UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  पाठ 8 - मुख्य (मेन्स) परीक्षा की तैयारी (भाग - 2)

पाठ 8 - मुख्य (मेन्स) परीक्षा की तैयारी (भाग - 2) - UPSC PDF Download

CSE (मेन्‍स) के GS पेपर 2 पर टिप्‍पणी

 

GS के पेपर का सिलेबस भारी-भरकम लगेगा, लेकिन व्‍यवस्थित अध्‍ययन से परिश्रम काफी हद तक कम हो सकता है। अंतर्राष्‍ट्रीय संबंध के संपूर्ण भाग की तैयारी एक सप्‍ताह से भी कम समय में की जा सकती है। ऐसा कैसे हो सकता है? पेपर 2 में अंतर्राष्‍ट्रीय संबंध के प्रश्‍नों पर नजर डालें। इनके किसी प्रश्‍न में सामरिक सौदों से जुड़े, द्विपक्षीय संधियों अथवा सांस्‍कृतिक आदान-प्रदान के कार्यक्रमों और यदा-कदा बदलते रहने वाली वीजा अपेक्षाओं से संबंधी प्रावधानों पर प्रश्‍न नहीं पूछे जाते । इस प्रकार, ध्‍यान देने वाला तथ्‍य यह है कि अंतर्राष्‍ट्रीय संबंधों की डायरी बनाते समय यदि इस भाग पर ईमानदारी एवं चतुराई से काम किया जाए, तो अभ्‍यर्थी को किसी कोचिंग संस्‍थान के नोट्स की आवश्‍यकता नहीं होगी। फिर भी, यदि विद्यार्थी किसी कारण से मानसिक थकान महसूस करें तो उन्‍हें वी.पी. दत्‍त की पुस्‍तक, जो एक उपन्‍यास की तरह है, अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए पढ़ने की सलाह दी जाती है। यही बात NCERT की पुस्‍तक Political Science पर सटीक लागू होती है। इसमें शीत युद्ध के दौरान विश्‍व की परिस्थितियों एवं उसके उपरांत अंतर्राष्‍ट्रीय निकायों का गठन, उनकी भूमिका, शासनादेश आदि के विषय में बताया गया है और अर्थशास्‍त्र के पेपर 3 में फिर इसी की आवश्‍यकता होगी।

समाज के कमजोर तबके के लिए कल्‍याणकारी योजनाओं की समस्‍या सामने मुश्किल खड़ी करेगी। इन्‍हें निम्‍न सारिणी में व्‍यवस्थित कर लें;

इन पर चर्चा

 महिलाएं

बच्‍चे

SC/ST

OBC

 विकलांग

वृद्ध

फेरीवाला

संवैधानिक प्रावधान

 

 

 

 

 

 

 

विधायी–      नियम और बिल

 

 

 

 

 

 

 

हाल ही के निर्णय

 

 

 

 

 

 

 

सरकारी स्‍क्‍ीमें

 

 

 

 

 

 

 

राष्‍ट्रीय नीतियां

 

 

 

 

 

 

 

अभ्‍यर्थी को प्रेरित किया जाता है कि वे सारिणी स्‍वयं भरें। यह न केवल GS हेतु, बल्कि निबंध में भी महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

सुशासन (गवरनेंस) दूसरा ऐसा भाग है, जहां पुनरावृत्ति के कारण भ्रम पैदा होगा। GS के पेपर 4 में इसका काफी भाग है। यद्यपि प्रासंगिक दिशा-निर्देश firstattempt.in पर शीघ्र ही अपलोड होंगे, फिर भी अभ्‍यर्थियों को निम्‍न पंक्तियों पर विचार करने, इससे संबंधित सामग्री का पता लगाने, नोट्स के रूप में तैयार करने हेतु प्रेरित किया जाता है:

a) सुशासन (गवरनेंस) क्‍या है?

b) सुशासन (गवरनेंस) हेतु मूलभूत आचार-शास्‍त्र क्‍या है?

c) इसे बढ़ावा देने के लिए RTI, नागरिक चार्टर, पारदर्शिता के समझौते, ICT एवं ई-गवर्नेन्‍स।

d) सुशासन (गवरनेंस) में सुझाए गए सुधार  

e) सुशासन (गवरनेंस) हेतु हाल के कानून-जैसे ह्विजल ब्‍लोअर्स अधिनियम, लोकपाल, लोकायुक्‍त आदि।

 

  GS पेपर 3: प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता, पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन 

     GS का यह सर्वाधिक गतिशील पेपर है। इसके मूलभूत सिद्धांत वहीं हैं, परंतु सम-सामयिक विकास प्रतिवर्ष बदल जाते हैं। आरंभिक परीक्षा हेतु अर्थशास्‍त्र, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, जैव-विविधता के स्‍थाई सिद्धांत की सर्वाधिक आवश्‍यकता होती है। मुख्‍य परीक्षा हेतु भाग लेने वाले अभ्‍यर्थी से अपेक्षित है कि वे अपनी तैयारी इन्‍‍हीं सिद्धांतों को आधार मानकर करें तथा इन्‍हीं विषयों से संबद्ध सम-सामयिक मुद्दों पर विचार करें।

          उल्‍लेखनीय है कि इस पेपर का टॉपिक की सर्वाधिक प्रासंगिकता निबंध लिखते समय होगी। इस पेपर में स्‍पष्‍टत: तीन एरिया आते हैं- विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी, अर्थशास्‍त्र, पर्यावरण/ परिस्थिति विज्ञान। CSE 2013 के परिवर्तित कोर्स में सुरक्षा एवं आपदा प्रबंधन के नए टॉपिक को शामिल किया गया था। यह अत्‍यंत गतिशील टॉपिक है, जिसमें भारत की आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा के साथ-साथ साइबर सुरक्षा भी शामिल है, जो विगत दशक की प्रौद्योगिकी क्रांति के परिणाम स्‍वरूप हुई है। उत्‍तराखंड में 2012 में आई भीषण बाढ़ की विभीषिका के कारण आपदा प्रबंधन को कोर्स में रखा गया है।  यह अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण विषय बन चुका है जब हमें एहसास होता है कि मानव जनित क्रिया-कलापों से विश्‍व के अतिशय दोहन के फलस्‍वरुप वर्तमान समय में मानव जीवन कोमल है।

      इस विषय की प्रकृति गतिशील होने के कारण अपेक्षित है कि अभ्‍यर्थी किसी एक पुस्‍तक तक सीमित रहने के बजाए अपने पास पर्याप्‍त सम-सामयिक इनपुट रखे। एक बार फिर सूचीबद्ध सूचनाओं की डायरी तथा समाचार पत्रों के विश्‍लेषण महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। प्रिय अभ्‍यर्थियों, याद रखें कि इस पेपर को हल्‍के में न लेते हुए केवल तथ्‍यों को ही याद न किया जाए क्‍योंकि तथ्‍यों की संख्‍या सैकड़ों में जा सकती है, ऐसा होने पर आपकी सारी तैयारी की वाट लग सकती है, । इस प्रकार, सूचनाओं को पकड़ना और छोड़ना तथा इनका बहु-आयामी विश्‍लेषण ही इस पेपर का मूल मंत्र है। इसके साथ-साथ इस पेपर के टॉपिक को एक दूसरे से अलग नहीं देखा जा सकता है। इसलिए, संभव है कि एक व्‍यक्ति किसी प्रश्‍न को अर्थव्‍यवस्‍था के अंतर्गत श्रेणीबद्ध करे, तो दूसरा व्‍यक्ति उसे पर्यावरण में श्रेणीबद्ध करे। उदाहरण के लिए क्‍या विज्ञान और प्रौद्योगिकी में नवाचार (इन्‍नोवेशन) अथवा अन्‍वेषण का कोई आर्थिक प्रभाव नहीं पड़ेगा? क्‍या इस घटना का पर्यावरणीय प्रभाव नहीं होगा? और क्‍या यह पुराने अथवा नए संकटों को कम करतेअथवा बढ़ाते हुए देश के सुरक्षा ढांचे को नहीं बदल सकता? पेपर पर विचार-विमर्श करते समय यह दृष्टिकोण सतत् बनाए रखना है। लेकिन आइए पहले हम 2013 के GS के पेपर 3 का विश्‍लेषण करते हैं, ताकि फोकस एरिया निर्धारित किया जा सके।

