कबूतर इधर उधर क्यों फड़फड़ा रहे थे?
‘लशकर’ को ‘नूह के लकब से’ क्यों याद किया जाता है?
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गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्न
दुनिया कैसे वजूद में आई? पहले क्या थी? किस बिंदु से इसकी यात्रा शुरू हुई? इन प्रश्नों के उत्तर विज्ञान अपनी तरह से देता है, धार्मिक ग्रंथ अपनी-अपनी तरह से। संसार की रचना भले ही कैसे हुई हो लेकिन धरती किसी एक की नहीं हैं। पंछी, मानव, पशु, नदी, पर्वत, समंदर आदि की इसमें बराबर की हिस्सेदारी है। यह और बात है कि इस हिस्सेदारी में मानव जाति ने अपनी बुद्धि से बड़ी-बड़ी दीवारें खड़ी कर दी हैं। पहले पूरा संसार एक परिवार के समान था। अब टुकड़ों में बँटकर एक-दूसरे से दूर हो चुका है। पहले बड़े-बड़े दालानों-आँगनों में सब मिल-जुलकर रहते थे, अब छोटे-छोटे डिब्बे जैसे घरों में जीवन सिमटने लगा है। बढ़ती हुई आबादियों ने समंदर को पीछे सरकाना शुरू कर दिया है, पेड़ों को रास्तों से हटाना शुरू कर दिया है, फैलते हुए प्रदूषण ने पंछियों को बस्तियों से भगाना शुरू कर दिया है। बारूदों की विनाशलीलाओं ने वातावरण को सताना शुरू कर दिया। अब गरमी में । ज्यादा गरमी, बेवक्त की बरसातें, जलजले, सैलाब, तूफ़ान और नित नए रोग, मानव और प्रकृति के इसी असंतुलन के परिणाम हैं। नेचर की सहनशक्ति की एक सीमा होती है।
मानव जाति ने अपनी बुद्धि से क्या किया है?
लेखक के अनुसार किस तरह के लोग अब नहीं हैं?
समुद्र धीरे धीरे क्यों सिकुड़ रहे हैं?
पहले पूरा संसार किस प्रकार रहता था?
अब जीवन कैसे घरों में सिमटने लगा?
सुलेमान किसके साथ रास्ते से गुज़र रहा था?
लेखक की माँ दरिया को क्या करने को कहती है?
गरमी, सरदी, सैलाब आदि किसका परिणाम हैं? ||
इस धरती में किसकी अधिक हिस्सेदारी हैं?
घोड़ों के टापों की आवाज़ किसने सुनी?
मनुष्य ने अपनी बुद्धि से क्या खड़ा किया है?
‘शेख अयाज’ किस भाषा के महाकवि थे?
चींटिया एक दूसरे को कहाँ चलने को कह रहीं थी?
चींटियों को सुलेमान ने क्या कह कर धीरज बंधाया?
कौन सा धर्म कुत्ते को गन्दा समझता है?
नूह शब्द किस भाषा से लिया गया है?