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पाठ का सार: दो बैलों की कथा | Hindi Class 9 (Kritika and Kshitij) PDF Download

दो बैलों की कथा

जानवरों में गधे को सबसे बुद्धिहीन माना जाता है क्योंकि वह सबसे सीधा तथा सहनशील है। वह सुख-दुख तथा हानि-लाभ दोनों में ही एक समान रहता है। भारतीयों को इसी सहनशीलता तथा सीधेपन के कारण अफ्रीका तथा अमरीका में अपमान सहन करना पड़ता था। गधे से थोड़ा ही कम सीमाा प्राणी है बैल। उसका स्थान गधे से नीचा है क्योंकि वह कभी-कभी अड़ जाता है।

झूरी के पास हीरा और मोती नाम के दो बैल थे। वे दोनों ही पछाहीं जाति के सुंदर, सुडौल और चैकस बैल थे। लंबे समय से एक-दूसरे के साथ रहते-रहते उनमें आपस में बहुत प्रेम हो गया था। वे हमेशा साथ-साथ ही उठते-बैठते व खाते-पीते थे। वे आपस में एक-दूसरे को चाटकर तथा सूंघकर अपना प्रेम प्रकट करते थे। दोनों आखों के इशारे से ही एक-दूसरे की बात समझ लेते थे। झूरी ने एक बार दोनों बैलों को अपनी ससुराल भेज दिया। बेचारे बैल यह समझे कि उनके मालिक ने उन्हें बेच दिया है। इसलिए वे जाना नहीं चाहते थे। जैसे-तैसे वे झूरी के साले गया के साथ चले तो गए किन्तु उनका वहा मन नहीं लगा। अतः उन्होंने वहा चारा नहीं खाया। रात को दोनों बैलों ने सलाह की और चुपचाप झूरी के घर की ओर चल दिए। सुबह चरनी पर खड़े बैलों को देखकर झूरी बहुत खुश हुआ। घर के तथा गाँव के बच्चों ने भी तालिया बजाकर उनका स्वागत किया। झूरी की पत्नी शरूर नाराश होकर उन्हें नमकहराम कहने लगी। गुस्से में उसने बैलों को सूखा चारा डाल दिया। झूरी ने नौकर से चारे में खली मिलाने को कहा किन्तु मालकिन के डर से उसने खली नहीं मिलाई।

दूसरे दिन ‘गया’ दोबारा हीरा-मोती को ले गया। इस बार उसने उन्हें मोटी-मोटी रस्सियों में बांध दिया तथा खाने को सूखा चारा डाल दिया। उन्होंने इसे अपना अपमान समझा और अगले दिन हल जोतने से मना कर दिया। गया ने उन्हें डंडों से मारा। उन्होंने हल, जोत, जुआ सब तोड़ दिया और भाग गए किन्तु गले में लंबी-लंबी रस्सिया थीं, अतः पकड़े गए। अगले दिन उन्हें फिर से सूखा चारा मिला। शाम के समय भैरों की नन्ही लड़की दो रोटिया लेकर आई। वे उन्हें खाकर प्रसन्न हो गए। लड़की की सौतेली माँ उसे बहुत परेशान करती थी। मोती के दिल में आया कि वह भैरों तथा उसकी नई पत्नी को उठाकर फेंक दे किन्तु लड़की का स्नेह देखकर चुप रह गया।