 

CSE (मेन्स) 2013, GS के पेपर 3 का विश्‍लेषण

 

विषय-सूची  

CSE (मेन्स) 2013 में      प्रश्‍न और प्रतिशत में वेटेज 

अतिरिक्‍त अध्‍ययन 

(आरंभिक परीक्षा के अतिरिक्‍त)

भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था तथा योजना से संबद्ध मुद्दे, संसाधनों की गतिशीलता, वृद्धि, विकास तथा रोजगार।

 

GST कार्यकाल (regime) का उद्देश्‍य और इसके क्रियान्‍वयन में समस्‍याएं ….. (4%)  

इस सेक्‍शन की चर्चा NCERT की पाठ्यपुस्‍तक से आरंभिक परीक्षा की प्रभावी तैयारी करने के सिलसिले में की जा चुकी है। कक्षा XI की पाठ्य-पुस्‍तक में योजना तथा संसाधनों की गतिशीलता तथा कक्षा XII की पाठ्य-पुस्‍तक में लोक वित्‍त तथा सरकारी बजट निर्धारण पर व्‍यापक विश्‍लेषण है। समग्र वृद्धि के लिए अभ्‍यर्थी योजना से संबद्ध विशेष अंक का अनिवार्य रूप से अध्‍ययन करें तथा निबंध के रुप में इस अध्‍याय के टॉपिक को तैयार  करें। विकास सूचकांक के अतिरिक्‍त अध्‍ययन हेतु उमा कपिला की पुस्‍तक ‘Indian economy since independence’ की आवश्‍यकता होगी। इसके साथ-साथ 12वीं प्‍लान के दस्‍तावेज (पंचवर्षीय योजना के नहीं) को प्रासंगिक अध्‍याय के रूप में अध्‍ययन करने की सलाह दी जाती है।

समग्र वृद्धि और होने वाली समस्‍याएं

 

सरकार का बजट निर्धारण

FRBM अधिनियम, सरकार के बजट पर कर–व्‍यय के प्रभाव की समीक्षात्‍मक चर्चा….. (8%)  

प्रमुख  फसलें, देश के विभिन्‍न भागों में फसल उगाए जाने का पैटर्न, सिंचाई के विभिन्‍न साधन, कृषि पैदावार का भंडारण, परिवहन तथा विपणन (मार्केटिंग) और किसानों से जुड़ी समस्‍याएं तथा उनकी मदद हेतु ई-टेक्‍नोलॉजी

पोषण एवं स्‍वास्‍थ्‍य सुनिश्चित करने के लिए खाद्य उद्योग में गुलाबी क्रांति। इस पर प्रकाश डालें ….. (4%)  

यह विषय आर्थिक भूगोल के काफी करीब है तथा NCERT की कक्षा VIII एवं कक्षा X की भूगोल की पाठ्य-पुस्‍तक के अध्‍ययन से इसका आधार बन चुका है। अथ्‍यर्थी को अर्थशास्‍त्र के साथ इसका ताल-मेल रखना होगा। ARMC (कृषि पैदावार तथा विपणन (मार्केटिंग) समिति) तथा इससे संबद्ध समस्‍याओं पर ध्‍यान दें। इसे कमोडिटी मार्केट के प्‍लेटफार्मों जैसे- MAX से लिंक करने का प्रयास करें। इसके लिए विशेष रूप कुरूक्षेत्र के अंक देखें।

प्रत्‍यक्ष एवं परोक्ष कृषि सब्सिडी से जुडे़ मुद्दे तथा न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य, सार्वजनिक वितरण प्रणाली का उद्देश्‍य, कार्य, सीमाएं, परिपाटी में संशोधन, बफर स्‍टॉक, खाद्य सुरक्षा के मुद्दे, प्रौद्योगिकी मिशन, पशुपालन से अर्थव्‍यवस्‍था

खाद्य सुरक्षा बिल –  WTO की चिंता,  किसानों को दी गई आर्थिक सहायता और इससे आई विकृतियां ….. (8%)

NCERT में इन विषयों का मामूली सा जिक्र मिलेगा और इसका विश्‍लेषण  उमा कपिला की पुस्‍तक`Indian economy since independence.` के सहयोग से करें। अभ्‍यर्थी को कृषि, खाद्य मेनेजमेंट, लोक वितरण प्रणाली और इसके बदलते स्‍वरुप का अध्‍यन्‍न करना चाहिए। WTO के साथ भारत के संबंधों का भी इसी पुस्‍तक से अध्‍ययन करें। खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग के स्थिति तथा अपेक्षाएं, आर्थिक भूगोल का हिस्‍सा है, इसे किसी अच्‍छे कोचिंग के नोट्स के साथ पढ़ें। कृषि क्षेत्र के विभिन्‍न पहलुओं को समेकित करते हुए संक्षिप्‍त नोट्स के लिए firstattempt.in पर जाएं।

भारत में खाद्य प्रसंस्‍करण तथा इससे संबद्ध उद्योगों का विस्‍तार/ कार्यक्षेत्र औार महत्‍व, स्थिति, इसके अनुकूल एवं प्रतिकूल आवश्‍यकताएं, आपूर्ति कड़ी प्रबंधन

मल्‍टी–ट्रेड रिटेल में FDI का कमोडिटी की सप्‍लाई चेन मैनेजमेंट में प्रत्‍यक्ष प्रभाव। मल्‍टी ब्रांड रिटेल में प्रत्‍यक्ष FDI कारगर साबित क्‍यों नहीं है? कारण स्‍पष्‍ट करें। ….. (4%)  

भारत में भू‍मि सुधार

कृषि योग्‍य भूमि सुधार के क्रियान्‍वयन में बाधाएं ….. (4%)

उमा कपिला की पुस्‍तक मेंभूमि सुधार, उसका विकास और वर्तमान कार्यप्रणाली का अध्‍यन्‍न करें। इस सेक्‍शन में नवीनतम  कानून जैसे-भूमि अधिग्रहण, खेती-बाड़ी का अधिकार अथवा इससे संबद्ध कोई राष्‍ट्रीय नीति का भी अध्‍ययन करें। यदि कोई विधेयक प्रस्‍तुत किया जाए अथवा पास हो, तो योजना में इन पर निश्चित रूप से विचार-विमर्श किया जाएगा।  

उदारीकरण का अर्थव्‍यवस्‍था पर प्रभाव, औद्योगिक नीति में परिवर्तन तथा औद्योगिक वृद्धि पर इसका प्रभाव  

कंपनी विधेयक, 2013 में CSR को अनिवार्य कर दिया गया है। उदारीकरण के भारतीय व्‍यापार पर प्रभाव पर चर्चा करें। ….. (8%)  

NCERT में उदारीकरण के परिदृश्‍य तथा उद्योग, व्‍यापार, आर्थिक एवं वित्‍तीय संरचना पर प्रभाव पर पूर्व में चर्चा हो चुकी है। यह टॉपिक दो प्रकार के प्रश्‍नों हेतु उपयोगी है-पहला किसी विशेष क्षेत्र (सेक्‍टर) में उदारीकरण को व्‍यापक रूप से समझने तथा दूसरा किसी ऐसे विधेयक विशेष, अधिनियम अथवा संशोधन पर फोकस करने में, जो सेवा अथवा उद्योग को प्रभावित करे।

आधारभूत ढांचा:

ऊर्जा, बंदरगाह, मार्ग, एयरपोर्ट, रेलवे इत्‍यादि

 

 

 

भारत का हरित ऊर्जा गलियारा (ग्रीन एनर्जी कॉरीडोर) तथा परंपरागत ऊर्जा की समस्‍याओं को समाप्‍त करने में इसकी भूमिका ….. (4%)  

इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर का दायरा बहुत व्‍यापक है तथा इसका व्‍यवस्थित ढंग से अध्‍ययन करना चाहिए। बेहतर हो, इसे आर्थि‍क एवं सामाजिक इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर में बांट लें। आर्थिक दायरे में ऊर्जा, पब्लिक/सिविल यातायात, संचार आदि क्षेत्र आते हैं, जबकि सामाजिक दायरे में स्‍वास्‍थ्‍य और शिक्षा हैं। इसके बाद संबद्ध टॉपिक का अध्‍ययन करें। स्‍वास्‍थ्‍य एवं शिक्षा पर अधिक अध्‍ययन सामग्री के लिए firstattempt.in पर जाएं।

निवेश के मॉडल

PPP मॉडल- पक्ष और विपक्ष ….. (4%)  

PPP BOLT, BOOT आदि का  अध्‍ययन करें और अब बारी है PPPP की। इन्‍टरनेट से इसकी व्‍यवस्‍था, मुद्दे तथा अनुप्रयोग (एप्लिकेशन) देंखे

विज्ञान और प्रौद्योगिकी-विकास तथा दैनिक जीवन में इनका अनुप्रयोग (एप्‍लीकेशन) और प्रभाव

क्रिकेट में अंपायर के निर्णय की पुन: समीक्षा (रि-व्‍यू) प्रणाली, सिलिकॉन टेप कैसे सिस्‍टम डिजीटल सिग्‍नेचर को धोखा दे सकता है, 3डी प्रिंटिंग एफआरपी कंपोजिट मैटिरियल, उड्डयन एवं ऑटोमोबाइल में विनिर्माण एवं  एप्‍लीकेशन ….. (10%)  

निबंध एवं GS  की मुख्‍य परीक्षा में पूछे गए प्रश्‍न की यहां तुलना करें। आप पाएंगे कि निबंध में आर्थिक विकास, सुरक्षा, अंतर्राष्‍ट्रीय संबंध इत्‍यादि विशेष क्षेत्रों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी व्‍यापक भूमिका है। हालांकि GS  का S&T विशेष टॉपिक है, जो अधिक तथ्‍यात्‍मक तथा सम-सामयिक है और आरंभिक परीक्षा में पूछे गए प्रश्‍नों से बेमेल है। इसलिए S&T की तैयारी हेतु अभ्‍यर्थी को डायरी से तैयारी करने की सलाह दी जाती है, जिसमें समाचार पत्र की सूचनाएं संकलित की गई हैं। इसके अतिरिक्‍त इस विषय पर अच्‍छी पकड़ बनाने के लिए कोचिंग संस्‍थान के पूरक नोट्स की आवश्‍यकता होगी। इस हेतु श्रीराम की प्रिंटेड सामग्री उपयोगी है। अभ्‍यर्थी को एक बार फिर सलाह दी जाती है कि वे  स्‍वयं को व्‍यवस्थित रखें अन्‍यथा ये भारी-भरकम आंकड़ें उन्‍हें परेशान करेंगे। सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्‍यूटर, रोबोट इत्‍यादि के ऐतिहासिक एवं विकास से संबद्ध आंकड़ों की आवश्‍यकता नहीं होगी। इस खंड के साथ-साथ IPR को कैसे व्‍यवस्थित करें, इस संबंध में और जानकारी firstattempt.in पर दी जाएगी।     

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीयों की उपलब्धि, प्रौद्योगिकी का स्‍वदेशीकरण एवं नई प्रौद्योगिकी का विकास

 

IT, अंतरिक्ष, कंप्‍यूटर, रोबोट, नैनो-प्रौद्योगिकी, जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तथा बौद्धिक संपदा अधिकार से संबद्ध मुद्दों पर जागरूकता

Novartis एवं भारतीय पेटेन्‍ट कानून पर उच्‍चतम न्‍यायालय का‍ निर्णय। निर्धारित मात्रा (डोज) की दवाओं का संयोजन (कंबीनेशन)-लाभ एवं हानि ….. (8%)   

पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण और डिग्रेडेशन, पर्यावरणीय प्रभाव का मूल्‍यांकन

नदियों पर जल-विद्युत परियोजनाएं। गैर कानूनी खनन और कोयले की खदानों में प्रवेश क्षेत्र एवं प्रवेश निषेध क्षेत्र (GO AND NO-GO)। राष्‍ट्रीय जल नीति, नदी जल प्रदूषण नियंत्रण, खतरनाक कचरे के निपटान की वैधता ….. (10%)   

पर्यावरण पर अध्‍याप‍क के हैंडबुक को दोहराने की आवश्‍यकता होगी तथा आरंभिक परीक्षा हेतु सुझाए गए चार अध्‍याय के स्‍थान पर अथ्‍यर्थी पूरी पुस्‍तक का अध्‍ययन करें, हालांकि संकल्‍पना आधारित प्रश्‍नों के लिए ही यह पर्याप्‍त होगा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्‍यूनल की साइट से सम-सामयिक टॉपिक लें। इसे आपदा प्रबंधन के साथ संयुक्‍त कर दिया गया है। (नीचे अवलोकन करें)

आपदा एवं आपदा प्रबंधन

आपदा पूर्व जोखिम का आंकलन तथा उसकी कमजोरी ….. (4%)    

आपदा प्रबंधन की  संपूर्ण प्रक्रिया के साथ मूल परिभाषा NDMA की वेबसाइट पर है। यदि अभ्‍यर्थी इंटरनेट से जानकारी नहीं लेना चाहते तो उन्‍हें डा. बी. रामास्‍वामी की पुस्‍तक `Environment and Disaster management` पढ़ने की सलाह दी जाती है। इस विषय की जानकारी के लिए यह पुस्‍तक पर्याप्‍त होगी। हालांकि इसकी प्रबल संभावना है कि प्रश्‍न किसी घटित अथवा टल गई आपदा से पूछे जा सकते हैं, इसलिए ऐसी जानकारी देंखे।

विकास एवं अतिवाद के प्रसार/विस्‍तार के बीच कड़ी (लिंकेज)

LWE प्रभावित क्षेत्रों में पंचम अनुसूची का क्रियान्‍वयन न हो पाना ….. (4%)    

ये टॉपिक न केवल GS के लिए बल्कि निबंध के लिए भी हैं। अभ्‍यर्थियों से अपेक्षित है कि वे आंतरिक सुरक्षा, साइबर सुरक्षा तथा सोशल मीडिया के निबंध तैयार करें। सभी टॉपिकों में से ये टॉपिक सर्वाधिक गतिशील हैं, क्‍योंकि इसके लिए कोई एक स्रोत पर्याप्‍त नहीं है। परांपरागत तरीके से हटकर तैयारी करने के लिए किसी ऐसे अधिकारी से संपर्क करें, जो किसी सुरक्षा एजेन्‍सी से जुड़ा हो। हालांकि, यह विकल्‍प सभी अभ्‍यर्थियों के लिए उपलब्ध नहीं हो पाएगा। इसलिए, मैंने विभिन्‍न स्रोतों से इन टॉपिकों के लिए श्रमपूर्वक सरल नोट्स संकलित किए हैं, जो अभ्‍यर्थियों को firstattempt.in.  पर उपलब्‍ध होंगे। इसी दौरान अभ्‍यर्थी विभिन्‍न सुरक्षा एजेन्सियों एवं उनके शासनादेश देंखे, जो इंटरनेट पर सुलभ हैं। इस संबंध में वाजीराम कोचिंग की अध्‍ययन सामग्री उपयोगी है।

आंतरिक सुरक्षा के रुप में बाहरी राज्‍य और गैर-राज्‍य के एक्‍टरों द्वारा दी जाने वाली चुनौती

 

संचार नेटवर्क से आंतरिक सुरक्षा के समक्ष चुनौतियां, मीडिया एवं सोशल नेटवर्किंग साइटों से आंतरिक सुरक्षा को चुनौतियां, साइबर सुरक्षा के मूलभूत सिद्धांत, मनी लांडरिंग एवं इसकी रोकथाम

