UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi  >  अशोक महान (273.232 ई. पू.) - मौर्य साम्राज्य, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस

अशोक महान (273.232 ई. पू.) - मौर्य साम्राज्य, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

अशोक महान (273.232 ई. पू.)

  • बिंदुसार की मृत्यु के बाद उसका पुत्र अशोक मगध का राजा बना। इससे पूर्व अपने पिता के शासनकाल में वह उज्जैन और तक्षशिला का वायसराय रह चुका था। 
  • महावंश के अनुसार अशोक अपने 99 भाइयों को मारकर राजगद्दी पर बैठा था। ऐसा प्रतीत होता है कि उसके राज-काज संभालने और विधिवत राज्यारोहण में 4 वर्ष का अंतराल है। 
  • अभिषेक के सात वर्ष बाद उसने कश्मीर और खोतन के क्षेत्रों को अपने साम्राज्य में शामिल किया। 
  • उसके साम्राज्य के अंतर्गत तमिल देश को छोड़कर संपूर्ण भारत और अफगानिस्तान का बड़ा भाग था। 
  • नेपाल में देवपत्तन और कश्मीर में श्रीनगर की स्थापना का श्रेय अशोक को दिया जाता है।
  • अपने राज्याभिषेक के नौवें वर्ष (261 ई.पू.) में अशोक ने कलिंग पर विजय पायी। दक्षिण के साथ सीधे व्यापार और संपर्क के लिए कलिंग पर अधिकार करना मगध के लिए आवश्यक था लेकिन इस युद्ध में हुए भारी नरसंहार और विजित देश की जनता के कष्टों से अशोक की अंतरात्मा को तीव्र आघात पहुंचा। इसके बाद अशोक ने युद्ध की नीति को सदा के लिए त्याग दिया और दिग्विजय के स्थान पर धम्म विजय की नीति को अपनाया। 
  • ऐसा भी संभव है कि कलिंग विजय के बाद अशोक को साम्राज्य विस्तार की जरूरत ही महसूस नहीं हुई हो, क्योंकि असम और सुदूर दक्षिण को छोड़ सारा भारतवर्ष उसके साम्राज्य के अधीन था। 
  • राजवंश के किसी राजकुमार को वहां का वाइसराय नियुक्त कर दिया गया तथा तोसली को इसकी राजधानी बनाई गई।

अशोक और बौद्ध धर्म

  • अपने पूर्वजों की भांति अशोक भी प्रारम्भ में ब्राह्मण धर्म का अनुयायी था। महांवश के अनुसार वह प्रतिदिन 60,000 ब्राह्मणों को भोजन दिया करता था और अनेक देवी-देवताओं की पूजा किया करता था। 
  • कल्हण की राजतरंगिनी के अनुसार अशोक के इष्टदेव शिव थे। 
  • अपने बड़े भाई सुमन के पुत्र निग्रोध के प्रवचन को सुनकर अशोक ने बौद्ध धर्म अपना लिया। बाद में वह मोगलिपुत्त तिस्स के प्रभाव में आ गया। 
  • उत्तरी भारत की अनुश्रुतियों के अनुसार उपगुप्त ने अशोक को बौद्ध धर्म में दीक्षित किया। 
  • कलिंग-युद्ध के बाद ही उसने विधिवत बौद्ध धर्म ग्रहण किया। किंतु, जैसा कि अशोक के एक लघु शिलालेख से विदित होता है, बौद्ध धर्म में दीक्षित होने के बाद लगभग एक साल तक अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रसार में सक्रिय भाग नहीं लिया। 
  • अवश्य ही एक उपासक के रूप में उसने 10वें वर्ष बोध गया की यात्रा की। विहार-यात्रा का स्थान धर्म यात्राओं ने ले लिया। धीरे-धीरे वह धर्म के प्रति अधिक उत्साहशील हुआ। जनता में प्रचार के लिए धर्म-संबंधी उपदेश शिलाओं एवं स्तम्भों पर उत्कीर्ण करवाया।

