UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  पाठ 10 - तैयारी के दौरान आने वाली कठिनाइयाँ तथा सामान्य सुझाव

पाठ 10 - तैयारी के दौरान आने वाली कठिनाइयाँ तथा सामान्य सुझाव - UPSC PDF Download

तैयारी के दौरान आने वाली कठिनाईयाँ तथा सामान्य सुझाव

  1.  UPSC सिविल सेवा में सफलता की पूर्व-अपेक्षाएँ

कृपया सिविल सेवकों की विशिष्टताओं, जिनकी चर्चा साक्षात्कार की तैयारी खण्ड में की गई है, के सम्बन्ध में भ्रमित न हों। ये ऐसी विशिष्टताएँ/तकनीकें हैं जो किसी अभ्‍यर्थी में होनी चाहिएं अथवा सिविल सेवा में सफलता के लिए स्वयं में विकसित करनी चाहिएं।

  1. धैर्यः  मुख्य परीक्षा तक की तैयारी के लिए कम से कम 10 माह पूर्व गम्भीरता से तैयारी की शुरुआत करनी चाहिए। साक्षात्कार प्रायः मुख्य परीक्षा के 3 माह पश्चात ही होता है। उसके पश्चात अंतिम परिणाम आने तक लगभग एक माह चिंता और तनाव में बीतता है। इस सम्पूर्ण अवधि के दौरान अभ्यर्थी को यदाकदा आराम भी कर लेना चाहिए, लेकिन बेफिक्र होकर आराम बिलकुल नहीं करना चाहिए। उसे हमेशा अध्ययन में तल्लीन रहना चाहिए। इस प्रकार, पहले प्रयास हेतु इस एक वर्ष से अधिक – लगभग 1.5 वर्ष – की अवधि के दौरान धैर्य बनाए रखना चाहिए। इस दौरान कुछ ऐसे क्षण भी आ सकते हैं जब आपको लगेगा कि आप एक हारी हुई लड़ाई लड़ रहे हैं। फिर भी, आपको शांत चित्त होकर धैर्य रखते हुए अपना अध्ययन निरंतर जारी रखना होगा। 
  2.  दृढ़प्रतिज्ञताः एक महत्वाकांक्षी अभ्यर्थी को हर समय अपना सिर पुस्तकों और अध्ययन सामग्री में ही खपाए रखना होगा। मैंने व्यक्तिगत तौर पर देखा है कि इस क्षेत्र के अभ्यर्थी प्रायः अपना धैर्य नहीं खोते हैं। बहुत से तो ऐसे हैं जिन्होंने अपनी पूरी युवावस्था को ही इस कार्य के लिए समर्पित कर दिया है।
  3.  स्मार्ट स्टडी:  उपर्युक्त दो के अभाव में सफलता हासिल नहीं की जा सकती। इस पुस्तक का उद्देश्य यही है। कड़ी मेहनत के विपरीत स्मार्ट स्टडी आपकी रुचियों पर नहीं बल्कि लक्ष्य पर केन्द्रित होती है। हम यह नहीं कहते कि अभ्यर्थी को सर्दी-गर्मी की परवाह किए बिना सब कुछ पढ़ना चाहिए बल्कि उसे वह पढ़ना चाहिए जो परीक्षा के लिए आवश्यक है। समय की माँग है कि अध्ययन में प्रगति पर हर समय नजर रखनी चाहिए और जहाँ आवश्यक हो वहाँ सुधार करना चाहिए। हम चार्ट, टेबल, एवं दशमलव प्रणाली का प्रयोग करते हुए संगठित एवं सुव्यवस्थित अध्ययन की सलाह देते हैं जिससे कि अभ्यर्थी को अधिकाधिक सूचना/ज्ञान को आत्मसात करने में मदद मिलेगी और यह उस पर परिलक्षित भी होगी।
  4.  सामान्यतया परीक्षार्थियों में क्या कमी होती है?

