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Test: पतझर में टूटी पत्तियाँ - 1 - Class 10 MCQ


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10 Questions MCQ Test - Test: पतझर में टूटी पत्तियाँ - 1

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Test: पतझर में टूटी पत्तियाँ - 1 - Question 1

‘पतझर में टूटी पत्तियाँ’ पाठ के लेखक कौन हैं?

Detailed Solution for Test: पतझर में टूटी पत्तियाँ - 1 - Question 1

प्रस्तुत पाठ ‘पतझर में टूटी पत्तियाँ’ के लेखक रवींद्र केलेकर हैं। उनका जन्म 7 मार्च 1925 को कोंकण क्षेत्र में हुआ था। रवींद्र केलेकर गांधीवादी चिंतक के रूप में विख्यात हैं और उनके लेखन में जनजीवन के विविध पक्षों, मान्यताओं और व्यक्तिगत विचारों को देश और समाज के परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया गया है।

Test: पतझर में टूटी पत्तियाँ - 1 - Question 2

रवींद्र केलेकर का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

Detailed Solution for Test: पतझर में टूटी पत्तियाँ - 1 - Question 2

लेखक परिचय के अनुसार, रवींद्र केलेकर का जन्म 7 मार्च 1925 को कोंकण क्षेत्र में हुआ था। वे छात्र जीवन से ही गोवा मुक्ति आंदोलन में शामिल हो गए थे। यह जानकारी लेखक के मूल और उनके प्रारंभिक जीवन से पाठकों को परिचित कराती है, जो उनकी लेखन शैली और विचारों को समझने में सहायक है।

Test: पतझर में टूटी पत्तियाँ - 1 - Question 3

रवींद्र केलेकर किस रूप में विख्यात हैं?

Detailed Solution for Test: पतझर में टूटी पत्तियाँ - 1 - Question 3

रवींद्र केलेकर गांधीवादी चिंतक के रूप में विख्यात हैं। उनके लेखन में गांधीवादी मूल्यों और विचारों की स्पष्ट छाप देखने को मिलती है। उनकी रचनाएँ मानवीय सत्य तक पहुँचने की सहज चेष्टा को दर्शाती हैं।

Test: पतझर में टूटी पत्तियाँ - 1 - Question 4

‘पतझर में टूटी पत्तियाँ’ पाठ में कौन से दो प्रसंग दिए गए हैं?

Detailed Solution for Test: पतझर में टूटी पत्तियाँ - 1 - Question 4

यह पाठ दो अलग-अलग लघु निबंधों या प्रसंगों का संग्रह है: ‘गिन्नी का सोना’ और ‘झेन की देन’। ‘गिन्नी का सोना’ में गांधीजी के आदर्शवाद और व्यावहारिकता के समन्वय पर विचार किया गया है, जबकि ‘झेन की देन’ में जापान की ‘टी-सेरेमनी’ के माध्यम से मानसिक शांति और वर्तमान में जीने की कला का वर्णन है।

Test: पतझर में टूटी पत्तियाँ - 1 - Question 5

‘शुद्ध सोना’ किसे कहा गया है?

Detailed Solution for Test: पतझर में टूटी पत्तियाँ - 1 - Question 5

‘गिन्नी का सोना’ प्रसंग में, लेखक शुद्ध सोने की तुलना उन लोगों से करते हैं जो केवल अपने आदर्शों को जीते हैं, व्यवहारिकता का ध्यान नहीं रखते। वे पवित्र और शुद्ध तो होते हैं, पर समाज में उनके लिए कोई जगह नहीं होती क्योंकि वे किसी से समझौता नहीं करते और दूसरों को भी उसी आदर्श पर चलने को कहते हैं, जो संभव नहीं होता।

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‘गिन्नी का सोना’ किसे कहा गया है?

Detailed Solution for Test: पतझर में टूटी पत्तियाँ - 1 - Question 6

‘गिन्नी का सोना’ उस सोने को कहा गया है जिसमें थोड़ा ताँबा मिला हो, ताकि वह अधिक मज़बूत और उपयोगी बन सके। इसी प्रकार, लेखक ऐसे लोगों को ‘गिन्नी का सोना’ कहते हैं जो आदर्शों के साथ व्यवहारिकता का समन्वय करते हैं। वे आदर्शों को छोड़ते नहीं, बल्कि उन्हें व्यवहारिक रूप से लागू करने का प्रयास करते हैं, जिससे वे समाज के लिए अधिक उपयोगी और प्रभावी बनते हैं।

Test: पतझर में टूटी पत्तियाँ - 1 - Question 7

गांधीजी को ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट’ क्यों कहा गया है?

Detailed Solution for Test: पतझर में टूटी पत्तियाँ - 1 - Question 7

गांधीजी को ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट’ (व्यावहारिक आदर्शवादी) कहा गया है क्योंकि वे सिर्फ़ आदर्शों की बातें नहीं करते थे, बल्कि उन्हें अपने जीवन में और सामाजिक कार्यों में व्यवहारिक रूप से लागू भी करते थे। वे जानते थे कि शुद्ध आदर्श अकेले काम नहीं करते, उन्हें व्यवहार की कसौटी पर परखना और अनुकूल बनाना भी ज़रूरी है, ताकि वे जनजीवन में उपयोगी बन सकें।

Test: पतझर में टूटी पत्तियाँ - 1 - Question 8

लेखक के अनुसार, आजकल लोगों को दिमाग पर क्या छा गया है?

Detailed Solution for Test: पतझर में टूटी पत्तियाँ - 1 - Question 8

‘झेन की देन’ प्रसंग में लेखक बताते हैं कि आजकल लोगों के दिमाग पर ‘स्पीड का इंजन’ लग गया है। इसका अर्थ है कि लोग अत्यधिक तेज़ी से काम करते हैं, हर चीज़ जल्दी पाना चाहते हैं और जीवन की गति बहुत बढ़ गई है। यह मानसिक तनाव और बीमारियों का कारण बन रहा है, क्योंकि लोगों के पास सोचने-समझने और शांति से जीने का समय नहीं है।

Test: पतझर में टूटी पत्तियाँ - 1 - Question 9

जापान में मानसिक रोगों का क्या कारण बताया गया है?

Detailed Solution for Test: पतझर में टूटी पत्तियाँ - 1 - Question 9

लेखक ने जापान में मानसिक रोगों के बढ़ते मामलों का कारण तीव्र प्रतिस्पर्द्धा और काम की अत्यधिक गति को बताया है। जापान के लोग अमेरिका से प्रतिस्पर्धा करने में और एक महीने का काम एक दिन में करने की कोशिश में अपनी मानसिक शांति खो रहे हैं, जिससे उनके दिमाग की गति हज़ारों गुना बढ़ गई है।

Test: पतझर में टूटी पत्तियाँ - 1 - Question 10

‘टी-सेरेमनी’ (चा-नो-यू) का संबंध किस देश से है?

Detailed Solution for Test: पतझर में टूटी पत्तियाँ - 1 - Question 10

‘झेन की देन’ प्रसंग में ‘टी-सेरेमनी’ (जापानी में चा-नो-यू) का विस्तृत वर्णन किया गया है, जो जापान की एक पारंपरिक रस्म है। इस समारोह का उद्देश्य लोगों को मानसिक शांति प्रदान करना और उन्हें वर्तमान क्षण में जीना सिखाना है, जिससे उनके दिमाग की तेज़ी कम हो सके।

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