UPSC की व्यक्तित्व परीक्षा (PT) के सफल अभ्यर्थियों की चयन सूची में अपना नाम देखना किसी के लिए भी हर्ष का विषय है। UPSC भी इसे व्यक्तित्व परीक्षा (PT) कहता है, साक्षात्कार नहीं। इस व्यक्तित्व परीक्षा में “कौन बनेगा करोड़पति” की तरह सामान्य ज्ञान के प्रश्नों की बौछार नहीं होती। वास्तव में यह उसके बिलकुल विपरीत होती है। अभ्यर्थी को कई दौर में बातचीत में उलझाकर बोर्ड के सदस्य उसके व्यक्तित्व की विशेषताएँ जानने की कोशिश करते हैं और यह जाँचते हैं कि वह सिविल सेवा की अपेक्षाओं के अनुरुप है या नहीं। अतएव सिविल सेवक में ऐसी कौन सी विशेषताएँ होनी चाहिए? इनमें से अधिकांश के बारे में अभ्यर्थी भली-भांति जानते हैं क्योंकि ये सब सामान्य ज्ञान के प्रश्नपत्र-4 का अंग हैं। इनमें ईमानदारी, अध्यवसाय, सत्यनिष्ठा, मानसिक सतर्कता, सामाजिक साहचर्य और नेतृत्व की क्षमता, निर्णय में संतुलन, सकारात्मक दृष्टिकोण, निर्णय लेने की क्षमता, विनम्रता के साथ-साथ और भी बहुत कुछ हैं।
यद्यपि हम इन सब पहलुओं को पहले ही जानते हैं, फिर भी, कुछ अभ्यर्थी साक्षात्कार में कम अंक अर्जित करते हैं और कुछ अधिक। हालाँकि अंतिम चयन मुख्य परीक्षा के साथ-साथ व्यक्तित्व परीक्षा – दोनों में प्राप्त अंको की मेरिट के आधार पर होता है। यह इस प्रकार से हो सकता है कि जिन परीक्षार्थियों को साक्षात्कार में कम अंक मिले हों यदि मुख्य परीक्षा में उन्हें अधिक अंक मिल जाएँ तो वे अंतिम कट-ऑफ सूची में स्थान पा जाते हैं। तथापि, आजकल के साक्षात्कार का महत्व समझ में नहीं आ सकता। व्यक्तित्व परीक्षा के लिए चयनित सभी अभ्यर्थी इस गलाकाट प्रतियोगिता में लगभग समान स्तर के ही होते हैं। इसलिए व्यक्तित्व की इस परीक्षा को हलके में नहीं लेना चाहिए, विशेष रूप से तब जबकि साक्षात्कार में अधिक अंक दिए जाने हों।
अत: हमारा प्रयास होना चाहिए कि अभ्यर्थी व्यक्तित्व परीक्षा में अच्छा करने के लिए वास्तविक प्रयत्न करे। इसके लिए कुछ सामान्य तथ्यों को समझने की आवश्यकता है। सामान्य दृष्टिकोण यह है कि अभ्यर्थी को तैयारी साक्षात्कार की वास्तविक तारीख से कम से कम एक माह पूर्व शुरू करनी चाहिए – गलत है। जैसा कि हमने पुस्तक के आरंभ में स्पष्ट किया है कि व्यक्तित्व परीक्षा की तैयारी उसी समय आरंभ कर देनी चाहिए जब आप सिविल सेवा के लिए पढ़ाई करने का निर्णय करते हैं। यह तात्कालिक नहीं, वरन एक अनवरत प्रक्रिया है।
दूसरी बात, अभ्यर्थी को हमेशा यह स्मरण रखना चाहिए कि बोर्ड के सामने पहले से ही आपका विस्तृत विवरण आपके प्रार्थना पत्र के रूप में मौजूद रहता है। अतः प्रार्थना पत्र को बेहद सावधानी से भरना चाहिए। यह सुझाव है कि इसे भरने से पूर्व सफल अभ्यर्थियों और शिक्षकों से परामर्श कर सुझाव लेने चाहिए।
