Table of contents |
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लेखक परिचय |
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पाठ प्रवेश |
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पाठ सार |
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पाठ का निष्कर्ष |
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हबीब तनवीर (1923-2009) का जन्म छत्तीसगढ़ के रायपुर में हुआ था। उन्होंने 1944 में नागपुर से स्नातक किया और ब्रिटेन की नाटक अकादमी से नाट्य-लेखन का अध्ययन किया। वे नाटककार, कवि, पत्रकार, नाट्य निर्देशक, और अभिनेता के रूप में प्रसिद्ध हुए। हबीब तनवीर को लोकनाट्य के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए जाना जाता है। उन्हें कई पुरस्कारों और पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उनके प्रमुख नाटकों में "आगरा बाज़ार", "चरनदास चोर", और "हिरमा की अमर कहानी" शामिल हैं।
अंग्रेज शुरू में इस देश में व्यापारी बनकर आए थे। ताकि किसी को शक न हो, वे पहले सिर्फ व्यापार ही कर रहे थे। लेकिन उनका असली इरादा सिर्फ व्यापार करना नहीं था। उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी बनाई और धीरे-धीरे देश की रियासतों पर कब्जा करना शुरू कर दिया। जब देशवासियों को इसका एहसास हुआ, तो उन्होंने अंग्रेजों को बाहर निकालने की कोशिशें शुरू कर दीं।
इस पाठ में भी एक ऐसे ही वीर व्यक्ति की कहानी बताई गई है, जिसने अपनी जान की परवाह किए बिना अंग्रेजों से लड़ाई की। उसका एक ही मकसद था – अंग्रेजों को देश से निकालना। उसने कंपनी के अफसरों की नींद उड़ा दी थी। वह इतना बहादुर था कि खतरे को खुद बुलाकर अंग्रेज अफसरों के सामने जा पहुंचा। उसने कर्नल को इतनी हिम्मत से जवाब दिया कि कर्नल भी उसकी तारीफ किए बिना नहीं रह सका।
यह पाठ हबीब तनवीर द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण नाट्य रूपक है, जो भारत की स्वतंत्रता के संघर्ष के समय पर आधारित है। इसमें 1799 की घटनाओं का वर्णन किया गया है, जब अंग्रेज़ों ने हिंदुस्तान में अपनी सत्ता स्थापित करने के लिए अलग-अलग रियासतों पर कब्ज़ा करना शुरू कर दिया था।
पाठ में मुख्य रूप से अवध के वज़ीर अली की बहादुरी और अंग्रेजों के खिलाफ उनके संघर्ष को दिखाया गया है। वज़ीर अली अंग्रेज़ों से गहरी नफरत करते थे और उन्हें देश से बाहर निकालने के लिए कई योजनाएँ बना रहे थे। अंग्रेज़ उनसे इतना डरते थे कि उन्हें पकड़ने के लिए जंगलों में अपनी सेना भेज चुके थे, लेकिन वज़ीर अली बार-बार उनकी पकड़ से बच निकलते थे।
कर्नल और लेफ्टिनेंट आपस में वज़ीर अली की बहादुरी की चर्चा करते हैं। वे कहते हैं कि वज़ीर अली ने अंग्रेजों को परेशान कर रखा है और उन्हें देखकर रॉबिनहुड की याद आती है। कर्नल अपने साथी को बताता है कि वज़ीर अली के चाचा, सआदत अली, अंग्रेजों के मित्र बन गए थे और अवध का सिंहासन बचाने के लिए उन्होंने अंग्रेजों को अपनी आधी दौलत और दस लाख रुपये दिए थे।
लेफ्टिनेंट को यह जानकर चिंता होती है कि कई हिंदुस्तानी राजा और नवाब अफगानिस्तान के नवाब को दिल्ली पर हमला करने के लिए बुला रहे हैं। कर्नल भी इस बात से सहमत होता है और कहता है कि अगर ऐसा हुआ, तो अंग्रेजों को हिंदुस्तान में जो कुछ मिला है, वह सब गंवाना पड़ेगा।
कर्नल यह भी बताता है कि वज़ीर अली अंग्रेजों के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं, क्योंकि उन्होंने कंपनी के एक वकील की हत्या भी कर दी थी। जब वकील ने वज़ीर अली की शिकायतों को अनसुना कर दिया और उन्हें बुरा-भला कहने लगा, तो वज़ीर अली ने गुस्से में आकर चाकू से उसकी हत्या कर दी।
अंग्रेजों को पता था कि वज़ीर अली नेपाल जाना चाहते हैं और वहाँ से अपनी ताकत बढ़ाकर सआदत अली को हटाकर अवध पर कब्ज़ा करना और अंग्रेजों को भारत से बाहर निकालना चाहते हैं। इसलिए अंग्रेजों और नवाब सआदत अली की सेना बहुत सख्ती से वज़ीर अली का पीछा कर रही थी।
पाठ का सबसे महत्वपूर्ण दृश्य तब आता है जब एक घुड़सवार अंग्रेजी खेमे में आता है और कर्नल से कारतूस माँगता है। कर्नल उसे वज़ीर अली का दुश्मन समझकर दस कारतूस दे देता है। लेकिन जैसे ही कर्नल उसका नाम पूछता है, वह खुद को वज़ीर अली बताता है और कहता है कि चूँकि कर्नल ने उसे कारतूस दिए हैं, इसलिए वह उसकी जान बख्श रहा है। इतना कहकर वह वहाँ से चला जाता है। कर्नल यह देखकर हैरान रह जाता है कि वज़ीर अली कितना बहादुर और चालाक है।
यह पाठ वज़ीर अली के साहस, बुद्धिमानी और अंग्रेजों के खिलाफ उनके संघर्ष को दर्शाता है।
यह पाठ भारत के स्वतंत्रता संग्राम के उन साहसी योद्धाओं की कहानियों को उजागर करता है, जिन्होंने अंग्रेज़ों की सत्ता को चुनौती दी। वज़ीर अली जैसे नायक इस संघर्ष के प्रतीक थे, जो अपनी बहादुरी और स्वतंत्रता की चाह में हर जोखिम उठाने को तैयार थे।
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1. कारतूस क्या होता है? | ![]() |
2. कारतूस बनाने के लिए कौन-कौन सी सामग्री की आवश्यकता होती है? | ![]() |
3. कार्तूस कैसे बनाया जाता है? | ![]() |
4. कार्तूस का उपयोग किसलिए किया जाता है? | ![]() |
5. क्या कार्तूस केवल बच्चों के लिए होता है? | ![]() |