काले धन का वैध बनना आर्थिक आत्‍म-निर्भरता के लिए खतरा है, इसकी रोक-थाम के लिए किए गए प्रयास, सोशल नेटवर्किंग साइट एवं साइबर युद्ध से सुरक्षा की समस्‍याएं और भारत की तैयारियां ….. (12%)    

सुरक्षा की चुनौतियां एवं सीमा क्षेत्रों में इसका प्रबंधन, आतंकवाद सहित संगठित अपराध की कडि़यां

दक्षिण एशियाई देशों एवं म्‍यांमार के साथ भारत की लंबी खुली सीमा रेखा इसकी आंतरिक सुरक्षा को चुनौती ….. (4%)    

विभिन्‍न सुरक्षा बल और एजेन्सियां तथा उनके शासनादेश

 

 

 

CSE (मेन्‍स) 2013 के GS पेपर 3 पर टिप्‍पणी  

यह खंड, GS की मुख्‍य परीक्षा की विषय सूची में सबसे जटिल तथा जोखिमपूर्ण है। इसका एक कारण यह है कि पेपर 3 का कोर्स अपने अर्थ एवं प्रकार में सर्वाधिक विविधतापूर्ण है। मुख्‍य परीक्षा के इस पेपर का उत्‍तर देने में अभ्‍यर्थी कठिनाई महसूस करेंगे, कयोंकि इसके लिए जो पाठ उन्‍होंने तैयार किए हैं वे पर्याप्‍त नहीं होंगे। इस प्रकार, उन्‍हें ऐसी अध्‍ययन सामग्री खोजने की आवश्‍यकता होगी, जिससे अभ्‍यर्थी की अत्‍यधिक सूचनाएं एकत्र करने की अभिलाषा पूरी हो जाए। बुक स्‍टोर पर अनेक किताबें-ऑन लाइन एवं ऑफ लाइन उपलब्‍ध हैं, जिनमें विविध आकार-प्रकार एवं रंग में एक प्रकार की सामग्री की पुनरावृत्ति देखने को मिलेगी। अनेक कंसलटैंसी कंपनियां मार्केट रिसर्च से पुस्‍तक-प्रकाशकों को सूचनाएं उपलब्‍ध कराती हैं कि किन रंगों के मेल की पुस्‍तकें ग्राहकों को अधिक आकर्षित करेंगी! अभ्‍यर्थी को बिना उद्देश्‍य के अनेक सामग्री की खरीद वाली प्रवृत्ति से बचना होगा।

  मेरे एक मित्र को जब ज्ञात हुआ कि सितम्‍बर, 2012 से मैं भी CSE की तैयारी करना चाहता हूं, तो जिन्‍होंने मुझे अपने घर-राजेन्‍द्र नगर दिल्‍ली बुलाया। उनके उस किराए के छोटे से मकान में एक बिस्‍तर, अध्‍ययन हेतु एक मेज थी और बिस्‍तर एवं फर्श पर अनेक पुस्‍तकें बिखरीं पड़ी थीं। ऐसा संभव नहीं था कि उनके कमरे में पुस्‍तकों, नोट्स, अध्‍ययन सामग्री अथवा जो कुछ भी जमीन पर बिखरा था, पर पैर रखे बिना उस कमरे में प्रवेश किया जा सके।  

उस कमरे के बेतरतीब हालात की ओर इशारा करते हुए उन्‍होंने मुझे यह सुझाव दिया,‘’मैं यही बताना चाहता हूं कि तुम जितना अधिक पढ़ोगे, तुम्‍हारी सफलता की संभावनाएं उतनी बढ़ जाएंगी।‘’ इस पर मैंने उससे पूछा, ’’अर्थशास्‍त्र की तैयारी मैं कहां से आरंभ करूं? इस विषय के साथ मैं तालमेल नहीं बिठा पा रहा हूं,’’ हालांकि उस कमरे में मुझे पैर रखने की जगह नहीं मिल पा रही थी।

सबसे पहले तुम NCERT की कक्षा 6ठीं से 12वीं तक की सभी पाठ्य पुस्‍तकें पढ़ जाओ, फिर रमेश सिंह को पढ़ने की कोशिश करो। उसके बाद उमा कपिला, ए टू जेड, कवर टू कवर’’ की बारी आती है। उन्‍होंने इन सब पर जोर देते हुए एक विराम के बाद आगे कहना आरंभ किया, ‘’अर्थशास्‍त्र एक विविधतापूर्ण विषय है। उपरोक्‍त अध्‍ययन से सिर्फ एक आधार तैयार होगा। इसके बाद आपको 12वीं योजना का पूरा प्रलेख और इसकी आयोजना, आर्थिक सर्वेक्षण और इंडिया ईअर बुक का अध्‍ययन करना होगा। इन सबको संकलित करने के लिए अंतत: श्रीराम का नोट्स पढ़ना होगा।‘’ जब उसने मुझे उक्‍त सुझाई गई पुस्‍तकें दिखाईं, तो उनका आकार देखकर मुझे सांप सूंघ गया।

12 अक्‍टूबर, 2012 को मैंने अर्थशास्‍त्र की तैयारी आरंभ की और उन सारी पुस्‍तकों को बाजार से खरीद लाया। केवल दो सप्‍ताह के अध्‍ययन के बाद मैंने पाया कि उन पुस्‍तकों में 90% सामग्री अनावश्‍यक एवं उनकी पुनरावृत्ति थी। इस प्रकार, सिविल सेवाओं की तैयारी करने वाले अभ्‍यर्थियों को इंडिया ईअर बुक और पंच वर्षीय योजना (समस्‍त), दोनों की तैयारी करना अपेक्षित ही नहीं है। आयोजना प्रलेख (आयोजना प्रलेख पंच वर्षीय योजना से भिन्‍न है) में महत्‍वपूर्ण चयनित अध्‍याय जिसे अभ्‍यर्थी तैयारी के दौरान चुनेगा तथा आर्थिक सर्वेक्षण की अग्रगामी योजनाएं उसके लिए पर्याप्‍त होंगीं।

इस पेपर में मैंने 80 अंक अर्जित किए और मेरा वह दोस्‍त, जिसने NCERT की कक्षा XI से यहां तक कि सूक्ष्‍म अर्थशास्‍त्र का भी अध्‍ययन कर डाला था, उसी पेपर में उसे 37 अंक मिले और इस प्रकार साक्षात्‍कार के लिए सफल अभ्‍यर्थियों की सूची में वह नहीं आ सका। हालांकि GS के पेपर 3 में अभ्‍यर्थियों को 100 अंक अर्जित करने की सलाह दी जाती है।

 

GS  पेपर 4 नैतिकता, सत्‍यनिष्‍ठा और अभिरूचि (Ethics, Integrity and Aptitude)

CSE 2013 में GS का पेपर 4, पासा पलटने वाला था। इस पेपर में अभ्‍यर्थियों ने  30 अंकों से लेकर 130 अंक तक अर्जित किए। इस पेपर में अंकों के रेन्‍ज से ही निपुणता से कार्य करने का प्रोत्‍साहन मिलता है जो अन्‍य अभ्‍यर्थियों को बाहर का रास्‍ता दिखा देता है।। इस पेपर हेतु कार्य-योजना बनाना ही मुख्‍य परीक्षा 2104 की सबसे सटीक पहल होगी। 

UPSC द्वारा इस पेपर को लागू करने का आशय सिविल सेवकों में वैयक्तिक एवं पेशेवर आचरण का महत्‍व सामने लाना है। इस कोर्स को लागू करके, UPSC ने एक संदेश देने का प्रयास किया है कि देश के गैर-राजनीतिक कार्यकारी का आचरण उनकी ड्यूटी के समय तथा अन्‍य अवसरों पर कैसा हो। आवश्‍यक नहीं कि इस नए पेपर के अध्‍ययन से अभ्‍यर्थी में नीतिगत या नैतिक, अंतर्निहित मूल्‍यों और लोकसेवा की चेतना आ जाए, परंतु इतना हो कि सिर्फ इतना ज्ञात हो कि लोकसेवक से क्‍या अपेक्षाएं हैं। यह संदेश देश के समस्‍त अभ्‍यर्थियों के मन में भर गया है। इतना ही नहीं सिविल सेवाओं की तैयारी न करने वाले परंतु देश के प्रति जागरूक लोग भी इस हार्दिक सौहार्द्र से अभिभूत हैं।