अगली रात उन्होंने रस्सिया तुड़ाकर भागने की तैयारी कर ली। रस्सी को कमजोर करने के लिए वे उसे चबाने लगे। पर उसी समय नन्ही लड़की आई और दोनों बैलों की रस्सिया खोल दीं। किन्तु फिर लड़की के स्नेह में हीरा-मोती नहीं भागे। तब लड़की ने शोर मचा दिया, फूफा वाले बैल भागे जा रहे हैं दादा, भागो। लड़की की आवाज़ सुनकर हीरा-मोती भाग खड़े हुए। गया तथा गांव के अन्य लोगों ने पीछा किया। इससे दोनों रास्ता भटक गए। नए-नए गांव पार करते हुए वे एक खेत के किनारे पहुचे। खेत में मटर की फसल खड़ी थी। दोनों ने खूब मटर खाई। मस्ती में उछल-कूद करने लगे। तभी अचानक एक साड़ आ गया। दोनों डर गए। समझ में नहीं आ रहा था कि मुकाबला कैसे करें। हीरा की सलाह से दोनों ने मिलकर आक्रमण किया। साड़ जब एक बैल पर आक्रमण करता तो दूसरा बैल साड़ के पेट में सींग गड़ा देता। साड़ दो-दो शत्रुओं से लड़ने का आदी नहीं था, अतः बेदम होकर गिर पड़ा। हीरा-मोती को उस पर दया आ गई। उन्होंने उसे छोड़ दिया। जीत की खुशी में मोती फिर मटर के खेत में मटर खाने लगा।

तब तक दो आदमी लाठी लेकर आए। उन्हें देखकर हीरा भाग गया किन्तु मोती कीचड़ में फस जाने के कारण पकड़ा गया। उसे कीचड़ में फसा देखकर हीरा भी आ गया। आदमियों ने दोनों को पकड़कर काजीहौस में बंद कर दिया। काजीहौस में उन्हें दिन भर कुछ भी खाने को न मिला। वहा पहले से ही कई बकरिया, भैंसें, घोड़े तथा गमो थे। सभी मुदोद्व की तरह पड़े थे। भूख के मारे हीरा-मोती ने दीवार की मिट्टी चाटनी शुरू कर दी। रात में हीरा के मन में विद्रोह की भावना उत्पन्न हुई। उसने सींगों से दीवार पर वार करके कुछ मिट्टी गिरा दी। लालटेन लेकर आए चैकीदार ने उनको कई डंडे मारे और मोटी रस्सी से बांध दिया। मोती ने उसे चिढ़ाया। हीरा ने उत्तर दिया कि यदि दीवार गिर जाती तो कई जानवर आजाद हो जाते। हीरा की बात सुनकर मोती को भी जोश आ गया। उसने बची हुई दीवार गिरा दी। सारे जानवर भाग गए। गधे नहीं भागे। बोले भागने से क्या फायदा? फिर पकड़े जाएगे। मोती ने उन्हें सींग मारकर भगा दिया। हीरा ने मोती को भाग जाने के लिए कहा किन्तु मोती हीरा को विपत्ति में अकेला छोड़कर नहीं गया। सुबह होते ही काजीहौस में खलबली मच गई। उन्होंने मोती को बहुत मारा तथा मोटी-मोटी रस्सियों से बांध दिया। 

हीरा-मोती को काजीहौस में बंद हुए एक सप्ताह हो गया था। उन्हें कुछ खाने के लिए नहीं मिलता था। दिन में एक बार केवल पानी मिलता था। दोनों सूखकर ठठरी हो गए। एक दिन नीलामी हुई। उनका कोई खरीदार न था। अंत में एक कसाई ने उन्हें खरीद लिया। नीलाम होकर दोनों दढ़ियल कसाई के साथ चले। वे अपने भाग्य को कोस रहे थे। कसाई उन्हें भगा रहा था। रास्ते में उन्हें गाय-बैलों का एक झुंड दिखाई दिया। सभी जानवर उछल-