अशोक का र्धम

  • अशोक बौद्ध धर्म अपना चुका था और बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार करना चाहता था। परंतु इससे भी अधिक वह उन ऊँचे आदर्शों में विश्वास करता था जो मनुष्य को शांतिपूर्ण और सदाचारी बना सकते हैं तथा उनका नैतिक उत्थान कर सकते हैं । इन्हें उसने ‘धम्म’ (संस्कृत के ‘धर्म’ शब्द का प्राकृत रूप) कहा। 
  • अपने इस ‘धम्म’ को उसने अपनी राजाज्ञाओं में समझाया है। अशोक की इच्छा थी कि विभिन्न धर्मों के अनुयायी आपस में शांति और सौहार्द से रहे। 
  • उस समय के अधिकांश धार्मिक सम्प्रदाय या पंथ दो समुदायों में बंटे हुए थे। एक समुदाय था ब्राह्मणों का और दूसरा श्रमणों का। श्रमणों में बौद्ध, जैन और ब्राह्मणों से मतभेद रखने वाले अन्य धर्मों के साधुओं का समावेश होता था। 
  • वह चाहता था कि लोग एक-दूसरे से मैत्री रखें, और तरूण लोग बड़े-बूढ़ों की आज्ञा मानें तथा बालक अपने माता-पिता का आदेश मानें। उसे मालिकों द्वारा अपने दासों तथा सेवकों के साथ किए जाने वाले व्यवहार के बारे में भी चिंता थी इसलिए उसने विशेष रूप से निवेदन किया कि मालिकों को अपने सेवकों के प्रति दयालु और नम्र होना चाहिए। 
  • इससे भी महत्व की बात यह थी कि वह आदमियों और पशुओं की हत्या पर रोक लगाना चाहता था। उसने युद्ध न करने का वचन दिया। उसने धार्मिक अनुष्ठानों में पशुओं की बलि देने पर प्रतिबंध लगाया, क्योंकि वह इसे एक क्रूर कार्य समझता था। 
  • वह यह भी चाहता था कि लोग मांस न खाएं। उसके अपने रसोईघर में प्रतिदिन दो मोर और एक हिरन उसके लिए पकाए जाते थे। इस पर उसने रोक लगा दी। 
  • अशोक का धम्म बौद्ध धर्म से अलग था। यह उसके अभिलेखों से स्पष्ट है। भाबरू अभिलेख को छोड़कर कहीं भी धम्म का प्रयोग बौद्ध धर्म के लिए नहीं किया गया है। बौद्ध धर्म के लिए ‘सद्धर्म’ या ‘संघ’ का प्रयोग हुआ है। 
  • भाबरू शिलालेख में ही उसने बुद्ध, धम्म और संघ (त्रिरत्न) के प्रति अपनी श्रद्धा घोषित की है। 
  • राज्य के कर्मचारियों, प्रादेशिक राजुकों तथा युक्तकों को पांचवें वर्ष धर्म प्रचार के लिए यात्रा पर भेजा जाता था, जिसे अनुसंधान कहा गया है। 
  • अशोक ने अपने धम्म के प्रचार-प्रसार के लिए एक विशेष प्रकार के अधिकारियों की नियुक्ति की जिसे धम्ममहामात्र कहा गया।

