एक भरोसेमंद मीडिया स्रोत से मुझे जानकारी मिली कि:
वर्ष 2014 की परीक्षा के लिए कुल 9,44,926 उम्मीदवारों ने आवेदन किया लेकिन 6,80,455 उम्मीदवारों ने ही प्रवेश-पत्र डाउनलोड किए। मगर उनमें से भी केवल 4.5 लाख से अधिक उम्मीदवार 59 शहरों में 2,137 केन्द्रों पर आयोजित परीक्षा में बैठे। वर्ष 2013 में प्रारंभिक परीक्षा में केवल 3,24,101 उम्मीदवार बैठे थे।
इन लगभग 4.5 लाख में से लगभग 1500 को प्रारंभिक परीक्षा में बैठने के लिए चुना जाएगा और शेष मुख्य परीक्षा में बैठने के पात्र नहीं होंगे। यह खण्ड उन सभी अभ्यर्थियों को समर्पित है जो मुख्य परीक्षा में बैठने के लिए सफल नहीं हो पाए। मैंने असफलता के ऐसे कारणों, परिणाम के बाद की तात्कालिक रणनीति और सुधारों का वर्णन करने का प्रयास किया है जिनसे दीर्घावधि में अभ्यर्थियों को लाभ पहुंच सकेगा।
CSAT, 2014 ने एक बार फिर से UPSC द्वारा पेपर सेट करने के रुझान की अनिश्चितता संबंधी हमारी धारणा की पुन: पुष्टि की है! राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से यह अधिसूचित किया गया था कि उन कॉम्प्रिहेन्शन के अंक CSAT में चयन के लिए मैरिट में शामिल नहीं किए जाएंगे जिनका हिंदी अनुवाद नहीं दिया गया हो। लेकिन आश्चर्य खत्म होने का नाम नहीं ले रहा था।
CSAT पेपर II ने एक बार फिर अनेकों के साथ छल किया। यह अनेकों अभ्यर्थियों के लिए चिंता का प्रमुख कारण था। इस पेपर में एक और बदलाव किया गया और वह था निर्णय लेने संबंधी प्रश्नों का शामिल न किया जाना। लेकिन कई अभ्यर्थियों को इस बात का तब तक पता नहीं चला जब तक कि उन्होंने निर्णय लेने संबंधी प्रश्नों को खोजा नहीं और वे इन्हें पेपर पुस्तिका में न देखकर सहमे हुए थे। यदि निर्णय लेने संबंधी प्रश्न नहीं थे तो इसमें घबराने वाली क्या बात थी? क्योंकि यह एक ऐसा खण्ड है जिसे कुछ मिनट में ही हल किया जा सकता है और साथ ही इसके लिए नेगेटिव मार्किंग भी नहीं होती। इसके अलावा, दो विकल्प सही थे। इस प्रकार, यह खण्ड स्कोर में 10-15 अंकों की बढ़ोतरी कर देता है। अब यह खण्ड पेपर में शामिल नहीं था।
सीधे निर्देश पढ़ते ही अभ्यर्थियों के मस्तिष्क में शक पैदा होना स्वभाविक था। निर्देशों में कहीं भी नहीं लिखा था कि कुछ प्रश्नों के लिए नेगेटिव मार्किंग नहीं होगी। अभ्यर्थियों का ध्यान सीधे निर्णय लेने वाले प्रश्नों की ओर आकर्षित करने के लिए यह पर्याप्त था। पेपर हाथ में आने के दो मिनट के भीतर ही उन्हें समझ में आ जाना चाहिए था कि इस बार निर्णय लेने संबंधी कोई प्रश्न शामिल नहीं किया गया है। ऐसे में मस्तिष्क में यह विचार आना स्वभाविक था, “पेपर अपेक्षाकृत लंबा होगा।” इस विचार को ध्यान में रखते हुए, अभ्यर्थी को पेपर देना था। तथापि, पेपर समाप्त होने के बाद कई अभ्यर्थी इस शिकायत के साथ मेरे पास पहुंचे कि उन्हें परीक्षा में एक घंटे बाद पता चला कि पेपर में निर्णय लेने संबंधी प्रश्न शामिल नहीं हैं।
CSAT में नकारात्मक परिणाम आने के केवल दो ही कारण हो सकते हैं: a) विषय की जानकारी की कमी, और b) परीक्षा के समय मिज़ाज (टेम्परामेंट) की कमी। पहला कारण गहन अध्ययन करके दूर किया जा सकता है जबकि दूसरा वास्तव में चिंता का कारण है।
