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पाठ का सार: पद | Hindi Class 10 PDF Download

कवि परिचय: मीराबाई

मीराबाई भक्ति काल की एक प्रसिद्ध महिला कवयित्री थीं। उनका जन्म 1503 में राजस्थान के चोकड़ी (कुड़की) गाँव में हुआ था। उनका विवाह मेवाड़ के राजकुमार भोजराज से हुआ, लेकिन जल्दी ही उनके पति, पिता और श्वसुर का निधन हो गया। दुखों से भरपूर जीवन के कारण मीरा ने अपना घर छोड़ दिया और भगवान कृष्ण की भक्ति में लग गईं। वे संत रैदास की शिष्या थीं। उन्होंने कृष्ण को ही अपना सब कुछ माना और जीवन भर उनकी भक्ति में लीन रहीं। मीरा ने अपने पदों में कृष्ण से प्रेम, शिकायत, विनती और लाड़ सभी भावों को बहुत सुंदर ढंग से बताया है। उनकी भाषा में राजस्थानी, ब्रज और गुजराती का मेल मिलता है।

पाठ का सार: पद | Hindi Class 10मीराबाई

मीरा के पद पाठ प्रवेश

लोक कथाओं के अनुसार, मीरा अपने जीवन के दुखों से परेशान होकर घर छोड़कर वृंदावन चली गई थीं। वहाँ उन्होंने अपना पूरा जीवन भगवान कृष्ण को समर्पित कर दिया और उनके प्रेम में डूब गईं। मीरा की रचनाओं में भगवान कृष्ण कभी बिना रूप के परमात्मा (निर्गुण), कभी गोपियों के प्यारे श्रीकृष्ण (सगुण), और कभी किसी को न चाहने वाले संत (निर्मोही जोगी) के रूप में दिखाई देते हैं।

पाठ का सार: पद | Hindi Class 10इस पाठ में दिए गए दोनों पद मीरा ने अपने भगवान श्रीकृष्ण के लिए ही लिखे हैं। मीरा कभी भगवान की तारीफ करती हैं, कभी उनसे प्यार जताती हैं और कभी उन्हें डांट भी देती हैं। वे भगवान की शक्तियों की याद दिलाती हैं और उन्हें यह भी कहती हैं कि अपने भक्तों का साथ देना उनका कर्तव्य है।

पाठ का सार

इस पाठ में मीराबाई के दो पद दिए गए हैं, जिनमें उन्होंने अपने आराध्य श्रीकृष्ण (गिरधर गोपाल) को प्रेम, भक्ति और श्रद्धा से पुकारा है। पहले पद में मीरा भगवान से विनती करती हैं कि जैसे उन्होंने पहले अपने भक्तों की मदद की थी, वैसे ही अब वे मीरा की भी मदद करें। वे याद दिलाती हैं कि भगवान ने द्रौपदी की लाज बचाई, नरसिंह रूप लेकर भक्त की रक्षा की और गजराज को बचाया। मीरा खुद को भगवान की दासी मानकर उनसे अपनी पीड़ा हरने की प्रार्थना करती हैं।

पाठ का सार: पद | Hindi Class 10

दूसरे पद में मीरा कहती हैं कि वे अपने आराध्य श्रीकृष्ण की सेविका बनकर रहना चाहती हैं। वे रोज़ बाग लगाएँगी, प्रभु के दर्शन करेंगी और वृंदावन की गलियों में श्रीकृष्ण की लीलाएँ गाएँगी। वे कहती हैं कि उन्हें भगवान के दर्शन, सुमिरन (स्मरण) और भक्ति की जागीर (धन-संपत्ति) चाहिए। मीरा अपने मन में बसे मोर मुकुट, पीताम्बर पहनने वाले, मुरली बजाने वाले श्रीकृष्ण का सुंदर रूप याद करती हैं। वे चाहती हैं कि आधी रात को भी यमुना के किनारे भगवान उन्हें दर्शन दें, क्योंकि उनका मन श्रीकृष्ण के बिना बहुत अधीर हो रहा है।