अशोक के राज्यादेश

  • वह पहला भारतीय राजा था जिसने अपने अभिलेखों के माध्यम से अपनी प्रजा को सम्बोधित किया। अशोक की राजाज्ञाएं चट्टानों और बलुआ पत्थर के ऊंचे स्तम्भों पर खोदी गई हैं। संभवतः इस तरह के शिलालेखों को अंकित करवाने की प्रेरणा अशोक को डेरियस के शिलालेखों से मिली थी। 
  • 1750 ई. में टीफन-थैलर ने सर्वप्रथम दिल्ली में अशोक स्तम्भ का पता लगाया। 
  • 1837 - 38 में जेम्स प्रिंसेप ने सर्वप्रथम इन्हें पढ़ा। 
  • अशोक के अधिकांश शिलालेख व स्तम्भ लेख ब्राह्मी लिपि और प्राकृत भाषा में हैं । 
  • अफगानिस्तान व कन्धार में दुभाषिए (ग्रीक व अरामाइक में) अभिलेख भी मिले हैं । 
  • उत्तर-पश्चिम में शाहबाजगढ़ी और मंसेरा में खरोष्ठी लिपि में शिलालेख पाए गए हैं ।
  •  इसके अतिरिक्त तक्षशिला और काबुल प्रदेश में अशोक के लेख अरामाइक लिपि में मिलते हैं । 
  • टोपरा से दिल्ली लाए गए एक स्तम्भ पर सात स्तम्भ लेख एक साथ हैं ।
  • अशोक के चैदह बड़े शिलालेख काल्सी, मंसेरा, शाहबाजगढ़ी, गिरनार, सोपारा, येरागुडी, धौली एवं जौगड़, वेराट, रूपनाथ, सहसराम, ब्रह्मगिरी, गविमठ, जतिंग रामेश्वर, मास्की, पालकी गुण्डु, राजुला, मंदागिरी, सिद्धपुरा, गुज्र्जर एवं अहरौरा स्थानों पर स्थित हैं ै। 
  • इसके अतिरिक्त दिल्ली, इलाहाबाद, टोपरा, मेरठ, लौरिया अरेराज, लौरिया नंदनगढ़ तथा रामपुरवा के सात स्तम्भ लेख, बराबर (गया) के गुफा लेख, निगली सागर, इलाहाबाद, सांची, सारनाथ तथा बैराढ के अभिलेख भी हैं ।

मौर्य साम्राज्य का पतन 

  • 40 वर्षों तक राज्य करने के बाद लगभग ई. पू. 232 में अशोक की मृत्यु हुई। उसके बाद लगभग 50 वर्षों के अंदर ही इस विशाल साम्राज्य का अंत हो गया। 
  • पुराणों के अनुसार अशोक के बाद कुणाल गद्दी पर बैठा। दिव्यावदान में उसे धर्मविवर्धन कहा गया है। 
  • राजतरंगिणी के अनुसार जलौक कश्मीर का स्वतंत्र शासक बन गया।  