UPSC द्वारा नैतिकता पर इस नए कोर्स को बिल्‍कुल अलग स्‍वरुप में लागू करने के निर्णय की प्रसंशा करने के बाद, मैं सीधे काम की बात पर आता हूं कि इस पेपर में अधिक से अधिक अंकों को कैसे अर्जित करें। आइए देखें कि UPSC की CSE अधिसूचना, 2014 का इस पेपर के बारे में कहने का क्‍या आशय है।

‘’ इस पेपर में ऐसे प्रश्‍न होंगे, जिनसे लोक जीवन में अखंड़ता, सत्‍यनिष्‍ठा से संबद्ध मुद्दे और विभिन्‍न समस्‍याओं के निराकरण में उनका नजरिया तथा समाजिक परिवेश में उनके मन में उठे परस्‍पर विरोधी विषयों पर अभ्‍यर्थियों के दृष्टिकोण को परखा जा सके।‘’

उपर्युक्‍त वाक्‍यों के पढ़ने से दो बातें स्‍पष्‍ट हैं; पहला,  कुछ प्रश्‍न सैद्धांतिक एवं परिस्थितिजन्‍य तथा दूसरा, परिस्थितिजन्‍य प्रश्‍न इस प्रकार से गठित होंगे कि उनसे अभ्‍यर्थी व्‍यक्तित्‍व का मूलभूत चरित्र प्रकट हो सके, यह जांच सकें कि वह सिविल सेवक होने योग्‍य है अथवा नहीं। इन तथ्‍यों को ध्‍यान में रखते हुए हम मुख्‍य परीक्षा 2013 के GS के पेपर 4 का विश्‍लेषण करेंगे।

CSE (मेन्‍स) 2013 के GS पेपर 4 का विश्‍लेषण 

स्थिर

गतिशील

नैतिकता एवं मानव इंटरफेस  (8%)

सिविल सर्विस हेतु दृष्टिकोण, अभिरूचि तथा संस्‍कारगत मूल्‍य, भावानात्‍मक बुद्धि (16 %) 

भारत तथा विश्‍व के नैतिक  विचारकों एवं दार्शनिकों के योगदान (12 %)

पब्लिक/सिविल सर्विस के मूल्‍य तथा लोक प्रशासन में नैतिकता, गवर्नेंस  में सत्‍यनिष्‍ठा (14 %)

निर्णय लेने/ केस स्‍टडी करने की क्षमता (50%)

मानव क्रिया-कलाप में नैतिकता का सार, निर्धारक तत्‍व तथा परिणाम; नैतिकता   के आयाम; निजी तथा लोक संबंधों में नैतिकता । मानव मूल्‍य-महान नेताओं, सुधारकों, प्रशासकों के जीवन और अनुभव से शिक्षा; नैतिक मूल्‍यों के प्रसार में परिवार, समाज और शैक्षिक संस्‍थाओं की भू‍मिका।

दृष्टिकोण: विषय-वस्‍तु, संरचना, कार्य; विचार एवं व्‍यवहार के साथ इसका प्रभाव एवं संबंध; नैतिक एवं राजनीतिक दृष्टिकोण; सामाजिक प्रभाव एवं प्रतिपादन। सिविल सेवा हेतु अभिरूचि एवं संस्‍कारगत मूल्‍य, सत्‍यनिष्‍ठा, निष्‍पक्षता और गैर-सहभागिता, पब्लिक सर्विस के उद्देश्‍य एवं इस हेतु समर्पण, समाज के गरीब तबके के प्रति समानुभूति, सहिष्‍णुता एवं संवेदना। भावनात्‍मक बुद्धि-संकल्‍पना तथा प्रशासन एवं शासन में उनकी उपयोगिता तथा उनका अनुप्रयोग

 

पब्लिक/सिविल सर्विस के मूल्‍य तथा लोक प्रशासन में नैतिकता: स्थिति एवं समस्‍याएं, सरकार एवं निजी संस्‍थाओं में नैतिक चिन्‍ता एवं दुविधा; नैतिक मार्गदर्शन के स्रोत  रूप में कानून, नियम, विनियम तथा अंतरात्‍मा; उत्‍तरदायित्‍व एवं नैतिकता, शासन में नीतिगत एवं जीवन मूल्‍यों का सशक्तिकरण; अंतर्राष्‍ट्रीय संबंधों में नैतिक मुद्दे तथा धन की उपलब्‍धता (फंडिंग); कॉरपोरेट शासन

 

शासन में सत्‍यनिष्‍ठा, पब्लिक सर्विस की अवधारणा, शासन का दार्शनिक आधार तथा सत्‍यनिष्‍ठा; सरकार में सूचना का आदान-प्रदान और पारदर्शिता, सूचना का अधिकार, नैतिक संहिता, आचरण संहिता, नागरिक चार्टर, कार्य संस्‍कृति, सेवा आपूर्ति, लोक निधि का उपयोग, भ्रष्‍टाचार की चुनौतियां

 

कोर्स के साथ कोष्‍ठक में GS के पेपर 4 में उस टॉपिक में मिलने वाली वेटेज का उल्‍लेख है

CSE (मेन्‍स) के GS पेपर 4 पर टिप्‍पणी

 

पेपर 4 के अध्‍ययन का मेरा अनुभव अच्‍छा नहीं था। पाठ्य सामग्री की अत्‍यधिक पुनरावृत्ति इसके पीछे प्रमुख कारण थी। कोचिंग की अध्‍ययन सामग्री के साथ-साथ कुछ पुस्‍तकों को पढ़ते समय महसूस हुआ कि सिविल सर्विस के लिए यह भाग जैसे-नैतिकता और मानव इंटरफेस, दृष्टिकोण और अभिरूचि बिल्‍कुल नया था। इस कारण किताबों में खो जाने की प्रवृत्ति भी आएगी। अभ्‍यर्थी को ऐसा महसूस होगा कि उपर्युक्‍त विषय पर काफी अध्‍ययन कर लेने के बाद भी वह उन तथ्‍यों को दिमाग में ला नहीं पा रहा अथवा उनसे जु़ड़ नहीं पा रहा है। इससे निपटने के लिए अभ्‍यर्थी को टॉपिकवार नोट्स बनाने होंगे, जैसाकि अधिसूचना में उल्‍लेख किया गया है। ऐसा करते समय अभ्‍यर्थी इधर-उधर भटकने से बच सकते हैं। यह बात निम्‍न उदाहरण में स्‍पष्‍ट हो जाएगी;

पहले टॉपिक को डील करते समय, इसके साथ कोर्स लिखा रहता है।

नैतिकता एवं मानव इंटरफेस (ETHICS AND HUMAN INTERFACE): मानव क्रिया-कलाप में नैतिकता का सार, निर्धारक तत्‍व तथा परिणाम; नैतिकता के आयाम, निजी तथा लोक संबंधों में नैतिकता।

मानव मूल्‍य – महान नेताओं, सुधारकों तथा प्रशासकों के जीवन एवं अनुभव से शिक्षाएं; नैतिक मूल्‍यों की स्‍थापना में परिवार, समाज और शैक्षिक संस्‍थाओं की भू‍मिका।   

अभ्‍यर्थी अध्‍ययन करने, नोट्स बनाने में अनिवार्यत: संक्षिप्‍त हों और तब वे निम्‍न बातों को आत्‍मसात करें।

a) नैतिकता क्‍या है?

b) नैतिकता के विविध आयाम क्‍या हैं?

c) नैतिकता के निर्धार‍क तत्‍व क्‍या हैं?

d) नैतिकता और सदाचार मूल्‍यों में संबंध।

e) व्‍यक्तिगत एवं लोक नैतिकता के उदाहरण सहित संबंध।

f) बच्‍चों में मानव मूल्‍यों की शिक्षा देने हेतु परिवार, समाज और शैक्षिक संस्‍थान किस प्रकार उत्‍तरदायी हैं?

g) अपने में वे कौन-कौन से नैतिक मूल्‍य पैदा करें?