यद्यपि सिविल सेवा में सफलता के लिए उपर्युक्त सभी पहलू अपेक्षित हैं परंतु उक्त तीन में से धैर्य लगभग सभी परीक्षार्थियों में होता है, दृढ़निश्चय कुछ में पाया जाता है और स्मार्ट स्टडी की कला मुश्किल से कुछ में होती है। 

एक वरिष्ठ व्यक्ति, जिनसे मैं मुख्य परीक्षा से पहले इतिहास पर चर्चा के लिए मिला था, उन्होंने बहुत ही स्पष्टता से कहा था “मैं बिहार से 2003 में दिल्ली आया था अब 2013 में वापस बिहार जा रहा हूँ क्योंकि मैंने बिहार राज्य सेवा में सफलता हासिल कर ली है”। वह एक क्षण चुप रहे फिर बोले “जब मैं सोचता हूँ कि UPSC की सिविल सेवा के लिए मैंने अपनी पूरी जवानी बलिदान कर दी और फिर भी इसे हासिल नहीं कर सका, तो बहुत कष्ट होता है”। उनमें धैर्य की कमी नहीं थी। वास्तव में उनके अन्दर धैर्य की अधिकता थी।

मेरे एक बहुत ही अंतरंग मित्र, जो बिहार के रहने वाले हैं, उन्होंने मुझे परीक्षा की तैयारी की शुरुआत करते समय मुझे क्या पढ़ना चाहिए, इस सम्बन्ध में मेरा विस्तृत मार्गदर्शन किया। वह एक परिश्रमी व्यक्ति हैं जो हफ्तों तक बिना किसी व्यवधान के दिन में 12 घण्टे लगातार पढ़ाई कर सकते हैं। दुर्भाग्य से वह प्राथमिक परीक्षा भी पास नहीं कर सके। पुनःश्च, मेरे मन में निसन्देह उनके ज्ञान के प्रति अगाध श्रद्धा है। उनके प्रयासों में दृढ़ता थी और आचरण में धैर्य, लेकिन उनमें अध्ययन की कला अर्थात समार्ट स्टडी और उसकी योजना में कमी थी।

यह पुस्तक उनके जैसे महत्वाकांक्षी अभ्‍यर्थियों को समर्पित है जिन्हें यदि थोड़ी सी सही दिशा दे दी जाए तो वे चमत्कार कर सकते हैं। इसके लिए जो भी आवश्यक है वह केवल यह कि उनकी असीम क्षमता को अपेक्षित दिशा प्रदान की जाए।

3. अध्ययन के समय की गणना

ऐसी अनेक परिस्थितियाँ हैं जो अभ्यर्थी को भ्रमित करती हैं। जैसे लगता है कि वह पढ़ रहा है, लेकिन वास्तव में वह कुछ भी पढ़ नहीं रहा होता। 2012 में जब मैंने अपनी तैयारी शुरू करने का निर्णय लिया था, मैं एक व्यक्ति से मिला। उन्होंने कहा था,“प्रिय मित्र, पहले अच्छी तरह सोच लो, फिर निर्णय करो कि तुम्हें तैयारी करनी है अथवा नहीं। क्योंकि तुम्हें प्रतिदिन कम से कम 12 घण्टे पढ़ाई करनी होगी और दो वर्ष तक हर एक दिन लगातार पढ़ाई करनी होगी।” मैं डर गया क्योंकि मैं जानता था कि मैं अपने पूरे प्रयास करके भी दिन में 5-6 घण्टे से अधिक पढाई नहीं कर सकता। उन्होंने आगे कहा, “तुम्हें प्रतिदिन कम से कम 8 घण्टे की कोचिंग करनी होगी। उसके पश्चात, कोचिंग में जो पढ़ाया गया है उसपर अपने साथियों के साथ लगभग दो घण्टे चर्चा करनी होगी और फिर रात में सोने से पहले तुम्हें फिर दो घण्टे पढ़ाई करनी होगी।”

