UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi  >  दिल्ली दरबार और मुस्लिम लीग की स्थापना - स्वतंत्रता संग्राम, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस

दिल्ली दरबार और मुस्लिम लीग की स्थापना - स्वतंत्रता संग्राम, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

दिल्ली दरबार और मुस्लिम लीग की स्थापना

 दिल्ली दरबार

  • सन् 1911 ई. में दिल्ली में दरबार लगा। उसमें ब्रिटेन का राजा जाॅर्ज पंचम और उसकी रानी ने भाग लिया। दरबार में भारत के राजे-रजवाड़ों ने भी भाग लिया और ब्रिटिश सत्ता के प्रति अपनी वफादारी व्यक्त की। 
  • इस अवसर पर दो महत्त्वपूर्ण घोषणाएँ की गईं। एक तो 1905 ई. में किए गए बंगाल के विभाजन को रद्द किया गया, दूसरे, ब्रिटिश भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित कर दी गई।

क्रांतिकारी

  • अपीलों या जन-आंदोलनों के जरिए सुधारों तथा स्वराज के लिये काम करने वाले गरम दल और नरम दल के अलावा भी देश के कुछ भागों में क्रांतिकारियों के कुछ ऐसेे समूह थे जो ब्रिटिश शासन को बल के जरिए उखाड़ फेंकने में विश्वास रखते थे। 
  • उनके गुप्त-संगठन थे और वे अपने सदस्यों को गोला-बारूद बनाने और हथियार चलाने का प्रशिक्षण देते थे। 
  • ये संगठन महाराष्ट्र और बंगाल में ज्यादा सक्रिय थे। 
  • क्रांतिकारियों के दो महत्त्वपूर्ण संगठन थे - महाराष्ट्र में ‘अभिनव भारत सोसाइटी’ और बंगाल में ‘अनुशीलन समिति’। 
  • इनके सदस्यों ने बदनाम ब्रिटिश अफसरों, पुलिस अफसरों, मजिस्ट्रेटों, मुखबिरों, गवर्नरों तथा वायसरायों के खिलाफ हिंसात्मक कार्रवाइयाँ की।
  • खुदीराम बोस और प्रफुल्ल चाकी ने 1908 ई. में मुजफ्फरपुर में एक घोड़ागाड़ी पर बम फेंके। उनका ख्याल था कि उसमें एक ब्रिटिश जज सवारी कर रहा है। वह जज स्वदेशी आंदोलन के कार्यकत्र्ताओं को कड़ी सजायें देने के लिए बदनाम था।
  • दरअसल, उस गाड़ी में दो अंग्रेजी महिलाएँ यात्रा कर रही थी। हमले में दोनों की ही मृत्यु हुई। 
  • चाकी ने आत्महत्या कर ली और खुदीराम बोस को फांसी दे दी गई। 
  • इस घटना के बाद कलकत्ता के मणिकतल्ला गार्डन हाउस पर, जिसका क्रांतिकारी बम बनाने और हथियार चलाने का अभ्यास करने के लिए उपयोग करते थे, पुलिस ने छापा मारा। 
  • अरविंद घोष और उनके भाई बरिंद्र कुमार बोस सहित अनेक क्रांतिकारी पकड़े गए और उनमें से कुछ को आजीवन कारावास की सजा दी गई। 
  • अरविंद घोष को रिहा कर दिया गया। 
  • उसके बाद ही उन्होंने सभी राजनीतिक गतिविधियाँ त्याग दी। वे पांडिचेरी चले गए। उस समय पांडिचेरी एक फ्रांसीसी उपनिवेश था। वहाँ अरविंद ने एक आश्रम की स्थापना की। 
  • ढाका के मजिस्ट्रेट और नासिक तथा तिन्नोवेल्ली के कलेक्टरों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। 
  • 1912 ई. में वायसराय हार्डिंग की हत्या का प्रयास हुआ। ब्रिटिश भारत की नई राजधानी दिल्ली में हार्डिंग के पहुँचने पर चाँदनी चैक से उसका जुलूस निकला तो उस पर बम फेंका गया, पर वह बगया।
  • भारतीय क्रांतिकारी संसार के अन्य भागों में भी सक्रिय थे। उन्होंने लंदन, पेरिस, बर्लिन और उत्तरी अमरीका तथा एशिया में अपने केन्द्र स्थापित किए। उन्होंने पत्र-पत्रिकाएँ निकालीं और क्रांतिकारी विचारों को प्रचार किया। कुछ क्रांतिकारियों ने यूरोप के क्रांतिकारी संगठनों से संबंध स्थापित किए। 
  • भारत के बाहर काम करने वाले कुछ प्रमुख क्रांतिकारी थे - श्यामजी कृष्णवर्मा, मदाम भिकाजी कामा, एम. बरकतुल्ला, वी. वी. एस. अय्यर, लाला हरदयाल, रास बिहारी बोस, सोहन सिंह भकना, विनायक दामोदर सावरकर, उबैयदुल्ला सिंधि और मानवेंद्रनाथ राय। 
  • उत्तरी अमरीका के भारतीय क्रांतिकारियों ने विभिन्न भारतीय भाषाओं में ‘गदर’ नामक अखबार निकाला और उसी नाम की एक पार्टी स्थापित की।
  • प्रथम महायुद्ध ;1914.1918द्ध के दौरान इन दलों ने सशस्त्र विद्रोह के जरिए ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने के लिए भारत में चोरी-छिपे हथियार लाने की कोशिशें की। 
  • बाधा जतिन जर्मनी से लाए हथियारों से विद्रोह की तैयारी कर रहे थे, मगर उन्हें मार दिया गया। 
  • भारत में विद्रोह की तैयारी करने के लिए गदर पार्टी ने भी अपने लोग भेजे। मगर उनमें से अधिकांश को पकड़ लिया गया और कुछ को फांसी दी गई। 
  • जिन्हें फांसी दी गई उनमें 19 साल के करतार सिंह सरना भी थे। 
  • काबुल में एक क्रांतिकारी दल ने स्वतंत्र भारत की अंतरिम सरकार स्थापित की। राजा महेन्द्र प्रताप उसके राष्ट्रपति और बरकतुल्ला प्रधानमंत्री थे।
  • यद्यपि ये क्रांतिकारी अपने उद्देश्य में सफल नहीं हुए, परंतु इनका देश-प्रेम, निश्चय और आत्म-बलिदान भारतीय जनता के लिए प्रेरणा-स्रोत बना।