विडंबना यह है कि इस वर्ष के CSAT को पास करने के लिए अधिकतर छात्रों के पास पर्याप्त ज्ञान था, लेकिन इस प्रारंभिक परीक्षा में टेम्परामेंट और समय प्रबंधन सबसे अधिक महत्वपूर्ण था, जो बहुत से अभ्यर्थियों के पास नहीं था। इसलिए उनका परिणाम खराब आया। महत्वपूर्ण चीज जो जाननी चाहिए व़ो यह है कि दबाव को संभालने का यह टेम्परामेंट अंतर्जात नहीं होता; इसे पोषित किया जाना होता है, सीखना होता है और इसका अभ्यास करना होता है।
एक अभ्यर्थी ने CSAT पेपर II के बाद निराश होकर दो टूक शब्दों में कहा, “मेरे पास CSAT पास करने की प्रतिभा नहीं है। यह मुझ में बिल्कुल भी नहीं है।” उसके आंसू निकल आए। उस समय मैंने पेपर हल करने की उनकी प्रतिभा को मनुष्यों में अंतर्जात गुण कहे जाने की भारी गलती के लिए तत्काल समझाना उपयुक्त नहीं समझा। हालांकि, इस पुस्तक के माध्यम से मैं सभी अभ्यर्थियों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि प्रश्नों को हल करने की तकनीक, समय प्रबंधन की युक्तियां और इससे संबंधित गुणों को सीखा जा सकता है और यदि मौजूदा समय में हमें CSAT पेपर II को पास करना है तो इन्हें सीखना ही होगा।
CSAT पेपर करने के बाद, उपयुक्त प्रयास यह होगा कि आप कोचिंग संस्थानों से अपने उत्तरों की जांच करें। आपको निश्चित रूप से अपने अंकों का अंदाज हो जाएगा। ऐसे अभ्यर्थियों में असुरक्षा की भावना पैदा हो जाती है जिनके अंक संभावित कट-ऑफ के आसपास रहते हैं। ऐसे अभ्यर्थी इस उम्मीद के साथ विभिन्न कोचिंग संस्थानों से अपने उत्तरों की जांच करते रहते हैं कि उनके एक या दो और प्रश्न सही निकल आएं। ऐसे अभ्यर्थियों के लिए प्रारंभिक परीक्षा में न चुने जाने की असुरक्षा की भावना से मुख्य परीक्षा की पढ़ाई की योजना बनाना कठिन होता है।
परिणाम घोषित हो जाने के बाद दो ही स्थितियां होती है: कुछ अभ्यर्थी उत्तीर्ण और कुछ अनुत्तीर्ण होते हैं। असफल अभ्यर्थियों को अनेक कष्टों से गुजरना पड़ता है। वे समाज के विभिन्न वर्गों से मिलने वाली सलाह से दु:खी हो जाते हैं। उनके ऐसे मित्र प्रारंभिक परीक्षा में पास हो जाते हैं, वे उनकी गलतियां और अपना अनुभव उन्हें बताते हैं। ऐसी सलाह एक अच्छी कवायद हो सकती है बशर्ते सलाह देने वाले मित्र ऐसा अपमान करने की मंशा से न करें। हार के इस बोझ को आपस में बांटने के लिए असफल अभ्यर्थियों का एक परिणामी समूह तैयार किया जा सकता है।
माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्य थोड़े संशयी हो सकते हैं और अभ्यर्थी की क्षमताओं पर शक करने लगते हैं। वे सीधे ऐसा कुछ नहीं बोलेंगे लेकिन इस संबंध में कुछ शब्द कहेंगे। यह वास्तव में कष्टदायक होता है। मेरा एक अच्छा दोस्त जो 10 अंकों से प्रारंभिक परीक्षा उत्तीर्ण करने से चूक गया, उसे उसके पिता ने ध्यान लगाने (मेडिटेशन) की सलाह दी, “मेरे पिता ने मुझसे कहा कि कष्ट के समय मेडिटेशन और योग से राहत मिल सकती है। उन्होंने मुझे प्रेरक पुस्तकें पढ़ने की भी सलाह दी।” प्रिय मित्रों, CSAT में विफलता हमारे जीवन में ‘दु:ख’ नहीं कहा जाना चाहिए! जीवन इतना बड़ा, गतिशील और परिवर्तनशील है कि किसी परीक्षा में असफल होना हमारे जीवन का अजेय कष्ट नहीं कहा जा सकता। उपर्युक्त विचार को ध्यान में रखते हुए मैं CSAT में विफलता का मुकाबला करने के लिए नीचे एक रणनीति प्रस्तुत कर रहा हूं:
क्या यह आपके अंदर इच्छा की कमी है जिसकी वजह से आपने पूरा प्रयास नहीं किया और परिणामस्वरूप असफल हो गए? यदि हां, तो आपको सिविल सेवा की तैयारी करने के कारणों का पता लगाना चाहिए, जिससे आपको अपनी पढ़ाई में जोश भरने में मदद मिलेगी। अथवा क्या यह परीक्षा के समय का दबाव था जिसे पेपर करते समय आप संभाल नहीं पाए? इससे पहले कि आप अपनी पढ़ाई फिर से शुरू करें आपको इन प्रश्नों और कुछ अन्य प्रश्नों का उत्तर खोजना होगा। आपको अपनी ऊर्जा को ताजगी देने, तैयारी के कारणों के बारे में अपने मस्तिष्क में और अधिक स्पष्टता लाने और CSAT में अपनी कमजोरियों के बारे में जानने के लिए 15 या 20 दिन का समय लग सकता है। लेकिन ऐसा करना अनिवार्य है – यह न सोचें कि ये 20 दिन व्यर्थ चले गए। असल में, असफलता के बाद आत्मचिंतन से लक्ष्य हासिल करने के लिए और अधिक गंभीर योजना बनाने में मदद मिलती है। इसमें समय जरूर लगेगा लेकिन इसके फायदे दूरगामी होंगे!
जबकि अनेक ऐसे अन्य दोस्त भी होंगे जो अपनी टिप्पणियों से आपको अपमानित करने की कोशिश करेंगे। बेहतर यही होगा कि उस समय उनकी टिप्पणियों से उभरने के लिए अपनी कीमती ऊर्जा खर्च करने की बजाए ऐसे प्राणियों का साथ छोड़ दें। वे कभी भी अपने तर्क देना बंद नहीं करेंगे क्योंकि उनका उद्देश्य कोई निर्णायक बातचीत करना नहीं होता। ऐसे नीरस प्राणियों की पहचान करें और उनसे बचने का प्रयास करें!
आगामी वर्ष की प्रारंभिक परीक्षा की रणनीति की योजना बनाते समय अभ्यर्थी को CSAT के पेपर का गहन विश्लेषण करना चाहिए और UPSC की मंशा को समझने का प्रयास करना चाहिए। यह परीक्षा आपके ज्ञान की गहराई को जांचने की बजाए आपके समय प्रबंधन की जांच पर केन्द्रित होती है। जिन अभ्यर्थियों को GS का बहुत अच्छा ज्ञान होता है, लेकिन यदि उनकी गति धीमी है, समय प्रबंधन की रणनीति में सुस्त या अकुशल हैं तो उन्हें पेपर I में इतना हासिल नहीं होता जितना वे पेपर II में खो देते हैं।
प्रश्न उठता है कि कुशल समय प्रबंधन पर इतना अधिक जोर क्यों दिया जाए? UPSC विषय-वस्तु, अर्थात् इतिहास, राज्य-व्यवस्था आदि से कठिन सैद्धान्तिक प्रश्न सेट क्यों नहीं करता? क्योंकि आज के समय में नौकरशाहों को निर्णय लेने में तेज होना चाहिए। जानकारी तक हर किसी की इतनी अधिक पहुंच होने की वजह से, उस विश्लेषण के आधार पर इसका विश्लेषण और निहितार्थ केवल जानकारी को हासिल करने अथवा सीखने की अपेक्षा अधिक महत्वपूर्ण होता है। इसके अलावा, हम एक जटिल दुनिया में रहते हैं, और इसमें जानकारी के विस्तार और इसकी पहुंच तक बढ़ोतरी होने के साथ बहु-कार्य में बढ़ोतरी होना अनिवार्य है। सिविल सेवक को बहुमुखी होना चाहिए। इस संबंध में सिविल सेवक की तुलना कॉरपोरेट सेक्टर के वरिष्ठ प्रबंधन वर्ग से की जा सकती है; फर्क सिर्फ इतना है कि पहला सरकारी मशीनरी के लिए काम करता है, जो स्वयं में बहुत बड़ी है और सिविल समाज, मीडिया, घर-परिवार, अंतरराष्ट्रीय कार्यक्षेत्र आदि से गहराई से संबद्ध है।
इस प्रकार, इस जटिल दुनिया में भूमि, श्रम और पूंजी के अलावा समय न केवल कॉरपोरेट सेक्टर के लिए बल्कि सरकारी क्षेत्र के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। इस प्रकार, सरकारी मशीनरी की रीढ, अर्थात् सिविल सेवा के चयन के प्रश्न–पत्रों में भी यह दिखाई देता है। इसलिए, दोस्तो, विषम प्रश्न सेट करने के रुझानों की आलोचना करने की बजाए वर्तमान समय की मांग को जानना ज्यादा जरूरी है। पुराने ढंग से तैयारी करना जारी रखने की बजाए कुशल समय प्रबंधन कौशल की कमी को स्वीकारना और इसके अनुरुप काम करना ज्यादा बेहतर रहेगा। इस संबंध में निम्न विस्तृत दिशा-निर्देश प्रस्तुत किए जाते हैं:
