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Test: स्वावलम्बनम् - 2 - Class 7 MCQ


Test Description

10 Questions MCQ Test - Test: स्वावलम्बनम् - 2

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Test: स्वावलम्बनम् - 2 - Question 1

‘पच्चीस’ पदस्य कृते संख्यावाचीपदम् किम् भविष्यति?

Detailed Solution for Test: स्वावलम्बनम् - 2 - Question 1

‘पच्चीस’ शब्द का संख्यावाची रूप पञ्चविंशतिः होता है। संस्कृत में संख्यावाचक शब्दों में 'विंशति' का अर्थ २० होता है, और 'पञ्च' का अर्थ ५ होता है। अतः 'पञ्चविंशतिः' शब्द २५ के लिए प्रयुक्त होता है। इस प्रकार, 'पच्चीस' का समकक्ष संख्यावाची पद पञ्चविंशतिः है।

Test: स्वावलम्बनम् - 2 - Question 2

‘भवन्ति’ पदे कः लकार:?

Detailed Solution for Test: स्वावलम्बनम् - 2 - Question 2

‘भवन्ति’ शब्दे लट् लकारः अस्ति। संस्कृतव्याकरणे 'लट्' लकारः वर्तमानकाले प्रयोग्य होता है, जो व्यक्तियों, स्थूलता या स्थितियों को सूचित करता है। ‘भवन्ति’ शब्द बहुवचन में 'सर्वनाम' के लिए प्रयुक्त होता है, जिसका अर्थ होता है 'वे होते हैं' या 'वे अस्तित्व में होते हैं'।

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Test: स्वावलम्बनम् - 2 - Question 3

कृष्णमूर्तेः वासगृहं कीदृशम् आसीत्?

Detailed Solution for Test: स्वावलम्बनम् - 2 - Question 3

कृष्णमूर्तेः वासगृहं आडम्बरविहीनम् आसीत्, अर्थात् उनका घर सरल और विनम्र था, जिसमें कोई भी दिखावटी या आडम्बर नहीं था। इसका अर्थ है कि उनका घर अत्यधिक सजावट या भव्यता से रहित था और यह एक साधारण, विनम्र वातावरण का प्रतीक था।

Test: स्वावलम्बनम् - 2 - Question 4

प्रत्येकं वर्षे फरवरी-मासे कति दिनानि भवन्ति?

Detailed Solution for Test: स्वावलम्बनम् - 2 - Question 4

प्रत्येक वर्षे फरवरी मासे सामान्यतः २८ दिन होते हैं। लेकिन लीप वर्ष में फरवरी में २९ दिन होते हैं। यहाँ "अष्टाविंशतिः" का अर्थ है २९ दिन, जो लीप वर्ष के फरवरी के दिन होते हैं।

Test: स्वावलम्बनम् - 2 - Question 5

अधुना कुत्र कोऽपि कर्मकरः नास्ति?

Detailed Solution for Test: स्वावलम्बनम् - 2 - Question 5

"अधुना कुत्र कोऽपि कर्मकरः नास्ति?" का अर्थ है कि वर्तमान समय में कहां कोई कर्मकर नहीं है। इसका उत्तर गृहे है, जिसका अर्थ है कि घर में कोई काम करने वाला व्यक्ति नहीं है। यह वाक्य घर में श्रमिक या कर्मकर की अनुपस्थिति को दर्शाता है।

Test: स्वावलम्बनम् - 2 - Question 6

‘भृत्यः’ पदस्य समानार्थकपदम् किम् अस्ति?

Detailed Solution for Test: स्वावलम्बनम् - 2 - Question 6

‘भृत्यः’ शब्द का अर्थ है ‘सेवक’ या ‘कर्मचारी’। यह उस व्यक्ति को सूचित करता है जो किसी अन्य के अधीन सेवा करता है। अतः ‘भृत्यः’ का समानार्थक पद सेवकः है, जो समान अर्थ में प्रयोग होता है।

Test: स्वावलम्बनम् - 2 - Question 7

कस्मिन् सदा सुखमेव?

Detailed Solution for Test: स्वावलम्बनम् - 2 - Question 7

स्वावलम्बन का अर्थ है आत्मनिर्भरता, अर्थात् जब कोई व्यक्ति अपनी मेहनत और क्षमता से स्वयं का पालन-पोषण करता है। यह स्थिति सदा सुखद होती है क्योंकि इसमें किसी पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं होती। इसलिए, स्वावलम्बन में ही सदा सुख होता है। अन्य विकल्प जैसे चौर्यकर्मणि, कलहे, और पराश्रिते सुखद नहीं होते, बल्कि वे दुःख और कठिनाइयों का कारण बन सकते हैं।

Test: स्वावलम्बनम् - 2 - Question 8

श्रीकण्ठस्य पिता कीदृशः आसीत्?

Detailed Solution for Test: स्वावलम्बनम् - 2 - Question 8

श्रीकण्ठस्य पिता समृद्धः आसीत्, अर्थात् वे धनवान् या समृद्ध थे। इसका अर्थ है कि श्रीकण्ठ के पिता आर्थिक दृष्टि से संपन्न थे और उनके पास धन-धान्य की कोई कमी नहीं थी।

Test: स्वावलम्बनम् - 2 - Question 9

एकस्मिन् वर्षे कति मासाः भवन्ति?

Detailed Solution for Test: स्वावलम्बनम् - 2 - Question 9

एकस्मिन वर्षे द्वादश मासाः भवन्ति। संस्कृत में वर्ष का एक सामान्य कालक्रम १२ मासों का होता है, जो हम जनवरी से दिसंबर तक के महीनों के रूप में जानते हैं।

Test: स्वावलम्बनम् - 2 - Question 10

केषाम् आवागमनं स्वयमेव भवति?

Detailed Solution for Test: स्वावलम्बनम् - 2 - Question 10

नक्षत्राणां आवागमनं स्वयमेव भवति, अर्थात् नक्षत्रों का गति और आवागमन स्वाभाविक रूप से और स्वतः होता है। नक्षत्रों की गति पर कोई बाह्य प्रभाव नहीं पड़ता; वे अपने निर्धारित मार्ग पर स्वचालित रूप से चलते हैं।

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