इन पदों में मीरा की गहरी भक्ति, प्रेम, समर्पण और आराध्य के प्रति विश्वास झलकता है।

पद से शिक्षा

मीरा बाई के इन पदों से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अगर हमारा विश्वास और भक्ति सच्ची हो, तो भगवान हमेशा हमारे साथ रहते हैं और हमारी परेशानी दूर करते हैं। मीरा ने अपने जीवन में बहुत दुख झेले, फिर भी उन्होंने भगवान कृष्ण पर विश्वास नहीं छोड़ा। वे उन्हें अपने सच्चे दोस्त, मालिक और सहारा मानती थीं। हमें भी सच्चे मन से भगवान पर भरोसा रखना चाहिए और अपने काम को पूरी श्रद्धा और सेवा भाव से करना चाहिए। यह पद हमें सिखाते हैं कि प्रेम और भक्ति से ही जीवन में शांति और सच्चा सुख पाया जा सकता है।

शब्दार्थ

  • हरि: श्री कृष्ण
  • जन: भक्त
  • भीर: दुख- दर्द
  • लाज: इज्जत
  • चीर: साड़ी, कपड़ा
  • नरहरि: नरसिंह अवतार
  • सरीर: शरीर
  • गजराज: हाथियों का राजा (ऐरावत)
  • कुण्जर: हाथी
  • काटी: मारना
  • लाल गिरधर: श्री कृष्ण
  • म्हारी: हमारी
  • स्याम: श्री कृष्ण
  • चाकर: नौकर
  • रहस्यूँ: रह कर
  • नित: हमेशा
  • दरसण: दर्शन
  • जागीरी: जागीर, साम्राज्य
  • कुंज: संकरी (गलियाँ)
  • पीताम्बर: पीले वस्त्र
  • धेनु: गाय
  • बारी: बगीचा
  • पहर: पहन कर
  • तीरा: किनारा
  • अधीरा: व्याकुल होना
  • सुमरण: स्मरण, याद करना
  • भाव: भावना
  • भगती: भक्ति
  • सरसी: सुंदर, सरस
  • मोहन: मन को मोह लेने वाला (श्री कृष्ण)
  • मुरली: बांसुरी
  • दरसण पास्यूँ: दर्शन प्राप्त करूं
  • बणावं: बनवाना
  • दीज्यो: देना
  • हिवड़ो: हृदय, दिल
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FAQs on पाठ का सार: पद - Hindi Class 10

1. पद के कितने प्रकार होते हैं?
Ans. पद के दो प्रमुख प्रकार होते हैं - सर्वनाम पद और संज्ञा पद।
2. संज्ञा पद क्या होता है?
Ans. संज्ञा पद वह पद होता है जिसके द्वारा किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु या भाव का नामकरण किया जाता है। यह व्यक्ति, स्थान, वस्तु या भाव को प्रतिष्ठित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
3. सर्वनाम पद क्या होता है?
Ans. सर्वनाम पद वह पद होता है जिसे किसी व्यक्ति, स्थान, वस्तु या भाव के स्थान पर प्रयोग करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसे वह शब्द कहते हैं जो संज्ञा पद की जगह पर आता है।
4. पद के उदाहरण क्या हैं?
Ans. कुछ पदों के उदाहरण हैं - राम, घर, पेड़, प्यार, आदि। ये सभी संज्ञा पद हैं जो व्यक्ति, स्थान, वस्तु या भाव को नामित करने के लिए इस्तेमाल होते हैं।
5. पदों का उपयोग क्या है?
Ans. पदों का उपयोग भाषा में शब्दों को समझने और संवाद करने के लिए होता है। संज्ञा पद द्वारा व्यक्ति, स्थान, वस्तु या भाव को नामित किया जाता है, जबकि सर्वनाम पद द्वारा संज्ञा पद की जगह पर प्रयोग किया जाता है। पदों के बिना हम भाषा का सही उपयोग नहीं कर सकते।
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