परीक्षा पास करने के पश्चात मैंने अनुभव किया कि यह पढ़ाई तो केवल दो घण्टे की ही थी। कोचिंग में दिए गए समय की गणना पढ़ाई के समय में नहीं की जानी चाहिए। विषय चाहे सम्बन्धित हो, चाहे न हो, उसपर अपने मित्रों के साथ चर्चा में बिताए गए समय को भी पढ़ाई के समय में सम्मिलित नहीं किया जाना चाहिए। आपके पढ़ाई के घण्टे से तात्पर्य अपने कमरे में अकेले स्वयं द्वारा की गई पढ़ाई के घण्टों से है। इस प्रकार, यदि आप लगभग 5 घण्टे औसत प्रतिदिन पढ़ाई करते हैं तो यह पहले प्रयास में सिविल सेवा हासिल करने के लिए पर्याप्त है।

4. कैलेन्डर की भूमिका

हमेशा बड़े अंकों वाले कैलेन्डर को अपने कमरे में ऐसे स्थान पर टाँगे जहाँ से वह साफ-साफ दिखे। इसकी भूमिका प्रारम्भिक परीक्षा से एक माह पूर्व तथा मुख्य परीक्षा से दो माह पूर्व अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। जैसे ही एक-एक दिन गुजरता जाए उस तारीख पर काले पेन से क्रास का निशान लगाते जाएँ और उसपर यह लिख दें कि उस तारीख को पढ़ाई में क्या प्रगति हुई। अगले दिन फिर अपना लक्ष्य तय करें। वास्तव में यह आप पर एक क्रमशः बढ़ता हुआ दबाव बनाएगा। जिस दिन आप किसी कारण से पढ़ाई न कर पाएँ, उस तारीख को लाल पेन से निरस्त कर दें। इससे अभ्यर्थी पर दबाव बनेगा और उसका प्रदर्शन दिन-प्रतिदिन बेहतर होता जाएगा।

5. थकान निष्प्रभावी करना

अभ्यर्थी को स्‍वयं को मशीन बनाने के बारे में नहीं सोचना चाहिए। हम सभी मनुष्य हैं और हमें भी थकान होती है। यह कोई हमारा अधिकार नहीं है परंतु शरीर के प्रति यह हमारा कर्तव्य है कि थकान हो जाने पर हम आराम प्रदान करने वाली गतिविधियों के माध्यम से अपने आपको पुनः ऊर्जस्वित करें। सिविल सेवा की तैयारी में लगातार 5 दिन रात-रात तक कठोर परिश्रम करने के बाद छठवें दिन थकान महसूस होती है। यदि आप नियमित रूप से छठवें दिन सायं 6 बजे के पश्चात पढ़ाई में विराम देते हैं तो इस थकान को दूर किया जा सकता है। उस दिन आप अपने सोने के समय तक के समय को अपने ढंग से व्यतीत करें, जिसमें न तो पढ़ाई करें और न ही पढ़ाई से सम्बन्धित विषयों पर बात करें। आराम करने के तरीके अलग-अलग व्यक्तियों के अलग-अलग हो सकते हैं, परंतु सबके परिणाम एक से ही होते हैं। अगले दिन जब आप सोकर उठते हैं तो आप अपने आपको ऊर्जा से भरपूर पाते है, नयापन महसूस करते हैं। इसके बाद आप अगला विश्राम लेने तक पुनः कठिन परिश्रम में जुट जाएँ।

  1. मोबाइल फोन की चिंता

हम सबको यह तथ्य स्वीकार करना चाहिए कि वर्तमान समय के अभ्यर्थीगण और आने वाले समय के अभ्यर्थीगण भारत में विशेष रूप से पिछले एक दशक में हुई विभिन्न श्रेणियों की क्रांति के साक्षी हैं। मोबाइल फोन की पहुँच, उपलब्धता तथा खर्च वहन करने की सामर्थ्य ने इसे पूरे देश में एक किनारे से दूसरे किनारे तक पहुँचा दिया है। मोबाइल फोन का प्रयोग बहुत अधिक हो रहा है और इस पर बात करने का समय दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। स्मार्ट फोन के इन्टरनेट से जुड़ जाने के कारण पीसी/लैपटाप का काम भी इससे लिया जाने लगा है। यही मोबाइल फोन की चिंता के लक्षण हैं। आप एक दिन बिना मोबाइल फोन के रहने का प्रयास कीजिए, फिर आप स्वयं इस बात को समझ जाएंगे। परंतु मेरे प्रिय अभ्यर्थी मित्रों, परीक्षा पर अपना ध्यान केन्द्रित करके इस समस्या से मुक्ति पाई जा सकती है। अतः प्रारम्भिक परीक्षा से एक माह पूर्व तथा मुख्य परीक्षा से दो माह पूर्व मोबाइल फोन का प्रयोग परित्याग दें। आपका मोबाइल आपकी सुविधा और प्रयोग के लिए है, न कि किसी दूसरे व्यक्ति की सुविधा के लिए है।

