों की निराशा और चिंता पर अनेक लोगों के साथ-साथ मेरी भी सहानुभूति है। इसी कारण दिल्ली के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन से भी सरकार के कई हलकों के बीच यह आवाज मुखर हुई है। उनकी समस्या का मूल कारण CSAT है। वर्ष 2012 और 2013 की परीक्षा में बैठे कुछ हिंदी उम्मीदवारों से बातचीत करने और हिंदी में पढ़ाने वाली फैकल्टी के अनुभवों को ध्यान में रखने के बाद मैं इन निष्कर्षों पर पहुंचा हूँ;
हिंदी माध्यम के अभ्यर्थियों का विवाद है कि कंपरीहेंशन का अँग्रेजी से हिंदी में शब्दशः अनुवाद हिन्दी में पढ़े जाने पर पैराग्राफ के अर्थ में विकृतियां लाता है और उसके फलस्वरुप कंपरीहेंशन के प्रश्नों में भी। इसके अलावा यह भी लिखा होता है कि कंपरीहेंशन के अर्थ में विसंगति होने पर अंग्रेजी अर्थ मान्य होगा। इस प्रकार, कंपरीहेंशन के 'विकृत संस्करण' पढ़ने वाले हिन्दी छात्रों को उसी अंश के पीछे और आगे, दोनों संस्करणों को देखना होता है ताकि सही निष्कर्ष निकाल सकें। इससे न केवल उनके उत्तर सही नहीं हो पाते, अपितु उनका कीमती समय भी नष्ट होता है। इस तरह पहले चरण में ही हिंदी के छात्रों के सामने बाहर होने की आशंका बन आती है।
इस समस्या का समाधान यह हो सकता है कि हिन्दी माध्यम के छात्र अंग्रेजी भाषा में कंपरीहेंशन पढ़ते समय CSAT परीक्षा दें। मुख्य परीक्षा चुने हुए माध्यम में हो। यदि हिंदी अभ्यर्थी महसूस करते हों कि उन्हें अँग्रेजी का स्तरीय ज्ञान नहीं है तो आप उस सेक्शन के बारे में सूचित कर सकते हैं जो प्रारम्भिक परीक्षा की तैयारी के संदर्भ में हो। विवाद को आगे विस्तार से बताया गया है।
H) मैंने बहुत सोच-विचार किया लेकिन अभी तक सिविल सेवाओं के लिए अध्ययन करने का कारण नहीं जाना। क्या उचित कारण जाने बिना मुझे अपनी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए?
जैसा कि हमने चर्चा की है, सिविल सेवाओं के व्यापक सामाजिक लक्ष्यों में व्यक्तिगत कारणों का परिवर्तन एक विकासवादी प्रक्रिया है, वही कारणों के गहन आत्मनिरीक्षण के लिए है। इसलिए इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि जब आप स्टाल पर अपनी पुस्तकों की खरीद करते हैं तो हो सकता है कि आपको यह जानकारी नहीं हो कि आप यह क्यों कर रहे हैं। आपने मोटी रकम देकर किसी कोचिंग सेंटर में प्रवेश लिया और अब भी ऐसा करने के ठोस कारण के बारे में न जानते हों। आपने दिल्ली में एक अच्छे आवास में निवेश किया और संभव है कि आपको यकीन न हो कि यह आपको सफल परिणाम देगा या नहीं। ये संदेह और भ्रांतियां धीरे-धीरे दूर होंगीं और उस समय तक धैर्य रखें लेकिन ये इन सभी कठिनाइयों से पर्दा उठाने के लिए अपने मन में सवाल उठाते रहें। आपको यह जानने में ही एक माह लग सकता है कि तैयारी का आपका वास्तविक एजेंडा क्या हो। इस प्रकार अपनी तैयारी को रोकें नहीं भले ही आपको अभी तक कारण समझ न आया हो।
1. सिविल सेवाओं में जाने के लिए योग्यता क्या है? |
2. सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए सर्वश्रेष्ठ पुस्तक कौन सी है? |
3. सिविल सेवा परीक्षा का पैटर्न क्या है? |
4. सिविल सेवा परीक्षा के लिए कितना समय तैयारी का समय आवश्यक है? |
5. सिविल सेवा परीक्षा के लिए आवेदन कैसे करें? |
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