पारिभाषिक शब्द

  • परिषद् - मंत्रियों की सभा परिषद् कहलाती थी।
  • पौरा-जनपद - यह कस्बों में रहनेवाले लोगों और देशवासियों की सभा थी। यह सभा एक राजा को अपदस्थ कर सकती थी और दूसरे को नियुक्त कर सकती थी। यह राजा के अनुचित कामों पर अंकुश लगाती थी। पौरा और जनपद की सभाएँ सामाजिक कार्य कर सकती थीं और दीन-दुःखियों की सहायता कर सकती थीं। पौरा-जनपद शाही शक्ति पर नियंत्रण रखती थी।
  • उपधा परीक्षण - राजा द्वारा मुख्यमंत्री व पुरोहित के चुनाव की क्रिया उपधा परीक्षण कहलाती थी।
  • अमात्य - मंत्रिपरिषद् के सदस्य अमात्य कहलाते थे।
  • प्रदेष्टा - यह समाहत्र्ता के अधीन काम करता था तथा स्थानिक, गोप व ग्राम अधिकारियों के कार्यों की जाँकरता था।
  • बलाध्यक्ष - सेना का प्रबंध करनेवाला पदाधिकारी बलाध्यक्ष कहलाता था।
  • धर्मस्थीय तथा कंटकशोधन - ग्राम संघ और राजा के न्यायालय के अतिरिक्त अन्य सभी न्यायालय दो प्रकार के थे। वे ही धर्मस्थीय (दीवानी) व कंटक शोधन (फौजदारी) कहलाते थे।
  • राजुका - जनपद के न्यायाधीश को राजुका कहते थे।
  • संस्था - यह एक प्रकार का गुप्तचर होता था। ये एक ही स्थान पर संस्थाओं में संगठित होकर कापाटिक क्षात्र, उदास्थित, गृहपतिक, वैदेहिक, तापस के वेश में काम करते थे।
  • संचार - यह भी एक प्रकार का गुप्तचर ही था जो एक स्थान से दूसरे स्थान तक घूमता रहता था।
  • दुर्ग - नगरों में दण्ड, मणिका, मदिरालय, कारागार, मंदिरों आदि से जो आय होती थी उसे दुर्ग कहते थे।
  • सीता - राज्य की अपनी जमीन से जो आमदनी होती थी उसे सीता कहा जाता था।
  • भाग - जमीन से वसूल किया जाने वाला अंश भाग कहलाता था। इसमें राजा को कभी-कभी चैथाई से आठवाँ हिस्सा तक मिलता था।
  • राष्ट्र - बलि, वणिक् कर, नाव व पत्तन कर, चारागाहों और सड़कों का कर और अन्यान्य साधनों से प्राप्त आय राष्ट्र कहलाता था।
  • बलि - यह भी एक प्रकार का भूमि-कर ही था।
  • विष्टि - यह बेगार के रूप में लिया जाने वाला कर था।
  • कर - कदाचित् बागानों से प्राप्त होने वाले फलों और फूलों की उपज का एक भाग था।
  • हिरण्य - यह कर जिन्स के रूप में न होकर नगद होता था।
  • प्रणय - यह संकटकाल में लिया जाने वाला कर था।
  • एग्रोनोमोई - मार्ग-निर्माण से संबंधित एक विशेषाधिकारी था।
  • पण - यह तीन-चैथाई तोले के बराबर चाँदी एक सिक्का होता था।
  • अनिष्कासिनी - संभ्रांत घर की स्त्रियाँ प्रायः घर के अंदर ही रहती थीं। इन्हें ही अनिष्कासिनी कहा जाता था।
  • रूपाजीवा - स्वतंत्र रूप से वेश्यावृत्ति करने वाली स्त्रियाँ रूपाजीवा कहलाती थीं।
  • तीर्थ - राज्य को सफलतापूर्वक चलाने के लिए अठारह विभागों की स्थापना की गई थी, जिन्हें तीर्थ कहा जाता था।
  • पथिकर - समाहत्र्ता गाँव से जो अतिरिक्त कर वसूलता था उन्हें कौटिल्य पथिकर से संबोधित करता है।
  • कोष्ठेयक - सरकारी जलाशयों के नीचे की भूमि पर जो कर लगता था उसे कौटिल्य ने कौष्ठेयक कहा है।
  • पार्शव - यह वह कर था जो किसी व्यापारी को बहुत लाभ होने पर वसूल किया जाता था।
  • परिहीनक - राजकीय भूमि में जब पशु हानि करते थे तब जो हर्जाना वसूला जाता था, वह परिहीनक की कोटि में गिना जाता था।
  • वितीत - यह पशुओं की रक्षा के बदले लिया जाने वाला कर था।
  • रज्जू - यह वह कर था जो भूमि के नाप के समय लिया जाता था।
  • मर्दमशुमारी - मौर्य-काल में मनुष्य की गणना प्रत्येक वर्ष होती थी। उसके लिए सरकार ने एक अलग विभाग खोल रखा था। मनुष्यों के अतिरिक्त पशुओं व जन्तुओं की भी गणना होती थी। समाहत्र्ता और नागरिक की ओर से यह कार्य गोप नाम के राजपुरुष करते थे।
  • कहा जाता है कि कुणाल के बाद मगध साम्राज्य दो भागों में विभक्त हो गया। दशरथ का अधिकार साम्राज्य के पूर्वी भाग में तथा संप्रति का पश्चिमी भाग में था। 
  • विष्णु पुराण तथा गार्गी संहिता के अनुसार संप्रति तथा दशरथ के बाद उल्लेखनीय शासक सालिसुक था। उसे संप्रति का पुत्र बृहस्पति भी माना जा सकता है। 
  • पुराणों में ही नहीं वरन् हर्षचरित में भी मगध के अंतिम सम्राट का नाम बृहद्रथ दिया गया है। इनके अनुसार मौर्य वंश के अंतिम सम्राट बृहद्रथ की उसके  सेनापति पुष्यमित्र ने 185 ई.पू. में हत्या कर दी और स्वयं सिंहासन पर आरूढ़ हो गया। 
  • अशोक के उत्तराधिकारी सर्वथा अयोग्य सिद्ध हुए और साम्राज्य के विघटन को नहीं रोक सके।
  • जिन भौतिक उत्कृष्टताओं, यथा - लोहे के प्रयोग ने मगध साम्राज्य के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी, उनकी जानकारी अन्य भागों में भी पहंुचुकी थी। मगध से प्राप्त भौतिक संस्कृति की बदौलत नए-नए राज्य स्थापित और विकसित होते गए।
  • इसमें संदेह नहीं कि अशोक की नीति में सहिष्णुता थी और उसने लोगों से ब्राह्मणों का भी आदर करने को कहा। परन्तु उसने पशु-पक्षियों के वध को निषिद्ध कर दिया और महिलाओं में प्रचलित कर्मकांडीय अनुष्ठानों की खिल्ली उड़ाई। स्वभावतः इससे ब्राह्मणों की आय घटी होगी। इससे ब्राह्मणों में प्रतिक्रिया हुई और मौर्य साम्राज्य के अवशेषों पर ब्राह्मण शासकों ने अपने राज्यों की स्थापना की।
  • सेना और प्रशासनिक अधिकारियों पर होने वाले भारी खर्के बोझ से मौर्य साम्राज्य के सामने वित्तीय संकट खड़ा हो गया। 
  • अशोक देश और विदेशों में मुख्यतः धर्म-प्रचार के काम में ही व्यस्त रहा, अतः इस बात पर ध्यान नहीं दे सका कि पश्चिमोत्तर सीमावर्ती दर्रे की रक्षा कैसे हो। इसके कारण भारत में बाह्य आक्रमणों का सिलसिला शुरू हुआ जिसे अशोक के उत्तराधिकारी रोकने में अक्षम सिद्ध हुए।
अर्थशास्त्र में वर्णित 18 तीर्थ

