वे मुम्बई मे पटकथा लेखक के रूप मे ज्यादा देर तक कार्य क्यो नही कर पाये?
1 Crore+ students have signed up on EduRev. Have you? Download the App |
बड़े भाई साहब ने छोटे भाई पर रौब जमाने के लिए किस बात की दुहाई दी?
मेरा जी पढ़ने में बिलकुल न लगता था। एक घंटा भी किताब लेकर बैठना पहाड़ था। मौका पाते ही होस्टल से निकलकर मैदान में आ जाता और कभी कंकरियाँ उछालता, कभी कागज़ की तितलियाँ उड़ाता और कहीं कोई साथी मिल गया, तो पूछना ही क्या। कभी चार-दीवारी पर चढ़कर नीचे कूद रहे हैं। कभी फाटक पर सवार, उसे आगे-पीछे चलाते हुए मोटरकार का | आनंद उठा रहे हैं, लेकिन कमरे में आते ही भाई साहब का वह रुद्र-रूप देखकर प्राण सूख जाते। उनका पहला सवाल यह होता-‘कहाँ थे’? हमेशा यही सवाल, इसी ध्वनि में हमेशा पूछा जाता था और इसका जवाब | मेरे पास केवल मौन था। न जाने मेरे मुँह से यह बात | क्यों न निकलती किं ज़रा बाहर खेल रहा था। मेरा मौन । कह देता था कि मुझे अपना अपराध स्वीकार है और भाई साहब के लिए उसके सिवा और कोई इलाज न था कि स्नेह और रोष से मिले हुए शब्दों में मेरा सत्कार करें।
लेखक को एक घंटा किताब लेकर बैठना कैसा लगता था?