मुस्लिम लीग की स्थापना

  • 1906 ई. में मुस्लिम लीग की स्थापना हुई। 
  • इसकी स्थापना में प्रमुख भूमिका मुसलमानों के एक संप्रदाय के प्रमुख आगा खान और ढाका के नवाब सलीमुल्ला ने अदा की। 
  • आगा खान के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल वायसराय मिंटो से मिला था। तब वायसराय ने उनकी पीठ ठोंकी। 
  • मुस्लिम लीग ने घोषणा की कि उसका लक्ष्य सरकार के प्रति वफादारी कायम रखना, मुसलमानों के हितों की रक्षा तथा वृद्धि करना और भारत के अन्य समुदायों के प्रति मुसलमानों में शत्रुता की भावना नहीं पनपने देना है।
  • ब्रिटिश सरकार के प्रयासों के बावजूद आम मुसलमान राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल हुए। इस काल में अबुल कलाम आजाद, मुहम्मद अली, हकीम अजमल खाँ और मजरूल हक जैसे कई मुस्लिम नेता प्रसिद्ध हुए। 
  • इनके अलावा देवबंद विद्या केन्द्र के उलेमा ने भी शुरू से ही ब्रिटिश शासन का विरोध किया। 
  • मुस्लिम लीग भी साम्राज्यवाद-विरोधी विचारों के प्रसार से प्रभावित हुई थी। 
  • इसकी स्थापना के समय इसने मुसलमानों में ब्रिटिश सरकार के प्रति वफादारी की भावना का प्रचार करना अपना एक उद्देश्य घोषित किया था। मगर 1913 ई. में इसने स्वराज हासिल करना अपना लक्ष्य घोषित किया। कांग्रेस ने इस लक्ष्य की घोषणा सात साल पहले की थी।


लखनऊ समझौता (1916)

  • 1916 ई. तक मुस्लिम लीग का नेतृत्व राष्ट्रवादी वर्ग के हाथ में आ जाने से लीग कांग्रेस के समीप आ गई। 
  • महात्मा गांधी, सरोजनी नायडू, अबुल कलाम आजाद आदि नेताओं के प्रयासों से 1916 ई. में कांग्रेस और मुस्लिम लीग ने लखनऊ में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। दोनों का उद्देश्य जल्दी स्वराज प्राप्त करना था। 
  • इस समझौते में कांग्रेस ने विधान परिषदों में मुसलमानों के पृथक् प्रतिनिधित्व को स्वीकार कर लिया। 
  • इस प्रकार मुस्लिम लीग का यह भय खत्म हुआ कि चुनावों से बनने वाली परिषदों में हिन्दुओं का प्रभुत्व रहेगा और मुसलमानों के हितों की उपेक्षा होगी। 
  • कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन की एक और विशिष्टता यह थी कि सूरत अधिवेशन के नौ साल बाद अब कांग्रेस के गरम दल और नरम दल भी पुनः एकजुट हुए।