 मंत्री - राजा का परामर्शदाता
 पुरोहित  -  राजा का परामर्शदाता
 सेनापति   - सेना का संगठनकत्र्ता और युद्ध आदि का  प्रबंधकत्र्ता
 युवराज    - राजा के प्रत्येक कार्य-कलापों में सहायक
 दौवारिक   - द्वारों का रक्षक
 अन्तवर्शिक -   अंतःपुर का रक्षक
 प्रशास्तृ    - पुलिस विभाग का अध्यक्ष
 समाहत्र्ता   -  राजकीय करों का संग्रहकत्र्ता
 सन्निधाता   - कोषाध्यक्ष
 प्रदेष्टा   - नैतिक अपराधों का प्रमुख न्यायाधीश
 नायक   - नगर का प्रमुख अधिकारी
 पौर  -  राजधानी का शासक
 व्यावहारिक -   एक प्रकार का न्यायाधीश
 कर्मान्तिक    - कारखाने का अधिकारी या उद्योग मंत्री
 मंत्रिपरिषदाध्यक्ष    - परिषद् का प्रधान
 दण्डपाल    - पुलिस का प्रधान अधिकारी
 दुर्गपाल    - किले का रक्षक
The document अशोक महान (273.232 ई. पू.) - मौर्य साम्राज्य, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi is a part of the UPSC Course इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi.
All you need of UPSC at this link: UPSC
398 videos|676 docs|372 tests