तीसरी बात, अभ्यर्थी को साक्षात्कार के अंत में अत्यधिक सतर्क रहना चाहिए। यह अंतिम प्रभाव है। अतएव यह प्राप्त अंकों को प्रभावित कर सकता है। यह मेरे स्वयं के साक्षात्कार का अनुभव है। इंजीनियरिंग सेवा की व्यक्तित्व परीक्षा के अंत में मेरे विषय से सम्बन्धित अधिकांश तकनीकी प्रश्नों के सफलतापूर्वक उत्तर देने के उपरांत बोर्ड के अध्यक्ष ने हलके प्रश्न के माध्यम से वातावरण को हँसी-मजाक से परिपूर्ण वातावरण में बदल दिया। उन्होंने मुझसे मेरे निजी जीवन के बारे में मेरी पसंद के प्रश्न किए। स्वयं के दृष्टिकोण से मैं कुछ ज्यादा ही सहज हो गया और मुस्कराकर उत्तर देने के बजाए मुझे तेज हँसी आ गई। मैंने लगभग सभी प्रश्नों के उत्तर सही-सही दिए थे और मुझे लगा भी बोर्ड के सदस्य भी मेरे उत्तर से प्रसन्न हुए हैं, अतएव मैंने स्वयं को विजयी महसूस किया। परंतु जब अंक सामने आए तो मेरे अंक सूची में सबसे कम थे।
CSE की व्यक्तित्व परीक्षा में मैंने दृढ़ निश्चय किया कि मैं इस गलती को फिर नहीं दोहराउँगा। जैसा कि मैंने पहले ही अनुमान कर लिया था, पूरा साक्षात्कार मेरे जॉब प्रोफाइल के इर्द-गिर्द घूम रहा था और मैं अभिमत आधारित प्रश्नों के संतुलित उत्तरों की तैयारी के साथ उपस्थित था। चूँकि मैंने सभी प्रश्नों के सही उत्तर दिए थे, मैं पूरे साक्षात्कार के दौरान शांत रहा और मैंने अपनी खुशी को व्यक्त भी नहीं होने दिया। साक्षात्कार के अंत में महिला सदस्य ने एक तथ्यपूर्ण प्रश्न को मुस्कराते हुए पूछा। मैं इसका उत्तर नहीं जानता था। मैंने मुस्कान के साथ ही तथ्य न जानने के लिए क्षमा याचना की। अंतिम क्षण तक मैंने मुस्कान के अलावा अपनी मुद्रा को संयमित रखा, हँसा बिलकुल भी नहीं। मुझे स्वयं में बदलाव लाने का परिणाम मिला। मुझे 171 अंक प्राप्त हुए जो कि औसत अंकों से 10 – 15 अंक अधिक थे।
भ्रांतियां और FAQ (अधिकतर पूछे जाने वाले प्रश्न)
दो या तीन काल्पनिक साक्षात्कार अभ्यर्थी में आत्मविश्वास जगाने, गलतियाँ सुधारने तथा सबसे महत्वपूर्ण- अलग-अलग विषयों में अनुभव रखने वाले परिपक्व लोगों से बातचीत करने में निश्चय ही सहायक होते हैं। इस सम्बन्ध में संकल्प तथा रामास्वामी अकादमियों में सम्पन्न काल्पनिक साक्षात्कार सत्र वास्तविक साक्षात्कार के अनुभवों के करीब रहे हैं।
इस सम्बन्ध में लेखक प्रणव महाजन ने अपनी पुस्तक “Deciphering the Personality Test” में साक्षात्कार की तुलना क्रिकेट के एक दिवसीय मैच से की है जिसमें एक बल्लेबाज किसी खास दिन फार्म में हो सकता है और नहीं भी हो सकता। अतएव अभ्यर्थी को किसी भी प्रकार की भ्रांति से बचना चाहिए। साक्षात्कार में प्राप्त अंकों में उतार-चढ़ाव कम से कम होने चाहिएं। आपके व्यवहार में स्थायित्व का दूसरा पक्ष आपके व्यक्तित्व में विशिष्ट गुण का होना है।
