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विद्रोह की प्रमुख घटनाएं - 1857 का विद्रोह एवं अन्य आंदोलन, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

विद्रोह की प्रमुख घटनाएं

¯ 29 मार्च, 1857 ई. को जब बैरकपुर (कलकत्ता) में सैनिकों को गाय व सुअर की चर्बी लगे कारतूस को मुँह से काटकर प्रयोग करने के लिए कहा गया तो हिंदू व मुसलमान सैनिक इस अपमान को न सह सके तथा मंगल पाण्डे नामक सैनिक ने ऐसे कारतूसों के प्रयोग से इंकार कर दिया। मंगल पांडे 34वीं इन्फैंट्री का जवान था।
 ¯ 29 मार्च, 1857 को इन्हें सार्जेन्ट मेजर पर गोली चलाने एवं आदेश की अवहेलना करने पर फाँसी दे दी गई।
 ¯ 24 अप्रैल, 1857 को तीसरी देशी घुड़सवार की लाइट केवलरी के अधिकारी माइकेल स्मिथ ने सैनिकों को परेड का आदेश दिया तो 90 सैनिकों ने चर्बी वाले कारतूसों को लेने से मना कर दिया।
 ¯ उनमें से 85 सैनिकों को 9 मई को बर्खास्त करके दस-दस साल की सजाएँ दी गईं एवं जंजीरों में जकड़ दिया गया।
 ¯ अतः 10 मई, 1857 को सैनिकों ने विद्रोह कर दिया तथा जेल तोड़ कर अपने साथियों को मुक्त कर दिया। वास्तव में यह विद्रोह 31 मई, 1857 को प्रारंभ होने वाला था परंतु 85 सैनिकों के अपमान और माइकल स्मिथ के निरंकुश व्यवहार के कारण यह 10 मई को ही प्रारंभ हो गया।
 ¯ 11 मई, 1857 को सेना दिल्ली में प्रवेश कर गई। उसने सर्वप्रथम चुँगी के दफ्तर में आग लगा दी और फिर लाल किले की तरफ बढ़ी।
 ¯ इसके बाद सिपाहियों ने दिल्ली पर कब्जा करने का अभियान शुरू किया।
 ¯ कंपनी के राजनीतिक एजेंट साइमन फ्रेजर समेत सैकड़ों अंग्रेज इस अभियान में मारे गए।
 ¯ विद्रोही सैनिकों ने बहादुरशाह द्वितीय से इस विद्रोह का नेतृत्व करने की अपील की। विद्रोही सैनिकों ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया।
 ¯ दिल्ली पर कब्जे के एक महीने के भीतर विद्रोह लगभग सभी बड़े केन्द्रों कानपुर, लखनऊ, बनारस, इलाहाबाद, बरेली, जगदीशपुर और झाँसी तक फैल गया। विद्रोहियों ने हर जगह अंग्रेज प्रशासन के पाँव उखाड़ दिए।