इतनी तेजी से पढ़ें कि आप गद्यांश से जुड़े प्रश्नों का उत्तर देने से पूर्व गद्यांश का आधारभूत विचार आपके मस्तिष्क पर अंकित हो जाए। मस्तिष्क पर आधारभूत विचार इतनी अच्छी तरह से अंकित हो जाने चाहिएं कि आपको फिर से गद्यांश देखने की जरूरत कम से कम पड़े। यह कौशल स्वाभाविक होना चाहिए। लेकिन इसे अर्जित किया जा सकता है। प्रतिदिन किसी समाचार-पत्र का एक लेख काफी तेजी से पढ़ें, अर्थात् दी गई समय सीमा में लेख इस प्रकार पढ़ें कि आपकी पढ़ने की गति प्रति मिनट 100 शब्द की अवश्य हो। लेख पढ़ने के बाद अभ्यर्थी को उस लेख के एक-तिहाई शब्दों में उसका सारांश लिखने की कोशिश करनी चाहिए। यह अभ्यास परीक्षा के GS भाग से संबंधित नहीं है। कृपया इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए प्रतिदिन एक गद्यांश अथवा लेख को निर्धारित करें। इसके अलावा निर्धारित किए गए लेख विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित होने चाहिएं, जैसे पारिस्थितिकी, विज्ञान, राज्य-व्यवस्था, और अंतरराष्ट्रीय संबंध आदि, ताकि आप विभिन्न क्षेत्रों के विषयों से अवगत हो सकें। यह अभ्यास कम से कम एक माह तक करें और इसके बाद किसी भी कोचिंग संस्थान के CSAT मॉक पेपर लेना शुरू कर दें।
मैं अच्छी तरह समझ सकता था कि वह किस दबाव की बात कर रहा है। प्रिय अभ्यर्थी, UPSC की सिविल सेवा परीक्षा अत्यधिक दबाव वाली परीक्षा है। CSAT से लेकर मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू तक आपको विभिन्न दाब भरी परिस्थितियों से गुजरना होगा और आपसे शांत और संयम के साथ रहने और सही निर्णय लेने की अपेक्षा की जाएगी।
इस प्रकार की तनावपूर्ण परीक्षा का सामना करने से पूर्व आप स्वयं को कम समय में ज्यादा काम करने के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार कर लें। आपको स्वयं के लिए ऐसे कार्य निर्धारित करने चाहिए जो आपको बेहद कम समय में पूरे करने हों। इस संबंध में पिछले अध्याय का अध्ययन के घंटों की गणना करना और कैलेंडर की भूमिका नामक खण्ड बेहद महत्वपूर्ण है। प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा की टेस्ट सीरीज को यदि गंभीरता से लिया जाए तो ये परीक्षा जैसी परिस्थितियां उत्पन्न करने के लिए महत्वपूर्ण साधन है।
ये कौशल, प्रतिभा अथवा शौक आपको आपके प्रमुख कार्य अर्थात् UPSC के लिए पढ़ने के साथ-साथ आपको थोड़ा बहुमुखी भी बना देते हैं। देखो मैं क्या कर रहा हूं– लेखन कार्य। मैं हमेशा से एक लेखक बनना चाहता था। मैं अपनी तैयारी के दौरान भी एक उपन्यास पर काम कर रहा था, जो अभी प्रकाशित होना है। यह मेरा शौक है और अब मैं इस प्रकार से इसे पोषित कर रहा हूं कि मेरा काम प्रकाशित हो सके।
इस प्रकार के अतिरिक्त कौशल, तैयारी के दिनों में आपकी मदद करेंगे। इनसे आपको आवश्यक ब्रेक मिलेगा। इसके अलावा, इन पर इंटरव्यू के दौरान भी चर्चा हो सकती है। रुचि और शौक कई तरह के हो सकते हैं। कुछ को मूवी देखना, कुछ को संगीत सुनना और कुछ को गाने गाना अच्छा लग सकता है। इससे थोड़ा आगे चलिए– मूवी अथवा गीतों के विशेषज्ञ बनिए– और जानने की कोशिश करें कि इनकी क्या चीज आपको प्रभावित करती है।