फिर भी, मूल्यांकन में अंतर होता रहेगा। इस अंतर को पाटने अथवा न्यूनतम करने के लिए एक प्रस्ताव किया गया था कि एक ही अभ्यर्थी के अलग-अलग तिथियों में तीन या अधिक साक्षात्कार अलग-अलग बोर्डों द्वारा लिए जाने चाहिए। इन साक्षात्कारों का औसत अभ्यर्थी को अंकों के रूप में प्रदान किया जाना चाहिए। परिवर्तन का यह प्रस्ताव अभी विचाराधीन है।
तथापि, वर्तमान परिदृश्य में भी, हमें UPSC जैसे संवैधानिक निकायों की योग्यता और उसके दृढ़ संकल्प पर भरोसा करना होगा। ऐसी परिस्थिति कि जैसे व्यवस्था अपकृष्ट हो जाएगी अथवा बदलकर और प्रबल हो जाएगी, केवल यह मान लेने से कोई भी व्यवस्था निरंकुश अथवा पक्षपातपूर्ण नहीं हो सकती। अतएव परीक्षार्थियों को ईमानदारी से सलाह है कि वे अपने चरित्र निर्माण पर अधिक ध्यान केन्द्रित करें (बजाए इसके कि हमारी संस्थाओं की सुचिता पर प्रश्न खड़े करें)।
यह आवश्यक नहीं है परंतु निसन्देह कहा जा सकता है कि जो लोग दिखने आकर्षक होते हैं वे प्रारम्भिक रूप से सबका ध्यान आकर्षित करने का लाभ पा जाते हैं। यदि इसे पूँजी में परिणत कर लिया जाए तो यह सुन्दर अभ्यर्थियों को अधिक अंक प्राप्त करने में सहायक साबित हो सकता है। तथापि मैंने ऐसे बहुत से अभ्यर्थी देखे हैं जो दिखने में सुन्दर नहीं थे परंतु उन्होंने अपनी अन्य विशेषताओं को गुणों में परिवर्तित कर/भुनाकर अधिक अंक प्राप्त किए जो कि एक सिविल सेवक के लिए अपेक्षित है।
वर्ष 2012 की CSE की अधिसूचना में लिखा है कि सरकार का प्रयास है कि कर्मचारियों में लिंगानुपात में संतुलन रहे। इसलिए महिला कर्मचारियों को आवेदन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। इस कथन के कई प्रकार के अर्थ व निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं।
प्रणव महाजन ने अपनी पुस्तक “Deciphering the Personality Test” में व्यक्तित्व परीक्षा की सम्पूर्ण प्रक्रिया को छोटे-छोटे चरणों में क्रमिक रूप से अध्यवसाय के साथ व्याख्यायित किया है। सूक्ष्म से सूक्ष्म विषय को पकड़ने और उसे व्यक्त करने में उनकी दृष्टि अत्यंत प्रभावी है। CSE के लिए मधुकर कुमार भगत की “How to Excel” नामक एक और पुस्तक है जिसमें समान्य दिशानिर्देश के साथ-साथ साक्षात्कार कक्ष के अन्दर क्या होता है, इस पर गहन दृष्टिपात के साथ साक्षात्कार के कुछ नमूने भी समाहित किये गए हैं।
1. मुख्यं परीक्षा की तैयारी के लिए कैसे स्वयं को संगठित करें? |
2. मुख्यं परीक्षा के लिए सामग्री कहाँ से प्राप्त करें? |
3. मुख्यं परीक्षा के लिए टाइम मैनेजमेंट क्यों महत्वपूर्ण है? |
4. मुख्यं परीक्षा में भ्रांतियाँ कैसे दूर की जा सकती हैं? |
5. मुख्यं परीक्षा की तैयारी के दौरान गणित को कैसे समझें और अच्छी तरह से तैयार करें? |
|
Explore Courses for UPSC exam
|