होमरूल लीग

  • सर्वप्रथम आयरलैंड में आयरिश नेता रेडमण्ड के नेतृत्व में ‘होमरूल लीग’ की स्थापना हुई थी। 
  • इसी नमूने पर भारत में भी वैधानिक उपायों द्वारा स्वशासन प्राप्त करने के उद्देश्य से ‘होमरूल लीग’ की स्थापना की गई। 
  • भारत में इसके संस्थापक लोकमान्य तिलक और श्रीमति ऐनी बेसेंट थे। 
  • मार्च, 1916 में तिलक ने ‘महाराष्ट्र होमरूल लीग’ की स्थापना की जिसका केन्द्र पूना था। 
  • इसके 6 माह बाद सितम्बर, 1916 में ऐनी बेसेन्ट ने मद्रास में अखिल भारतीय होमरूल लीग की स्थापना की। 
  • इन दोनों नेताओं ने संगठित रूप से कार्य किया। 
  • ऐनी बेंसेट ने अपने दैनिक पत्र ‘न्यू इंडिया’ तथा साप्ताहिक पत्र ‘काॅमन व्हील’ द्वारा होमरूल आन्दोलन का प्रचार किया। 
  • तिलक भी अपने पत्र ‘केसरी’ और ‘मराठा’ के माध्यम से इस दिशा में कार्य करते रहे।
संवैधानिक विकास के अन्तर्गत लिये गये महत्वपूर्ण निर्णय
 अधिनियम    समय    महत्वपूर्ण निर्णय

 रेग्यूलेटिंग एक्ट    1774    बंगाल में एक सर्वोच्न्यायालय की स्थापना
 चार्टर एक्ट    1813    पहली बार भारतीयों की शिक्षा पर खर्के लिए प्रतिवर्ष एक लाख रुपये की व्यवस्था की गयी।
 चार्टर एक्ट    1833    कम्पनी का भारतीय व्यापार पर से एकाधिकार समाप्त कर दिया गया।
 भारतीय परिषद अधिनियम    1858    भारत पर शासन का अधिकार ब्रिटिश क्राउन को मिला, भारत के प्रशासन की देखभाल के लिए एक भारत मंत्री या सचिव की व्यवस्था की गई। गवर्नर जनरल को अब वायसराय कहा जाने लगा।
 भारतीय परिषद अधिनियम    1861    पहली बार विभागीय एवं मंत्रिमंडलीय प्रणाली की नींव रखी गई, जिसके अंतर्गत विधान परिषद की स्थापना की गई।
 भारतीय परिषद अधिनियम    1892    पहली बार विधान परिषद् में बजट पर बहस करने का अधिकार मिला, पर मत विभाजन का अधिकार नहीं था।
 भारतीय परिषद् अधिनियम    1909    मुसलमानों के लिए पृथक् निर्वाचन क्षेत्र की सुविधा, विधान परिषद् के अध्यक्ष की अनुमति से सदस्यों को सार्वजनिक हित के विषयों पर प्रश्न पूछने का अधिकार मिला।
 भारतीय परिषद् अधिनियम    1919    भारत में एक नये अधिकारी भारतीय हाई कमिश्नर की नियुक्ति, केन्द्रीय व्यवस्थापिका को द्विसदनीय (1) भारतीय विधान सभा (2) भारतीय राज्य परिषद् में विभाजित किया गया। प्रान्तों में द्वैध शासन व्यवस्था, सिखों को विशेष प्रतिनिधित्व।
 भारतीय परिषद् अधिनियम    1935    केन्द्र में द्वैध शासन की व्यवस्था, प्रान्तीय स्वायत्तता की व्यवस्था। साम्प्रदायिक निर्वाचन का अधिकार हरिजना , भारतीय ईसाइयों, एंग्लो इण्डियन को भी मिला।
 भारतीय स्वाधीनता अधिनियम    1947    भारत को पूर्ण स्वतन्त्रता मिली।

रौलट एक्ट (1919)