   उपर्युक्‍त प्रश्‍न सूची व्‍यापक नहीं है और अभ्‍यर्थियों को उक्‍त लिखित पाठ्य सामग्री से अधिक प्रश्‍न तैयार करने हेतु प्रेरित  किया जाता है।

    उल्‍लेखनीय है कि मानव मूल्‍यों से संबद्ध मोटे अक्षरों से लिखे प्रश्न को ‘’contributions of moral thinkers and philosophers’’ शीर्षक से समूहबद्ध किया जाए।

       इस प्रकार कोर्स से प्रश्‍न तैयार करना तथा उनके उत्‍तर तलाशना अधिक सरल है। इससे निश्चित रूप से पुस्‍तकों अथवा अध्‍ययन सामग्री में खो जानेकी प्रवृत्ति कम होगी।‘’Attitude, Aptitude and foundational values for civil services, Emotional intelligence’’ के लिए यही परिपाटी प्रयोग में लाई जाए। अभ्‍यर्थियों को सलाह दी जाती है कि वे स्‍वयं प्रश्‍न तैयार करें तथा पुस्‍तकों एवं अध्‍ययन सामग्री में उनके उत्‍तर तलाशें। श्रीराम संस्‍थान की प्रिंटेड सामग्री इस संबंध में उपयोगी है। इसके अतिरिक्‍त मैंने प्रश्‍न एवं उत्‍तर विस्‍तार से लिखें हैं तथा इन्‍हें जल्‍द ही www.firstattempt.in. पर ऑनलाइन देखा जा सकेगा।

      ‘’contributions of moral thinkers and philosophers from India and the world’’ विषय की बात करते हैं। इसमें एक प्रश्‍न के तीन भाग थे, प्रत्‍येक भाग 10 अंकों का था, जो कुलमिलाकर 30 अंक का था। इस भाग में महात्‍मा गांधी, अब्राहम लिंकन, तथा अरस्‍तू के कथन होंगे। अभ्‍यर्थियों से अपेक्षित होगा कि वे वर्तमान परिवेश में उन कथनों का अर्थ निकालें। इस प्रकार, इस टॉपिक का अध्‍ययन करते समय हो सकता है कि अभ्‍यर्थी अनेक दार्शनिकों एवं महान विभूतियों की शिक्षाएं अक्षरश: तैयार न कर सकें। केवल उनके कार्यक्षेत्र में योगदान की जानकारी रखनी पर्याप्‍त होगी। इसके साथ-साथ किसी कथन की व्‍याख्‍या करते समय ‘वर्तमान परिप्रेक्ष्‍य’ के महत्‍व को नकारा नहीं जा सकता है। उस कथन के संबंध में किसी सम-सामयिक घटना, खबर अथवा परिदृश्‍य से नि:संदेह अच्‍छा प्रभाव पड़ेगा। इसका मैं एक उदाहरण देता हूं;    

       ‘’इस पृथ्‍वी पर हरेक की आवश्‍यकताओं की पूर्ति हेतु पर्याप्‍त संसाधन हैं, परंतु उनसे एक की तृष्‍णा भी पूरी नहीं हो सकती है।‘’ . . . . महात्‍मा गांधी

      वर्तमान परिदृश्‍य में यह कथन कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग, जलवायु परिवर्तन पर बात-चीत में गतिरोध, फलता-फूलता पूंजीवाद बनाम पर्यावरणविद, विकास केंद्रित जीडीपी और इसी प्रकार अन्‍य से सह-संबद्ध किया जा सकता है।     

       GS के पेपर के 4 के गतिशील भाग की ओर रूख करते हैं। आइए सबसे पहले हम `Public/civil service values and ethics in public administration, Probity in governance’’ पर चर्चा करते हैं। यह टॉपिक निश्चित रूप से पेपर 2 के गवर्नेंस के टॉपिक से मेल खाएगा। लोकतंत्र में सिविल सर्विस की भूमिका पेपर 2 में वास्‍तव में एक दूसरा टॉपिक है, जिसे GS के पेपर 4 में यहां बेहतर ढंग से तैयार किया जा सकता है। इस भाग के अध्‍ययन का सबसे अच्‍छा स्रोत द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की रिपोर्ट है, जिसमें हमारे देश के प्रत्‍येक पहलू पर विचार किया गया है। वास्‍तव में उक्‍त रिपोर्ट में इस भाग में कुछ टॉपिक प्रत्‍यक्ष रूप से हैं। डा. बी.रामास्‍वामी की पुस्‍तक Public/civil service values and ethics in public administration’ तैयारी हेतु दूसरी महत्‍वपूर्ण पुस्‍तक है।

       केस स्‍टडी पर निर्णय लेने की क्षमता पेपर 4 का सर्वाधिक महत्‍वपूर्ण भाग है। इसमें 50% का वेटेज है और यह UPSC का अभिप्राय दर्शाता है। अनेक कठिन परिदृश्‍यों पर अभ्‍यर्थियों की कड़ी परीक्षा के बाद संभव है कि परीक्षक के समक्ष अभ्‍यर्थी के चरित्र की कलई खुल जाए और वह यह निश्‍चय कर बैठे कि उसमें लोक सेवक बनने के गुण हैं अथवा नहीं। इस प्रकार अभ्‍यर्थी को इन प्रश्‍नों पर परिस्थितिजन्‍य निर्णय लेते समय बहुत सावधान रहने की आवश्‍यकता है।   

       मैं, जिस नजरिए (एप्रोच) की बात करूंगा, वह क्रमबद्ध प्रयासों सहित एलगॉरिथम (algorithm with a series of sequential stepsपर आधारित है, जो वास्‍तव में समुचित निष्‍कर्ष पर ले जाने में आपकी मदद करेगी। इसके मूलभूत सिद्धांत इस प्रकार हैं:

   a) किसी भी परिस्थिति में स्‍टेकहोल्‍डरों की पहचान करें- वे स्‍वाभाविक न सही, पर कानूनी हो सकते  हैं।

b) किसी परिस्थिति के लिए अनेक विकल्‍प संभव हैं। केवल उन दो कार्यों की पहचान करें, जो नैतिक दुविधा पैदा करते हैं। (यदि प्रश्‍न से सारी संभावनाएं निकल आती हैं, तो इस प्रयास की आवश्‍यकता नहीं है।)

c) व्‍यावहारिक एवं प्रयोजनमूलक विधि की मान‍‍क अवधारणा के साधन सहित कार्यों की समस्‍त संभाव्‍य संभावनाओं का विश्‍लेषण करें। पहले में यदि अधिकाधिक लोगों का भला होगा, तो चुना गया विकल्‍प सही होगा। दूसरी ओर प्रयोजनमूलन नजरिए (एप्रोच) को ध्‍यान में रखते हुए कि क्‍या अपेक्षित लक्ष्‍य प्राप्‍त करने हेतु प्रयुक्‍त साधन नैतिक रूप से सही है या नहीं।

d) दो नजरिए (एप्रोच) और हैं, परंतु इनका प्रयोग बहुत कम किया जाता है। पहला - वह नजरिया, जो न्‍याय संगत हो, और दूसरा- जो अधिकारयुक्‍त  हो।

e) प्रश्‍न में दिए गए प्रत्‍येक विकल्‍प के लिए व्‍यावहारिक एवं प्रयोजनमूलक नजरिए का प्रयोग करें तथा किसी निश्चित निष्‍कर्ष पर पहुंचें।

f) अभ्‍यर्थी चुने गए सभी विकल्‍पों पर स्‍वयं से प्रश्‍न करे और बारी-बारी से सभी को हटाते हुए एक को छोड़ दे, और उसी पर कार्य करे ।

g) ये अच्‍छे से प्रश्‍न इस प्रकार के हो सकते हैं; लाभ क्‍या लांग रन से मिलता है या शॉर्ट रन से? यदि सभी लोग एक ही विकल्‍प या कार्य चुनें, तो क्‍या होगा? क्‍या कोई कार्य महिलाओं के सम्‍मान या लॉ ऑफ दि लैंड के साथ किसी प्रकार का समझौता कर सकता है?