एक लड़की जिसे मैं बहुत ही कठिन परिश्रम करने वाली लड़की के रूप में जानता हूँ, 2014 की प्रारम्भिक परीक्षा से एक माह पूर्व पाँच दिन लगातार अपने मोबाइल फोन का स्विच बन्द रखती थी और जब मुझसे यह कहती थी कि “चूँकि मैं सिविल सेवा की तैयारी कर रही हूँ इसलिए आपकी तुलना में मेरा समय मेरी प्राथमिकता है, क्योंकि आप अपना लक्ष्य हासिल कर चुके हैं। इसलिए जब मुझे आपके सहयोग की जरूरत होगी अथवा आपसे बात करने की आवश्यकता महसूस होगी, मैं आपसे बात कर लूँगी। मैं आपसे आशा करती हूँ कि आप मुझे जवाब भी देंगे। लेकिन जब भी आप मुझे काल करेंगे और मेरा फोन बन्द जाएगा तो आप समझ लीजिएगा कि मैं अपनी साधना में रत हूँ।” तो मुझे विश्वास हो गया कि वह एक कठिन परिश्रमी लड़की होने के साथ-साथ अपने समय का कुशल प्रबन्धन करने में भी समर्थ है।

मैंने परीक्षा के समय के दबाव का सामना करने तथा मोबाइल फोन की चिंता से निजात पाने के उसके तरीके को भी पसंद किया। मुझे विश्वास है कि 2014 की प्रारम्भिक परीक्षा उसके लिए कोई बाधा नहीं होगी। मैं 2014 की CSE में उसके सफल होने की कामना करता हूँ तथा इसके लिए मुझसे जो भी सम्भव हो सकेगा, उसकी सहायता करने के प्रति उसे आश्वस्त करता हूँ। 

7. कोचिंग – अध्ययन बनाम सामाजिकता

अपना लक्ष्य हासिल करने के लिए एक अभ्यर्थी बड़े जोश-खरोश के साथ कोचिंग में प्रवेश लेता है। लेकिन बहुत से मामलों में मैने देखा और सुना है कि किसी न किसी अन्य कारण से उत्साह ठण्डा पड़ जाता है। हमें यह समझना चाहिए कि हमारा लक्ष्य इन सबसे ऊपर है। परंतु, प्रमुख कोचिंग संस्थाओं में उपजी प्रेम कहानियों के प्रकरणों को देखकर दिल दुख से भर जाता है। मैं मानता हूँ कि मनुष्य का सामाजीकरण एक स्वाभाविक प्रक्रिया है और वास्तव में मनुष्य प्रजाति के जीवित रहने के लिए यह आवश्यक भी है। तथापि, इससे दिल टूटते हैं और व्यक्ति की काफी ऊर्जा और समय ऐसे कार्य के लिए नष्ट होता है जो अधिक प्रभावी नहीं है और आपके गम्भीर लक्ष्य की तुलना में निरर्थक है। अतएव इस समय इससे कोई वास्ता नहीं रखना चाहिए।