  • युद्ध की समाप्ति के बाद लोगों ने जो स्वराज की उम्मीद की थी, वह मृग-मरीचिका साबित हुई। परिणामस्वरूप सारे देश में असंतोष की लहर फैल गई। 
  • 1919 ई. में ब्रिटिश सरकार ने रौलट कमेटी की रिपोर्ट को कानून का रूप दे दिया, जिसमें प्रशासन को किसी भी भारतीय को गिरफ्तार करने तथा बिना मुकद्दमा चलाए उसे बन्दीगृह में रखने का आदेश दे दिया गया। 
  • भारतीयों ने इस कानून का तीव्र विरोध किया। परिषद के कई सदस्यों ने इसके विरोध में इस्तीफे दे दिए। 
  • मुहम्मद अली जिन्ना ने अपने इस्तीफे में कहा थाः ”जो सरकार शांतिकाल में ऐसे कानून को स्वीकार करती है, वह अपने को एक सभ्य सरकार कहलाने का अधिकार खो बैठती है।“
  • गांधीजी पहले ही सत्याग्रह सभा की स्थापना कर चुके थे। अब उन्होंने देशव्यापी विरोध करने को कहा। 
  • सारे देश में 6 अप्रैल, 1919 का दिन ‘राष्ट्रीय अपमान दिवस’ के रूप में मनाया गया। देशभर में प्रदर्शन और हड़तालें हुईं। 
  • 7 अप्रैल को बम्बई जा रहे महात्मा गांधी को गिरफ्तार कर लिया गया। 
  • दिल्ली, अहमदाबाद आदि स्थानों पर भीषण उपद्रव हुए। 
  • सरकार ने बर्बरतापूर्वक दमन शुरू किया। कई जगहों पर लाठी-गोली का सहारा लिया गया। इस कानून ने भारतीयों में राष्ट्रीय भावना के विकास एवं जन-जागरण के लिए पृष्ठभूमि तैयार की।
The document दिल्ली दरबार और मुस्लिम लीग की स्थापना - स्वतंत्रता संग्राम, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi is a part of the UPSC Course इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi.
All you need of UPSC at this link: UPSC
398 videos|676 docs|372 tests

Top Courses for UPSC

FAQs on दिल्ली दरबार और मुस्लिम लीग की स्थापना - स्वतंत्रता संग्राम, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस - इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

1. दिल्ली दरबार का स्थापना कब और कैसे हुई?
उत्तर: दिल्ली दरबार का स्थापना 1919 में हुई थी। यह स्थानीय स्तर पर ब्रिटिश शासन के द्वारा विभाजित भारतीय क्षेत्रों को प्रशासित करने के लिए बनाया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य हर दिल्ली में स्थानीय जनता की समस्याओं को सुनना और उन्हें समाधान करना था।
2. मुस्लिम लीग की स्थापना कब और कैसे हुई?
उत्तर: मुस्लिम लीग की स्थापना 1906 में धार्मिक और सामाजिक मुद्दों के लिए मुस्लिम समुदाय की एक आवाज के रूप में हुई। यह भारत के मुस्लिम नेताओं द्वारा की गई थी जिनका मुख्य आदर्श था कि मुस्लिमों को उनके धार्मिक और सामाजिक हकों की सुरक्षा और प्रतिनिधित्व की जरूरत होती है।
3. दिल्ली दरबार क्या करता है?
उत्तर: दिल्ली दरबार एक सरकारी संस्था है जो आम जनता के साथ शिकायतों और समस्याओं को सुनती है और इन्हें समाधान के लिए उचित अदालतों और न्यायालयों में प्रेषित करती है। यह स्थानीय स्तर पर न्यायिक प्राधिकरण के रूप में कार्य करता है।
4. मुस्लिम लीग का मुख्य उद्देश्य क्या था?
उत्तर: मुस्लिम लीग का मुख्य उद्देश्य था मुस्लिम समुदाय के धार्मिक और सामाजिक हकों की सुरक्षा और प्रतिनिधित्व करना। इसका मकसद था मुस्लिमों को भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में उनके हकों की रक्षा करने के लिए एक संगठनित मंच प्रदान करना।
5. दिल्ली दरबार का इतिहास क्या है?
उत्तर: दिल्ली दरबार का इतिहास ब्रिटिश शासन के समय में उत्पन्न हुआ। यह स्थानीय स्तर पर विभाजित भारतीय क्षेत्रों के न्यायिक मामलों को सुनने और उन्हें समाधान करने के लिए बनाया गया था। इसका महत्वपूर्ण उद्देश्य था लोगों को उनके अधिकारों के लिए लड़ने का मौका देना और न्याय दिलाना।
398 videos|676 docs|372 tests
Download as PDF
Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Viva Questions

,

आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

Free

,

study material

,

Objective type Questions

,

ppt

,

इतिहास

,

Semester Notes

,

आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

यूपीएससी

,

यूपीएससी

,

practice quizzes

,

दिल्ली दरबार और मुस्लिम लीग की स्थापना - स्वतंत्रता संग्राम

,

यूपीएससी

,

Summary

,

आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

past year papers

,

mock tests for examination

,

इतिहास

,

shortcuts and tricks

,

इतिहास

,

video lectures

,

Extra Questions

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Sample Paper

,

pdf

,

दिल्ली दरबार और मुस्लिम लीग की स्थापना - स्वतंत्रता संग्राम

,

दिल्ली दरबार और मुस्लिम लीग की स्थापना - स्वतंत्रता संग्राम

,

Important questions

,

MCQs

,

Exam

;