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Test: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र - 2 - Class 10 MCQ


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10 Questions MCQ Test - Test: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र - 2

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Test: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र - 2 - Question 1

‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को व्यावसायिक सफलता क्यों नहीं मिली?

Detailed Solution for Test: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र - 2 - Question 1

‘तीसरी कसम’ को व्यावसायिक सफलता नहीं मिली क्योंकि वितरकों ने इसे प्रदर्शन के लिए पूरी तरह अस्वीकार कर दिया था। उन्हें लगा कि इसमें वह ‘मसाला’ नहीं है जो व्यावसायिक फ़िल्मों में होता है। फ़िल्म की कलात्मकता, संवेदनशीलता, और गहरी मानवीयता उस दौर के व्यावसायिक फ़िल्मी मानदंड से मेल नहीं खाती थी।

Test: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र - 2 - Question 2

शैलेंद्र को किस बात पर क्रोध आ गया था, जब राज कपूर ने उनके गीत के लिए पैसा तय किया?

Detailed Solution for Test: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र - 2 - Question 2

शैलेंद्र को राज कपूर की एक बात पर गुस्सा आ गया था जब उन्होंने ‘मेरा जूता है जापानी’ गाने के लिए शैलेंद्र को पारिश्रमिक देते हुए कहा था, “कविराज, मैंने यह गाना आपको दे दिया है।” शैलेंद्र को यह बात पसंद नहीं आई कि राज कपूर उनके रचनात्मक कार्य को ‘खरीदने’ जैसा व्यवहार कर रहे हैं, क्योंकि वे कला को किसी मोल-भाव से ऊपर मानते थे।

Test: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र - 2 - Question 3

‘मेरा जूता है जापानी’ गीत में जापान, रूस और हिंदुस्तान का उल्लेख किस संदर्भ में था?

Detailed Solution for Test: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र - 2 - Question 3

‘मेरा जूता है जापानी’ गीत में जापान, रूस और हिंदुस्तान का उल्लेख भारत की आत्मनिर्भरता और सांस्कृतिक पहचान को दर्शाता है। जूते का जापानी, पतलून का अंग्रेज़ी, टोपी का रूसी होना, लेकिन फिर भी ‘दिल है हिंदुस्तानी’ कहना, यह बताता है कि भले ही बाहरी वस्तुएँ विदेशी हों, पर भारतीयता और आत्मा अपनी ही है। यह गीत राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बन गया।

Test: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र - 2 - Question 4

शैलेंद्र की पहली और अंतिम फ़िल्म कौन सी थी, जिसमें उन्होंने पैसा लगाया था?

Detailed Solution for Test: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र - 2 - Question 4

‘तीसरी कसम’ शैलेंद्र द्वारा निर्मित पहली और अंतिम फ़िल्म थी। इस फ़िल्म में उन्होंने अपना सब कुछ दाँव पर लगा दिया था। यह उनकी कलात्मक ईमानदारी और एक अच्छी कहानी को पर्दे पर उतारने की तीव्र इच्छा का प्रमाण था, भले ही उन्हें इसके लिए भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा।

Test: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र - 2 - Question 5

शैलेंद्र ने ‘तीसरी कसम’ में किसे हीरामन और हीराबाइ की भूमिका के लिए चुना था?

Detailed Solution for Test: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र - 2 - Question 5

‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में हीरामन और हीराबाइ की मुख्य भूमिकाओं के लिए शैलेंद्र ने राज कपूर और वहीदा रहमान जैसे दिगज कलाकारों को चुना था। राज कपूर ने इसमें हीरामन का पात्र निभाया और वहीदा रहमान ने हीराबाइ का। इन दोनों कलाकारों ने अपनी अभिनय क्षमता से पात्रों को सजीव कर दिया था।

Test: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र - 2 - Question 6

‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को क्या कहा गया है, इसके प्रदर्शन के बाद?

Detailed Solution for Test: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र - 2 - Question 6

भले ही ‘तीसरी कसम’ को तत्कालीन समय में व्यावसायिक सफलता नहीं मिली, लेकिन यह एक ‘क्लासिक’ फ़िल्म मानी जाती है। इसमें कहानी, संगीत, अभिनय और निर्देशन का बेजोड़ संगम है। यह उन फ़िल्मों में से है जो समय के साथ अपनी प्रासंगिकता और कलात्मक मूल्य को बरकरार रखती हैं, और बाद में इसकी सराहना हुई।

Test: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र - 2 - Question 7

फ़िल्म की संवेदनशीलता को बनाए रखने के लिए शैलेंद्र ने क्या समझौता नहीं किया?

Detailed Solution for Test: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र - 2 - Question 7

शैलेंद्र ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म में व्यावसायिकता के साथ कोई समझौता नहीं करना चाहते थे। वे एक विशुद्ध कलात्मक और संवेदनशील फ़िल्म बनाना चाहते थे, जिसमें फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी की आत्मा बनी रहे। इसी कारण उन्हें वितरकों के विरोध का सामना करना पड़ा और फ़िल्म आर्थिक रूप से असफल रही, लेकिन कलात्मक रूप से सफल हुई।

Test: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र - 2 - Question 8

राज कपूर की फ़िल्म ‘मेरा नाम जोकर’ की असफलता के बाद शैलेंद्र ने क्या कहा था?

Detailed Solution for Test: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र - 2 - Question 8

राज कपूर की महत्वाकांक्षी फ़िल्म ‘मेरा नाम जोकर’ जब असफल रही, तब राज कपूर टूट गए थे। उस समय शैलेंद्र ने उन्हें सांत्वना देते हुए कहा था, “आप तो कमाल के आदमी हैं, जो सात साल से एक फ़िल्म बना रहे हैं और इतना पैसा लगा रहे हैं! आपकी लगन तो कमाल की है!” यह शैलेंद्र की गहरी दोस्ती और राज कपूर की कला के प्रति सम्मान को दर्शाता है।

Test: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र - 2 - Question 9

शैलेंद्र किस तरह के गीतों के लिए जाने जाते थे?

Detailed Solution for Test: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र - 2 - Question 9

शैलेंद्र अपनी कविताओं और गीतों में आम आदमी के दुख-दर्द, संघर्ष और उसकी मानवीय भावनाओं को बड़ी संवेदनशीलता के साथ व्यक्त करते थे। उनके गीत जीवन के यथार्थ और दर्शन को सरल शब्दों में प्रस्तुत करते थे, जैसे ‘दुनिया बनाने वाले’, ‘मेरा जूता है जापानी’, और ‘किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार’ आदि।

Test: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र - 2 - Question 10

‘सैल्यूलाइड पर एक कवि की संवेदनशील आत्मा’ वाक्यांश का क्या अर्थ है?

Detailed Solution for Test: तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र - 2 - Question 10

‘सैल्यूलाइड पर एक कवि की संवेदनशील आत्मा’ वाक्यांश का अर्थ है कि ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म केवल एक कहानी का रूपांतरण नहीं है, बल्कि यह शैलेंद्र जैसे एक सच्चे कवि की गहरी संवेदनशीलता, भावुकता और कला के प्रति समर्पण का सीधा प्रतिबिंब है। उन्होंने फ़िल्म के हर पहलू में अपनी आत्मा और भावनाओं को उड़ेल दिया था, जिससे वह एक अविस्मरणीय कृति बन गई।

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