Top Courses for UPSC

FAQs on अशोक महान (273.232 ई. पू.) - मौर्य साम्राज्य, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस - इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

1. अशोक महान के बारे में क्या जानकारी है?
उत्तर: अशोक महान (273.232 ई. पू.) एक महान भारतीय सम्राट थे जिन्होंने मौर्य साम्राज्य का संचालन किया। वे धर्मशास्त्र पर तालीम प्राप्त करने के बाद अपने शासनकाल में बौद्ध धर्म के प्रचार को प्राथमिकता दी। उनके शासनकाल में भारतीय इतिहास के विभिन्न क्षेत्रों में बड़े परिवर्तन हुए।
2. मौर्य साम्राज्य के बारे में क्या जानकारी है?
उत्तर: मौर्य साम्राज्य भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण राजवंश था जो लगभग 322 ई.पू. से 185 ई.पू. तक शासन करता रहा। यह साम्राज्य चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा स्थापित किया गया था और अशोक महान के शासनकाल में अपनी शक्ति के चरम पर था। मौर्य साम्राज्य का केंद्र स्थान पटना में था और इसका विस्तार पूर्वी पाकिस्तान से बांगलादेश के आधीन तक था।
3. अशोक महान के कार्यकाल में कौन-कौन से परिवर्तन हुए?
उत्तर: अशोक महान के शासनकाल में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए। उन्होंने बौद्ध धर्म को प्रचारित किया, अपने शासन क्षेत्र में धर्म और न्याय की देखभाल की, धर्मिक लेखों को सिलेंदरों पर छापवाया, और धर्मशालाओं की स्थापना की। उन्होंने भी अहिंसा के सिद्धांतों का प्रचार किया और शांति की योजनाएं बनाई।
4. अशोक महान के शासनकाल में भारतीय इतिहास में कौन-कौन से बड़े परिवर्तन हुए?
उत्तर: अशोक महान के शासनकाल में भारतीय इतिहास में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए। उन्होंने बौद्ध धर्म को प्रचारित किया, जिससे धर्म के क्षेत्र में बड़ा परिवर्तन हुआ। उन्होंने अपने शासन क्षेत्र में धर्म और न्याय की देखभाल की, जिससे न्याय के क्षेत्र में भी परिवर्तन हुआ। उन्होंने भारतीय इतिहास में अहिंसा के सिद्धांतों का प्रचार किया और शांति की योजनाएं बनाई।
5. अशोक महान के शासनकाल में कौन-कौन से धार्मिक स्थलों की स्थापना हुई?
उत्तर: अशोक महान के शासनकाल में कई धार्मिक स्थलों की स्थापना हुई। उन्होंने सराहनाथ, कापिलवस्तु, सांची, बोधगया, और अमरावती में धर्मशालाएं बनाई। ये स्थल अशोक के शासनकाल में बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण केंद्र हुए थे।
398 videos|676 docs|372 tests
Download as PDF
Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

past year papers

,

study material

,

Summary

,

Viva Questions

,

यूपीएससी

,

pdf

,

अशोक महान (273.232 ई. पू.) - मौर्य साम्राज्य

,

आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

इतिहास

,

अशोक महान (273.232 ई. पू.) - मौर्य साम्राज्य

,

Semester Notes

,

इतिहास

,

आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

practice quizzes

,

Exam

,

आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

Sample Paper

,

shortcuts and tricks

,

Extra Questions

,

यूपीएससी

,

यूपीएससी

,

अशोक महान (273.232 ई. पू.) - मौर्य साम्राज्य

,

Objective type Questions

,

Previous Year Questions with Solutions

,

video lectures

,

Important questions

,

MCQs

,

ppt

,

mock tests for examination

,

इतिहास

,

Free

;