वास्तव में, आजकल बहुतायत लोग कोचिंग संस्थानों में इसलिए प्रवेश लेते हैं कि यदि कुछ और न हो पाए तो कम से कम सम्बन्ध तो बन ही जाएँ। यह मुझे एक ऐसी लड़की ने बताया जिसे मैं बहुत अच्छी तरह से जानता था। तैयारी के दौरान उसका रास्ता गलत हो जाने के कारण उसका मुख्य लक्ष्य भटक गया। थोड़ा सा बदले उद्देश्यों के साथ आजकल का परिदृश्य लगभग यही है। परीक्षार्थियों द्वारा अपने साथियों मे पर्याप्त मात्रा में अच्छे विचारों को उत्पन्न करके स्वयं तथा संस्था के शिक्षकों व संकाय सदस्यों द्वारा अधिक सतर्कता बरतकर देश के भविष्य के नेतृत्वकर्ताओं को संदेश देकर इन प्रवृत्तियों को रोके जाने की आवश्यकता है।

8. विखण्डन का सिद्धांत

इस सिद्धांत का प्रयोग द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान किया गया जब अमेरिका ने जापान को तत्काल नष्‍ट करने के लिए उसपर परमाणु बम गिराया था। अमेरिका ने परमाणु बम बनाने के लिए अत्‍यंत गोपनीयता बरती और यही इस मिशन की सफलता के लिए आवश्यक थी। विभिन्न विभागों और इनकी अनेकों शाखाओं को ही केवल उस खास विभाग से सम्बन्धित जानकारी का पता था। केवल राष्ट्रपति और उनके कुछ नजदीकी सलाहकारों को छोड़कर इस परियोजना के बारे में सम्पूर्ण जानकारी किसी को नहीं थी। सभी व्यक्तियों को आंशिक सूचनाओं की ही जानकारी थी इसलिए सूचना के प्रकट हो जाने की सम्भावना को आश्चर्यजनक रूप से कम कर लिया गया और मिशन सफलतापूर्वक सम्पन्न हो सका।

इसी विधि को बिलकुल पृथक सन्दर्भ में दूसरे तरीके से प्रयोग किया जा सकता है। जब एक अभ्यर्थी UPSC सिविल सेवा की तैयारी कर रहा हो तो उसे विशेष कार्य हेतु समर्पण के साथ कार्य करने को अपने मस्तिष्क में भागों में बाँटने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए जब कोई अभ्यर्थी पढ़ाई कर रहा हो तो उसे अपने सम्बन्धों के बारे में नहीं सोचना चाहिए तथा अपनी सुविधा और जरूरत के अनुसार पाँचवें अथवा छठे दिन के अवकाश के समय अभ्यर्थी को पढ़ाई के बारे में नहीं सोचना चाहिए। सोचने की प्रक्रिया में यह बँटवारा अपेक्षित कार्य के लिए ऊर्जा भरने का काम करता है। इसका स्पष्ट उदाहरण हमारे देश के अति आदरणीय व्यक्ति – मेट्रोमैन श्री श्रीधरन जी हैं। जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने दिल्ली जैसे अत्यधिक भीड़-भाड़ वाले क्षेत्र में इस विशाल कार्य को कैसे सम्पन्न किया तो उन्होंने उत्तर दिया कि जब वे कार्यालय में होते हैं तो कार्यालय समय का पालन करते हुए बिलकुल अनुशासित तरीके से अपना काम करते हैं और किसी अन्य चीज के बारे में नहीं सोचते। कार्यालय समय के पश्चात वह घर पर काम नहीं करते और अपना पूरा समय परिवार को देते हैं। 

9. फोटो इलेक्ट्रिक प्रभाव

कुछ धातुओं पर जब कमजोर फोटानों की बौछार की जाती है तब धातु से ऊर्जा उत्सर्जित होती है जो विद्युत घारा का निर्माण करती है। उस धातु पर अपेक्षित ऊर्जा से कम किसी भी संख्या में औऱ किसी भी गति से फोटानों की बौछार करने पर इसके अतिरिक्त और कुछ भी नहीं होता है।

CSE में सफलता हासिल करने की दिशा में हम प्रकृति के इस सिद्धांत से समानता पाते हैं। किसी भी प्रयास में CSE में सफलता हासिल करने के लिए आपके पास सीमित शक्ति है। उदाहरण के लिए, यदि किसी वर्ष के दौरान सूची में स्थान पाने के लिए 100 अंकों की आवश्यकता है और अभ्यर्थी 25-25 अंकों को 4 वर्षों के दौरान हासिल करता है तो इसका कोई अर्थ नहीं है। आपको सिविल सेवा में सफलता के लिए न्यूनतम महत्‍वपूर्ण प्रयास करने होंगे। ऐसा पहले ही प्रयास में ही क्यों न किया जाए।