किसी सैंपल प्रश्‍न का एक बार विश्‍लेषण करने के बाद उपरोक्‍त नजरिया बिल्‍कुल स्‍पष्‍ट हो जाएगा। यह वेबसाइट firstattempt.in पर उपलब्‍ध होगा, क्‍योंकि उत्‍तर लिखने का विचार-विमर्श करने हेतु यह पुस्‍तक प्रासंगिक फोरम नहीं है। इसके अतिरिक्‍त मोहन कान्‍डा की पुस्‍तक ‘’Ethics in governance: resolution of dilemmas with case studies’’ पढ़ने की सलाह दी जाती है।   

प्रिय अभ्‍यर्थी GS का पेपर 4 अधिक अंक देने वाला पेपर है, लेकिन पहले आपको निर्णय लेने की क्षमता विकसित करनी होगी। इस पेपर में व्‍यवस्थित तरीके से उत्‍तर देने से आपको 100 से अधिक अंक प्राप्‍त होंगे और निश्चित तौर से इससे आपके चयन की संभावना बढ़ जाएगी।

भ्रांतियां और FAQ (बारंबार पूछे जाने वाले प्रश्‍न)

Aमैंने प्राचीन और मध्‍य कालीन भारत का अध्‍ययन किया है। GS के पेपर 1-कला और संस्‍कृति के लिए यह पर्याप्‍त होगा।

   नहीं, NCERT की पाठ्य पुस्‍तक से प्राचीन एवं मध्‍य कालीन भारत का अध्‍ययन करके कला और संस्‍कृति का ज्ञान विकसित करना होगा। इस हेतु उपरोक्‍त खंड पढ़ें। फिर भी, ऐसा न सोचें कि प्राचीन एवं मध्‍य कालीन विश्‍व की सामाजिक-आर्थिक जानकारी के बिना यह ज्ञान विशेष हो सकेगा।

Bइतिहास में केवल तथ्‍यों को ही याद किया जाना है।

   ऐसी विचारधारा पूरी तरह से गलत है। प्राथमिक परीक्षा के लिए कुछ भी याद नहीं किया जाना है और मुख्‍य परीक्षा के लिए तथ्‍यात्‍मक तैयारी के स्‍थान पर विश्‍लेषणात्‍मक अध्‍ययन की सलाह दी जाती है। यदि आपको इसमें भ्रम है और मुश्किल होती है, तो मुख्‍य परीक्षा के प्रश्‍नों को देखने की सलाह दी जाती है।

Cमैं राजनीति से जुड़ी़ सभी खबरों को पढ़ता हूं और टेलीविजन पर गहमा-गहम राजनीतिक बहस सुनता हूं, ताकि शासनतंत्र में मेरी अच्‍छी तैयारी हो सके।

   मेरे आरंभिक परीक्षा 2013 में मामूली सफलता के बाद मेरे एक मित्र ने, जो इस सफलता  का स्‍वाद पहले दो बार चख चुका था, मुझे एक छोटी सी पार्टी में आमंत्रित किया। डिनर के समय उन्‍होंने टी.वी. चैनल टाइम्‍स नाऊ चालू कर दिया, जिस पर अरनब गोस्‍वामी की मेजबानी में बहस चल रही थी। वह पहला अवसर था जब मैंने टी.वी. चैनल पर इतना गहमा-गहमी वाली बहस लाइव देखी। मैनें अपने मित्र से पूछा कि इस शो में वो इतना आनंद क्‍यों लेता है। ‘’ऐसी बहस से आपको विचार तैयार करने में सहायता मिलेगी और विचार आधारित प्रश्‍न आपकी मुख्‍य परीक्षा के शासन तंत्र (polity) के पेपर में आएंगे।‘’ 

   मेरा वह दोस्‍त शासन तंत्र (polity) और राजनीति (पालिटिक्‍स) के शब्‍दों की समानता का शिकार बन गया। ये दोनों विषय एक दूसरे से काफी भिन्‍न हैं। अभ्‍यर्थी से अपेक्षित है कि वे राजनीतिक खबर से शासन तंत्र (polity) को अलग कर लें। उदाहरण के लिए; हो सकता है कि श्री केजरीवाल के भारतीय जनता पार्टी सरकार से दिल्‍ली में चुनाव कराने के अभियान में मुझे तनिक भी रूचि न हो, लेकिन मुझे संविधान में यह जांचना होगा कि A - 239AA  के अनुसार दिल्‍ली में कितने समय तक के लिए राष्‍ट्रपति शासन लागू रह सकता है। ऐसे में जब देश की राजधानी बिना किसी चुनी हुई सरकार के चल रही है, तो दिल्‍ली के उप राज्‍यपाल (ले. गवर्नर) की भूमिका क्‍या है? राजनीतिक खबर पढ़ते समय आपके मष्तिस्‍क में ये विचार भी कौंधने चाहिएं।

   जहां तक टी.वी. चैनलों पर बहस की बात है, तो बहस जितनी उत्‍तेजक होगी, उसकी रेटिंग भी उतनी अच्‍छी होगी। इस प्रकार, मुझे प्रतीत होता है कि न्‍यूज चैनलों में आपसी प्रतिस्‍पर्धा रहती है और महत्‍वपूर्ण शो के हॉस्‍ट, मेहमानों से ज्‍वलंत मुद्दों पर भड़काऊ प्रश्‍न पूछते हैं। मीडिया भी प्रचार (प्रोपैगंडा) की इन विधियों से संकीर्णतावाद को बढ़ावा देने में पूरी तरह से लापरवाह है। इस प्रकार के शो बहुत हिट हो रहे हैं। दर्शक वाक् युद्ध का आनंद लेते हैं और यह जितना गहराएगा, लोगों का आनंद उतना ही बढ़ेगा। इस प्रकार, प्रिय अभ्‍यर्थियों, यदि प्राइम टाइम की इन राजनीतिक बहस सुनने में आपका थोड़ा भी रूझान है, तो इससे बचें। भला करने के स्‍थान पर उनसे न केवल आपका कीमती समय नष्‍ट होगा, बल्कि अंततोगत्‍वा वे व्‍यक्तित्‍व को असहिष्‍णु बनाकर आपका ज्‍यादा बुरा कर देंगी, और ऐसा व्‍यक्तित्‍व किसी सिविल सेवक के चरित्र का विरोधाभासी होगा। 

D) शासन तंत्र (polity) को मैं कैसे दोहराऊं?

   दोहराने के स्थान पर बेहतर शब्‍द होगा कि शासन तंत्र (polity) तक कैसे पुन:पहुंचे। ऐसा तब करें जब भी आपको ऐसा कोई प्रासंगिक समाचार मिले, जिसकी जड़ें शासन तंत्र (polity) में हों। इसे आत्‍मसात करना, एक सतत् प्रक्रिया है। ऐसा नहीं हो सकता कि सोकर उठें और दिन अच्‍छा देखकर निश्‍चय करें कि रातो-रात आपको संविधान के सारे अनुच्‍छेद याद हो जाएंगे। यदि आप ऐसा कर भी गए तो यह अनावश्‍यक अभ्‍यास होगा। अनुच्‍छेद याद करना उतना महत्‍वपूर्ण नहीं है, जितना कि उनका उपयोग जानना है।

 E)   प्रश्‍न 4 के नीति शास्‍त्र के निर्णयात्‍मक प्रश्‍न बिना किसी तैयारी के लिखे जा सकते हैं।

   नहीं-नहीं, ऐसा कदापि न करें। इस खंड के उत्‍तर लिखने में अनजान होने का जोखिम न उठाएं। व्‍यवस्थित तरीके विशिष्‍ट नजरिए का परिचय दें। इससे आपके अंक 100 से ऊपर पहुंचेंगे। इसके साथ ही 125 अंक पाने में अधिक मेहनत भी नहीं होगी। मुझे लगता है कि समयबद्ध तरीके से निर्धारित स्‍थान पर 6 या 7 प्रश्‍नों का अभ्‍यास पर्याप्‍त होगा। फिर, यह प्रयास छोड़ा ही क्‍यों जाए?