कुछ अभ्यर्थी एक प्रमाणिक तर्क दे सकते हैं कि CSE की तैयारी उनकी काफी ऊर्जा खर्च कर देती है। उनके पास इतनी ऊर्जा शेष नहीं बचती कि वे अपनी रुचि या शौक पूरा कर सकें। यह बात सच है। कोई शौक रखना कुछ परिस्थितियों में आपके लिए अतिरिक्त लाभकर हो सकता है लेकिन चयन के लिए यह आवश्यक शर्त नहीं है। यद्यपि, हर किसी को यह ध्यान में रखना चाहिए कि दोस्तों के साथ बेकार के गप्पे हांकने की बजाए अपनी रुचियों का पता लगाना और उन्हें पोषित करना ज्यादा अच्छा है।
भ्रांतियां और FAQ (बारंबार पूछे जाने वाले प्रश्न)
यह तुच्छ धारणा कुछ अभ्यर्थियों में मौजूद रहती है। जब परीक्षा में विषय की गहनता से जानकारी की अहमियत घटती और समय का प्रबंधन करने की अहमियत बढ़ती है तो इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह आपका पहला, दूसरा या अंतिम प्रयास है। सर्वाधिक अहमियत इस बात कि है कि आपका चाहे कोई भी प्रयास हो, आपको UPSC के प्रश्न सेट करने के रुझानों से प्रदर्शित इसकी मौजूदा अपेक्षाओं के अनुसार अपने प्रयासों का अभ्यास करना है और उन्हें समकालीन बनाना है।
एक ऐसी परिस्थिति की कल्पना करें कि कोई अभ्यर्थी किसी टेस्ट पेपर को हल करते समय गणित के प्रश्न को समयबद्ध परिस्थितियों में हल नहीं कर पाता। चिंता न करें। पेपर पूरा कर लेने के बाद उसे हल करने का प्रयास करें। यदि फिर भी अभ्यर्थी इसे हल नहीं कर पाता तो उसे इसका हल देखना चाहिए और इसकी अंतर्निहित अवधारणा समझनी चाहिए। क्योंकि वास्तविक परीक्षा में ऐसा कोई चमत्कार नहीं होने वाला कि आप ऐसे प्रश्नों को दबावपूर्ण परिस्थितियों में हल कर पाएंगे।
इस संबंध में, मैं स्वयं का उदाहरण देना चाहूंगा। मुझे लगता है कि मेरा गणित कॉम्प्रिहेन्शन पढ़ने की अपेक्षा बेहतर है। लेकिन जब मैं कार्य और समय से जुड़े प्रश्न हल करता हूं तो मुझे कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जब कभी भी मैं CSAT के अभ्यास टेस्ट को समय-बद्ध परिस्थितियों में हल करने की कोशिश करता था तो मुझे प्राय: हताशा ही हाथ लगती थी। परिणामस्वरूप मुझे उन प्रश्नों को हल किए बिना ही छोड़ना पड़ता था। तथापि, पेपर के विश्लेषण के दौरान जब समय का कोई बंधन नहीं होता था तो मैं ऐसे प्रश्नों को हल कर देता था। इस बात को मैंने हल्के में नहीं लिया। एक दिन मैंने ऐसे लगभग 50 प्रश्न लिए और उन्हें एक ही बार में हल किया। ऐसा करने के पीछे मेरा उद्देश्य अपनी गति बढ़ाना और इस प्रकार के प्रश्नों को हल करने का एक दृष्टिकोण तैयार करना था।
यदि मैं यह तथ्य को जानते हुए भी कि इस तरह के प्रश्न अभ्यास पेपर में मेरे लिए कठिनाई पैदा करते रहे हैं, मैं सोच लेता कि वास्तविक CSAT परीक्षा में अत्यधिक दबाव मैं किसी न किसी तरह चमत्कारपूर्ण ढंग से इन प्रश्नों को हल कर ही लूंगा तो यह एक भंयकर भूल होती।
1. CSAT में विफलता क्या है? |
2. CSAT के विषय क्या हैं? |
3. CSAT में विफलता के कारण क्या हो सकते हैं? |
4. CSAT सफलता के लिए कैसे तैयारी करें? |
5. CSAT में विफल होने के बाद दूसरी कोशिश कैसे करें? |
|
Explore Courses for UPSC exam
|