भारत के विभिन्न जगहों पर विद्रोह
 ¯ अवध: यह विद्रोह का प्रमुख केन्द्र रहा। लखनऊ में 3 मई को भी विद्रोह हुआ था। 30-31 मई को पुनः लखनऊ व अवध राज्य के अन्य भागों में विद्रोह हुआ। अवध के प्रशासन की बागडोर बेगम हजरत महल (नवाब की उपपत्नी) के नेतृत्व में आ गई। 21 जून, 1857 को अंग्रेजों के लखनऊ स्थित रेजीडेन्सी को घेर लिया गया। यह घेरा कई महीनों तक चला। इस घेरे में अंग्रेज रेजीडेन्ट हेनी लौरेन्स की मृत्यु हो गयी। ब्रिटिश अधिकारियों में हैवलाक तथा आउटरम ने लखनऊ पर पुनः अधिकार करने का प्रयास किया किंतु असफल रहे।
     नवम्बर, 1857 ई. में मुख्य सेनापति कोलिन कैम्पवेल ने गोरखा रेजीमेण्ड की सहायता से लखनऊ पर आक्रमण किया तथा मार्च, 1858 ई. में लखनऊ पर पुनः अधिकार कर लिया। बेगम हजरत महल को लखनऊ छोड़कर नेपाल भागना पड़ा।
 ¯ कानपुर: 4 जून, 1857 को कानपुर में विद्रोह की शुरुआत हो गई। 5 जून को कानपुर अंग्रेजों के हाथ से निकल गया तथा नाना साहब को पेशवा घोषित किया गया। अजीमुल्ला खाँ नाना साहब के मुख्य सलाहकार थे। कानुपर में अनेक अंग्रेजों की हत्या कर दी गयी। अंग्रेजों ने कानपुर पर पुनः अधिकार करने के लिए इलाहाबाद से सेना भेजी। यद्यपि नाना साहब ने तांत्या टोपे की सहायता से कानपुर की रक्षा करने का प्रयास किया, किंतु उन्हें सफलता न मिली। अतः उन्हें भी नेपाल के जंगलों में भागने के लिए विवश होना पड़ा।
 ¯ बरेली में रुहेलखंड के भूतपूर्व शासक उत्तराधिकारी खान बहादुर ने रहनुमाई की।
 ¯ बिहार में जगदीशपुर के जमींदार कुँअर सिंह ने विद्रोह का नेतृत्व किया। सत्तर साल की उम्र में जमींदार कुँअर सिंह को अंग्रेजों ने दिवालिएपन की कगार पर पहुँचा दिया था। इसलिए वह भीतर ही भीतर अंग्रेजों के दुश्मन हो गए थे। कुँअर सिंह ने आजमगढ़ पर आक्रमण कर इसे अंग्रेजों से मुक्त कराया।
 ¯ झाँसी में रानी लक्ष्मीबाई ने सिपाहियों की कमान संभाली। लार्ड डलहौजी ने उनके दत्तकपुत्र को उनके पति का उत्तराधिकारी मानने से इंकार कर दिया था और विलय की नीति के तहत राज्य को छीन लिया गया था। 1853 में झाँसी पर गंगाधर राव शासन कर रहे थे। 1853 में ही उनकी मृत्यु हो गई थी। 5 जून, 1857 को झाँसी की सेना ने भी अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। झाँसी की सेना तात्या टोपे के साथ अंग्रेजों का सामना किया। किंतु 3 अप्रैल, 1858 को अंग्रेज अधिकारी रोज ने झाँसी पर अधिकार कर लिया। जून, 1858 में ग्वालियर के किले पर अधिकार कर लिया।

अन्य आंदोलन
 संन्यासी विद्रोह

 ¯ यह आंदोलन 1760-80 के बीच बिहार और बंगाल में हुआ।
 ¯ इसका प्रमुख कारण था धार्मिक स्थलों का भ्रमण करने पर रोक। इसके विरोध में संन्यासियों ने विद्रोह किया।
 ¯ इस विद्रोह के प्रमुख नेता थे केना सरकार, दिजिनारायण इत्यादि।
 ¯ बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के प्रसिद्ध उपन्यास आनंद मठ का कथानक इसी विद्रोह पर आधारित है।

कोल विद्रोह 
 ¯ यह विद्रोह छोटानागपुर (बिहार) में हुआ था। इस विद्रोह का प्रमुख कारण था कि 1822 में ब्रिटिश सरकार ने चावल की कम नशीली शराब पर उत्पादन शुल्क लगा दिया जिसे आदिवासी अपने प्रयोग के लिए तैयार करते थे।
 ¯ 1827 में पोस्त की खेती जबरन शुरू की गई।
 ¯ मुंडा, ओरांव, महाली आदि सभी आदिवासियांे को मैदानी लोग कोल कहते थे। अंग्रेजों ने इसे आपस में लड़ाने का प्रयास किया परंतु उन्हें सफलता नहीं मिली।
 ¯ 1831-32 में आदिवासियों की एकता का उदाहरण तब देखने को मिला जब छोटानागपुर में पांच वर्षों तक संघर्ष चलता रहा।
 ¯ विद्रोह के दौरान 1000 के लगभग विद्रोही मारे गये।
 ¯ विद्रोहियों ने हजारों मकान एवं कचहरियों को जला दिया।
 ¯ इस विद्रोह का तत्कालीन कारण यह था कि गाँव के मुखिया ने मुण्डा आदिवासियों से उनकी जमीन छीनकर मुस्लिम कृषकों तथा सिक्खों को उनकी जमीनें दे दी।
 ¯ आदिवासी अनाज और पशुओं को लेकर जंगल में जा बसे और वहाँ से पाँच महीने तक अपना संघर्ष चलाते रहे।
 ¯ इस समस्या को सुलझाने के उद्देश्य से इस क्षेत्र को ”द. प. सीमांत एजेंसी“ के नाम से एक अलग इकाई बना दी गई।
 ¯ यह क्षेत्र विनिमय रहित क्षेत्र घोषित कर दिया गया।
 ¯ इस विद्रोह का नेतृत्व बुद्धो भगत ने किया।
 ¯ बुद्धो भगत के मारे जाने से यह विद्रोह थम गया।