Fमुझे नहीं लगता कि मेरे पास नैतिक मूल्‍य है, फिर नीति शास्‍त्र के पेपर में अच्‍छे अंक कैसे प्राप्‍त होंगे?

   यदि तैयारी अच्‍छी है और GS के पेपर 4 में प्रश्‍नों की संरचना व्‍यवस्थित है, तो आपकी व्‍यक्तिगत नैतिकता बहुत बड़ी भूमिका नहीं निभाएगी। हालांकि अध्‍ययन के दौरान सर्विस की आवश्‍यकताओं के अनुरूप आपको व्‍यक्तिगत नैतिकता बनाने की पूरी कोशिश अवश्‍य करनी चाहिए, क्‍योंकि इसकी पूरी संभावनाएं हैं कि यदि इसकी तैयारी न की गई, तो साक्षात्‍कार में आपका मुखौटा उतर जाए।

Gअनिवार्य भाषा पेपर के विषय में परेशान नहीं होना चाहिए।

प्रिय अभ्‍यर्थियों, ऐसा बिल्‍कुल नहीं है कि भाषा के ये अनिवार्य पेपर बहुत आसान  हैं। मैंने तीन अभ्‍यर्थियों को या तो अंग्रेजी अथवा अष्‍टम अनुसूची से ली जानी वाली किसी एक भाषा मे फेल होते देखा है। यह अधिक कष्‍टकर कि यदि अभ्‍यर्थी इन अनिवार्य पेपरों में फेल हो जाए, तो मुख्‍य परीक्षा के अन्‍य पेपरों में तो उसे अंक मिलेंगे ही नहीं। ऐसे में ज्ञात ही नहीं हो सकेगा कि क्‍या आपने मुख्‍य परीक्षा के लिए कट ऑफ अंक प्राप्‍त किए हैं, या नहीं।

   इस प्रकार, अभ्‍यर्थियों को विगत वर्षों के भाषा के दोनों अनिवार्य पेपरों को समयबद्ध ढंग से निश्चित रूप से अभ्‍यास कर लेने की नेक सलाह दी जाती हैइसे मुख्‍य परीक्षा के एक सप्‍ताह पहले किया जाए। इसके अतिरिक्‍त वास्‍तविक पेपरों में न तो कोई खंड और न ही किसी प्रश्‍न का उत्‍तर छोड़ें। मैंने अनिवार्य भाषा से हिंदी के तीन प्रश्‍न-पत्रों का अभ्‍यास किया था, जिसके आरंभ में निबंध का एक प्रश्‍न था। लेकिन मुख्‍य परीक्षा, 2013 की वास्‍तविक परीक्षा में दो निबंध लिखे जाने थे। अब जबकि परीक्षा का पैटर्न थोड़ा बदल गया है, अभ्‍यर्थियों को इस पैटर्न पर अभ्‍यास करने की सलाह दी जाती है, क्‍योंकि तीन घंटे में पेपर पूरा किए जाने के लिए काफी गंभीर प्रयास की आवश्‍यकता होगी।

H) सिविल सर्विस में अंक मन-मर्जी/अनियमित दिए जाते हैं। अत्‍यंत व्‍यक्तिनिष्‍ठता (सबजेक्टिीविटी) की आवश्‍यकता होती है।  

      जिसे आप नहीं देख सकते या नहीं जानते, उसका अनेक प्रकार से विश्‍लेषण किया जा सकता है। UPSC द्वारा अंक पद्धति को नहीं बताया जाता और इसकी सर्वाधिक अधिकार सांविधिक संस्‍था के पास हैं तथा शीर्षस्‍थ न्‍यायालय ने भी प्रश्‍न-पत्रों की सेटिंग तथा चेकिंग को जन सूचना अधिकार के दायरे से बाहर रखा है। इस प्रकार, हमें इन विवादास्‍पद मुद्दों पर बहस करने से हर हाल में बचना चाहिए। मैं व्‍यक्तिगत रूप से अभ्‍यर्थियों को इस विषय पर सभी मंचों पर बहस करने से बचने और अपने विषय पर ध्‍यान केंद्रित करने की सलाह देता हूं, ताकि उनके चयन की संभावना बढ़ सके। इस प्रकार की सभी अनावश्‍यक बहस अनुपयोगी हैं, जो आपके तन और मन की ऊर्जा का क्षय करेगी। कृपया इनसे बचें और अपने लक्ष्‍य पर केंद्रित रहें।

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Additional FAQs on पाठ 8 - मुख्य (मेन्स) परीक्षा की तैयारी (भाग - 2) - UPSC

1. मुख्य परीक्षा की तैयारी क्या है?
उत्तर: मुख्य परीक्षा की तैयारी एक प्रतियोगी परीक्षा के लिए जरूरी होती है जो भारतीय प्रशासनिक सेवा (UPSC) द्वारा आयोजित की जाती है। इस परीक्षा का उद्देश्य भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय वाणिज्यिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा, भारतीय वैज्ञानिक सेवा, और अन्य संबंधित सेवाओं के लिए उम्मीदवारों की नियुक्ति करना है। इस परीक्षा की तैयारी में छात्रों को सामान्य अध्ययन, विचारशीलता, भूगोल, इतिहास, राजनीति, आर्थिक विज्ञान, विज्ञान, गणित, और वर्तमान मामलों की जानकारी की आवश्यकता होती है।
2. मुख्य परीक्षा के लिए संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) का पैटर्न क्या है?
उत्तर: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की मुख्य परीक्षा का पैटर्न तीन चरणों में होता है - सामान्य अध्ययन (प्रथम चरण), विकल्पी प्रश्नों का चयन (द्वितीय चरण) और व्यक्तिगतिकृत साक्षात्कार (तृतीय चरण)। प्रथम चरण में छात्रों को खुदरा पेपरों का आयोजन करना होता है, जो सामान्य अध्ययन के विभिन्न विषयों की जानकारी पर आधारित होते हैं। द्वितीय चरण में, छात्रों को विशेषज्ञों द्वारा चयनित विकल्पी प्रश्नों में से किसी एक का चयन करना होता है। तृतीय चरण में, छात्रों को व्यक्तिगतिकृत साक्षात्कार द्वारा उनकी व्यक्तिगत और व्यावसायिक क्षमता का मूल्यांकन किया जाता है।
3. मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए सबसे महत्वपूर्ण टिप्स क्या हैं?
उत्तर: मुख्य परीक्षा की तैयारी के लिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स निम्नलिखित हैं: 1. ध्यान से पाठयक्रम का अध्ययन करें और परीक्षा के पैटर्न को समझें। 2. महत्वपूर्ण विषयों को प्राथमिकता दें और उन पर अधिक जोर दें जिनमें आपकी कमजोरी है। 3. नियमित रूप से मॉक परीक्षाओं का अभ्यास करें और समय प्रबंधन का अभ्यास करें। 4. समाचार पत्रों, पुस्तकों, और अन्य संदर्भ पुस्तकों का अध्ययन करें ताकि आप अद्यतन और विस्तृत ज्ञान प्राप्त कर सकें। 5. अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखें, नियमित रूप से व्यायाम करें, और अवकाश और मनोरंजन का समय निकालें।
4. मुख्य परीक्षा में सफलता पाने के लिए कौन सी संसाधनें उपयोगी हो सकती हैं?
उत्तर: मुख्य परीक्षा में सफलता पाने के लिए निम्नलिखित संसाधनें उपयोगी हो सकती हैं: 1. विभिन्न प्रकाशनों द्वारा प्रकाशित महत्वपूर्ण पुस्तकें और सामग्री। 2. ऑनलाइन शिक्षा प्लेटफ़ॉर्म्स जैसे कि Unacademy, BYJU's, और Khan Academy जैसी वेबसाइटें। 3. सरकारी और गैर स
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