कूद रहे थे। हीरा-मोती सोचने लगे कि ये कितने स्वार्थी हैं। इन्हें हमारी कोई चिंता नहीं है। अचानक हीरा-मोती को लगा कि वे रास्ते उनके जाने-पहचाने हैं। उनके कमजोर शरीर में फिर से जान आ गई। उन्होंने भागना शुरू कर दिया। झूरी का घर नजदीक आ गया। वे तेजी से भागे और थान पर खड़े हो गए। झूरी उन्हें देखते ही दौड़ा और उनके गले लग गया। बैल झूरी के हाथ चाटने लगे। दढ़ियल कसाई ने बैलों की रस्सिया पकड़ लीं। झूरी ने कहा, ‘‘ये बैल मेरे हैं,’’ कसाई बोला, ‘‘मैंने इन्हें नीलामी से खरीदा है।’’ वह बैलों को जबरदस्ती लेकर चल दिया। मोती ने उस पर सींग चलाया तथा उसे भगाकर गांव से दूर कर दिया। झूरी ने नादों में खली, भूसा, चोकर और दाना भर दिया। दोनों मित्र खाने लगे। गांव में उत्साह छा गया। मालकिन ने आकर दोनों के माथे चूम लिए।

लेखक परिचय

प्रेमचंद
इनका जन्म सन 1880 में बनारस के लमही गाँव में हुआ था। इनका मूल नाम धनपत राय था। बी.ए. तक की शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने शिक्षा विभाग में नौकरी कर ली परंतु असहयोग आंदोलन में सक्रिय भाग लेने के लिए नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और लेखन कार्य के प्रति पूरी तरह समर्पित हो गए। सन १९३६ में इस महान कथाकार का देहांत हो गया।

प्रमुख कार्य
उपन्यास - सेवासदन , प्रेमाश्रम , रंगभूमि , कायाकल्प , निर्मला , गबन , कर्मभूमि , गोदान।
पत्रिका - हंस , जागरण , माधुरी आदि पत्रिकाओं का संपादन।

कठिन शब्दों के अर्थ

  1. निरापद – सुरक्षित 
  2. पछाईं – पालतू पशुओं की एक नस्ल 
  3. गोईं – जोड़ी 
  4. कुलेले – क्रीड़ा
  5. विषाद – उदासी 
  6. पराकाष्ठा – अंतिम सीमा 
  7. पगहिया – पशु बाँधने की रस्सी 
  8. गराँव – फुँदेदार रस्सी जो बैल आदि के गले में पहनाए जाती है 
  9. टिटकार – मुँह से निकल्ने वाला टिक-टिक का शब्द 
  10. मसहलत – हितकर
  11. रगेदना – खदेड़ना
  12. साबिका – वास्ता/सरोकार
  13. काँजीहौस – मवेशी खाना
  14. रेवड़ – पशुओं का झुंड 
  15. थान – पशुओं की बाँधे जाने की ज़गह
  16. उछाह – उत्सव/आनंद
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FAQs on पाठ का सार: दो बैलों की कथा - Hindi Class 9 (Kritika and Kshitij)

1. What is the story of "Dobai Ki Katha" about?
Ans. "Dobai Ki Katha" is a story about two bulls named Heera and Moti. The story revolves around their owners' greed and how they were exploited for their labor.
2. What is the moral of the story "Dobai Ki Katha"?
Ans. The moral of the story "Dobai Ki Katha" is that greed can lead to exploitation of the weak. The story highlights the importance of treating animals and laborers with respect and kindness.
3. What is the significance of the title "Dobai Ki Katha"?
Ans. "Dobai Ki Katha" means the story of two bulls. The title is significant because it emphasizes the central characters of the story and highlights the importance of the role played by the bulls in the lives of their owners.
4. What is the message conveyed by the story of "Dobai Ki Katha" to the readers?
Ans. The story of "Dobai Ki Katha" conveys the message that the exploitation of the weak is a result of human greed. The story encourages readers to treat animals and laborers with respect and empathy.
5. How does the story of "Dobai Ki Katha" relate to real-life situations?
Ans. The story of "Dobai Ki Katha" is relatable to real-life situations where laborers and animals are often exploited due to the greed of those in power. The story highlights the importance of treating everyone with kindness and respect, regardless of their social status.
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