रामकृष्ण मिशन
¯ रामकृष्ण मिशन उन्नीसवीं सदी का अंतिम महान धार्मिक एवं सामाजिक आंदोलन है। इसकी विशेषता है प्राचीन या पूर्वीय और आधुनिक या पश्चिमी इन दोनों महान शक्तियों का समन्वय। मिशन का नामकरण रामकृष्ण परमहंस के नाम पर हुआ।
¯ रामकृष्ण परमहंस (1836-1886 ई.) कलकत्ते के समीप के एक मंदिर में निर्धन पुजारी थे। नाम लेने को उन्हें कोई भी पूर्वी या पश्चिमी शिक्षा न मिली थी। किन्तु वे घोर एकांत में अत्यंत आध्यात्मिक जीवन व्यतीत करते थे।
¯ उनका सभी धर्मों के अंतर्वर्ती सत्य में गहरा विश्वास था। न केवल विभिन्न हिन्दू संप्रदायों, बल्कि इस्लाम और ईसाई मत की प्रथाओं और रीतियों के अनुसार धार्मिक कृत्य करके वे अपने विश्वास की परीक्षा भी लेते थे।
¯ उन्होंने तीनों प्रकार की तांत्रिक, वैष्णव और अद्वैत साधना की और अंत में, ‘निर्विकल्प समाधि’ की स्थिति को प्राप्त कर लिया और उन्हें अब लोग परमहंस कहने लगे।
¯ परन्तु उनकी शिक्षाओं की व्याख्या को साकार करने का श्रेय स्वामी विवेकानन्द (1862-1902 ई.), जिनका पहला नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था और जो कलकत्ता विश्वविद्यालय के ग्रेजुएट थे, को ही मिला।
¯ उन्होंने इस शिक्षा को जन साधारण भाषा में वर्णन किया।
¯ स्वामी विवेकानन्द नव हिन्दू धर्म ;छमव.भ्पदकनपेउद्ध के प्रचारक के रूप में उभरे।
¯ उन्होंने 1893 में शिकागो में हुई धर्मों की संसद में भाग लिया और अपनी विद्वतापूर्ण विवेचना द्वारा लोगों का बहुत प्रभावित किया। उनके भाषण का सार तत्व यह था कि हमें भौतिकवाद तथा अध्यात्मवाद के बीच एक स्वस्थ संतुलन स्थापित करना है।
¯ वह समस्त संसार के लिए एक ऐसी संस्कृति की परिकल्पना करते थे जिसमें पश्चिम का भौतिकवाद तथा पूर्व का अध्यात्मवाद का ऐसा सामंजस्यपूर्ण सम्मिश्रण हो जाएगा जो समस्त संसार को प्रसन्नता दे सकेगा।
¯ रामकृष्ण मिशन की एक मुख्य विशेषता शुद्ध वेदांत को अपना आदर्श भी मानना है। इसका लक्ष्य है मनुष्य के अंदर उच्चतम आध्यात्मिकता का विकास।
¯ किन्तु साथ ही, यह हिन्दू धर्म में पीछे विकसित मूर्तिपूजा-जैसी चीजों और इसकी उपयोगिता को भी मानता है।
¯ रामकृष्ण ने अपनी जीवन में ही न केवल काली देवी की पूजा एवं उच्चतम आध्यात्मिक जीवन की अनुरूपता दिखला दी थी अपितु उन्होंने इससे भी अधिक कुछ दिखलाया था। वह यह था कि मूर्तिपूजा का उपयोग मनुष्य की उच्चतम आध्यात्मिक व्यग्रता के विकास के एक उत्तम साधन के रूप में हो सकता है। लेकिन उन्होंने वत्र्तमान हिन्दू धर्म में बुराई के वास्तविक स्रोत को भी उंगली बता कर कह दिया था।
¯ वह एक पक्के देशभक्त थे। एक बार सुभाष बोस ने कहा था, ”जहाँ तक बंगाल का संबंध है, हम विवेकानन्द को आधुनिक राष्ट्रीय आंदोलन का ‘आध्यात्मिक पिता’ कह सकते हैं ।’’
¯ मिशन ने अपने कार्यों में समाज-सेवा के विचार को सबसे आगे रखा है - केवल लोकोपकारी कार्य के रूप में नहीं, बल्कि
स्वतंत्रता-पूर्व स्थापित विश्वविद्यालय विश्वविद्यालय स्थापना वर्ष कलकत्ता 1857 बम्बई 1857 मद्रास 1857 इलाहाबाद 1887 बनारस 1916 मैसूर 1916 पटना 1917 उस्मानिया (हैदराबाद) 1918 अलीगढ़ 1920 लखनऊ 1921 दिल्ली 1922 नागपुर 1923 आंध्र 1926 आगरा 1927 अन्नामलाई 1929 केरल (तिरुअनंतपुरम) 1937 उत्कल (भुवनेश्वर) 1943 सागर 1946 राजस्थान (जयपुर) 1947 पंजाब (चण्डीगढ़) 1947 |
धार्मिक एवं आध्यात्मिक जीवन के लिए एक आवश्यक संगम के रूप में भी।
¯ मिशन ने बहुत सारे स्कूल और औषधालय खोले हैं ।
¯ अकाल या बाढ़ या अन्य विपत्ति से हुए कष्ट के समय में इसने सदैव लोगों को दिल खोलकर सहायता दी है। विशेषकर, भारत के मूक लक्ष्यों को ऊपर उठाना इसका मुख्य लक्ष्य है।
¯ सर वैलेटाइन चिरोल के शब्दों में वे ”प्रथम हिन्दू थे जिनके व्यक्तित्व ने भारत की प्राचीन सभ्यता और राष्ट्र होने के उसके नवजात हक के लिए विदेश में निर्णायक स्वीकृति प्राप्त की थी“।
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1. रामकृष्ण मिशन क्या है? |
2. रामकृष्ण मिशन के इतिहास के बारे में कुछ बताइए। |
3. यूपीएससी और आईएएस में रामकृष्ण मिशन से संबंधित सवाल पूछा जाता है क्या? |
4. रामकृष्ण मिशन का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
5. रामकृष्ण मिशन के अंतर्गत कौन-कौन से कार्यक्रम होते हैं? |
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