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FAQs on विद्रोह की प्रमुख घटनाएं - 1857 का विद्रोह एवं अन्य आंदोलन, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस - इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

1. 1857 का विद्रोह क्या था और इसके प्रमुख कारण क्या थे?
उत्तर: 1857 का विद्रोह, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का महत्वपूर्ण पहला दौर था। इसका मुख्य कारण था ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीयों की भावनाओं में उभर रहे नाराजगी और उत्पीड़न के खिलाफ भड़कने वाली आग्रहों का बहुतायत। इसके अलावा, भारतीयों को धर्मीय और सामाजिक प्रथाओं के बारे में ब्रिटिश सरकार के नियमों और नागरिकता के अधिकारों की हानि का भी आरोप था।
2. विद्रोह के दौरान हुई कुछ प्रमुख घटनाएं कौन-कौन सी थीं?
उत्तर: 1857 के विद्रोह के दौरान कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुईं। कुछ प्रमुख घटनाएं निम्नलिखित थीं: - मंगल पांडे की बगावत (1857 मई, बर्रेली) - बारबरपुर की लड़ाई (1857 जून, बारबरपुर) - कानपुर के सिपाही मुतिनी के विद्रोह (1857 जून, कानपुर) - लखनऊ की बगावत (1857 जून, लखनऊ) - दिल्ली का अंदरूनी क़िला (1857 सितंबर, दिल्ली)
3. विद्रोह के दौरान किन इतिहासी व्यक्तियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी?
उत्तर: 1857 के विद्रोह के दौरान कई इतिहासी व्यक्तियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। कुछ प्रमुख व्यक्तियों में नाना साहेब, रानी लक्ष्मीबाई, तांतिया टोपे, बहादुर शाह जफर, और बक्षी जहांगीर खान शामिल थे। ये सभी व्यक्तियाँ विद्रोह के नेतृत्व में अपने क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे चुकी थीं।
4. विद्रोह के बाद यह आंदोलन कैसे बदल गया और इसका क्या प्रभाव रहा?
उत्तर: विद्रोह के बाद, इस आंदोलन में एक परिवर्तन देखा गया जिसमें इसे एक राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम से ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ एक सामान्य जनआंदोलन में बदल गया। इसका प्रभाव यह रहा कि विद्रोह में भाग लेने वाले नेताओं ने एक केंद्रीय संगठन बनाने के लिए प्रयास किए और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए एक मजबूत आधार स्थापित किया।
5. यूपीएससी और आईएएस परीक्षा में इस विषय पर कौन-कौन से प्रश्न पूछे जा सकते हैं?
उत्तर: यूपीएससी और आईएएस परीक्षा में विद्रोह की प्रमुख घटनाओं, इतिहासी व्यक्तियों, और इसके प्रभाव के बारे में कई प्रश्न पूछे जा सकते हैं। कुछ मामलों में, आवेदनकर्ता से विद्रोह के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण करने को कहा जा सकता है, जबकि कुछ मामलों में उन्हें विद्रोह के नेतृत्व में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले इतिहासी व्यक्तियों के बारे में पूछा जा सकता है।
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