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FAQs on पाठ 10 - तैयारी के दौरान आने वाली कठिनाइयाँ तथा सामान्य सुझाव - UPSC

1. यूपीएससी परीक्षा में तैयारी के दौरान क्या कठिनाइयाँ आ सकती हैं?
उत्तर: यूपीएससी परीक्षा के दौरान तैयारी करते समय कुछ कठिनाइयाँ आ सकती हैं जैसे कि विषय कवरेज का विस्तार, उच्च स्तर के सामान्य ज्ञान की आवश्यकता, लम्बी पाठ्यपुस्तकें, तैयारी की तारीखों का पालन आदि। इन कठिनाइयों को समझने और उन्हें पार करने के लिए नियमित अभ्यास, महत्वपूर्ण विषयों के चयन और समय प्रबंधन की आवश्यकता होती है।
2. यूपीएससी की तैयारी के दौरान सामान्य सुझाव क्या हैं?
उत्तर: यूपीएससी की तैयारी के दौरान कुछ महत्वपूर्ण सुझाव हैं जैसे कि पाठ्यक्रम की पूरी जानकारी होना, महत्वपूर्ण विषयों के चयन करना, नोट्स बनाना, पिछले सालों के प्रश्न पत्रों का अध्ययन करना, मॉक टेस्ट्स और प्रैक्टिस सेट्स करना, समय प्रबंधन करना और स्वस्थ रहना। इन सुझावों को अपनाकर आप अपनी तैयारी को मजबूत कर सकते हैं।
3. यूपीएससी परीक्षा के लिए तैयारी करने के दौरान कौन-कौन से सामान्य सुझाव फॉलो करने चाहिए?
उत्तर: यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने के दौरान आपको कुछ महत्वपूर्ण सुझाव फॉलो करने चाहिए। इनमें से कुछ हैं: पाठ्यक्रम की पूरी जानकारी होनी चाहिए, नोट्स बनाने चाहिए, पिछले सालों के प्रश्न पत्रों का अध्ययन करना चाहिए, मॉक टेस्ट्स और प्रैक्टिस सेट्स करने चाहिए, समय प्रबंधन करना चाहिए और स्वस्थ रहना चाहिए। ये सुझाव आपकी तैयारी को सही दिशा देंगे।
4. यूपीएससी परीक्षा में सफलता पाने के लिए क्या तैयारी करनी चाहिए?
उत्तर: यूपीएससी परीक्षा में सफलता पाने के लिए आपको कुछ महत्वपूर्ण तैयारी करनी चाहिए। इनमें से कुछ हैं: पाठ्यक्रम की पूरी जानकारी होनी चाहिए, नोट्स बनाने चाहिए, पिछले सालों के प्रश्न पत्रों का अध्ययन करना चाहिए, मॉक टेस्ट्स और प्रैक्टिस सेट्स करना चाहिए, समय प्रबंधन करना चाहिए और स्वस्थ रहना चाहिए। इन तैयारी के उपायों को अपनाकर आप सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
5. यूपीएससी परीक्षा के लिए सबसे अच्छी तैयारी कैसे की जा सकती है?
उत्तर: यूपीएससी परीक्षा के लिए सबसे अच्छी तैयारी करने के लिए आपको कुछ महत्वपूर्ण तैयारी की चीजें करनी चाहिए। इनमें से कुछ हैं: पाठ्यक्रम की पूरी जानकारी होनी चाहिए, नोट्स बनाने चाहिए, पिछले सालों के प्रश्न पत्रों का अध्ययन करना चाहिए, मॉक टेस्ट्स और प्रैक्टिस सेट्स करना चाहिए, समय प्रबंधन करना चाहिए और स्वस्थ रहना चाहिए। इन तैयारी के उप
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